हिंदी साहित्य का इतिहास

निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र | निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र का मूल्यांकन

निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र | निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र का मूल्यांकन

निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र

डॉ० नगेन्द्र विद्वान, समीक्षक, निबन्धकार, विचारक, अध्यापक, लेखक, सम्पादक, अनुवाद आदि रूप में प्रसिद्ध हैं। डॉ० नगेन्द्र हृदय से निबन्धकार तथा स्वभाव से समीक्षक हैं अतः इनके निबन्धों में वैयक्तिक सहृदयतातथा पाण्डित्यपूर्ण प्रतिमा का अद्भुत समन्वय मिलता है। डॉ० नगेन्द्र ने सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन से सर्वथा दूर रहकर अपना सम्पूर्ण जीवन साहित्य- साधना तथा अध्ययन अध्यापन में लगाया है, अतः गम्भीर अध्ययन तथा उत्तरोत्तर विकासशील तार्किक प्रतिभा के कारण जहाँ डॉ. नगेन्द्र ने प्रारम्भिक निबन्धों के विषय को सरल तथा व्यावहारिक शैली के द्वारा व्यक्त करने की क्षमता दिखाई है वहीं इनके बाद के निबन्धों के विषय की गहनता तथा विश्लेषण की प्रधानता होने के कारण इनमें गम्भीरता भी हैं जहाँ पहले के निबन्धों में पाठकों के सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती हैं वहीं इनके बाद के निबन्ध विद्वानों को गम्भीर विश्लेषण करने की पर्याप्त सामग्री प्रदान करते हैं परन्तु डॉ० नगेन्द्र के दोनों ही कोटि के निबन्धों में विषय को उचित उद्धरणों द्वारा पूर्णता प्रदान की गयी है।

डॉ० नगेन्द्र निबन्ध को कलापूर्ण अभिव्यक्ति मानते हैं। नगेन्द्र जी अन्य विषयों को सूक्ष्म-दृष्टि से परखकर और उसे आत्मसात् करिके दृढ़ता के साथ कलात्मक ढंग से इस प्रकार अभिव्यक्त करते हैं कि पाठक पर उसका पर्याप्त प्रभाव पड़े और पाठक उसे पढ़ते-पढ़ते मन्त्र मुग्ध सा हो जाये। डॉ० नगेन्द्र के निबन्धों में विषयों से सम्बन्धित सभी शंकाओं का विविध प्रकार से समाधान करके विषय को सामान्य पाठकों के लिए भी ग्राह्य बनाया गया है। हिन्दी में इस प्रकार के परिसम्वादत्मक निबन्ध कम ही पाए जाते हैं। डॉ० नगेन्द्र के निबन्ध कलात्मक अभिव्यक्त के हैं, इस कारण इनके निबन्ध में इनके व्यक्तित्व की पूरी छाप है, इस कारण इसमें यथास्थान व्यंग्य के भी दर्शन हो जाते हैं। इनके निबन्ध व्यक्तित्व की पूरी छाप है, इस कारण इसमें यथास्थान व्यंग्य के भी दर्शन हो जाते हैं इनके निबन्ध में के उदाहरण से देखा जा सकता है- ‘तब भगवती प्रसाद वाजपेयी का नम्बर आया, अपने गोलाकार मुखमण्डल को थोड़ा और गोल करते हुए बोलें।

डॉ० नगेन्द्र का परिचय-

डॉ० नगेन्द्र का जन्म अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के नगाइच में हुआ। इनके पिता का नाम राजेन्द्र था। पिता के नाम के आधार पर उनका नाम ‘नागेन्द्र’ रखा गया। बाद में इस नाम में कुछ शिथिलता अनुभव करके इन्होंने अपना नाम नगेन्द्र रख लिया। इनका जन्म संवत् 1971 वि० (सन् 1914) में हुआ। नगेन्द्र जी की शिक्षा का आरम्भ घर पर हुआ। हाईस्कूल और इण्टर परीक्षाएँ उत्तीर्ण करके नगेन्द्र जी आगरा के सेंट जोन्स कॉलेज के विद्यार्थी बने। यहाँ से आपने अंग्रेजी में एम०ए० और नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम०ए० परीक्षा उत्तीर्ण की। आपने पी0एच0डी के लिए अपना शोध प्रबन्ध ‘रीति काव्य की भूमिका तथा देव और उनकी कविता’ शीर्षक से प्रस्तुत किया। परीक्षकों ने इसे पी०एच०डी० की अपेक्षा उच्च कोटि का समझकर डी०लिट० उपाधि देने की प्रस्तुति की। आगरा विश्वविद्यालय ने आपको डी०लिट की उपाधि से विभूषित किया।

आपने दिल्ली के कामिर्शयल कॉलेज से अध्यापक का जीवन आरम्भ किया। इस पद पर अनेक वर्ष तक काम करने के बाद आप भारतीय रेडियो स्टेशन, दिल्ली पर चले गये। बाद में डॉ० नगेन्द्र दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर रहे और यहीं से सेवानिवृत्त हुए।

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Pankaja Singh

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