संगठनात्मक व्यवहार

कृत्य सम्बन्धी मनोवृत्तियों के प्रकार | Types of Job Related Attitudes in Hindi

कृत्य सम्बन्धी मनोवृत्तियों के प्रकार | Types of Job Related Attitudes in Hindi

कृत्य सम्बन्धी मनोवृत्तियों के प्रकार

(Types of Job-Related Attitudes)

यद्यपि किसी व्यक्ति की विभिन्न प्रकार की मनोवृत्तियाँ हो सकती हैं किन्तु संगठनात्मक व्यवहार कृति सम्बन्धी मनोवृत्ति पर बल देता है। कृत्य सम्बन्धी मनोवृत्तियाँ निम्न तीन प्रकार की होती हैं-

(1) कृति सम्बन्धी सन्तुष्टि (Job Satisfaction)-

कृति सन्तुष्टि से आशय व्यक्ति की अपने कार्य के प्रति सन्तुष्टि से हैं। व्यक्ति की अपने कार्य के प्रति सन्तुष्टि सकारात्मक अथवा नकारात्मक हो सकती है। कृति अथवा कार्य सन्तुष्टि के निम्न पाँच आयाम होते हैं- (i) पारिश्रमिक, (ii) स्वयं का कृत्य अथवा कार्य, (iii) पदोन्नति के अवसर, (iv) पर्यवेक्षण तथा (v) सह-कर्मचारी अर्थात् उसके साथ कार्य करने वाले अन्य कर्मचारीगण कृत्य सन्तुष्टि कर्मचारी के कार्य निष्पादन का एक प्रमुख घटक है। इसका सीधा सम्बन्ध कर्मचारी की मनोवृत्ति से है। यदि कर्मचारी पर्याप्त पारिश्रमिक प्राप्त होता है, कार्य उसकी इच्छानुसार है, स्वस्थ पर्यवेक्षण है, पदोन्नति के अच्छे अवसर उपलब्ध हैं तथा सह-कर्मचारियों का उसे सक्रिय सहयोग प्राप्त है तो उसकी कृति सन्तुष्टि होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में उसकी मनोवृत्ति भी सकारात्मक होगी। वह अपनी क्षमता एवं लगन के साथ कार्य करेगा। जिसके कारण उसे स्वयं को, पर्यवेक्षकों तथा स्वामियों को सभी को सन्तुष्टि होगी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी। इसके विपरीत, कार्य सन्तुष्टि के अभाव में कर्मचारी में नकारात्मक मनोवृत्ति विकसित होगी जिसके कारण उसकी कृत्य के प्रति उदासीनता, कार्य से समय-समय पर अनुपस्थिति, अपर्याप्त उत्पादन, पर्यवेक्षकों से विवाद, सह- कर्मचारियों से असहयोग, कार्य निष्पादन का निम्न स्तर आदि बातें देखने को मिलेंगी। अन्ततः उसे आगे जाकर कृत्य से भी मुक्त किया जा सकता है।

(2) कृत्य आवेष्टन (संलग्नता ) (Job involvement) –

कृत्य आवेष्टन एक डिग्री है जिसमें एक कर्मचारी कृत्य में दिलचस्पी लेता है, समय तथा शक्ति का विनियोजन करता है तथा अपने कार्य को जीवनयापन का केन्द्र विन्दु मानता है। जिन कर्मचारियों के कार्य आवेष्टन का स्तर ऊँचा होता है, वे अपने द्वारा किये जाने वाले कार्य के साथ सुदृद तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं तथा अपने कार्य की सतर्कतापूवर्क चिन्ता करते हैं। ऐसे कर्मचारियों की अनुपस्थिति दर एवं कार्य छोड़ने की दर बहुत कम होती है। उच्च कार्य आवेष्टन वाले कर्मचारियों की कार्य सन्तुष्टि एवं अभिप्रेरणा का स्रोत आन्तरिक होता है। वे अपने कार्य से ही सन्तुष्टि प्राप्त करते हैं तथा अपने कार्य को प्रभावी ढंग से निष्पादित करने के सम्बन्ध में अधिक से अधिक सीखने की इच्छा रखते हैं। दूसरी ओर, निम्न कार्य आवेष्टन वाले कर्मचारी अपने कार्य को केवल अपने रोजगार एवं आय प्राप्ति का साधन मानते हैं। उनका कार्य के निष्पादन में मन नहीं लगता है। अवसर मिलने पर वर्तमान कृत्य को छोड़ने और दूसरा कृत्य पकड़ने में विलम्ब नहीं करते हैं।

(3) संगठनात्मक प्रतिबद्धता (Organisational Commitment)-

संगठनात्मक प्रतिबद्धता कर्मचारी की संगठन के प्रति निष्ठा (वफादारी) वाली मनोवृत्ति है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसमें एक कर्मचारी अपने संगठन (संस्था) तथा उसके लक्ष्यों के साथ स्वयं को एकाकार करके सुदृढ़ सम्बन्ध स्थापित कर लेता है तथा संगठन में अपनी सदस्यता बनाये रखता है। जैसे- जैसे कर्मचारी पुराना होता जाता है, उसमें संगठनात्मक प्रतिबद्धता भी बढ़ती जाती है। ऐसी उच्च संगठनात्मक निष्ठा कर्मचारी को संगठन का स्थायी एवं वफादार सदस्य बनाती है, उसकी विश्वसनीयता में वृद्धि करती है तथा उसे संगठन में लम्बे समय तक रहने के लिए अभिप्रेरित करती है।

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Pankaja Singh

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