संगठनात्मक व्यवहार

संगठनात्मक संस्कृत में परिवर्तन | थ्योरी जेड के द्वारा संस्कृति परिवर्तन

संगठनात्मक संस्कृत में परिवर्तन | थ्योरी जेड के द्वारा संस्कृति परिवर्तन | Change in organizational Sanskrit in Hindi | Culture Change Through Theory Z in Hindi

संगठनात्मक संस्कृत में परिवर्तन

(Change in Organisational Culture)

कभी-कभी परिवर्तित परिस्थितयों एवं बाह्य वातावरण के कारण संगठन अपनी संस्कृति में परिवर्तन करने के इच्छुक होते हैं। ऐसी दशा में संगठन नये मार्गदर्शन तत्वों (Guidelines) का विकास कर सकता है। जैसे- इतिहास की समझ का विकास करना, अद्वैत भाव (Oneness) का सृजन करना, सदस्यता भाव का संवर्धन करना या सदस्यों के मध्य विनिमय का बढ़ाया जाना आदि में संगठनात्मक संस्कृति की आवश्यकता होती है। प्रोक्टर एवं गैम्बल इस सम्बन्ध में सर्वोत्तम उदाहरण है जिन्होंने सांस्कृतिक परिवर्तन को सफलतापूर्वक लागू किया है। इस निगम की संगठनात्मक संस्कृति धीमे विकास तथा लाभ से सम्बद्ध रही थी, लेकिन विगत कुछ वर्षों में किम्बरले-क्लार्क लीवन ब्रदर्स आदि ने निगम के सम्मुख अनेक चुनौतियाँ उपस्थित कर दी। जिसके परिणामस्वरूप पी०एण्ड जी० को काफी निराशा हुई। प्रतिस्पर्द्धा तथा अन्य वातावरणीय घटकों के कारण निगम ने अपनी संगठनात्मक संस्कृति में परिवर्तन किया, जिनकी प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं-

(1) कार्य टीम अवधारणा (Work Team Concept); (2) जीवन पर्यन्त रोजगार, (3) निगम पैतृकवाद, (4) संगठित श्रमिकों के साथ सहयोग।

सोलोमन एवं बूसे (Soloman and Bussey) ने अपने लेख में लिखा है कि परिवर्तित दशाओं के कारण प्रोक्टर एवं गैम्बल को अपनी संस्कृति में परिवर्तन करना पड़ा था।

थ्योरी जेड के द्वारा संस्कृति परिवर्तन (Changing Culture through Theory Z) –

विगत कुछ वर्षों में थ्योरी जेड (Theory Z) तथा जापानी प्रबन्ध ने संस्कृति परिवर्तन के सम्बन्ध में लोगों का ध्यान आकर्षित किया। विलियम औंची द्वारा प्रतिपादित थ्योरी जेड के द्वारा अधिकांश संगठन अपनी संस्कृति को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। थ्योरी जेड की निम्न प्रमुख विशेषतायें हैं-

(1) संगठन एवं उसके सदस्यों के मध्य प्रगाढ़ सम्बन्ध (2) एकमत निर्णयन (Consensus decision-making) (3) परिचालन के सभी चरणों में कर्मचारियों की व्यापक सहभागिता (4) औपचारिक संगठन ढ़ाँचा नहीं। (5) नेता द्वारा तकनीकी घटकों की अपेक्षा मानवीय प्रयासों में समन्वयक की भूमिका निभाना। (6) कर्मचारियों की समग्र समृद्धि से सम्बद्धता ।

औंची का मत है कि संगठन एवं इसके सदस्यों के मध्य प्रगाढ़ सम्बन्ध होने चाहिये। इसके लिये निम्न तरीके उपयुक्त होते हैं- जीवन पर्यन्त रोजगार, रोजगार में स्थिरता निर्णयन में व्यापक सहभागिता एवं चुनौतीपूर्ण वातावरण, कैरियर नियोजन आदि। रिचार्ड एल0 डाफ्ट ( Richark L. Daft) का मत है कि वास्तव में थ्योरी जेड वर्तमान अमेरिकी तथा जापानी प्रबन्ध विचारधाराओं का मिश्रण है, जैसा कि निम्न तालिका में स्पष्ट किया गया है-

व्यवहार में थ्यौरी जेड

विशेषताये

थ्योरी ‘अ’ (अमेरिका)

थ्योरी ‘ब’ (जापान)

थ्योरी ‘जेड’ (संशोधित)

(1) फर्म के साथ रोजगार

प्रायः अल्पावधि होती है; जवरी छुट्टी सामान्यतः होती रहती है।

विशेषतः बड़े संगठनों में जीवनपर्यन्त होता है; जबरी छुट्टी यदा-कदा होती है।

दीर्घावधि होती है जो स्थायी कार्य शक्ति को विकसित करने में सहायता करती है।

(2) सेविवर्ग का मूल्यांकन एवं पदोन्नति

तीव्र गति से होता है, जिनकी  पदोन्नति नहीं होती है, वे अन्यत्र रोजगार प्राप्त कर लेते हैं।

धीमी गति से होता है। बड़ी पदोन्नति कई वर्षों की के बाद दी जाती है।

अपेक्षाकृत धीमी गति, पदोन्नति की अपेक्षा प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन पर ज्यादा बल दिया जाता है।

(3) कैरियर पॉथ

अति विशिष्टीकरण होता है; व्यक्ति एक ही क्षेत्र में (लेखांकन, वित, विक्रय) में रहना पसन्द करता है।

अति सामान्य होता है व्यक्ति को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भेजा जाता है ताकि वह संगठन के समग्र क्रियाकलापों से परिचित हो सके।

अपेक्षाकृत सामान्य होता है। जॉब रोटेशन पर बल दिया जाता है तथा व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ताकि व्यक्ति समग्र संगठन को बेहतर रूप में समझ सके।

(4) निर्णयन

व्यक्तिगत प्रवन्धक के द्वारा निर्णय लिया जाता है।

समहू द्वारा निर्णय लिया जाता है।

समूह की सहभागिता एवं सहमति के द्वारा निर्णय लिया जाता है।

(5) नियन्त्रण

अति स्पष्ट होता है, व्यक्ति सही रूप में यह जानता है कि क्या तथा कैसे नियन्त्रण करना है।

अति अस्पष्ट एवं अनौपचारिक होता है; व्यक्ति काफी सीमा तक विश्वास एवं ख्याति पर विश्वास करता है।

स्पष्ट निष्पादन मापों के साथ अनौपचारिक नियन्त्रण प्रक्रिया पर बल दिया जाता है।

(6) उत्तरदायित्व सौंपी जाती है।

व्यक्तिगत आधार पर रूप से वहन की

समूह द्वारा सामूहिक जाती है।

व्यक्तिगत आधार पर सौंपी जाती है।

(7) सेविवर्ग से सम्बन्ध

संगठन प्राथमिक रूप से व्यक्ति के कार्य जीवन से ही सम्बन्ध रखता है।

संगठन व्यक्ति के समग्र जीवन (सामाजिक तथा कार्य) से सम्बन्ध रखता है।

संगठन व्यक्ति के जीवन के अधिकांश पहलुओं से सम्बन्ध रखता है।

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Pankaja Singh

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