अर्थशास्त्र

11वाँ वित्त आयोग | 11वाँ वित्त आयोग की संरचना | 11वाँ वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें

11वाँ वित्त आयोग | 11वाँ वित्त आयोग की संरचना | 11वाँ वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें

11वां वित्त आयोग-

भारतीय संविधान की धारा 280 के अन्तर्गत भारत के राष्ट्रपति ने 3 जुलाई, 1998 को प्रो. ए.एन. खुसरो, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, भूतपूर्व राजदूत तथा कुलपति की अध्यक्षता में ग्यारहवें वित्त आयोग का गठन किया जिसके सदस्य थे। एन.सी. जेन, जे.सी. जेटली, डॉ. अमरीश बाग्ची तथा टी.एन. श्रीनिवासन (सदस्य सचिव) वित्त आयोग की संस्तुतिया। 1 अप्रैल, 2000 से 2005 के लिए प्रभावी रही। आयोग ने अपनी अन्तिम रिपोर्ट 7 जुलाई, 2000 को राष्ट्रपति को दे दी।

11वां वित्त आयोग कुछ प्रमुख सिफारिशें (200005)-

11वें वित्त आयोग की संस्तुतियों की कुछ प्रमुख बातें 11वें वित्त आयोग ने राज्यों के बीच बंटवारे के लिए जो आधार लिया वे इस प्रकार थे।

राज्यों के हिस्सा निर्धारण के सम्बन्ध में प्रयुक्त भार (Weights)% में

कसौटी- (क) जनसंख्या (ख) आय की दूरी (Income distance) (ग) कर प्रयास (घ) अवस्थापना (ङ) क्षेत्रफल (च) राजकोषीय अनुशासन

दसवाँ वित्त आयोग- 20% 60 1055

ग्यारहवा वित्त आयोग –10% 62.5 5.0 7.5 7.5 7.5

आठवें, नवें तथा दसवें वित्त आयोग द्वारा प्रयुक्त एकीकृत सूत्र को पीछे सारिणी में प्रदर्शित किया गया है।

11 वें आयोग ने यह सुझाव दिया कि संघीय सूची में उल्लिखित सभी करों तथा शुल्कों की निवल प्राप्ति का 28% राज्यों के बीच आबंटनीय समग्र अंश होगा, पर इसमें 268 तथा 269 में उल्लिखित कर तथा शुल्क नहीं आयेंगे और चूँकि 80 वे संशोधन के बाद धारा 272 को समाप्त कर दिया गया है इसलिए एडीशन इक्साइज ड्यूटीज ऐक्ट 1957 के अन्तग्रत लगायी गयी अतिरिक्त उत्पाद शुल्क से प्राप्ति को राज्यों को नहीं अभ्यर्पित किया जा सकता क्योंकि अब इनमें प्राप्तियाँ केन्द्र सरकार की कर राजस्व में सम्मिलित होंगी और अब ये राज्यों के साथ आबंटनीय होंगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए आयोग ने इदसकी संस्तुति की कि आबंटनीय संघीय करों तथा शुल्कों का 15% अलग रूप से राज्यों को आबंटित कर दिया जाय, इस प्रकार इसे लेकर अब सम्पूर्ण करों तथा शुल्कों का 29.5% (28% + 1.5%) राज्यों के बीच आबंटित कर दिया जाये। पर आयोग ने यह भी संस्तुति की कि यदि कोई राज्य चीनी, टेक्सटाइल तथा तम्बाकू पर बिक्री कर लगाता है तथा उसकी वसूली करता है तो उसे 1.5% मे हिस्सा नहीं प्राप्त होगा। आयोग की संस्तुति के अनुसार राज्यों के बीच कुल आबंटनीय राशि 37631801 लाख रुपये होना था।

बंटवारें में हिस्सा प्राप्ति की दृष्टि 5 बड़े राज्य थे (लाख रूपये में आबंटन)

उत्तर प्रदेश – 19.798% – 7450156

बिहार – 14.597% – 5493590

मध्य प्रदेश – 8.838% – 3325898

पश्चिम बंगाल – 8.838% – 3325898

आंध्र प्रदेश – 7.701% – 2898025

कुल राजस्व बंटवारे का लगभग 43% उत्तर प्रदेश बिहार तथा मध्य प्रदेश को गया।

आयोग ने सुझाव दिया कि कृषि मंत्रालय के अन्तर्गत एक नेशलन सेन्टर फार कलेमिटी मैनेजमेण्ट’ स्थापित किया जाय जो स्वतंत्ररूप से बिना केन्द्र तथा राज्य सरकारों से सन्दर्भित हुए ही प्राकृतिक तथा अन्य सभी प्रकार की विपदाओं का अनुश्रवण (Monitor) करें तथा केन्द्र द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता के सम्बन्ध में अपनी संस्तुति करे।

10वें वित्त आयोग ने ‘नेशनल कलेमिटी कन्टिजन्सी फण्ड’ के सृजन का सुझाव दिया जिसमें 500 करोड़ रूपये की प्रारम्भिक राशि केन्द्र सरकार द्वारा लगायी जायेगी तथा बाद में संघीय करों तथा शुल्कों पर अधिभार के द्वारा इसे पूरा किया जायेगा। आयोग की संस्तुति पर पहले से चली आ रही राष्ट्रीय कैलेमिटी कोष की वर्तमान व्यवस्था समाप्त कर दी गयी है, नेशनल कलेमिट कन्टिजेन्सी फण्ड योजना प्रारम्भ कर दी गयी है।

पूर्ववर्ती आयोगों से हटकर 11 वें वित्त आयोग ने यह सुझाव दिया है कि केन्द्र से राज्यों को राजस्व अन्तरण का स्तर निर्धारित करते समय सभी अन्तरणों पर समग्र रूप से विचार किया जाए तथा उनके घटक, यथा कर अन्तरण, सहायता अनुदान तथा योजना अनुदान जैसे अन्य रूपों में अनुदान के स्तर का निर्धारण करने के लिए आयोग ने सुझाव दिया है कि केन्द्रीय करों/शुल्कों सहायता अनुदानों और योजना अनुदानों के अन्तरण की कुल राशि की सांकेतिक सीमा केन्द्र की सकल राजस्व प्राप्ति के 37.5 प्रतिशत पर निर्धारित होनी चाहिए।

आयोग ने यह प्रस्ताव किया है कि वर्तमान ऋण राहत योजना, जो कि राज्य के राजस्व व्यय के प्रति राजस्व प्राप्ति के अनुपात में सुधार से सम्बद्ध है, को और अधिक प्रोत्साहनों के साथ जारी रखा जाए। आयोग ने सुरक्षा पर किये गये विनिर्दिष्ट व्यय के आधार पर पंजाब और जम्मू और कश्मीर को ऋण राहत की सिफरिश की है।

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Pankaja Singh

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