राजनीति विज्ञान

विकसित और निर्मित संविधानों के अन्तर | विकसित संविधान | विकसित संविधान के गुण | विकसित संविधान के अवगुण | निर्मित संविधान

विकसित और निर्मित संविधानों के अन्तर | विकसित संविधान | विकसित संविधान के गुण | विकसित संविधान के अवगुण | निर्मित संविधान

विकसित और निर्मित संविधानों के अन्तर

  1. विकसित संविधान

(Evolved Constitution)

जो संविधान विकास के क्रम में अपने अस्तित्व में आता है, उसे साधारण बोलचाल की भाषा में विकसित संविधान कहते हैं। विकसित संविधान ऐतिहासिक होता है। इसके मौलिक सिद्धान्त और स्वरूप किसी निश्चित अवधि के अन्तर्गत निर्धारित नहीं किये नाते। यह इतिहास के क्रमिक विकास का परिणाम होता है, इसलिए इतिहास में वर्णित घटनाएँ संविधान का आधार हो जाती है। उदाहरण के लिए हम ब्रिटेन के संविधान को ले सकते हैं।

विकसित संविधान के गुण (Merits)- 

विकसित संविधान के गुणों को हम निम्नलिखित रूपों में रख सकत है:-

(i) विकसित संविधानों में संशोधन के लिए किसी विशिष्ट प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए समय और परिस्थिति के अनुसार इसमें संशोधन होता रहता है।

(ii) विकसित संविधान हमेशा गतिशील होता है। यह समय की गति को पहचानकर अपनी गति में भी परिवर्तन ला देता है।

(iii) विकास संविधान सामाजिक और राजनीतिक क्रांति को रोक देता है।

(iv) ऑग के विचार में, “ब्रिटिश संविधान एक सचेष्ट जीवधारी के समान है, जिसमें निरन्तर तथा स्थायी विकास की क्षमता है।” (The British Constitution is a living organism) ।

विकसित संविधान के अवगुण (Demerits)-

(i) विकसित संविधान का सबसे बड़ा दोष यह है कि यह क्षणिक आवेश का शिकार हो जाता है और राजनीतिज्ञ इससे अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं।

(ii) विकसित संविधान कोई निश्चित संविधान नहीं होता; क्योंकि इसमें समय तथा परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन होता रहता है।

(iii) विकसित संविधान, चूँकि परम्पराओं, अभिसमयों और लोकाचारों पर आधृत होता है, इसलिए यह रूढ़िवादी (Conservative) होता है, जो बदलते हुए युग के साथ मेल नहीं खाता।

  1. निर्मित संविधान

(Enacted Constitution)

जिस संविधान का निर्माण सोच-समझ कर किया गया हो, उसे साधारण बोलचाल की भाषा में निर्मित संविधान कहते हैं। यह संविधान एक निश्चित अवधि में एक निश्चित सभा और निकाय द्वारा बनाया जाता है। निर्मित संविधान की प्रमुख विशेषता यह है कि यह बनाया हुआ होता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका और भारत का संविधान निर्मित संविधानों के उदाहरण हैं।

विकसित और निर्मित संविधानों के अन्तर की आलोचना (Criticisms of the difference between evolved and enacted Constitutions)-

आलोचकों की सम्मति में विकसित और निर्मित संविधानों का उपर्युक्त अन्तर न्यायसंगत नहीं है। उनका कहना है कि विश्व का कोई भी संविधान न तो पूर्णतः विकसित हो सकता है और न पूर्णत: निर्मित ही। उदाहरण के लिए, हम ब्रिटेन के संविधान को ले सकते हैं, जिसमें विकसित तथा निर्मित दोनों तत्वों का समन्वय है। अमेरिका का संविधान भी एक निर्मित संविधान है, फिर भी उसमें दलीय पद्धति तथा राष्ट्रपति के निर्वाचन के सम्बन्ध में अनेक महत्वपूर्ण सांविधानिक विकास हुए हैं। अतः स्पष्ट है कि ब्रिटिश संविधान विकसित है, फिर भी वहाँ लिखित तत्व विद्यमान हैं और अमेरिकी संविधान मुख्यत: लिखित है, लेकिन वहाँ भी अनेक विकसित तत्व दृष्टिगोचर होते हैं। इसलिए विश्व का कोई भी संविधान पूर्णतः विकसित अथवा निर्मित नहीं है।

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Pankaja Singh

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