समाज शास्‍त्र

महिलाओं की स्थिति सुधारने हेतु किये गये सरकारी प्रयत्न | समकालीन भारत में महिला विकास के लिए संचालित विकास कार्यक्रमों की समीक्षा

महिलाओं की स्थिति सुधारने हेतु किये गये सरकारी प्रयत्न | समकालीन भारत में महिला विकास के लिए संचालित विकास कार्यक्रमों की समीक्षा | Government efforts made to improve the status of women in Hindi | Review of development programs conducted for women’s development in contemporary India in Hindi

महिलाओं की स्थिति सुधारने हेतु किये गये सरकारी प्रयत्न

महिलाओं की स्थिति सुधारने हेतु सरकार द्वारा दिये गये प्रयत्न स्वतन्त्रता के पश्चात् सरकार ने महिलाओं की स्थिति को सुधारने, उनकी समस्याओं का समाधान करने, उन्हें शिक्षित करने तथा उन्हें समर्थ बनाने की दृष्टि से सरकार ने निम्नलिखित प्रयत्न किये –

  1. भारत की कुल जनसंख्या में 49 प्रतिशत महिलाएँ है। समाज के इतने बड़े भाग की उपेक्षा कर भारत प्रगति नहीं कर सकता है। सन् 1971 में महिलाओं की स्थिति का अध्ययन करने एवं उसमें सुधार करने की दृष्टि से एक सीमित गणित की गई, जिसने 1975 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस समिति के सुझावों के आधार पर सरकार ने अनेक महिला कल्याण कार्यक्रम संचालित किये।
  2. महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने की दृष्टि से 1979 में समान वेतन अधिनियम पारित किया गया। इसके द्वारा पुरुष और महिलाओं के लिए समान वेतन की व्यवस्था की गयी।
  3. 1961 में दहेज निरोधक अधिनियम पारित किया गया जिसमें 1986 में संशोधन कर उसे और अधिक कठोर बना दिया गया।
  4. 1955 में हिन्दू विवाह अधिनियम पारित कर महिलाओं को भी विवाह-विच्छेद सम्बन्धी सुविधाएँ प्रदान की गयी।
  5. 1961 एवं 1976 में मातृत्व हित लाभ अधिनियम बनाए गए।
  6. 15 से 45 वर्ष की आयु समूह की महिलाओं के लिए 1975-76 से ही प्रकार्यात्मक साक्षरता का कार्यक्रम चल रहा है जिसमें महिलाओं को स्वच्छता एवं स्वास्थ्य, भोजन तथा पोषक तत्वों, गृह प्रबन्ध तथा शिशु तथा व्यवसाय के सन्दर्भ में अनौपचारिक शिक्षा प्रदान की जाती है।
  7. 1958 से ही प्रौढ़ महिलाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं शिक्षा के लिए केन्द्रीय समाज-कल्याण बोर्ड द्वारा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 1992-93 में 3642 महिलाओं को लाभ पहुँचाया गया।
  8. ग्रामीण गरीबी कार्यक्रम उन्मूलन कार्यक्रम के दौरा ने 40 प्रतिशत महिलाओं को शामिल किया गया। देश के सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे, अरुणाचल, जम्मू और कश्मीर, लेह, हिमाचल, लाहौल तथा किन्नौर, उत्तर प्रदेश में चमोली, गुजरात के बनासकाठा व राजस्थान के जैसलमेर एवं श्रीकरणपुर में मातृत्व सेवाएँ, शिशु देखमाल, दस्तकारी प्रशिक्षण एवं सामाजिक शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से सीमावर्ती क्षेत्र कल्याण केन्द्र स्थापित किए गए हैं।
  9. ग्रामीण महिलाओं के कल्याण के लिए गाँवों में महिला मण्डल बनाए गए हैं।
  10. नगरों में कार्यशील महिलाओं को आवास सुविधा देने के लिए हॉस्टल खोले गए हैं। वर्ममान में देश में 811 इस प्रकार के हॉस्टल हैं जिनसे 56974 कार्यशील महिलाएँ लाभान्वित हुई हैं। आठवीं योजना में इस प्रकार के एक हजार हॉस्टल और खोलने का लक्ष्य रखा गया।
  11. 18 से 50 वर्ष तक की अभावग्रस्त महिलाओं के लिए विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र खोले गए हैं।
  12. महिलाओं पर अत्याचार को रोकने की दृष्टि से उनमें जागृति करने हेतु जनचेतना का कार्य भी शिक्षा के माध्यम से किया गया है। 1958 से जरूरतमन्द एवं अनाथ महिलाओं को कार्य दिलाने में मदद करने का कार्य समाज कल्याण बोर्ड द्वारा किया जा रहा है।
  13. 1975 में सारे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष मनाया गया। भारत में भी इस वर्ष महिलाओं के लिए अनेक सामाजिक-आर्थिक कल्याण के कदम उठाए गए। 8 मार्च, 1992 को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
  14. महिलाओं को उत्तम रोजगार सेवाएँ उपलब्ध कराने की दृष्टि से सन् 1986-87 में महिला विकास निगम स्थापित किए गए।
  15. विज्ञापनों में महिलाओं के भद्दे और गोंड़े प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए महिलाओं का अश्लील चित्रण (निवारण) अधिनियम 1986 (Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986) बनाया गया जिसमें दोषी व्यक्तियों को दो हजार रुपए एवं दो वर्ष तक का कारावास का दण्ड देने का प्रावधान किया गया।
  16. जनवरी, 1992 में एक राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन किया गया ताकि महिलाओं पर सामाजिक-आर्थिक रूप में हो रहे अन्याय एवं अत्याचारों से लड़ा जा सके। यह आयोग महिलाओं के सम्बन्ध में लागू होने वाले कानूनों की समीक्षा करेगा, सम्बद्ध मंत्रालयों, राज्य सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों से सम्पर्क रखेगा तथा महिलाओं की शिकायतों को दूर करने का मार्ग सुझाएगा।
  17. गरीब और जरूरतमन्द महिलाओं तक ऋण की सुविधा पहुँचाने के लिए। ‘महिलाओं के लिए राष्ट्रीय ऋण कोष की स्थापना की गई है।
  18. 2 अक्टूबर, 1993 से महिला समृद्धि योजना प्रारम्भ की गई है। इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएँ डाकघर में 300 रुपये जमा करा सकती हैं। एक वर्ष तक ये रुपये जमा रहने पर सरकार उन्हें 75 रुपये अपनी ओर से अंशदान देती है।
  19. पंचायती राज संस्थाओं व नगर परिषदों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित किए गये हैं।
  20. ड्रवाकरा योजना (DWACRA) – यह योजना 1982-83 में देश के 50 जिलों में प्रारम्भ की गई। 1994-95 में देश के सभी जिलों में यह योजना लागू कर दी गयी। इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं एवं बच्चों का विकास करना, उनकी आय में वृद्धि करना, आदि है। इस योजना में अब तक 30,03,576 महिलाओं को लाभ पहुँचाया गया।
  21. राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना – इसमें गरीबी रेखा से नीचे परिवारों की 19 वर्ष या उससे अधिक आयु की गर्भवती महिलाओं को पहले दो बच्चों के जन्म पर आर्थिक सहायता (प्रसव के 8 से 12 सप्ताह पूर्व 300रु. की एक किस्त) दी जाती है। वर्ष 1997-98 में केन्द्र द्वारा 553.47 करोड़ रुपए की राशि दी गई।
  22. रोजगार और प्रशिक्षण – महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम 1987 में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य कृषि, पशुपालन, हथकरघा, हस्तशिल्प, कुटीर और रेशम उद्योग, आदि में लगी गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाली महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
  23. प्रशिक्षण, रोजगार और उत्पादन केन्द्र योजना – नार्वे का विकास एजेन्सी (नोराड) द्वारा महिलाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक उपक्रमों, स्वायत्त एवं स्वयं सेवी संगठनों को सहायता प्रदान की जाती है। उन्हें कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स, हथकरघा, वस्त्र निर्माण, कताई, बुनाई, केण्टीन प्रबन्ध, सौन्दर्य रक्षा, आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह योजना 1983 से लागू है। इससे अब तक 1.56 लाख महिलाएँ लाभ उठा चुकी हैं।
  24. वयस्क महिलाओं को शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की सघन योजना – यह योजना 1958 में प्रारम्भ की गई जो केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड द्वारा चलाई जा रही है। इसमें महिलाओं एवं बालिकाओं जो स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ चुकी हैं, को आगे की शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर जुटाएँ जाते हैं।
  25. महिला समृद्धि योजना- 2 अक्टूबर, 1993 में सारे देश में 1.32 लाख ग्रामीण डाकघरों के माध्यम से यह योजना लागू की गई है। जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं में बचत की आदत को बढ़ावा देना है। इससे वे अधिकार सम्पन्न होंगे तथा घरेलू संसाधनों पर अधिक रख सकेंगी।
  26. इन्दिरा महिला योजना यह योजना 20 अगस्त, 1995 में 2000 विकास खण्डों में प्रारम्भ की गई। इसका उद्देश्य निचले स्तर पर महिलाओं को संगठित व अधिकार सम्पन्न बनाया है।
  27. महिलाओं और बच्चों के यौन उत्पीड़न के विरुद्ध कार्यवाही योजना महिलाओं तथा बच्चों के अवैध व्यापार और पेशेवर यौन उत्पीड़न का सामना करने के लिए केन्द्र सरकार ने एक समिति गठित की है जिसने सम्बन्धित विभागों को कार्यवाही की योजना बनाकर भेज दी है जिससे कि केन्द्र व राज्य सरकारें इस सम्बन्ध में निर्देशानुसार कार्य करें।
समाजशास्त्र / Sociology – महत्वपूर्ण लिंक

 Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com

About the author

Pankaja Singh

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!