अध्यापक-प्रशिक्षण संस्थाओं के प्रकार | Types of teacher training institutions in Hindi
अध्यापक-प्रशिक्षण संस्थाओं के प्रकार (Types of Teacher Training Institutions)
भारत में अध्यापक-प्रशिक्षण संस्थाओं की व्यवस्था शिक्षा स्तर के अनुसार की गई है। शिक्षा स्तर के के अनुसार अध्यापक प्रशिक्षण संस्थाएं निम्नलिखित हैं-
(1) प्री-प्राइमरी अध्यापक प्रशिक्षण केन्द्र (Pre-Primary Teacher Training Institutions)-
प्री-प्राइमरी अध्यापक प्रशिक्षण केन्द्रों की संख्या हमारे देश में बहुत कम है। इनमें से बहुत से केन्द्र स्वाधीनता के पश्चात स्थापित किये गये हैं।
इनके नाम भिन्न-भिन्न हैं जैसे–प्री-बेसिक नर्सरी (Pre-Basic Nursary), किंडरगार्टन (Kindergarton), मांटेसरी (Montessori) आदि ।
राष्ट्रीय शिक्षा अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research
and Training) और बड़ौदा एवं जबलपुर विश्वविद्यालय प्री-प्राइमरी अध्यापक प्रशिक्षण के डिप्लोमा कोर्स (Diploma Courses) चलाते हैं। ये कोर्स एक से दो साल तक के हैं।
एसोसिएशन मान्टेसरी इन्टरनेशनल (Association Montessori International) मान्टेसरी विधि में अध्यापकों को प्रशिक्षण देती है।
नेशनल एसोसिएशन आफ टीचर एजुकेटर्स (National Association of Teacher Educators)
1965 की आठवीं कान्फ्रेन्स के अनुसार भारत में 60 प्री-प्राइमरी अध्यापक प्रशिक्षण केन्द्र थे।
(2) प्राथमिक अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान (Primary Teacher Education Institutions)-
भारत में प्राथमिक अध्यापक प्रशिक्षण केन्द्र विभिन्न प्रकार के हैं। कई तो स्वयं में प्रशिक्षण केन्द्र हैं और कुछ उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के साथ भी प्रशिक्षण कक्षाएँ हैं। इन संस्थाओं में प्रशिक्षण दो वर्ष के लिए दिया जाता है। प्रवेश की शर्त मैट्रिक या हायर सेकेण्डरी है।
प्राथमिक स्तर पर दो प्रकार के प्रशिक्षण केन्द्र हैं। बेसिक और नॉन-बेसिक (Basic and Non-Basic)। इन संस्थाओं में प्रथम वर्ष विषय-वस्तु की शिक्षा तथा दूसरे वर्ष शिक्षण विधि (Methods of Teaching) की शिक्षा दी जाती है। कई राज्यों में यह कोर्स अभी तक एक वर्ष का है, जैसे-जम्मू-कश्मीर।
(3) उपस्नातक अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण स्कूल (Training Schools for Under Graduate Teachers)-
बहुत से प्रान्तों में मिडिल अथवा लोअर माध्यमिक स्कूलों के अध्यापकों को प्रशिक्षण देने के लिए इन स्कूलों की स्थापना की गई है। यह कोर्स उपस्नातकों (Under Graduate) अथवा इन्टरमीडिएट (Intermediatc) अथवा मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों के लिए है । इसकी अवधि दो वर्ष की है। उत्तीर्ण छात्रों को विभिन्न प्रान्तों में TD., L.T, S.T.C. आदि के प्रमाण पत्र या डिप्लोमा प्रदान किये जाते हैं।
(4) स्नातक अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण कॉलेज (Training Colleges for Graduate Teachers)-
स्नातक अध्यापकों को प्रशिक्षण देना अध्यापक शिक्षा का चौथा महत्वपूर्ण स्तर है। माध्यमिक स्तर पर अध्यापकों को तैयार करने का उत्तरदायित्व इन संस्थाओं का है।
सभी राज्यों में स्नातक स्तर अध्यापक शिक्षा के लिए सरकारी प्रशिक्षण महाविद्यालय प्राइवेट संस्थानों द्वारा चलाये जा रहे प्रशिक्षण केन्द्र, राज्य शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय शिक्षा विभाग योगदान दे रहे हैं। इस स्तर पर भी प्रशिक्षण कॉलेज दो प्रकार के हैं-
(i) बुनियादी और
(ii) गैर-बुनियादी
सभी प्रकार की संस्थाओं में सामान्यत: यह एक वर्ष का कोर्स है जिसमें शिक्षण के सिद्धान्तों और विधियों पर बल दिया जाता है और जिसके पश्चात् एल. टी (L.T), बी. टी. सी. (B.T.C.) अथवा बी. एड. (B.Ed.) की उपाधि प्रदान की जाती है।
(5) क्षेत्रीय शिक्षा कॉलेज (Regional College of Education)-
बहु-उद्देशीय स्कूलों में तकनीकी शिक्षा, वाणिज्य, ललित कलायें, गृह विज्ञान, कृषि आदि विषयों में अध्यापकों की कमी को देखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (N.C.E.R.T.) ने चार क्षेत्रीय शिक्षा कॉलेजों (Regional Colleges of Education) की स्थापना की। ये कॉलेज विभिन्न प्रदेशों की आवश्यकता को पूरा करते हैं।
उत्तरी भारत के लिए अजमेर, पूर्वी प्रदेशों के लिए करना भुवनेश्वर, पश्चिमी प्रदेशों के लिए भोपाल तथा दक्षिणी प्रदेशों के लिए मैसूर में ये कॉलेज स्थित हैं।
ये कॉलेज बहु-उद्देशीय स्कूलों के लिए अध्यापकों को तैयार करने के साथ-साथ सेवाकालीन कोर्स (Inservice Courses) की भी व्यवस्था करते हैं । इन कॉलेजों में विभिन्न विषय के लिए चार वर्ष के संयुक्त कोर्स की भी व्यवस्था है । ये ग्रीष्मकालीन तथा पत्राचार कोर्स (Summer School Cum Correspondence Courses) का भी आयोजन करते हैं
(6) प्रदेशीय शिक्षा संस्थायें (State Institutes of Education)-
कुछ ऐसी संस्थायें हैं जो प्रदेशीय स्तर (State Level) पर शिक्षा के क्षेत्र में अलग-अलग विषयों में अनुसन्धान करने में लगी हुई हैं।
लगभग प्रत्येक राज्य में प्रदेशीय शिक्षा संस्था (State Institute of Education), प्रदेशीय विज्ञान शिक्षा संस्था (State Institute of Science Education), प्रदेशीय अंग्रेजी संस्था (State Institute of English) आदि स्थापित की गई हैं।
इनके मुख्य कार्य अपने-अपने विषयों में अध्यापक तैयार करना है। इसके साथ ही ये संस्थायें अध्यापकों के लिए सेवाकालीन कोसों का आयोजन करती हैं। इन संस्थाओं द्वारा अध्यापकों को शिक्षण की नवीन धारणाओं और प्रवृत्तियों से परिचित कराया जाता है और इन्हें शिक्षण की नवीनतम विधियों में प्रशिक्षण दिया जाता है।
(7) विशेषज्ञ प्रशिक्षण संस्थायें (Training Institutions for Specialist Teacher)-
ये संस्थायें अलग-अलग विषयों के लिए अध्यापकों को तैयार करती हैं। इनमें डिप्लोमा कोर्स होते हैं।
ये संस्थायें विद्यार्थियों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा प्रदान करती हैं। इन संस्थाओं में शारीरिक शिक्षा, संगीत कला, नृत्य आदि के क्षेत्र हैं जैसे विश्वभारती, शान्ति निकेतन (Vishwa Bharti, Shanti Niketan), सर जे. जे. कला स्कूल, मुम्बई (Sir J. J. School of Arts, Mumbai), राजकीय कला स्कूल, लखनऊ (Govt. of School of Arts, Lucknow), अध्यापक संगीत कॉलेज, चेन्नई (Teacher College of Music, Chennai), कला क्षेत्र अदेयर, मद्रास (Kala chetra Adyar, Chennai) आदि ।
(8) स्नातकोत्तर अध्यापक शिक्षा और अनुसन्धान संस्थायें (Institute for Post Graduate Teacher Education and Research)-
भारत में स्नातकोत्तर अध्यापक शिक्षा और अनुसन्धान की सुविधायें उपलब्ध है। लगभग सभी विश्वविद्यालयों में बी० टी० अथवा बी० एड० (B. T., B. Ed.) के पश्चात् एक वर्ष के एम. एड. (M. Ed.) कोर्स की व्यवस्था है।
अनेक प्रशिक्षण केन्द्रों के पास भी इसकी व्यवस्था है।
अनेक विश्वविद्यालय में स्नातक परीक्षा के पश्चात् दो वर्ष की एम० ए० (शिक्षा) की व्यवस्था है। इसी प्रकार बी० एड० (B.Ed.) की परीक्षा के पश्चात् एम० एड० (M.Ed.) की भी व्यवस्था है। यह कोर्स एक वर्ष का है।
यह ध्यान देने की बात है कि एम० एड० (M.Ed.) एक तरह की व्यावसायिक शिक्षा (Professional Education) है जबकि शिक्षा में एम० ए० (M.A. in Education) दूसरे विषयों की तरह एक विषय है।
एम० एड० और एम० ए० की परीक्षा के पश्चात् बहुत सारे विश्वविद्यालयों में दो या तीन वर्ष के लिए पी-एच० डी० (Ph. D.) की भी व्यवस्था है । इसके लिए विश्वविद्यालय तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग 500 रुपये से 1000 रु० तक छात्रवृत्ति का प्रबन्ध करते हैं।
शिक्षाशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 एवं संशोधित शिक्षा नीति 1992 का प्रभाव
- समानता के लिए शिक्षा | नई शिक्षा नीति में ‘समानता के लिये शिक्षा’
- अध्यापक शिक्षा का अर्थ | सेवापूर्व व सेवाकालीन अध्यापक शिक्षा में अन्तर
- अध्यापक शिक्षा की आवश्यकता | अध्यापक शिक्षा का महत्व
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