समानता के लिए शिक्षा | नई शिक्षा नीति में ‘समानता के लिये शिक्षा’

समानता के लिए शिक्षा | नई शिक्षा नीति में ‘समानता के लिये शिक्षा’

समानता के लिए शिक्षा (Education for Equality)

नई शिक्षा नीति असमानताओं को कम करने और शिक्षा सम्बन्धी अवसरों में समानता लाने पर विशेष बल देती है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है जिन्हें पहले नकार दिया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति निम्नलिखित व्यवस्थाओं मे समानता के लिए शिक्षा पर बल देती है-

(1) अनुसूचित जातियों की शिक्षा (The Education of Scheduled Castes)-  

इस उद्देश्य कीपूर्ति के लिए निम्न उपाय किए जाने पर विचार किया गया है-

(i) आगामी शिक्षा तथा रोजगार सम्भावनाओं को बढ़ाने के लिए उपचारी विषयों (Remedial Courses) की व्यवस्था करने के अतिरिक्त निरन्तर माइक्रो योजना (Micro Planning) व जाँच कार्य करना ताकि विषयों को सफलतापूर्वक पूरा करने व उन्हें बनाए रखने और नामांकन को सुनिश्चित बनाया जा सके।

(ii) क्रमिक प्रोग्राम के अधीन जिला मुख्यालयों में स्थित छात्रावासों में अनुसूचित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था करना।

(iii) अनुसूचित जाति वर्ग के अध्यापकों को भर्ती करना।

(iv) शिक्षण प्रक्रिया में अनुसूचित जन-जातियों को शामिल करने की सम्भावनाओं में वृद्धि किये जाने के उद्देश्य से नई विधियों की खोज करने के लिए लगातार परिवर्तन लाना।

(2) शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए अन्य वर्ग और क्षेत्र (Other Educationally Backward Sections and Areas)-

शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से देहाती क्षेत्रों में पर्याप्त प्रेरणा स्रोतों का आयोजन किया जाएगा। पहाड़ी तथा मरुस्थलीय जिलों के दूरवर्ती तथा अगम्य क्षेत्रों व द्वीपों में शिक्षण संस्थाओं के निर्माण के लिए सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी।

(3) नारी समानता के लिए शिक्षा (Education for Women’s Equality)-

शिक्षा का प्रयोग स्त्रियों की स्थिति में आधारभूत परिवर्तन लाने वाले एक कारक के रूप में जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति नारी वर्ग को शक्तिशाली बनाने में एक सकारात्मक भूमिका निभाएगी। यह नवनिर्मित पाठ्यक्रम, पाठ्य-पुस्तक द्वारा अध्यापक वर्ग को प्रशिक्षित करके व उनकी स्थिति को निर्धारित करके निर्णय करने वालों व प्रबन्धकर्ताओं और शिक्षण संस्थाओं के सक्रिय योगदान के द्वारा नए मूल्यों को विकसित करेगी।

(4) अनुसूचित जातियों की शिक्षा (The Education of Scheduled Tribes)-

अनुसूचित जनजातियों को अन्य वर्गों के समान दर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से आवश्यक रूप से निम्नलिखित उपाय किये जाएंगे-

(i) आश्रम स्कूलों के अतिरिक्त आवासीय स्कूल भी अधिक संख्या में स्थापित किए जाएंगे।

(ii) शिक्षित तथा होनहार अनुसूचित जनजातीय युवकों को अपने क्षेत्रों में अध्यापन कार्य में लगाने के लिए प्रशिक्षण व प्रोत्साहन दिया जाएगा।

(iii) जनजातीय लोगों की समृद्ध, सांस्कृतिक पहचान और उनकी विशाल रचनात्मक प्रतिभा के प्रति जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से शिक्षा के सभी स्तरों पर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाएगा।

(iv) अनुसूचित जनजातियों की विशेष जरूरतों तथा जीवन पद्धतियों को ध्यान में रखते हुए प्रेरणादायक कार्यक्रमों को निर्धारित किया जाएगा। उच्चतर शिक्षा में छात्रवृत्तियों के द्वारा तकनीकी, व्यावसायिक तथा अर्द्ध-व्यावसायिक विषयों पर बल दिया जाएगा। मनोवैज्ञानिक बाधाओं को दूर करने के लिए विशेष उपचारी विषयों व अन्य कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाएगी ताकि विभिन्न विषयों में इस वर्ग के कार्य में सुधार लाया जा सके।

(5) विकलांग व्यक्ति (The Handicapped)-

नयी शिक्षा नीति में शारीरिक तथा मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों को जनसाधारण के साथ एक भागीदार के रूप में मिलाए जाने का प्रस्ताव रखा गया। यह नीति उनको सामान्य विकास के योग्य बनाते हुए उनसे यह उम्मीद करती है कि वे साहस एवं विश्वास के साथ जीवन की परिस्थितियों का सामना करें। इस दिशा में निम्नलिखित पग उठाए जाएंगे-

(i) विकलांगों को उचित व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए समुचित प्रबन्ध करना ।

(ii) जिला मुख्यालयों में जहाँ तक सम्भव हो सके, गम्भीर रूप से विकलांग बच्चों के लिए छात्रावास वाले विशिष्ट स्कूलों की व्यवस्था करना।

(iii) विकलांगों को सामान्य व्यक्तियों के साथ शिक्षा प्रदान किए जाने के सभी प्रयास किए जाएंगे।

(iv) विकलांग बच्चों की विशेष समस्याओं के समाधान के लिए अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम पुनः चालू किए जाएंगे।

(6) अल्पसंख्यक (Minorities)-

कुछ अल्पसंख्यक वर्ग शिक्षा से या तो वंचित हैं या फिर पिछड़े हुए हैं । ऐसे वर्गों की शिक्षा की ओर समानता व सामाजिक न्याय के हितों की ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसमें स्वाभाविक रूप से वे संवैधानिक आश्वासन भी शामिल किए जाएंगे जो कि इन वर्गों को अपने शिक्षण संस्थानों के निर्माण व संचालन के लिए अपनी भाषाओं व संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए दिए गए हैं। इसके साथ-साथ पाठ्य-पुस्तकों की तैयारी में और स्कूल की प्रक्रियाओं में वास्ताविकता की झलक दिखाई देगी। कोर पाठ्यक्रमों का अनुमोदन करने के अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य उद्देश्यों और विचारों में एकता जुटाने के लिए सभी प्रकार के सम्भव प्रयास किए जाएंगे।

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