उद्यमिता और लघु व्यवसाय

उद्यमिता के मनोवैज्ञानिक घटक | उद्यमिता के अखौरी मॉडल | उद्यमिता विकास चक्र

उद्यमिता के मनोवैज्ञानिक घटक | उद्यमिता के अखौरी मॉडल | उद्यमिता विकास चक्र | Psychological Components of Entrepreneurship in Hindi | Akhori Model of Entrepreneurship in Hindi | Entrepreneurship Development Cycle in Hindi

उद्यमिता के मनोवैज्ञानिक घटक

उद्यमिता के मनोवैज्ञानिक घटक इस प्रकार है-

(1) स्वावलम्बन की भावना (Fallings of Self Reliance)- मनोवैज्ञानिक आधार पर उद्यमियों में यह मनः स्थिति पायी जाती है कि वे स्वयं अपनी ही भूमिका व कार्य निष्पादन द्वारा अपनी आय अर्जन क्षमताओं, कौशलताओं एवं विविध गतिविधियों द्वारा अपनी पहचान बनाये। इन्हें आत्मनिर्भर बनने एवं आत्मविश्वास की ओर प्रेरित होने की असीम इच्छाएं होती हैं। दूसरे शब्दों में, वे स्वावलम्बी होकर जीवन जीना चाहते हैं। अतः ऐसी भावनाएँ भी उद्यमिता विकास को प्रोत्साहित करती है।

(2) सफलता की आशा (Hopes for Success)- जब उद्यमियों की मनःस्थिति सकारात्मक विचारों, रचनात्मक दृष्टिकोणों, आत्मविश्वास, गतिशीलता, नवप्रवर्तनशीलता, श्रेष्ठ अपेक्षाएं, उन्नयनता आदि से ओत-प्रोत होती है तब ऐसी आशाजनक प्रवृत्तियाँ सफलता का मार्ग प्रशस्त करती हैं। ऐसे आशावादी दृष्टिकोण ही उनके व्यवहारों को सृजनशीलता की ओर उन्मुख करती है जो उद्यमिता विकास में एक प्रेरक घटक मानी जाती है।

(3) कल्पनाशील (Imaginative)- उद्यमियों में मानसिक रूप से नवीन विचारों, नये, मूल्यों, नयी मान्यताओं के साथ कल्पनातीत को विकसित करने की क्षमता भी होती है। यह एक मनोवैज्ञानिक पहलू है जिसमें उद्यमी अपने कार्य व व्यवहारों में असीम सफलता व श्रेष्ठता के उच्च स्तर की कल्पना करता हुआ अपने वास्तविक लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर भी प्रयत्नशील रहता है। अतः ऐसी मनः स्थिति निश्चय ही उद्यमीय प्रवृत्तियों को आगे बढ़ने का आधार प्रदान करती है।

(4) उपलब्धि अभिप्रेरण (Achievement Motivation) – उद्यमिता के विकास से सम्बन्धित उपलब्धि इच्छा विचारधारा का प्रतिपादन मैक्लीलैण्ड ने किया। उनकी यह मान्यता है कि उद्यमियों में विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त करने, श्रेष्ठता का सर्वोच्च स्तर प्राप्त करने की इच्छा, श्रेष्ठता के स्तर से उपक्रम की सफलता का मापन करने व सर्वत्र रूप में उपलब्धियाँ अर्जित करने की इच्छाएँ आदि प्रमुख गुण पाये जाते हैं। उद्यमी अपने कार्यक्षेत्र में सदैव उच्च लक्ष्यों, उत्कृष्ट प्रमापों व श्रेष्ठ परिणामों की प्राप्ति की चाहत रखते हैं। यहाँ मैक्लीलैण्ड के मनोवैज्ञानिक शोध कार्यों का उल्लेख किया जाना आवश्यक है जिसमें उन्होंने उद्यमियों की मानसिक धारणाओं व कल्पना शक्ति को समृद्ध करके उपलब्धि की श्रेष्ठता अर्जित करने के उपाय बताये हैं। अतः अपनी उपलब्धियों को चरितार्थ व विकसित करने की प्रवृत्तियाँ उद्यमिता विकास में सहायक होती है।

(5) मानवीय व्यवहार (Human Behaviour) – उद्यमियों में विभिन्न व्यक्तियों के साथ न्याय व स्नेहपूर्ण व्यवहार करने, उनकी इच्छाओं व भावनाओं का सम्मान करने व उन्हें कार्य के प्रति प्रेरित करने व उनके साथ मानवोचित व्यवहार करने जैसे गुण पाये जाते हैं। अतः उद्यमियों की मानवीय व्यवहारों को प्रेरित करने की प्रवृत्तियाँ उद्यमिता विकास में सहायक होती है।

(6) नव प्रवर्तनशील दृष्टिकोण (Innovative View Points)- प्रसिद्ध विद्वान जोसेफ शुम्पीटर का मत था कि उद्यमी की मनःस्थिति व इच्छा प्रत्येक स्थिति में सृजनशील होती है। अन्य शब्दों में उद्यमियों में नया कार्य करने की इच्छा, नयी विधि अपनाने की लालसा, सृजन का आनन्द उठाने एवं नवाचार के प्रति अन्तर्दृष्टि विकसित करने आदि की प्रवृत्तियाँ पायी जाती हैं। इन्हीं इच्छाओं व भावनाओं के वशीभूत होकर उद्यमिता के विकास के नये अवसर विकसित होते हैं।

उद्यमिता के अखौरी मॉडल

अथवा

अखौरी के उद्यमिता विकास चक्र

एम०एम०ची अखौरी मॉडल (M.M.P. Akhori Model)-

अखोरी ने उद्यमिता के विकास के लिये तीन प्रकार की क्रियाओं का विवेचन किया है-

(a) उद्दीपक क्रिया (Stimulatory Activity)- इसके अन्तर्गत उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जो समाज में साहसवादिता को उत्प्रेरित तथा प्रोत्साहित करती है।

(b) सहायक क्रिया (Support Activity)- इसके अन्तर्गत उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जो समाज में साहसवादिता को उत्प्रेरित तथा प्रोत्साहित करती है।

(c) संपोषित क्रिया (Sustaining Activity)- इसके अन्तर्गत उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जो उपक्रम के कुशल एवं लाभप्रद संचालन में सहायक होती है।

अखौरी द्वारा बताया गया उद्यमिता विकास चक्र निम्न प्रकार है-

उद्यमिता विकास चक्र

(Entrepreneur Development Cycle)

उद्दीपक क्रिया

संपोषित क्रिया

सहायक क्रिया

1. उद्यमियों के लिये फोरम का निर्माण

1. वृद्धि एवं विस्तार के लिये सुविधा

1. सामान्य सुविधायें प्रदान करना

2. पहचान देना

2. नीतिगत एवं कानूनी परिवर्तन तथा सुधार

2. प्रबन्ध सलाह

3. उद्यमिता में प्रशिक्षण एवं शिक्षा

3. पुनः वित्त सुविधा

3. फण्ड प्राप्त करने के लिये

4. सूचनाओं की आसानी से उपलब्धता

4. परामर्श और निदान सेवायें

4. तकनीकी बहाव एवं स्वीकारता

5. तकनीकी एवं आर्थिक सूचनाओं को उपलब्ध कराना

 

5. भूमि प्राप्त करने के लिये

6. उद्यमी अवसरों का प्रकाशन

 

6. मशीन एवं उपकरणों के लिये

 

 

7. कच्चे माल की उपलब्धता के लिये

 

 

8. विपणन सुविधायें

 

 

9. सूचनायें प्रदान कराना

संगठनात्मक व्यवहार – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com

About the author

Pankaja Singh

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!