शिक्षाशास्त्र

अध्यापक शिक्षा का अर्थ | सेवापूर्व व सेवाकालीन अध्यापक शिक्षा में अन्तर

अध्यापक शिक्षा का अर्थ | सेवापूर्व व सेवाकालीन अध्यापक शिक्षा में अन्तर

अध्यापक शिक्षा का अर्थ (Meaning of Teacher Education)

‘अध्यापक शिक्षा’ का अब प्रयोग अध्यापक प्रशिक्षण के स्थान पर किया जाने लगा है। अध्यापक शिक्ष का अर्थ अध्यापक प्रशिक्षण से अधिक विस्तृत है। इसके अनेक पहलू हैं। अध्यापन कार्य कौशलपूर्ण कार्य है। अध्यापन कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए पूर्ण तैयारी की आवश्यकता है। अध्यापक शिक्षा को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है-

(i) मुनरो के अनुसार, “अध्यापक शिक्षा में वे सभी शिक्षात्मक अनुभूतियां सम्मिलित हैं, जो किसी भी मनुष्य को स्कूल में शिक्षण के लिए तैयार करती हैं। इसके लिए शिक्षण संस्था द्वारा कोर्स निश्चित किया जाता है जिसके अनुसार इस व्यवसाय में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को तैयार किया जाता है। यह कोर्स उनकी शिक्षण योग्यता में विकास करता है।”

(ii) भारतीय शिक्षा आयोग 1964-66 के अनुसार, “शिक्षा के गुणात्मक विकास के लिए अध्यापकों की व्यावसायिक शिक्षा का उचित कार्यक्रम आवश्यक है।”

(iii) गुड के शिक्षा-कोष के अनुसार, “अध्यापक शिक्षा में वे सभी अनुभव तथा औपचारिक एवं अनौपचारिक क्रियाएं सम्मिलित हैं जो किसी भी व्यक्ति को शिक्षण-व्यवसाय का दायित्व संभालने की योग्यता प्रदान करती हैं।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट हो जाता है कि अध्यापक-शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रक्रिया है जो अध्यापन करने वाले व्यक्तियों को शिक्षण-व्यवसाय की योग्यता प्रदान करती है।

प्रश्न उठता है कि इसे अध्यापक प्रशिक्षण से अध्यापक-शिक्षा का नाम क्यों दिया गया?

डब्ल्यू० एच० किलपैट्रिक (W. H. Kilpatric) के अनुसार, “सर्कस में काम करने वाले व्यक्तियों और पशुओं को प्रशिक्षण दिया जाता है परन्तु अध्यापकों को शिक्षा दी जाती है।”

किलपैट्रिक की इस विचारधारा के अनुसार इसको अध्यापक शिक्षा की संज्ञा दी जाने लगी और अध्यापकों को शिक्षा देने वाली संस्थाओं को अध्यापक प्रशिक्षण कालेज (Teacher’s Training College) के स्थान पर शिक्षा-कॉलेज (College of Education) का नाम दिया गया।

अध्यापक शिक्षा के अन्तर्गत शिक्षण व्यवसाय को अपनाने के इच्छुक लोगों को इस कार्य में दक्ष करने का कार्यक्रम तथा साथ-ही-साथ शिक्षण कार्य में लगे लोगों के लिए अतिरिक्त शिक्षा का कार्य भी सम्मिलित है। इस प्रकार अध्यापक शिक्षा दो प्रकार की है, जैसे-

(1) सेवापूर्व शिक्षक शिक्षा (Pre-Service Teacher Education)- सेवापूर्व अध्यापक शिक्षा नये लोगों को दी जाती है और इसमें सैद्धान्तिक रूप से शिक्षा तथा साथ ही साथ शिक्षण अभ्यास पर जोर दिया जाता है। इसका उद्देश्य इस कार्य को ठीक ढंग से करने के लिए आवश्यक कौशलों का विकास करना है।

(2) सेवाकालीन शिक्षक शिक्षा (In-Service Teacher Education) – सेवा-कालीन शिक्षा स्कूलों में पहले से ही कार्य कर रहे अध्यापकों को दी जाती है और इसका उद्देश्य व्यावसायिक अभिवृद्धि के द्वारा उनकी व्यावसायिक कुशलता और क्षमता को विकसित करना है।

इनका विस्तृत वर्णन निम्न प्रकार है-

सेवापूर्व शिक्षक शिक्षा (Pre-Service Teacher Education)

वर्तमान में विभिन्न स्तर के सेवापूर्व शिक्षकों के लिए विभिन्न प्रकार की शिक्षक शिक्षा संस्थाएँ चल रही हैं। यहाँ उनमें से कुछ संस्थाएँ निम्न प्रकार हैं-

(1) पूर्व प्राथमिक शिक्षक शिक्षा संस्थाएँ–(i) पूर्व प्राथमिक शिक्षक शिक्षा संस्थाएँ (Pre Primary Teacher Education Institutes), (ii) नर्सरी टीचर एजूकेशन डिप्लोमा डिपाटमेन्टस् (Nursery Teacher Education Diploma Departments)

(2) प्राथमिक शिक्षक शिक्षा संस्थाएँ- (i) नार्मल स्कूल (Normal Schools), (ii) जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (District Institutes of Education and Training, DIETS), (iii) पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग (Departments of Correspondence Courses)।

(3) माध्यमिक शिक्षक शिक्षा संस्थाएँ- (i) शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (Teacher Education Colleges), (ii) केन्द्रीय शिक्षा संस्थान (Central Institute of Education, CIE), (iii) क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान (Regional Institutes of Education, RIEs), (iv) शिक्षक शिक्षा विभाग (Departments. of Teacher Education), (v) राज्य शिक्षा संस्थान (State Institute of Education, SIEs), (vi) पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग (Departments of Correspondence Courses) ।

(4) विशिष्ट बच्चों के शिक्षकों की शिक्षक शिक्षा संस्थाएँ– (i) गूंगे-बहरों के शिक्षकों की प्रशिक्षण संस्थाएँ (Training Colleges for Dumb and Deaf Children’s Teachers), (ii) अन्धे बच्चों के शिक्षकों की प्रशिक्षण संस्थाएँ (Training Colleges for Blind Children’s Teachers)।

(5) विशिष्ट पाठ्य विषयों एवं क्रियाओं की प्रशिक्षण संस्थाएँ- (1) भाषा शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय एवं विभाग (Colleges and Departments of Language Teaching), (ii) कला शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय एवं विभाग (Colleges and Departments of Art Teaching), (iii) गृह विज्ञान शिक्षण महाविद्यालय एवं विभाग (Colleges and Departments of Home Science Teaching), (iv) शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण महाविद्यालय एवं विभाग (Colleges and Departments of Physical Education)

सेवाकालीन शिक्षक शिक्षा (In-Service Teacher Education)

सेवारत शिक्षकों के लिए जिस शिक्षक की व्यवस्था की जाती है उसे सेवाकालीन शिक्षक शिक्षा (In Service Teacher Education) कहते हैं। इसके दो रूप हैं-सेवारत अप्रशिक्षित शिक्षकों का प्रशिक्षण और सेवारत प्रशिक्षित शिक्षकों की सतत् शिक्षा ।

(1) सेवारत अप्रशिक्षित शिक्षकों का प्रशिक्षण-एक समय था जब हमारे देश में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में अप्रशिक्षित शिक्षकों की संख्या बहुत अधिक थी। अतः उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कई प्रकार के पाठ्यक्रम शुरू किए गए जो कुछ स्थानों पर आज तक चल रहे हैं-

(1) पूर्णकालीन शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम (Full Time Teacher Education)

(ii) गीष्मकालीन शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम (Summer Teacher Education)

(iii) अल्पकालीन शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम (Part Time Teacher Education)

(iv) पत्राचार पाठ्यक्रम (Correspondence Courses)

(2) सेवारत प्रशिक्षित शिक्षकों की सतत् शिक्षा- इस समय शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में इतनी तेजी से विकास हो रहा है कि उसके अद्यतन ज्ञान के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की सतत् शिक्षा आवश्यक हो गई है। इस समय सेवारत प्रशिक्षित शिक्षकों को सतत शिक्षा निम्नलिखित रूप में दी जाती है-

(i) विचार गोष्ठियाँ (Seminars)

(ii) पुनर्बोधन पाठ्यक्रम (Refresher Courses)

(iii) मुद्रित सामग्री वितरण (Printed Material Distribution)

(iv) कार्यशालाएँ (Work Shops)

(v) जन संचार के साधन (Mass Media)

(3) सेवारत उच्च शिक्षा शिक्षकों का पुनर्बोधन-राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में उच्च शिक्षा शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी बल दिया गया है । परिणामतः यू.जी.सी. ने नव नियुक्त उच्च शिक्षा शिक्षकों के लिए पुनर्बोधन कार्यक्रमों को अनिवार्य कर दिया। इस समय यह प्रशिक्षण कुछ विश्वविद्यालयों में पहले प्रकार के केन्द्रों द्वारा दिया जा रहा है और कुछ विश्वविद्यालयों में दूसरे प्रकार के केन्द्रों द्वारा दिया जा रहा है-

(i) रिफ्रेसर कोर्स सेन्टर (Refresher Course Centre, RCC)

(ii) ऐकेडेमिक स्टॉफ कॉलिज (Academic Staff College, ASC)

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Pankaja Singh

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