राजनीति विज्ञान

संविधानों का वर्गीकरण | Classification of Constitutions in Hindi

संविधानों का वर्गीकरण | Classification of Constitutions in Hindi

संविधानों का वर्गीकरण

(Classification of Constitutions)

संविधानों का वर्गीकरण राजनीतिशास्त्रियों ने विभिन्न आधारों पर किया है। ये वर्गीकरण निम्नलिखित हैं:-

  1. गोलिक आधार (Geographical basis)-

भौगोलिक आधार पर संविधानों के दो रूप पाये जाते हैं, जिन्हें हम एकात्मक संविधान और संघात्मक संविधान कह सकते हैं।

एकात्मक संविधान (Unitary Constitution)- यह वह संविधान जो केन्द्रीय सरकार को ही सर्वोच्च एवं एकमात्र सत्ता स्वीकार करता है; जैसे- ब्रिटेन का संविधान ।

संघात्मक संविधान (Federal Constitution)- यह वह संविधान है, जो प्रशासनिक अधिकारों को केन्द्र और इकाइयों में विभक्त कर देता है; जैसे-अमेरिका और भारत के संविधान ।

  1. संशोधनात्मक आधार-

इस आधार पर भी संविधान को अग्रलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-

  1. सुपरिवर्तनशील संविधान (Flexible Constitution)- सुपरिवर्तनशील संविधान वह संविधान है, जिसे सुगमतापूर्वक संशोधित किया जा सके, अर्थात् सुपरिवर्तनशील संविधान में सांविधानिक विधि और साधारण विधि में कोई मौलिक अन्तर नहीं रखा जाता। ब्रिटेन का संविधान इसका उदाहरण है।

2 दुष्परिवर्तनशील संविधान (Rigid Constitution)- जो संविधान सरलता से संशोधित नहीं होता और जिसके संशोधन में विशेष प्रकार की पद्धतियों का सहारा लेना पड़ता है, उसको दुष्परिवर्तनशील संविधान कहते हैं। इसके संशोधन में जटिल प्रक्रिया अपनायी जाती है। सेट (Sait) ने कहा है, “दुष्परिवर्तनशील संविधान को साधारण कानूनों से ऊँचा स्थान प्राप्त रहता है और उसमें परिवर्तन लाने में कठिनाई होती है।” स्ट्राँग के अनुसार, “वह संविधान जो बिना टूटे संशोधित नहीं होता, दुष्परिवर्तनशील संविधान है।” डायसी के विचार में, “दुष्परिवर्तनशील संविधान वह संविधान है, जिसमें सांविधानिक कानून साधारण कानून की तरह बदले नहीं जा सकते।”

(iii) लिखित।

(iv) पवित्रता।

  1. सरकार के रूप का आधार (Basis of the Forms of Government)

इस आधार पर संविधान को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया गया हैं:-

  1. संसदीय संविधान (Parliamentary Constitution)– संसदीय संविधान को मंत्रिमण्डलात्मक संविधान के नाम से भी पुकारा जाता है। इस संविधान के अन्तर्गत राज्य का प्रधान सांविधानिक प्रधान होता है। ऐसे संविधान में मंत्रिमण्डल अपनी प्रशासकीय कृतियों एवं दायित्वों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी रहता है। भारत तथा इंग्लैण्ड में मंत्रिमण्डलात्मक संसदीय संविधान है।
  2. अध्यक्षात्मक संविधान (Presidential Constitution) अध्यक्षात्मक संविधान में राज्य का प्रधान कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान होता है। इसमें कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। अमेरिका का संविधान अध्यक्षात्मक संविधान का उदाहरण है।

4. स्पष्टताका आधार (Basis of Clarity)

इस आधार पर भी संविधान को दो भागों में बाँटा जा सकता है-1. लिखित संविधान (Written Constitution), (2) अलिखित संविधान (Unwritten Constitution)।

1.लिखित संविधान (Written Constitution) – जिस संविधान के सिद्धान्त, स्वरूप और नियम स्पष्ट रूप से एक स्थान पर लिपिबद्ध रहते हैं, उसे हम लिखित संविधान कहते है। लिखित संविधान की परिभाषा देते हुए गार्नर ने बताया है-“लिखित संविधान उसे कहते हैं जिसके आधारभूत उपबन्ध एक या अनेक लेखपत्रों में लिखे होते हैं।” इस प्रकार लिखित संविधान के अन्तर्गत राज्य के स्वरूप, संगठन, नागरिकों के अधिकार तथा कर्त्तव्य, राज्य तथा नागरिकों के बीच सम्बन्ध इत्यादि विषयों का स्पष्ट रूप से उल्लेख कर दिया जाता है। ऐसे संविधान का निर्माण किसी निश्चित समय में काफी सोच- समझकर एक संविधान-सभा द्वारा किया जाता है। भारत, अमेरिका, सोवियत रूस, फ्रांस इत्यादि देशों के संविधान इसके उदाहरण हैं। लिखित संविधान का विकास न होकर निर्माण होता है, जबकि अलिखित संविधान का विकास होता है।

  1. अलिखित संविधान (Unwritten Constitution)- जो संविधान मुख्यतः जनश्रुतियों, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और अभिसमयों पर आश्रित रहता है, उसे हम अलिखित संविधान कहते है। लिखित संविधान के सदृश इसका निर्माण किसी निश्चित सभा द्वारा एक विशेष परिस्थिति में नहीं होता। अलिखित संविधान विकसित होता है। इसके अन्तर्गत सरकार के अंगों के संगठनों, अधिकारों, कार्यक्रमों, नागरिक अधिकारों इत्यादि को लिखित रूप नहीं दिया जाता। प्रो० गार्नर ने कहा है कि, “अलिखित संविधान वह है, जिसकी अधिकांश बातें कभी किसी पत्र या लेखपत्रों के संग्रह में लिखी हुई नहीं होतीं।” उदाहरण के लिए, हम ब्रिटेन के संविधान को ले सकते हैं, जो रीति-रिवाजों, परम्पराओं और न्यायिक नियंत्रणों पर आश्रित है।

5. निर्माण का आधार

इस आधार पर भी संविधान को दो भागों में बाँटा गया है-1. विकसित संविधान (Evolved Constitution), 2. निर्मित संविधान (Enacted Constitution)|

  1. विकसित संविधान (Evolved Constitution)- जो संविधान विकास के क्रम में अपने अस्तित्व में आता है, उसे साधारण बोलचाल की भाषा में विकसित संविधान कहते हैं। विकसित संविधान ऐतिहासिक होता है। इसके मौलिक सिद्धान्त और स्वरूप किसी निश्चित अवधि के अन्तर्गत निर्धारित नहीं किये नाते। यह इतिहास के क्रमिक विकास का परिणाम होता है, इसलिए इतिहास में वर्णित घटनाएँ संविधान का आधार हो जाती है। उदाहरण के लिए हम ब्रिटेन के संविधान को ले सकते हैं।
  2. निर्मित संविधान (Enacted Constitution)- जिस संविधान का निर्माण सोच-समझ कर किया गया हो, उसे साधारण बोलचाल की भाषा में निर्मित संविधान कहते हैं। यह संविधान एक निश्चित अवधि में एक निश्चित सभा और निकाय द्वारा बनाया जाता है। निर्मित संविधान की प्रमुख विशेषता यह है कि यह बनाया हुआ होता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका और भारत का संविधान निर्मित संविधानों के उदाहरण हैं।
  3. स्थायित्व का आधार (Basis of Stability)

स्थायित्व के आधार पर संविधान के दो प्रकार है-1. स्थायी संविधान (Stable Constitution), 2. अस्थायी संविधान (Unstable Constitution)|

  1. स्थायी संविधान (Stable Constitution)- जो संविधान बहुत दिनों तक स्थायी प्रमाणित हुआ हो, वह स्थायी संविधान कहलाता है; जैसे-अमेरिका और भारत के संविधान ।
  2. अस्थायी संविधान (Unstable, Constitution)- जो संविधान सदैव बदलता रहे, वह अस्थायी संविधान कहलाता है; जैसे-फ्रांस, पाकिस्तान और नेपाल के संविधान।
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Pankaja Singh

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