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मनोबल का अर्थ एवं परिभाषा | मनोबल माप के सामान्य स्तर | कर्मचारी के मनोबल को ऊंचा उठाने के उपाय | औद्योगिक मनोबल को प्रभावित करने वाले घटक | उद्योगों में मनोबल का महत्व | उच्च मनोबल और गिरे हुये मनोबल क्या हैं?

मनोबल का अर्थ एवं परिभाषा | मनोबल माप के सामान्य स्तर | कर्मचारी के मनोबल को ऊंचा उठाने के उपाय | औद्योगिक मनोबल को प्रभावित करने वाले घटक | उद्योगों में मनोबल का महत्व | उच्च मनोबल और गिरे हुये मनोबल क्या हैं? | Meaning and definition of morale in Hindi | General level of morale measurement in Hindi | Ways to boost employee morale in Hindi | Factors affecting industrial morale in Hindi | Importance of morale in industries in Hindi | What are high morale and low morale in Hindi 

मनोबल का अर्थ एवं परिभाषा

‘मानवीय सम्बन्ध’ शब्द की उत्पत्ति होने से पूर्व मनोबल शब्द का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता था। मनोबल से आशय मन के बल अथवा आन्तरिक बल से है। जिसके माध्यम से मनुष्य कार्य करने के लिए प्रेरित होता है। मनोबल को विभिन्न विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है-

विलियम आर. स्त्रीगल- “मनोबल से आशय बहुत से व्यक्तियों के जो आपस में किसी आधार पर एक-दूसरे से सम्बन्धित है, सहकारी दृष्टिकोण या सामूहिक मानसिक अवस्था से है।”

फिलिप्पो के अनुसार- “मनोबल एक मानसिक स्थिति या व्यक्तियों और समूहों की अभिवृत्ति है जो उनकी सहयोग करने की स्वेच्छा का निर्धारण करती है।”

डेल योडर के अनुसार- “मनोबल रोजगार के प्रति कर्मचारियों की अवस्थाओं, उनके वैयक्तिक कृत्यों, जिसके साथ वे कार्य करते हैं, उनके पर्यवेक्षकों, उनके संघ कार्य की दशाओं और सम्पूर्ण रोजगार के प्रति एक संश्लेषण की तरह माना गया है।

वैब्सटर के अनुसार- “मनोबल एक स्थिति है जो ऐसे मनोबल या उत्साह भावना, आशा, विश्वास आदि मानसिक तत्वों पर आधारित या प्रभावित है।

मनोबल माप के सामान्य स्तर

मनोबल को न तो थर्मामीटर से और न ही तारजू पर मापा और तौला जा सकता है। मनोबल माप अप्रत्यक्ष तरीकों द्वारा ली जा सकती है।

(1) प्रायोगिक विधि – यह मनोवैज्ञानिक धारणाओं पर आधारित है। इसमें कर्मचारियों की मानसिक स्थितियों, प्रवृत्तियों, शारीरिक अन्तरों तथा एक ही संस्था में कार्यरत कर्मचारियों के मध्य  विद्यमान अन्तर आदि का अध्ययन किया जाता है। यह विधि उन उद्योगों के लिए उपयोगी है जो अनुसन्धान के व्यय को वहन करने की क्षमता रखते हैं।

(2) व्यक्तिगत विधि इसमें कर्मचारियों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।क्षकर्मचारियों से अनेक प्रश्न किये जाते हैं। प्रश्न मौखिक होते हैं और कम्पनी की नीति, दशाएँ और अधिकारियों के व्यवहार आदि से सम्बन्धित होते हैं। इससे कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यवहार व मनोबल का पता चलता है।

(3) परिणाम विधि अनेक उपक्रमों के कार्यों के वास्तविक परिणामों के आधार पर भी कर्मचारियों के मनोबल को नोपा जा सकता है। व्यक्तिगत रुझान क्या है? वास्तविक वस्तु की किस्म क्या है? सामग्री का अपव्यय कितना है? आदि।

कर्मचारी के मनोबल को ऊंचा उठाने के उपाय

(1) विशेषज्ञों द्वारा कार्य की व्यवस्था (Expert Approach)- एक विशेषज्ञ की नियुक्ति की जानी चाहिए जो कार्यस्थल पर जाकर सर्वेक्षण करे तथा उसके आधार पर मनोबल को क्षति पहुँचाने वाले कारकों का पता लगाये और अपने सुझाव दे। इस क्रम द्वारा मनोबल में वृद्धि, स्वाभाविक है।

(2) औद्योगिक गुप्तचर नीति (Industrial spy Technique) – इसके अन्तर्गत एक ऐसा विशेषज्ञ जो श्रमिकों और प्रबन्धकों से अनभिज्ञ और अपरिचित रहता है। कारखाने के अन्तर्गत एक सामान्य श्रमिक की भाँति जाकर कार्य करता है। कर्मचारियों से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त कर लेता है।

(3) औद्योगिक सलाह का ढंग (Industrial Counselling)- हाथोर्न के प्रयोगों ने सिद्ध कर दिया कि औद्योगिक सलाहकार मनोबल को ऊंचा उठाने में बड़ा सहायक सिद्ध होता है।

(4) सेवायोजक समस्या ढंग इस पद्धति में कोई मनोवैज्ञानिक या पर्यवेक्षक या सेवायोजक या कोई श्रेष्ठ प्रशिक्षित व्यक्ति समस्या समाधान करने के लिए कर्मचारियों पर बराबर भार डालता रहता है। इस विचार का परिणाम स्वाभाविक सहयोग की भावना से सृजन होता है।

औद्योगिक मनोबल को प्रभावित करने वाले घटक

औद्योगिक मनोबल में व्यक्तिगत और सामूहिक उच्च एवं निम्न सभी प्रकार के मनोबल सम्मिलित हैं।

फिलिप्पो मनोबल को प्रभावित करने वाले तत्वों को शामिल किया गया है?

(1) वेतन

(2) सुरक्षा

(3) कार्य की दशायें

(4) किये कार्य की प्राप्ति

(5) उचित एवं योग्य नेतृत्व

(6) अच्छे अवसर

(7) सद्योगियों की अनुकूलता

(8) कर्मचारी फायदे

(9) सामाजिक प्रतिष्ठा

(10) उचित तीव्रता

(1) उपक्रम की संगठन संरचना – इसका प्रभाव मनोबल पर पड़ता है। लघु आकार के व्यवसाय में कर्मचारी व मालिक के स्वामित्व के कारण कर्मचारियों का मनोबल ऊँचा रहता है।

(2) प्रबन्धकों का व्यवहार कर्मचारियों के मनोबल को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख घटक कर्मचारियों के प्रति प्रबन्धकों का व्यवहार है।

(3) प्रभावी देख-रेख कर्मचारी अपने जिन निकटतम अधिकारियों के सम्पर्क में आता है। उनका व्यवहार और कौशल भी कर्मचारियों के मनोबल को प्रभावित करता है।

(4) कार्य में सन्तुष्टि ये आवश्यक है कि कर्मचारी अपने द्वारा किये गये कार्य में पूर्ण संतोष का अनुभव करे।

उद्योगों में मनोबल का महत्व

मनोबल के उपयोग का उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान है।

मनोबल कार्य करने की एक कुँजी है। यह एक ऐसा चिकना पदार्थ है। जो उपक्रम को चालू रखता है।” मशीन व मनुष्य में बड़ा अन्तर यह है कि मनुष्य द्वारा उत्पादन इस बात पर निर्भर करता है कि उससे उनका कार्य कैसा लगता हैं। जिनके साथ वह कार्य करता है। वे लोग उसे कैसे लगते हैं। उस उद्योग के प्रति उसके भाव कैसे है। जिसमें वह कार्य कर रहा है। मशीन में इस प्रकार की कोई भावना नहीं होती उसे कोई भी चलाये वह अपना कार्य उसी प्रकार करेगी। कर्मचारियों का मनोबल तभी ऊँचा होगा जब वह पूर्ण रूप से सन्तुष्ट होंगे। ऊंचे मनोबल से उद्योग में स्वस्थ वातावरण बना रहता है और अधिकतम उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। मनोबल से श्रमिकों में सहयोग की भावना जाग्रत होती है।

अच्छे मनोबल से उपक्रम को लाभ होते हैं, जबकि बुरे मनोबल से उत्पादकता में कमी, आपस में मनमुटाव, शिकायतें, दुर्घटनायें आदि होती हैं।

उच्च मनोबल और गिरे हुये मनोबल क्या हैं?

उच्च मनोबल-” किसी उद्योग में कर्मचारियों का अनुशासन में रहना, आदेशों का पालन करना, आशावादी रहना आदि बातें उनके उच्च मनोबल को दर्शाती हैं।”

चाइल्ड का मत है “ऊंचे मनोबल की स्थिति में व्यक्ति में ऐसी भावना पाई जाती है कि वह सदस्य समूह को मौलिक उद्देश्यों को अपनाता है और उसका मस्तिष्क इस प्रकार का हो जाता है कि वह अपने कार्य को शक्ति, उत्साह, अनुशासन के साथ करता है।”

उच्च मनोबल महत्वपूर्ण है। क्योंकि उत्पादकता और क्रियाओं का कुशल संचालन श्रमिकों के सहयोग पर निर्भर करता है। औद्योगिक मतभेद निम्न मनोबल के कारण उत्पन्न होते हैं। अतः निम्न मनोबल के प्रभाव को समाप्त करने के लिये उच्च मनोबल का स्थान महत्वपूर्ण होता है।

निम्न या मंद मनोबल – “यदि कर्मचारी उदासीन है, अनुशासन प्रिय नहीं है। हड़तालें अधिक होती हैं, श्रमिकों की अनुपस्थिति की अधिकता है। तो कहा जा सकता है कि उस संस्था में कर्मचारियों का मनोबल निम्न है। निम्न मनोबल संस्था के विकास में बाधक होता है।”

समाजशास्त्र / Sociology – महत्वपूर्ण लिंक

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Pankaja Singh

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