संगठनात्मक व्यवहार

मनोवृत्ति तथा सम्मति में अन्तर | मनोवृत्ति तथा विश्वास में अन्तर | मनोवृत्ति तथा अभिप्रेरणाओं में अन्तर

मनोवृत्ति तथा सम्मति में अन्तर | मनोवृत्ति तथा विश्वास में अन्तर | मनोवृत्ति तथा अभिप्रेरणाओं में अन्तर | Difference between attitude and opinion in Hindi | Difference between Attitude and Belief in Hindi | Difference between attitudes and motivations in Hindi

मनोवृत्ति तथा सम्पत्ति के अन्दर (Difference between Attitude and Union)

मनोवृत्ति का अर्थ स्पष्ट किया जा चुका है। सम्मति तथ्यों के विशिष्ट समूह के बारे में किसी व्यक्ति द्वारा परिस्थितियों का मूल्यांकन करने के पश्चात् अपने निर्णय का सामान्य स्पष्टीकरण है। थरस्टोन (Thurstone) के अनुसार, “सम्मतियाँ मनोवृत्तियों की अभिव्यक्ति हैं।” ब्लेयर जे. कोलासा (Blair J. Kolasa) के अनुसार, मनोवृत्तियाँ सम्मति तथा व्यवहार के विभिन्न पहलुओं का आधार है।” मनोवृत्तियाँ पूर्वानुकूलता (predisposition) हैं, जबकि सम्मतियाँ किसी वस्तु अथवा अवधारणा के विशिष्ट पहलुओं पर केन्द्रित होती हैं।

मैककार्मिक तथा टिफिन (McCormick and Tiffin) के अनुसार, “मनोवृत्तियों का मापन सम्मतियों की अभिव्यक्ति के आधार पर किया जाता है। मनोवृत्ति एक थर्मामीटर की तरह है जोकि किसी वस्तु अथवा अवधारणा के प्रति एकाकी व्यक्ति की मनोवृत्ति के स्तर को प्रदर्शित करता है, जबकि सम्मति कार्य की विशिष्ट परिस्थितियों के बारे में लोगों की सम्मितियों का पर्यवेक्षण करती है।”

मनोवृत्ति तथा विश्वास में अन्तर

(Difference between Attitude and Belief)

क्रेच एवं क्रचफील्ड (Krech and Curtchfield) के अनुसार, “विश्वास व्यक्तिगत विश्व के कुछ पहलुओं के बारे में अवबोधों तथा संज्ञानों का सतत् संगठन है।” इस प्रकार विश्वास किसी वस्तु की प्रकृति के सम्बन्ध में परिकल्पना है। इस दृष्टि से विद्यास मनोवृत्ति का संज्ञानात्मक अंग है जोकि किसी वस्तु के ग्रहण करने के ढंग को प्रदर्शित करता है। विश्वास सम्मति तथा मनोवृत्ति की तुलना में अधिक सुदृढ़ है जो कि मामूली परिवर्तनों से प्रभावित नहीं होता है। विश्वास किसी विषय से सम्बन्धित एक दृढ कथन है। जब हम यह कहते हैं कि “आम मीठा होता है”, “कुत्ता स्वामीभक्त होता है” अथवा “राजनीतिज्ञ भ्रष्ट होता है”, तब यह विश्वास के रूप में व्यक्त किये जाने वाले व्यक्ति के दृढ कथन होते हैं। ऐसे किसी भी कथन से हम सहमत भी हो सकते हैं और असहमत भी विश्वासों के प्रति इसी सहमति और असहमति के आधार पर ही व्यक्ति की मनोवृत्तियों का माप किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि प्रत्येक मनोवृत्ति के पीछे कोई न कोई विश्वास अवश्य निहित होता है। मनोवृत्ति तथा विश्वास में विभिन्न समानताओं के होते हुए भी इन दोनों के बीच निम्न अन्तर हैं- (1) मनोवृत्ति का क्षेत्र विश्वास की तुलना में अधिक मानव होता है। ऐसा इसलिए होता है कि प्रत्येक मनोवृत्ति में कोई न कोई विश्वास निहित होता है, जबकि प्रत्येक विश्वास में मनोवृत्ति निहित नहीं होता है। (2) विश्वास की तुलना में मनोवृत्ति का व्यवहार पक्ष अधिक प्रबल होता है इसका कारण यह है कि कोई विशेष विश्वास होने के बाद भी व्यक्ति आवश्यक रूप से उसके अनुरूप कोई क्रिया नहीं करता है, जबकि प्रत्येक मनोवृत्ति व्यक्ति को एक विशेष व्यवहार अथवा क्रिया करने की प्रेरणा देती है। (3) विश्वास में कल्पना का तत्व अधिक होता है, जबकि मनोवृत्ति प्रायः वास्तविक तथ्यों पर आधारित होती है। (4) विश्वास तथा मनोवृत्ति दोनों ही उद्देश्यपूर्ण होते हैं किन्तु उद्देश्य को प्राप्त करने के दृष्टिकोण से विश्वास की तुलना में मनोवृत्ति अधिक प्रेरणादायक होती है। (5) तुलनात्मक दृष्टि से विश्वास की प्रकृति अधिक स्थायी होती है। अनुभवों तथा परिस्थितियों में परिवर्तन हो जाने से मनोवृत्तियों में भी परिवर्तन हो जाता है, जबकि व्यक्ति के विश्वास सरलता से नहीं बदलते। (6) अनेक विश्वास कालान्तर में रूदियों अथवा अन्धविश्वासों में बदल जाते हैं, जबकि मनोवृत्तियाँ समय के अनुकूल होती हैं तथा इनमें आवश्यकतानुसार ही परिवर्तन होता रहता है।

मनोवृत्ति तथा अभिप्रेरणाओं में अन्तर-

प्रायः लोग मनोवृत्ति तथा अभिप्रेरणा शब्द का प्रयोग एक दूसरे के सन्दर्भ में अथवा पर्यायवाची के रूप में करते हैं किन्तु वास्तविकता यह है कि इन दोनों में पर्याप्त अन्तर हैं जोकि निम्न प्रकार से हैं-

(1) मनोवृत्तियों की प्रकृति, अभिप्रेरणाओं की तुलना में अधिक स्थायी होती है। अभिप्रेरणा का प्रभाव तभी तक रहता है जब तक कि उद्देश्य की प्राप्ति न हो। उदाहरण के लिए, एक भूखे व्यक्ति को जैसे ही भोजन मिल जाता है, उसकी भूख रूपी अभिप्रेरणा तुरन्त समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत, मनोवृत्ति निरन्तर रूप में मानवीय व्यवहारों प्रभावित करती रहती है।

(2) मनोवृत्तियों को मनुष्य समाज में रहकर अर्जित करता है, जबकि अधिकांश अभिप्रेरणाएँ वृतिक व्यवहारों (Instinctive Behaviour) के रूप में स्पष्ट होती हैं।

(3) मनोवृत्तियों का क्षेत्र अभिप्रेरणाओं की तुलना में अधिक व्यापक होता है क्योंकि प्रत्येक मनोवृत्ति में अनेक अभिप्रेरणाओं का समावेश होता है।

(4) व्यक्ति के जीवन के विभिन्न लक्ष्य होते हैं तथा समय एवं परिस्थिति के अनुरूप इन लक्ष्यों में परिवर्तन होता रहता है। लक्ष्यों में परिवर्तन हो जाने के पश्चात् भी मनोवृत्ति व्यक्ति को समान अनुक्रियाएँ (Responses) करने के लिए बाध्य करती है, जबकि इस दशा में अभिप्रेरणाएँ भिन्न हो जाने के कारण व्यक्ति की अनुक्रियाओं (Responses) में भी परिवर्तन होने लगता है।

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Pankaja Singh

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