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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम | Mahatma Gandhi National Rural Employment Gurantee Act in Hindi

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम | Mahatma Gandhi National Rural Employment Gurantee Act in Hindi

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम

(Mahatma Gandhi National Rural Employment Gurantee Act-MNREGA)

ग्रामीण बेरोजगारी, भूख और गरीबी से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2 फरवरी, 2006 को आंध्र प्रदेश के अन्नतपुर जिले से किया , पहले चरण में वर्ष 2006-07 के दौरान देश के 27 राज्यों के 200 चुनिंदा जिलों में इस योजना का कार्यान्वयन किया गया था। इसमें सर्वाधिक 23 जिले बिहार के सम्मिलित थे, जबकि गोआ के 2 जिलों में से कोई भी जिला इसमें शामिल नहीं था पहले चरण के कार्यान्वयन के लिए चयनित 200 जिलो में वह 150 जिले शामिल थे, जहाँ काम के बदले अनाज (Food for work) कार्यक्रम पहले से चल रहा था ‘काम के बदले अनाज योजना व संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना- का विलय अब इस नई योजना में कर दिया गया है। 1 अप्रैल 2008 से इस योजना को संपूर्ण देश में लागू कर दिया गया है, वर्तमान में 684 जिलों के 6863 विकासखण्डों की 262839 ग्राम पंचायतों में लागू है।

इस योजना के तहत चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को वर्ष में कम से कम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार की गांरटी दी गई है। (प्रत्येक परिवार एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनो का रोजगार प्राप्त कर सकता है तथा इसका विभाजन परिवार के वयस्क सदस्यों के बीच किया जा सकता है। जिन आदिवासियों को वन अधिकारों अधिनियम, 2006 के तहत कतिपय अधिकार प्राप्त हुए हैं वे किसी वर्ष अधिकतम 100 दिवस का रोजगार प्राप्त कर लेने के उपरांत 50 अतिरिक्त दिनों का गारण्टीयुक्त रोजगार प्राप्त कर सकते है इन्हें अलग रंग का जॉब कार्ड दिया गया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसी वित्तीय वर्ष में गारण्टी युक्त रोजगार दिवसों को 100 से बढ़ाकर 150 कर दिया है राज्यों में कृषि श्रमिकों के लिए लागू वैधानिक न्यूनतम मजदूरी का भुगतान इसके लिए किया जाता है जो 60 से कम नहीं होगी वर्ष 2011-12 (नवम्बर 2011 तक) में वास्तविक मजदूरी दर को बढ़ाकर 120 प्रतिदिन कर दिया गया है।

केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (NREGA) का नाम 2009 में बदलकर अब औपचारिक रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) कर दिया गया है।

केन्द्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना- ‘मनरेगा’ (MNREGA) के तहत मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी की दरों को खेतिहर मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index for Agricultural Labourers) से सम्बद्ध करने की घोषणा 6 जनवरी 2011 को की थी।

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने की केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘मनरेगा’ (MNREGA) योजना के तहत वर्ष 2016-17 के दौरान 5.109 करोड़ परिवारों तथा 7.64 करोड़ व्यक्तियों को रोजागर उपलब्ध कराए गए, कुल मिलाकर 234.56 करोड़ श्रम दिवस रोजगार का सृजन संदर्भित वर्ष में इस योजना के तहत किया गया जिनमें से 56.11% महिला, 21.28% अनुसूचित जाति तथा 17.57% अनुसूचित जनजाति के लिए थे वर्ष 2012-13 के बजट में रु. 33,000 करोड़ का आवंटन इस योजना के लिए किया गया है वर्ष 2013-14 के बजट में इस योजना हेतु रु. 33,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है वर्ष 2014-15 के लिए कुल आवंटन रु. 34,000 करोड़ है जिसे 2015-16 में बढ़ाकर 34,699 करोड़ किया गया है 2016-17 के बजट में मनरेगा के लिए रु. 38,500 करोड़, 2017-18 में रु. 48,000 करोड़ तथा 2018-19 में 55,000 करोड़ कर दिया गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे निर्धनता निवारण के जीवन्त स्मारक (लिविंग मोनूमेन्टस) की संज्ञा दी है। 1 अप्रैल 2012 से मनरेगा के अंतर्गत भुगतान की जाने वाली मजदूरी की दरों को कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर संशोधित किया गया है-

मनरेगा के अंतर्गत 2013-14 ई. तक जाति प्रति परिवार कार्य दिवस 46 दर्शाये गये है। इसमें महिलाओं के कार्य दिवस 52.9 प्रतिशत है।

देश के विभिन्न राज्यों में मनरेगा के कार्य दिवस एवं महिलाओं का प्रतिशत

राज्य सृजित कार्य दिवस  2013 – 14 महिलाओं का प्रतिशत 2013 – 14
आंध्र प्रदेश 50 58.7%
बिहार 42 34.9%
गुजरात 40 44.0%
हरियाणा 36 41.0%
मध्य प्रदेश 42 42.1%
उत्तर प्रदेश 35 22.2%
राजस्थान 51 67.8%
पंजाब 33 52.8%
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Pankaja Singh

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