राजनीति विज्ञान

अमेरिका में व्यवस्थापिका | सीनेट की रचना और अधिकार | सीनेट के कार्य एवं अधिकार | अमरीकी प्रतिनिधि सभा की रचना | अमेरिकन कांग्रेस की शक्तियाँ और कार्य

अमेरिका में व्यवस्थापिका | सीनेट की रचना और अधिकार | सीनेट के कार्य एवं अधिकार | अमरीकी प्रतिनिधि सभा की रचना | अमेरिकन कांग्रेस की शक्तियाँ और कार्य

अमेरिका में व्यवस्थापिका

अमरीका में व्यवस्थापिका का नाम कांग्रेस है। यह द्विसदनात्मक होती है। इसका प्रथम सदन प्रतिनिधि सभा और द्वितीय सदन सीनेट कहलाता है।

सीनेट की रचना और अधिकार-

यह अमरीकी कांग्रेस का द्वितीय सदन है। हमें अमरीकी संविधान के अध्ययन से ज्ञात होता है कि सीनेट एक अत्यन्त शक्तिशाली सदन है और यह संसार की व्यवस्थापिकाओं में अपनी रचना और शक्तियों के फलस्वरूप एक विशिष्ट स्थान रखती है।

अमरीका शासन की प्रणाली संघीय है। अतः अमरीका की सीनेट का निर्माण राज्यों की समानता के संघीय सिद्धान्त के अनुसार हुआ है। सीनेट में राज्य को समान प्रतिनिधित्व दिया गया है। प्रत्येक राज्य दो प्रतिनिधि चुन कर भेजता है। अमरीका में राज्यों की संख्या 50 है अतः सीनेट के कुल सदस्यों की संख्या 100 है।

योग्यता- प्रत्येक व्यक्ति जिसकी आयु 30 वर्ष है सीनेट का सदस्य हो सकता है। उसे कम से कम 9 वर्ष तक अमरीका के उस राज्य का नागरिक होना चाहिए जिससे वह सदस्य चुना जाना चाहता है। सीनेट का सदस्य चुने जाने पर कोई भी व्यक्ति अमरीकी सरकार के लाभ के पद पर कार्य नहीं कर सकता।

सन् 1953 से पहले सीनेट के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होता था परन्तु अब यह प्रत्यक्ष रूप से होता है। सीनेट के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष रखा गया है किन्तु प्रति दूसरे वर्ष 1/3 सदस्य अपना पद त्याग करते रहते हैं और उनके स्थान पर नये सदस्य निर्वाचित होते हैं।

इनका वेतन 30 हजार डालर प्रतिवर्ष होता है। इनको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इन्हें सीनेट में अपने विचार प्रकट करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है। इन्हें डाक भी निःशुल्क देने का अधिकार होता है। अमरीका. का उप-राष्ट्रपति इसका अध्यक्ष होता है। एक अन्य अधिकारी जिसे प्रेसीडेन्ट प्रोफेसर टैम्पोर्ट कहते हैं, सीनेट के सदस्यों द्वारा चुना जाता है और यह उप- राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में अध्यक्ष का कार्य करता है। अध्यक्ष को प्रारम्भिक मत प्रदान करने का अधिकार नहीं होता किन्तु वह निर्णायक मत दे सकता है।

सीनेट के कार्य एवं अधिकार

सीनेट की शक्तियों और कार्यों को हम निम्नलिखित रूप में स्पष्ट करेंगे:-

(i) निर्माणसम्बन्धी कार्य- सीनेट को प्रतिनिधि सभा के समान ही कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। साधारण विधेयकों के सम्बन्ध में प्रतिनिधि सभा और सीनेट को समान अधिकार प्राप्त है। परन्तु वित्तीय मामलों में सीनेट को प्रधानता प्राप्त है। सीनेट में सामान्य विधेयक उसी प्रकार प्रस्तुत और पारित किया जाता है जिस प्रकार प्रतिनिधि सभा में किन्तु वित्तीय विधेयकों में संशोधन करने का अधिकार सीनेट को ही प्राप्त है। धन विधेयक भी वह संशोधित कर सकती है। यह एक ऐसा अधिकार है जो संसार के किसी भी द्वितीय सदन को प्राप्त नहीं है। कानून बनाने के क्षेत्र में जितनी अधिक शक्तियाँ अमरीका की सीनेट को प्राप्त हैं उतनी संसार के किसी देश के उच्च सदन को प्राप्त नहीं हैं।

(ii) कार्यपालिका-सम्बन्धी कार्य- सीनेट के कार्यपालिका-सम्बन्धी कार्य भी अत्यन्त विस्तृत है। अमरीका में नियुक्ति का अधिकार मुख्य रूप से राष्ट्रपति को है। राष्ट्रपति लगभग 16 हजार नियुक्तियाँ करता है। इन नियुक्तियों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है। एक वर्ग में वे नियुक्तियाँ आती हैं जो संघ के सर्वोच्च पदों के लिए होती हैं, जैसे–सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, पोस्टमास्टर जनरल और मन्त्रियों की नियुक्तियाँ । दूसरे वर्ग में वे नियुक्तियों आती हैं जो संघीय सरकार द्वारा राज्यों के संघ-शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए की जाती है; जैसे-सर्वोच्च न्यायालय के अधीनस्थ राज्यों के न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्तियाँ तथा कुछ पोस्टमास्टरों आदि की नियुक्तियाँ। इन दोनों प्रकार की नियुक्तियों के विषय में राष्ट्रपाति सीनेट का समर्थन प्राप्त करता है।

राष्ट्रीय नीति निर्धारण का कार्य भी सीनेट का है। राष्ट्रपति कोई भी महत्त्वपूर्ण कदम राष्ट्रीय नीति के सम्बन्ध में सीनेट की स्वीकृति के बिना नहीं उठा सकता विल्सन, सीनेट के विरोध के फलस्वरूप अमरीका को राष्ट्रीय संघ का सदस्य नहीं बनवा सके।

(iii) वैदेशिक अधिकार- विदेशों में राजदूतों की नियुक्ति के सम्बन्ध में सीनेट को राष्ट्रपति के समान अधिकार प्राप्त है और सीनेट के द्वारा स्वीकृति न होने पर राष्ट्रपति द्वारा की गई नियुक्तियाँ रद्द की जा सकती हैं। राष्ट्रपति द्वारा की गई कोई भी विदेशी संधि तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती जब तक कि सीनेट उस पर अपनी अनुमति न दे।

(iv) न्यायिक कार्य- सीनेट को न्यायिक क्षेत्र में भी अनेक अधिकार प्राप्त हैं। संविधान द्वारा सीनेट को महाभियोग का अधिकार प्रदत्त है। यद्यपि महाभियोग प्रतिनिधि सभा में प्रस्तावित किये जाते हैं परन्तु उच्चतम न्यायालय का कार्य सीनेट ही करती है। राष्ट्रपति या उप-राष्ट्रपति को महाभियोग लगाकर पदमुक्त करने में सीनेट की शक्ति प्रतिनिधि सभा से कम नहीं है। किसी भी प्रतिनिधि सभा द्वारा लगाये गये महाभियोग पर सीनेट ही विचार करती है। महाभियोग की सुनवाई के समय सीनेट का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होता है।

(v) संवैधानिक कार्य- संविधान में संशोधन करने का कार्य भी सीनेट ही करती है।

(vi) निर्वाचनसम्बन्धी कार्य-यदि उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में किसी भी व्यक्ति को उपराष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक बहुमत प्राप्त नहीं होता तो सीनेट अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों में से किसी एक को उपराष्ट्रपति नियुक्त कर सकती है।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अमरीका की सीनेट अत्यधिक शक्तिशाली व्यवस्थापिका है।

अमरीकी प्रतिनिधि सभा की रचना-

अमरीकन संविधान में व्यवस्था है कि प्रतिनिधि सभा का प्रत्येक सदस्य कम से कम 30 हजार व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करेगा और प्रत्येक राज्य का कम से कम एक प्रतिनिधि अवश्य होगा। इस प्रकार जनसंख्या आधार होने से इसकी सदस्यों की संख्या घटती-बढ़ती है ।

योग्यता- प्रतिनिधि सभा की सदस्यता के प्रत्याशी को कम से कम 7 वर्ष से अमरीका का नागरिक होना चाहिए, उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए एवं उसे उसी राज्य का निवासी होना चाहिए जहाँ से वह चुनाव लड़ रहा है।

सदस्यों का निर्वाचन गुप्त मतदान से होता है। निर्वाचन सम्बन्धी विवादों का निर्णय कांग्रेस करती है और सीनेट का बहुमत दल इनमें मनमानी कर लेता है। इसके सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष होता है इसका एक अध्यक्ष होता है।

अमरीका में प्रतिनिधि सभा के कार्य और अधिकार इतने अधिक विस्तृत नहीं है जितना कि सीनेट के।

नीचे हम इनको संक्षेप में अध्ययन करेंगे:-

(1) विधिसम्बन्धी अधिकार-इसके सम्मुख कोई भी विधेयक प्रस्तुत किया जा सकता है परन्तु वह तभी पारित माना जायगा जब प्रतिनिधि सभा के साथ-साथ सीनेट भी उस पर स्वीकृति दे दे। अमरीका की प्रतिनिधि सभा इंग्लैण्ड की कॉमन्स सभा से बहुत कम अधिकार रखती है। कॉमन्स सभा प्रत्येक विधेयक पारित कर सकती है जबकि प्रतिनिधि सभा. ऐसा नहीं कर सकती। प्रतिनिधि सभा सीनेट की इच्छा के बिना कोई भी विधेयक पारित नहीं करा सकती। वैसे वित्त विधेयक केवल प्रतिनिधि सभा में ही प्रस्तुत किये जाते हैं, किन्तु इन पर भी सीनेट को अपनी इच्छानुसार संशोधन करने या अस्वीकृत करने का अधिकार प्राप्त है।

(2) कार्यपालिकासम्बन्धी अधिकार- इस क्षेत्र में भी प्रतिनिधि सभा को सीनेट की भाँति संधियों का पुष्टीकरणे, राष्ट्रपति द्वारा की गयी नियुक्तियों और विविध विधियों के विरुद्ध जाँच करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। प्रतिनिधि सभा केवल युद्ध की घोषणा ही कर सकती है।

(3) न्यायपालिकासम्बन्धी अधिकार- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और असैनिक पदाधिकारियों पर महाभियोग की कार्यवाही प्रतिनिधि सभा में ही प्रारम्भ की जाती है। सीनेट केवल उस पर सुनवाई करती है।

(4) निर्वाचनसम्बन्धी अधिकार- प्रतिनिधि सभा को राष्ट्रपति के चुनावसम्बन्धी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं।

(5) अन्य कार्य- प्रतिनिधि सभा सदस्यों में निर्वाचन-व्यय एवं उनकी योग्यताओं से सम्बन्धित नियम बनाती है।

उपरोक्त अध्ययन के आधार पर हम कह सकते हैं कि अमरीका की प्रतिनिधि सभा अन्य देशों की अपेक्षा कम शक्तिशाली है।

अमेरिकन कांग्रेस की शक्तियाँ और कार्य-

अमरीका में व्यवस्थापिका में शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्तों को अपनाया गया है। इसके अन्तर्गत विधि- निर्माण का कार्य कांग्रेस को, कार्यपालिकासम्बन्धी कार्य राष्ट्रपति को और गैरन्यायसम्बन्धी कार्य सर्वोच्च न्यायालय को प्रदान किये गये हैं।

मुख्य कार्य विधि निर्माण के साथ-साथ कांग्रेस अन्य कार्य भी करती है। जो निम्नलिखित हैं:-

(1) कानून बनाने का अधिकार- संविधान में उन विषयों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है जिन पर कांग्रेस को कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। इनमें से कुछ विषयों पर केवल कांग्रेस ही विधि- निर्माण कर सकती है। परन्तु कुछ विषय ऐसे हैं जिन पर संघ की कांग्रेस और राज्यों के व्यवस्थापन विभाग दोनों ही कानून बना सकती है।

(2) संविधान में संशोधन का अधिकार- संविधान में कोई भी संशोधन तब तक नहीं हो सकता जब तक कि कांग्रेस के दोनों सदनों के दो-तिहाई सदस्य उसके पक्ष में अपना मत न दे दें।

(3) देश की सुरक्षा का कार्य- कांग्रेस को देश की रक्षा करने का अधिकार प्राप्त है। वह सेना पर होने वाले व्यय की धनराशि स्वीकृत करना और सेना के परिणाम आदि का निश्चय करने का कार्य करती है।

(4) युद्ध और संधि का अधिकार- इसे विभिन्न देशों से युद्ध अथवा शान्ति की घोषणा करने का अधिकार प्राप्त है।

(5) सदस्यों के निर्वाचनको रद्द करने का अधिकार- कांग्रेस को सीनेट अथवा प्रतिनिधि सभा के निर्वाचन को रद्द करने का अधिकार है। यह सिद्ध होने पर कि सीनेट का प्रतिनिधि सभा के किसी उम्मीदवार ने अपने निर्वाचन में निश्चित धनराशि से अधिक धन व्यय किया है तो वह उसके निर्वाचन को रद्द कर सकती है।

(6) निर्वाचन के समय एवं नियमों का निर्धारण- कांग्रेस हो निर्वाचन का समय और निर्वाचनसम्बन्धी नियमों को निर्धारण करती है।

(7) राष्ट्रपति के निर्वाचन के सम्बन्ध में अधिकार- राष्ट्रपति के निर्वाचन के सम्बन्ध में भी कांग्रेस को अधिकार प्राप्त होते हैं। राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त किये गये मतों की गणना कांग्रेस के समक्ष ही होती है।

(8) राजकीय नियुक्तियों का अधिकार- संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को राजकीय नियुक्तियाँ करने का अधिकार है परन्तु ये नियुक्तियाँ तब तक मान्य नहीं होती जब तक कांग्रेस का द्वितीय सदन उन पर अपनी स्वीकृति न दे दें।

(9) कार्यपालिका पर नियन्त्रण- कांग्रेस कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखती है। वह प्रशासन के किसी विभाग की कार्यवाही की जांच हेतु आयोग नियुक्त कर सकती है। विभिन्न विभागों में बजट को स्वीकृति प्रदान करना तथा अधिकारियों के वेतन आदि के नियमो आदि का निर्धारण करने का कार्य भी कांग्रेस करती है।

(10) महाभियोग चलाने का अधिकार- कांग्रेस उप-राष्ट्रपति और संघ सरकार के अन्य उच्च अधिकारियों पर महाभियोग चलाकर उन्हें पदच्युत करने का अधिकार रखती है। यह महाभियोग प्रतिनिधि सभा में लगाया जाता है। प्रतिनिधि सभा के द्वारा उसे स्वीकार करने के पश्चात् उसे सीनेट के पास भेज दिया जाता है। सीनेट की सहमति पर उक्त पदाधिकारी को अपना पद छोड़ना पड़ता है ! कांग्रेस के दोनों सदन अपने-अपने सदस्यों के विरुद्ध भी कार्यवाही कर सकते हैं।

(11) राजकीय आय-व्यय पर नियन्त्रण- कांग्रेस संघ के आय-व्यय पर नियन्त्रण रखती है। इसे कर लगाने का भी अधिकार प्राप्त है। यह निश्चित करती है कि संघ की आय को किस प्रकार व्यय किया जाय।

(12) मुद्रा-पद्धति का निर्णय- मुद्रा-पद्धति के संचालन और उस पर नियन्त्रण का अधिकार भी कांग्रेस को प्राप्त है। वह इस बात का निर्णय करती है कि किस प्रकार की मुद्राएं चलायी जायें।

(13) व्यापार तथा व्यवसायसम्बन्धी अधिकार- कांग्रेस को विदेश व्यापार एवं राज्यों के बीच के व्यापार तथा व्यवसाय पर नियंत्रण का अधिकार प्राप्त है। वह इनको नियंत्रित करने के लिए कानून बना सकती है।

(14) नये राज्यों को संघ में मिलाने का अधिकार- कांग्रेस को नवीन राज्यों को संघ में मिलाने का अधिकार भी प्राप्त है।

(15) प्रादेशिक सीमा परिवर्तन का अधिकार- कांग्रेस को विभिन्न राज्यों में प्रादेशिक परिवर्तन का अधिकार भी प्राप्त है।

(16) न्यायिक अधिकार- कांग्रेस को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या, उनके अधिकार-क्षेत्र और उनके वेतन आदि को निश्चित करने का अधिकार है।

अमरीका की कांग्रेस को पर्याप्त अधिकार प्राप्त है परन्तु ब्रिटेन की भाँति अमरीका में संसद सर्वोच्च नही है। ब्रिटेन की संसद अमरीका की कांग्रेस से कहीं अधिक शक्तिशाली है।

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Pankaja Singh

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