उद्यमिता और लघु व्यवसाय

महिला उद्यमी का अर्थ | उद्यमशील क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी

महिला उद्यमी का अर्थ | उद्यमशील क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी | Meaning of Women Entrepreneur in Hindi | Women’s participation in the entrepreneurial sector in Hindi

महिला उद्यमी का अर्थ

(Meaning of Women Entrepreneurs)

महिला उद्यमी से अर्थ महिला जनसंख्या के उस भाग से है जो औद्योगिक क्रियाओं में साहसिक कार्य (Venture) में संलग्न है। मुख्य रूप में, इसे महिला या महिलाओं के समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी व्यावसायिक उपक्रम की स्थापना, उसका संगठन या संचालन करती है। उद्यमी महिला किसी नये आर्थिक कार्य का प्रवर्तन कर सकती है या उसकी नकल कर सकती है या उस क्रिया को अपना सकती है।

भारत सरकार ने महिला उद्यमी को एक उपक्रम में नियोजन तथा समता सहभागिता के रूप में पृथक तरीके से बतलाने का प्रयास किया है। इसके अनुसार, महिला उद्यमी से आशय ऐसी उद्यमी से है जो एक ऐसे उपक्रम की स्वामी एवं नियन्त्रणकर्ता है जिसमें न्यूनतम 51% पूँजी पर वित्तीय हित है और जो उपक्रम द्वारा सृजित रोजगार का 51% भाग महिलाओं को प्रदान करती है। इस प्रकार, महिला उद्यमी से आशय उस उद्यमी से है जो उपक्रम का प्रवर्तन एवं संचालन करती है, नियन्त्रण करती है तथा जिसमें उसका 51 प्रतिशत या उससे अधिक वित्तीय हित होता है।

वर्तमान में महिलाओं के उपक्रम को ‘लघु औद्योगिक इकाई’ (small scale industrial unit) की संज्ञा दी जाती है, जिसमें किसी सेवा या व्यावसायिक उपक्रम का स्वामित्व एवं प्रबन्ध एक या अधिक महिलाओं द्वारा किया जाता है तथा जिसमें उनका पूंजी में न्यूनतम 51 प्रतिशत (व्यक्तिगत या सामूहिक) भाग होता है।

उद्यमशील क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी

(Participation of Women in Entrepreneurial Sector)

विगत तीन दशकों में हुए सामाजिक-आर्थिक एवं राजनैतिक परिवर्तनों के फलस्वरूप उद्यमिता क्षेत्र में महिलाओं का आगमन हुआ है तथा उदारीकरण, निजीकरण एवं शिक्षा के बढ़ते प्रसार ने इस आगमन का तेजी से स्वागत किया है। अमेरिका, यूरोप एवं जापान के बाद अब भारत में भी उद्यमिता क्षेत्र में महिलओं की भूमिका क्रमशः बढ़ती जा रही है तथा पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर वे नियोजन, निर्णयन एवं नियन्त्रण के माध्यम से उद्यमशील कार्यों का प्रभावी ढंग से निष्पादन कर रही हैं।

घर एवं समाज में महिला की एक विशिष्ट भूमिका, स्थिति तथा संरचना होती है। रोजगार क्षेत्र में प्रवेश करते समय उसकी स्थिति को भी ध्यान में रखना होता है। उदाहरण के लिए, महिला विवाहित है या अविवाहित या तलाकशुदा है। प्रायः शिक्षित महिला इसी शर्त पर विवाह करती है कि विवाह उसके कैरियर में किसी प्रकार बाधक नहीं होगा। इसके विपरीत, तलाकशुदा महिलाएं प्रायः वित्तीय प्रेरणा के कारण रोजगार क्षेत्र में प्रवेश करती है। यदि महिला की उम्र 35 वर्ष के ऊपर है तो ऐसी दशा में विवाहित या अविवाहित का प्रश्न गौण हो जाता है तथा ऐसी महिला पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को दृष्टि में रखकर रोजगार करती है तथा उद्यमशील कैरियर के बारे में यदा- कदा ही सोचती हैं। इस प्रकार उद्यमशील क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी निम्नलिखित है:-

(1) उद्यमिता क्षेत्र में सफल होने के लिए महिला में शिक्षा एवं सामर्थ्य (Education and Competence) का होना आवश्यक है। इसी गुण के द्वारा वह उद्यमशील कार्यों का निष्पादन करते हुए अपने कर्त्तव्य कर्म को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकती है। रोचक तथ्य यह है कि प्रायः सभी विकसित एवं विकासशील समाजों में आज भी महिला कानून के अलावा, यह नहीं मान सकती है कि वह पुरुष के बराबर है। उसे पुरुष को यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता होती है कि वह उसके ‘जॉब’ के पीछे नहीं है तथा जॉब हम सबके लिए समान रूप से आवश्यक है। हाँ, पुरुष और महिला दोनों इस तथ्य को मानते हैं कि जो महिला निगमित नेतृत्व तक पदोन्नति की आकांक्षा रखती है, उसे सुशिक्षित एवं सामर्थ्यवान होना चाहिए। ऐसी महिला को उद्यमिता विकास अध्ययन करना चाहिए। यद्यपि सामर्थ्य का मुद्दा पुरुष तथा महिला दोनों पर समान रूप से लागू होता है, फिर भी महिला के लिए यह अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे अपने परिश्रम तथा सामर्थ्य के द्वारा यह सिद्ध करना होता है कि वह पुरुष के बराबर कार्य कर सकती है।

(2) उद्यमिता क्षेत्र में सफल होने के लिए महिला का वास्तविकता से परिचित होना आवश्यक है। महिला प्रायः विषमता (Disparity) से भली-भाँति परिचित होती है तथा इस तथ्य को जानती है कि प्रगति के लिए उसमें औसत व्यक्ति से समझदार होना आवश्यक है। इतना ही नहीं, एक संस्था में पुरुष महिला की अपेक्षा पदोन्नति को प्रभावित करने की स्थिति में होता है। एक महिला को यह सिद्ध करने के लिए लम्बा समय लगता है। उसे पुरुष की तुलना में पदोन्नति के लिए अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। जब उन्हें युवा पुरुष की बजाय ज्यादा उत्तरदायित्व दिया जाता है तो लम्बे समय तक प्रशिक्षु रहने को कहा जाता है। रोचक तथ्य यह है कि उद्यमिता क्षेत्र में कई महिलाएँ पुरुषों से ज्यादा काम कर रही है तथा आधा वेतन प्राप्त कर रही है। महिलाएँ इस बात को मानती हैं कि परिवर्तन समय लेता है। कानून या अनुबंध खोने की धमकी पुरुष को महिला को अपना प्रतिस्पर्धी मानने हेतु बाध्य नहीं कर सकती हैं। महिला उद्यमिता क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति करें, इसके लिए पुरुषों की सोच या प्रवृत्ति में बदलाव आवश्यक है।

(3) उद्यमिता क्षेत्र में सफलता के लिये एक अन्य महत्वपूर्ण गुण आक्रामकता (Aggressiveness) है। यदि किसी महिला में स्वयं की योग्यता को प्रकट करने का विशेष आत्म विश्वास है तो वह उद्यमशील कार्य को ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकती है। व्यवहार में देखा जाता है कि अनेक पुरुष महिला के आक्रामक रूख से घबराते हैं तथा उसके अधीन कार्य करने हेतु तैयार हो जाते हैं। उपलब्धिवान महिला आक्रामक तथा सामर्थ्यवान होती है। सरल एवं सुस्त महिला के लिये इस प्रगतिशील जगत में कोई स्थान नहीं है। आक्रामकता से आशय यह है कि उसे किसी भी सीमा तक उत्तरदायित्व को ग्रहण करने से भयभीत नहीं होना चाहिये, कठोर प्रतिस्पर्धा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिये, पुरुष के साथ प्रतिस्पर्धा हेतु तत्पर रहना चाहिये, उद्यमिता जॉब के लिये वांछित स्तर पर कोई योग्यता होनी चाहिये, अपवाद या विशेषाधिकार हेतु न कहना तथा उसे स्वयं का ‘इगो’ अलग रखते हुये उत्पादक होना चाहिये।

(4) प्रायः महिलायें पुरुषों की तुलना में अपनी योग्यता का कम मूल्यांकन करती हैं। जबकि सफल होने के लिये उनका दृढ़ निश्चय पुरुषों की तुलना में ज्यादा होना आवश्यक है। जब एक बार महिला आत्मविश्वास के साथ किसी संस्था में स्व-प्रतिष्ठा बना लेती है तो सभी लोग उसे स्वीकार करने हेतु तैयार हो जाते हैं। इसके लिये महिलाओं के भीतर भी परिवर्तन होना आवश्यक है। प्रायः महिलायें परिवर्तन को स्वीकार न करके अपनी प्रगति एवं योग्यता को अवरुद्ध करती है। ऐसी महिलायें पुरुष प्रतिस्पर्धा से भयभीत रहती है तथा अक्सर निराशा ही प्राप्त करती हैं।

(5) उद्यमिता क्षेत्र में सफल होने के लिये महिला का कैरियर अभिमुखी (Career- Oriented) होना अति आवश्यक है। ऐसी महिला ही पुरुष को यह विश्वास दिला सकती है कि कैरियर के प्रति वे भी पुरुष के समान जागरूक है। अनेक संगठनों में पुरुष इस बात को जानते हैं कि उनके संगठन में अनेक महिलायें हैं जो प्रबंध पदोन्नति के योग्य है लेकिन उन्हें यह विश्वास नहीं होता है कि वे अपने कैरियर के प्रति गंभीर है। ऐसी महिलाओं को भी पदोन्नति का अवसर प्राप्त होता है, तो वे स्वयं को समस्याग्रस्त अनुभव करती हैं या फिर इस्तीफा देकर संस्था छोड़ देती हैं। ऐसी पदोन्नति को पुरुष प्रायः स्वीकार कर लेता है। महिलायें उद्यमिता पाठ्यक्रमों में सहभागिता करके इस समस्या का समाधान कर सकती हैं।

(6) उद्यमिता भूमिका निभाने से आशय केवल पुरुष भूमिका से ही नहीं है। यह भूमिका पुरुष या महिला कोई भी निभा सकता है। यदि किसी महिला में स्वयं के साथ औरों को खुश करने का गुण है तथा वह रचनात्मकता एवं गर्मजोशी से ओत-प्रोत है, तो वह उद्यमिता कार्य के योग्य मानी जा सकती है। महिला अपने व्यक्तित्व को सही तरीके से विकसित एवं नियंत्रित करके उद्यमिता कार्य का उचित निष्पादन कर सकती है।

(7) उपयुक्त व्यूह रचना को अपना करके भी महिला उद्यमशील जॉब में सफल हो सकती है। पुरुष की तुलना में महिला में धैर्य एवं संवेदनशीलता ज्यादा होती है। अतः जॉब के शुरुआत में वह पुरुष की प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास कर सकती है। यह कार्य धमकी की तरह नहीं होना चाहिये वरन् उसे पुरुष का विश्वास जीतने का प्रयास करना चाहिये। ऐसी महिला को किसी एक पद स्थिति में अटकने की बजाय एक कम्पनी से दूसरी कम्पनी में जाने हेतु तत्पर रहना चाहिये। रोचक तथ्य है कि महिला योग्यता रखते हुये भी अन्य चीजों की अपेक्षा वेतन या पैसे को अधिक महत्व देती है। इतना ही नहीं, परम्परागत रूप से महिलायें सौदेबाजी के लिये तैयार नहीं होती हैं और जो कुछ उपलब्ध हैं, उसे ही स्वीकार कर लेती हैं। अब यदि महिलायें पुरुष प्रधान क्षेत्र में भूमिका निभाना चाहती हैं तो उन्हें पुरुषों की तरह ही कार्य करना होगा। तभी वे उद्यमिता क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती है।

(8) किसी प्रभावशाली पुरुष का समर्थन एवं सहयोग प्राप्त करके भी महिला उद्यमिता जॉब में सफलता प्राप्त कर सकती है। प्रारम्भिक अवस्था में पिता तथा बाद में महिला को उसके पति का समर्थन मिल जाता है तो वह उद्यमिता जॉब में अधिक सफल हो सकती है। रोचक तथ्य यह है कि अधिकांश महिलायें कैरियर तथा परिवार के बीच विवाद में फंसी रहती हैं तथा निर्णय नहीं कर पाती हैं।

(9) अन्त में, महिला में विशिष्टता (uniqueness) का गुण होना भी आवश्यक है। स्वतन्त्रता तथा निर्भरता को ध्यान में रखते हुये वह अपनी जॉब प्ररचना कर सकती है तथा उद्यमित कार्य या अन्य किसी भी जॉब में सफल हो सकती है। कुछ पुरुष यह सोचते हैं कि महिला उन्हें एक मॉडल की तरह समझती हैं, क्योंकि महिला मॉडल की प्रायः अभाव होता है। पुरुष इस बात को भी मानता है कि महिला पुरुष की अपेक्षा महिला के साथ ज्यादा बेहतर सम्प्रेषण कर सकती हैं तथा बेहतर कार्य कर सकती है। वास्तव में ऐसा नहीं है। महिला अपनी विशिष्ट संरचना का लाभ उठाते हुये अधिक कूटनीतिक तरीके से सफलता के साथ काम कर सकती है। पुरुष भी प्रायः इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि महिला की सबसे बड़ी शक्ति उसकी संवेदनशीलता तथा धैर्य है। इसी के कारण यह अधिकाधिक उत्तरदायित्व स्वीकार करती है। अतः एक महिला में दृढ़ निश्चय एवं योग्यता रूपी विशिष्टता होनी चाहिये। अन्तर्ज्ञान, संवेदनशीलता, समझ, निष्पक्षता, उत्साह तथा नयी शैली के द्वारा वह उद्यमिता जॉब में पूर्णः सफल हो सकती है तथा पुरुष की भाँति क्रमशः विकास के चरम बिन्दु पर पहुँच सकती है।

निष्कर्ष रूप में, उद्यमिता में सफल कैरियर के लिये एक महिला में भी वे सब बातें या गुण होने चाहिये जो एक पुरुष में आवश्यक होते हैं। इसके अतिरिक्त “पुरुष क्षेत्र” में प्रवेश करने के लिये उसे एक पुरुष की भाँति आत्म विश्वास, दृढ़ता, आक्रामता तथा विशिष्टता से युक्त होना चाहिये।

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Pankaja Singh

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