राजनीति विज्ञान

इंग्लैण्ड में व्यवस्थापिका | लार्ड्स सभा की रचना | लार्ड्स सभा के अधिकार और कार्य | लाई सभा का महत्त्व और आवश्यकता | लाई सभा में सुधार के सुझाव | इंग्लैण्ड की कामन्स सभा

इंग्लैण्ड में व्यवस्थापिका | लार्ड्स सभा की रचना | लार्ड्स सभा के अधिकार और कार्य | लाई सभा का महत्त्व और आवश्यकता | लाई सभा में सुधार के सुझाव | इंग्लैण्ड की कामन्स सभा

इंग्लैण्ड में व्यवस्थापिका-

यहाँ व्यवस्थापिका को पार्लियामेंट कहते हैं। यह संसार की सबसे प्राचीनतम् व्यवस्थापिका है। यह अत्यन्त शक्तिशाली है तथा इसे ‘संसद की जननी’ कहा जाता है। प्रायः संसार के सभी लोकतन्त्रात्मक देशों में व्यवस्थापिका के गठन में इसको आधार माना जाता है।

इंगलैण्ड की पार्लियामेंट के दो सदन हैं-(अ) लाई सभा (House of Lords), और (ब) कामन्स सभा (House of Commons)| इन दोनों सदनों में लार्ड्स सभा अधिक प्राचीन है और कामन्स सभा का विकास लोकतंत्रीय परम्पराओं के अनुसार धीरे-धीरे हुआ है। प्रारम्भ में दोनों सदनों की शक्तियाँ समान थीं। किन्तु धीरे-धीरे लार्ड्स सभा की शक्तियाँ घटती गईं और कामन्स सभा की शक्तियाँ बढ़ती गयीं। 1911 में संसदीय अधिनियम के पश्चात् तो लार्ड सभा कामन्स सभा के सम्मुख बिल्कुल ही शक्तिहीन रह गई है। लार्ड्स सभा को उच्च सदन और कामन्स सभा को निम्न सदन भी कहते हैं।

लार्ड्स सभा की रचना-

लार्ड्स सभा अत्यन्त प्राचीन सदन है। उसका वास्तविक इतिहास मुख्य सामन्तों एवं उच्च अधिकारियों के निवास से आरम्भ होता है जो वर्ष में तीन-बार नार्मन राजाओं से मिला करते थे। आरम्भ में लार्ड्स सभा बहुत शक्तिशाली थी परन्तु धीरे-धीरे उसके अधिकार कम हो गये । और अब 1911 तथा 1949 के संसदीय अधिनियमों के द्वारा तो इसकी शक्ति और भी कम कर दी गई है। लार्ड्स सभा के सदस्यों की संख्या निरन्तर घटती-बढ़ती रहती है। वर्तमान में इसकी संख्या 100 से अधिक है। इस सभा के अधिकांश सदस्य वंश- परम्परा के आधार पर बनाये जाते हैं। पिता की मृत्यु के पश्चात् उसका बड़ा पुत्र लार्ड्स सभा का सदस्य बनता है। प्रधानमन्त्री के परामर्श पर राजा नये पियर बनाता है जो इस सभा के सदस्य बन जाते हैं।

लार्ड्स सभा के सदस्यों को निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है- (i) राजवंश के राजकुमार, (ii) वंश, परम्परागत पियर, (iii) स्काटलैंड के प्रतिनिधि पियर, (iv) आयरलैंड के प्रतिनिधि पियर, (v) धार्मिक लार्ड, (vi) आजीवन लार्ड्स एवं विधि लार्ड। इसका अध्यक्ष लार्ड चांसलर कहलाता है जो मन्त्रिपरिषद् का सदस्य होता है, जिसकी नियुक्ति प्रधानमन्त्री के परामर्श से की जाती है। इसको 10,000 पौंड वार्षिक वेतन मिलता है। अध्यक्ष की सहायता हेतु एक उपाध्यक्ष भी होता है। लार्ड्स सभा के सदस्यों की गणपूर्ति संख्या 30 होती है। इसका अर्थ है कि यदि समस्त सदस्यों में से 30 सदस्य ही उपस्थित हैं तो भी कोई विधेयक पारित किया जा सकता है।

लार्ड्स सभा के अधिकार और कार्य

नीचे हम लाई सभा की विभिन्न शक्तियों का संक्षेप में वर्णन करेंगे:-

(1) व्यवस्थापिका सम्बन्धी शक्तियाँ- प्राचीन काल में लार्ड्स सभा को कानून के निर्माण हेतु भी बहुत से अधिकार प्राप्त थे, परन्तु आज ऐसा नहीं है। वित्त विधेयक के अतिरिक्त कोई भी विधेयक लार्ड्स सभा में सर्वप्रथम प्रस्तुत किया जा सकता है। वित्त विधेयक सर्वप्रथम कामन्स सभा में प्रस्तुत किये जाते हैं। परम्परा यह है कि महत्त्वपूर्ण विधेयक कामन्स सभा में प्रस्तुत किये जाते हैं। कामन्स सभा द्वारा पारित विधेयक लाडूस सभा में उसकी स्वीकृति हेतु भेजे जाते हैं। लाईस सभा कामन्स सभा द्वारा पारित विधेयक की स्वीकृति दे या न दे यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है वह कामन्स सभा के पास पुनः विचार के लिए भेज सकती है। परन्तु यदि कामन्स सभा उस विधेयक को ज्यों का त्यों पारित कर देती है तो लार्ड्स सभा को उसे स्वीकार ही करना होता है। यदि ला सभा कामन्स सभा द्वारा पारित किसी विधेयक को एक वर्ष तक स्वीकृत नहीं करती तो कामन्स सभा उसे सीधे सम्राट् के पास स्वीकृति हेतु भेज सकती है और स्वीकृति मिल जाने पर वे विधेयक कानून बन जाता हैं। गैर-वित्तीय विधेयकों को लार्ड्स सभा अधिकतम दो वर्ष के लिए रोक सकती है।

(2) वित्तीय शक्तियाँ- वित्त विधेयक कामन्स सभा में ही प्रस्तुत किये जाते हैं और कामन्स सभा उसे पास करके लार्ड्स सभा को भेज देती है जिसे लार्ड्स सभा एक माह के अन्दर उसे अवश्य लौटा देती है। चाहे वह विधेयक को स्वीकृति करे या न करे। वह किसी विधेयक  को कामन्स सभा को पुनर्विचार हेतु भेज सकती है।परन्तु कामन्स सभा द्वारा पुनः पारित कर देने पर लार्ड्स सभा को उसका निर्णय मानना ही होता है। 1911 के संसदीय अधिनियम द्वारा लार्ड सभा की वित्तीय मामलों की शक्ति को पूर्णतः समाप्त कर दिया है।

(3) कार्यपालिका सम्बन्धी कार्य- कार्यपालिकीय क्षेत्र में लार्ड सभा के अधिकार बहुत कम हैं। वैसे लार्ड्स सभा को भी कामन्स सभा की भाँति प्रशासन के किसी पहलू पर विचार करने का अधिकार प्राप्त है। उसका कोई भी सदस्य सरकार से प्रश्न फूछ सकता है। वे सरकार की नीतियों और कार्यों पर वाद-विवाद कर सकते हैं। न्यायाधीशों को पद से हटाने का निर्णय कामन्स सभा और लार्ड्स सभा के सदस्य मिलकर करते हैं। लार्ड्स सभा के कुछ सदस्य मन्त्री भी होते हैं। लार्ड्स सभा का अध्यक्ष जिसे लार्ड्स चांसलर कहते हैं, मंत्रिमण्डल में अवश्य होता

(4)न्यायिक कार्य- लार्ड्स सभा को न्यायसम्बन्धी भी कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं। यह एक प्रकार से ब्रिटेन का सर्वोच्च न्यायालय है जिसमें अन्तिम अपील की जाती है। अपीलों की सुनवाई और निर्णय देने का कार्य ला सभा का अध्यक्ष और सात विधि लार्ड्स मिलकर करते हैं। ये प्रारम्भिक मुकदमों को भी सुनते हैं। राजद्रोह के अभियोगों को भी ये सुन सकते हैं। कामन्स सभा द्वारा लगाये गये महाभियोग के मुकदमों पर विचार लार्ड्स सभा ही करती है।

लाई सभा का महत्त्व और आवश्यकता

लार्ड्स सभा का कार्य विचारात्मक अधिक है। इसमें ख्यातिप्राप्त तथा अनुभवशील व्यक्ति होते हैं, जो विभिन्न विषयों में पारंगत होते हैं। यहाँ शान्तिपूर्ण वातावरण में विधेयक के प्रत्येक पहलू पर वाद-विवाद होता है जो उच्चकोटि का होता है। फिर भी इसकी आलोचना इसे अलोकतंत्रीयता का प्रतीक, निहित स्वार्थों का गढ़ और विकास विरोधी सदन कह कर की जाती रही है। इस पर काफी व्यय भी किया जाता है। कुछ विद्वानों के मत में इसे समाप्त कर देना चाहिए। परन्तु फिर भी इस सदन की आवश्यकता का अनुभव किया जाता है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये जाते है:-

(i) लोकतन्त्र की सुरक्षा-  एक सदन की तानाशाही को रोकने के लिए दूसरे सदन का होना आवश्यक है। यदि लाईस सभा न रहे तो कामन्स सभा इतनी शक्तिशाली हो जायेगी कि उसमें जिस दर का बहुमत होगा वह जो चाहे करेगा। इस प्रकार कामन्स सभा के अधिनायक बनने का भय बना रहेगा। अतः लोकतन्त्र की सुरक्षा हेतु नागरिकों के मूलाधिकारों के अपहरण को रोकने के लिए लाईस सभा का होना आवश्यक है।

(ii) कामन्स सभा की जल्दबाजी पर प्रतिबन्ध-क्योंकि कामन्स सभा में बहुमत दल की ही मन्त्रिपरिषद होती है, अतः बहुत अधिक सम्भावना इस बात की होती है कि कॉमन्स सभा आवेश में मंत्रीपरिषद् के किसी भी निर्णय को स्वीकार कर सकती है। इस प्रकार का जल्दबाजी का निर्णय जनता के लिए हितकर नहीं हो सकता है; अतः इस प्रकार की कॉमन्स सभा की जल्दबाजी को रोकने के लिए लाईस सभा का होना आवश्यक है।

(iii) कांमन्स सभा के समय और शक्ति की बचत- प्रायः कामन्स सभा के पास बहुत अधिक कार्य होता है।इस कार्य-भार को बाँटने के लिए भी लाईस सभा का होना आवश्यक है। सामान्य विधेयकों पर लाईस सभा ही विचार कर लेती है और तब उन्हें कॉमन्स सभा के पास भेज देती है। इससे कॉमन्स सभा का भार हल्का हो जाता है. और सदस्य मामूली बातों पर अधिक बहस नहीं करते।

(iv) योग्य और अनुभवी व्यक्तियों को सेवा लाभ- लार्ड सभा में प्राय: अत्यन्त योग्य और अपने क्षेत्र के अनुभवी व्यक्ति होते हैं जिनकी सेवाओं का लाभ लाई सभा के होने पर ही सम्भव है।

(v) स्वतन्त्र विचार-विमर्श-लाई सभा में प्रत्येक विधेयक पर कॉमन्स सभा की अपेक्षा अधिक स्वतन्त्र रूप से विचार-विमर्श की सम्भावना रहती है। क्योंकि इसके सदस्य दलीय अनुसासन से स्वतन्त्र होते हैं और ये निश्चित होकर अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।

(vi) जनमत बनाने का अवसर प्राप्त होगा- प्रत्येक विधेयक कॉमन्स सभा के में पारित होने पश्चात् विचार हेतु ला सभा के पास भेजा जाता है। इस बीच उस विधेयक के गुण- अवगुण पर जनता अपने विचार व्यक्त करती है। जिसका लाभ संसद सदस्यों को होता है। क्योंकि इस प्रकार वे जनता ने रायं से अवगत हो जाते हैं तथा उसी के अनुरूप कार्य करते हैं।

(vii) न्याय की दृष्टि से आवश्यक- लार्ड्स सभा देश के उच्चतम न्यायालय का कार्य भी करती है; अत. इसको न्यायिक आवश्यकता और महत्त्व भी है।

(viii) जनता का प्रिय सदन-इंग्लैण्ड की जनता रूढ़िवादी है और वह इस प्राचीनतम सदन को अब भी चाहती है।

लाई सभा में सुधार के सुझाव-

समय-समय पर लाई सभा में सुधार पर बल दिया जा रहा है। इस संदर्भ में ये सुझाव दिये जाते रहे हैं-

(i) वंश-परम्परा के अनुसार पियर बनाने की प्रथा समाप्त कर देनी चाहिए।

(ii) लाईस सभाके सदस्यों को वेतन दिया जाय और उनकी संख्या निश्चित कर दी जाय।

(iii) सदस्यों की उदासीनता समाप्त कर उन्हें बैठकों में भाग लेने को प्रोत्साहित किया जाय!

(iv) लाई सभा के सदस्यों में से कुछ का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से किया जाना चाहिए।

इंग्लैण्ड की कामन्स सभा

इंग्लैण्ड की कामन्स सभा संसार की सबसे शक्तिशाली और प्राचीन प्रतिनिधि सभा है। इसका व्यवस्थापिका के अंग के रूप में बहुत अधिक महत्व है। इसे संसद का पर्यायवाची कहा जाय तो अनुवित न होगा!

रचना-1948 के प्रतिनिधित्व सम्वन्दा कानून के पारित होने के पश्चात कामन्स सभा पूर्णरुप से प्रतिनिधि सभा हो गई है। इस समय कामन्स सभा के सदस्यों की सख्या 630 है। ये पृथक् पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों से वयस्क मताधिकार द्वारा चुने जाते हैं। एक व्यक्ति के, एक मत देने का अधिकार प्राप्त होता है।

अवधि- इसका कार्य काल पांच वर्ष है। किन्तु मन्त्रिपरिषद् ईसे पहले भी भंग कर सकती है। इसका कार्यकाल संकट के समय बढ़ाया भी जा सकता है।

शक्तियाँ और कार्य

यह व्यवस्थापिका सभा का लोकप्रिय एवं प्रथम सदन है। मंसद जितने भी कार्य करती है, व्यवहारिक रूप में उन्हें करने का श्रेय कामन्स सभा को प्राप्त होता है | कामन्स सभा के मुख्यत: निम्नलिखित कार्य हैं:-

(1) विधि निर्माणसम्बन्धी कार्य- इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य विधि-निर्माण करना है कानूनों में निर्माण की शक्ति संसद में निहित है। किन्तु लाई सभा की शक्तियों में कर्म हो जाने के फलस्वरूप कामन्स सभा ही यह कार्य करती है। कॉमन्स सभा जिस विधेयक को पारित कर देती हैं उसे लाडू सभा को भी पारित करना होता है।

(2) वित्त सम्बन्धी कार्य- राज्य के वित्त पर भी कामन्स सभा का नियन्त्रण होता है। इसे प्रति वर्ष फरवरी में वित्त मन्त्री कामन्स सभा के समक्ष प्रस्तुत करता है और इसे स्वीकृत करके कामन्स सभा आगामी वर्ष का आय व्यय का निर्धारण करती है। कामन्स सभा की स्वीकृति के बिना न तो कोई धन व्यय किया जा सकता है, न कोई कर लगाया जा सकता है तथा उसे वसूल किया जा सकता है।

(3) कार्यपालिका पर नियन्त्रण कार्यपालिकासम्बन्धी अधिकार बड़े विस्तृत हैं। कामन्स सभा की इच्छा तक ही मन्त्रिपरिषद् कार्य कर सकती है। सम्पूर्ण मन्त्रिमण्डल सामूहिक रूप से कामन्स सभा के प्रति उत्तरदायी होता है। कामन्स सभा के सदसय मन्त्रिमण्डल की नीति की आलोचना कर सकते हैं और अपने बहमंत से मन्त्रिमण्डल को कोई भी कार्य करने के लिए बाध्य कर सकते हैं।

(4) जनता की शिकायतों को दूर करना- कामन्स सभा में जनता के प्रतिनिधि होते हैं; अतएव वे जनता की शिकायतों को जोर सरकार का ध्यान आकर्षित करते है और उनको दूर करने का प्रयास करते हैं।

महत्त्व- यह सरकार को जनता के हित में कार्य करने के लिए विवश करती है। यह मन्त्रि- परिषद् को स्वेच्छाचारी नहीं बनने देती। जनता के प्रतिनिधियों के माध्यम से जनता की इच्छा का पता चलता है। ये प्रतिनिधि वही विचार रखते है जो जनता के होते हैं। इसके माध्यम से ही जनता सरकार पर अंकुश रखती है। कामन्स सभा में उठने वाली आवाज जनता की आवाज है और जनता की आवाज़ की अवहेलना करके कोई भी सरकार टिक नहीं सकती।

अन्त में हम कह सकते हैं कि ब्रिटेन की शासन जनता द्वारा जनता के निमित्त और जनता की सहमति से चलता है।

कामन्स सभा की कार्यवाही- पार्लियामेंट की बैठक वेस्ट मिनिस्टर भवन में होती है। लाईस सभा और कामन्स सभा की बैठकें अलग-अलग सदनों में होती हैं। कुछ विशिष्ट अवसरों पर इनकी सम्मिलित बैठक भी होती है। कामन्स सभा की कार्यवाही चलाने हेतु एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष होता है। कामन्स सभा का सत्र फरवरी से अगस्त तक चलता है। कामन्स सभा के सदस्य प्रश्न पूछते हैं तथा उनके उत्तर मन्त्रीगण देते हैं।

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Pankaja Singh

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