उद्यमिता और लघु व्यवसाय

परियोजना के मूल तत्व | किसी भी अच्छी परियोजना के उद्देश्य | परियोजना निर्माण की मुख्य समस्याएँ | श्रेष्ठ परियोजना निर्माण की पूर्वापेक्षाएँ

परियोजना के मूल तत्व | किसी भी अच्छी परियोजना के उद्देश्य | परियोजना निर्माण की मुख्य समस्याएँ | श्रेष्ठ परियोजना निर्माण की पूर्वापेक्षाएँ | Project Basics in Hindi | Objectives of any good project in Hindi | Main problems of project construction in Hindi | Prerequisites for making the best project in Hindi

परियोजना के मूल तत्व-

किसी भी औद्योगिक इकाई के लिए परियोजना का निर्माण एक आवश्यक व महत्वपूर्ण कार्य है। अतः परियोजना के मूल तत्वों व विशेषताओं को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. किसी भी उपक्रम की परियोजना उसके कार्यों व गतिविधियों को प्रकट करती है।
  2. यह किसी भी उपक्रम की स्थायी व अस्थायी सम्पत्तियों, अल्प व दीर्घकालीन विनियोजन क्षमताओं व देनदारियों को प्रकट करने का आधार है।
  3. परियोजनाओं के माध्यम से उद्यमियों द्वारा अपनी वर्तमान व भावी सम्भावनाओं व असफलताओं व पूर्वानुमान, आंकलन व विश्लेषण किया जा सकता है।
  4. यह उपक्रम की वर्तमान व भावी क्रियाओं व उपक्रियाओं की द्योतक है।
  5. परियोजनाएँ विद्यमान उपक्रमों की संचालन व्यवस्था में सुधार, संगठन व पूँजी ढाँचे में परिवर्तन, संस्थापित क्षमता में सुधार, नवीन प्रणाली व प्रक्रियाओं को अपनाने व प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमताओं में सुधार करने का लक्ष्य रखती है।
  6. यह उपक्रम की स्थापना से उसके विकास व विस्तार की अवस्थाओं में किये गये व किये जाने वाले कार्यों की एक समीक्षा है।
  7. यह किसी भी उपक्रम के लिये अपनायी गई उत्पादन विकास की प्रक्रिया, योजना, व्यूह रचनाओं व इन्हीं से सम्बद्ध क्रियाओं को स्पष्ट करने व मूल्यांकित करने का एक व्यवस्थित आधार है।

किसी भी अच्छी परियोजना के उद्देश्य-

किसी भी उपक्रम की परियोजना के नियोजन व नियन्त्रण प्रक्रिया में परियोजना के उद्देश्य ऐसे केन्द्र बिन्दु माने जाते हैं जो सम्पूर्ण कार्य योजना को प्रभावित करते हैं। सामान्यतः किसी भी अच्छी परियोजना के उद्देश्य निम्न प्रकार हो सकते हैं-

  1. संस्था के प्रबन्ध व नियन्त्रण की प्रक्रिया के अनुरूप सुव्यवस्थित कार्य योजना का निर्धारण करना।
  2. उपक्रम की उत्पादन क्षमता, किस्म निर्धारण, प्रमाप निर्धारण व लाभदेयता आदि की जाँच का मूल्यांकन करना।
  3. संस्था के लक्ष्यों, उद्देश्यों व योजनाओं को निर्धारित कर एक. एकीकृत उद्देश्यात्मक योजना का निर्धाण करना।
  4. उपक्रम की संस्थापित क्षमता का अध्ययन व विश्लेषण करना व इनका अधिकतम उपयोग करने के व्यावहारिक उपाय खोजना।
  5. उपक्रम की आय, लाभदेयता, लाभार्जन उत्पादन की गुणवत्ता व मात्रा में आवश्यक सुधार करना।
  6. उपक्रम का बाजार विस्तार करना व बाजार की नवीनतम विधियों को काम में लेना।
  7. उपक्रम की ख्याति में सुधार करना व इसे बनाये रखना।
  8. उपक्रमों के कार्य परिणामों की वास्तविक लक्ष्यों व निर्धारित प्रमापों से तुलना कर अनावश्यक बाधाओं व विचलनों को दूर करना ।

परियोजना निर्माण की मुख्य समस्याएँ-

उद्यमियों के समक्ष परियोजना निर्माण की प्रक्रिया में अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती है। इनमें से कुछ समस्याएँ निम्न प्रकार हैं-

  1. सामान्यतः उद्यमियों में कौशलता व क्षमताओं का अभाव पाया जाता है। इन क्षमताओं में नियोजन कौशलता, संगठन क्षमता, तकनीकी क्षमता, नियन्त्रण कौशलता, नेतृत्व क्षमता, व्यावसायिक कौशलता आदि प्रमुख हैं, जो सामान्य उद्यमियों में नहीं पायी जाती हैं।
  2. उद्यमियों में आधुनिक प्रवृत्तियों व कार्यशैली का भी अभाव पाया जाता है, इनमें जोखिम वहनीयता, नवकरण, पूर्वानुमान की कौशलता आदि प्रमुख हैं।
  3. उद्यमियों को उपक्रम के प्रबन्ध, संचलन व संगठनीय कार्यों व दायित्वों का ज्ञान भी नहीं होने के काररण वे परियोजना निर्माण को समुचित दिशा नहीं दे पाते।
  4. वित्तीय प्रबन्ध, संचालन व नियन्त्रण के अभाव के कारण वित्तीय दूरदर्शिता व व्यूहर रचनाओं का भी अभाव पाया जाता है।
  5. व्यावसायिक व औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में अनेक नीतिगत व व्यावहारिक परिवर्तन होते रहते हैं। इन परिवर्तनों के साथ पूर्णतः व समयानुकूल सामंजस्यता स्थापित नहीं होने के कारण अनेकानेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  6. उद्यमियों द्वारा परियोजना से सम्बद्ध विभिन्न मदों की लागतों का समुचित अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, अतः लागतों के बारे में सही गणना किया जाना सम्भव नहीं होता।
  7. परियोजना निर्माण में उत्पाद विकास एक महत्वपूर्ण भाग है। परन्तु, सामान्यतः उत्पाद विकास की तकनीकों उपायों व व्यूह रचनाओं के बारे में पूर्ण ज्ञान नहीं होने के कारण परियोजना का समुचित स्वरूप विकसित नहीं हो पाता।
  8. परियोजना निर्माण में आवश्यक सूचनाओं, संयन्त्रों व तथ्यों की जानकारी के अभाव के कारण भी अनेक बाधाएँ उत्पन्न हो जाती हैं।

श्रेष्ठ परियोजना निर्माण की पूर्वापेक्षाएँ-

परियोजना का डिजाइन उसका निर्धारण व क्रियान्वयन सम्पूर्ण उपक्रम के कार्य निष्पादन के प्रतीक स्वरूप माने गए हैं। अतः एक श्रेष्ठ परियोजना के निर्माण के लिए कुछ विशेष पूर्वापेक्षाओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है, जो इस प्रकार हैं-

  1. कुशल नेतृत्व (Efficient Leadership)- उपक्रम में व्यक्तियों के समूहों से इच्छित कार्य स्वेच्छापूर्वक करवाये जाने व उन्हें समुचित मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु कुशल नेतृत्व आवश्यक है। परियोजना के निर्माण व इसके क्रियान्वयन हेतु योग्य उद्यमियों, प्रवन्धकों, व्यवस्थापकों द्वारा कुशल नेतृत्व प्रदान किया जाना अपेक्षित है।
  2. वैधानिक औपरिचकताएँ (Legal Formulations)- किसी भी उपक्रम की परियोजना की सफल क्रियान्विती उन वैधानिक औपचारिकताओं पर निर्भर करती है, जो वैधानिक प्रावधानों व उपबंधों को लागू कर परियोजना के निर्धारण को सुनिश्चित करती है। परियोजना के विभिन्न पहलुओं से सम्बद्ध वैधानिक प्रावधानों का पूर्णतः पालन किया जाना आवश्यक है।
  3. उद्देश्यात्मक (Objectivity) – परियोजना नियोजन पूर्णतः संस्था के उद्देश्यों व लक्ष्यों के अनुरूप होनी चाहिए। इसमें निर्धारित प्रमाप, कार्यविधि, प्रक्रिया, संसाधनों व प्रबन्धकीय नीतियों आदि का निर्धारण संस्था के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर व उन्हीं के क्रियान्वयन के निमित्त तय की जानी चाहिए।
  4. गहन अध्ययन (Depth Study)- परियोजना निर्माण के क्रम में उपक्रम से सम्बन्धित सभी तत्वों की गहन जांच व अध्ययन किया जाना चाहिए। उन पहलुओं के कारणों व परिणामों की बारीकी व विस्तृत रूप में अध्ययन किया जाये ताकि उपक्रम को लाभदेयी अवसरों की ओर उन्मुख किया जा सके।
  5. जोखिम आकलन (Risk Valuation)- परियोजना के समस्त पहलुओं में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप में जोखिम व अनिश्चितताओं का होना स्वाभाविक है अतः परियोजना के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जोखिम का समयानुकूल आंकलन कर एक उचित जोखिम वहनीय क्षमता का निर्धारण करना चाहिए।
  6. व्यापक अवलोकन (Wide Observation)- उद्यमियों द्वारा परियोजना बनाने के क्रम में, विभिन्न पहलुओं का व्यापक अवलोकन करना चाहिए। उद्यमी द्वारा पर्याप्त अवसरों की खोज, साधनों की प्राप्ति, दूरदर्शिता, पूर्वानुमान व व्यापक दृष्टिकोण के आधार पर अच्छी परियोजना का निर्धारण करना चाहिए।
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Pankaja Singh

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