चौदहवें वित्त आयोग | चौदहवें वित्त आयोग का विस्तार से वर्णन | 14th Finance Commission in Hindi
चौदहवें वित्त आयोग
वर्ष 2015-20 की अवधि में केंद्र एवं राज्यों के बीच वित्त के बंटवारे के लिए सुझाव देने हेतु गठित 14 वें वित्त आयोग ने 15 दिसम्बर, 2014 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी। इस आयोग का गठन 2 जनवरी, 2013 को किया गया था। आरबीआई के भूतपूर्व गवर्नर डॉ. वाई.वी. रेड्डी (Dr: Y.V. Reddy) को इसका अध्ययक्ष नियुक्त किया गया है। प्रो. अभिजीत सेन को अंशकालिक सदस्य, सुषमा नाथ, एम. गोबिन्द राव तथा सुदिप्तो मंडल को आयोग का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया गया है।
अजय नारायण झा आयोग के सचिव हैं। आयोग की रिपोर्ट अनुच्छेद 281 के तहत 24 फरवरी, 2015 को संसद में प्रस्तुत की गयी। आयोग की सिफारिशों की क्रियान्वयन अवधि 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 तक है। वित्त आयोग ने अपनी संस्तुति के लिए वर्ष 2014-2015 को आधार वर्ष स्वीकार किया है। रिपोर्ट में वर्ष 2015-2020 के दौरान 13.5 प्रतिशत की सामान्य जीडीपी (GDP) संवृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। आयोग ने राजकोषीय घाटे में वर्ष 2016-17 तक के अनुपात के रूप में 3 प्रतिशत तक की कमी होने का अनुमान व्यक्त किया है। रिपोर्ट में केंद्र का राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2014-15 के 2.9 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019-20 तक जीडीपी के 0.93 प्रतिशत तक होने का अनुमान है।
आयोग के अनुसार, सकल राजस्व प्राप्तियों में राज्यों को दिए जाने वाले अनुदानों और अनुदानों के अंश और कर अंतरण में वर्ष 2014-15 में 48 प्रतिशत से वृद्धि होकर वर्ष 2019- 20 में 50 प्रतिशत होने की उम्मीद है। वित्त आयोग ने निवल केन्द्रीय करों में राज्यों का हिस्सा बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की संस्तुति की है। ज्ञातव्य हो कि 13वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा 32 प्रतिशत निर्धारित किया था। यह पहली बार है कि कर संग्रह में से राज्यों को मिलने वाली हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश की गई। आयोग ने क्षैतिजीय हस्तांतरण के लिए निम्न कसौटियां चुनी हैं।
कसौटी 1. जनसंख्या (1971) 2. जनसांख्यिकीय परिवर्तन 3. आय अंतराल/ राजकोषीय क्षमता 4. राज्य क्षेत्रफल 5. वनाच्छादन
भार 17.5% 10.0% 50.0% 15.0% 7.5%] आयोग ने सर्वाधिक भार आय अंतराल को दिया है। 12वें तथा 13वें वित्त आयोग द्वारा प्रयोग में लायी गई कसौटियां इस प्रकार थीं।
आधार 1. जनसंख्या (1971) 2. क्षेत्रफल 3. आय अंतराल 4. कर प्रयास 5. राजकोषीय अनुशासन
12वां भार- 25+ 10% 50% 7.5% 7.5%
13वां भार- 25% 10% 47.5% 17.5%
आयोग की सिफारिश के तहत केंद्रीय कर अंतरण पूल में सर्वाधिक हिस्सेदारी पाने वाले 3 राज्य होंगे-उत्तर प्रदेश (17.959%) बिहार (9.66 5%) तथा मध्य (7.548%)। केंद्रीय कर अंतरण पूल में न्यूनतम हिस्सेदारी पाने वाले 3 राज्य क्रमशः सिक्किम (0.367%), गोवा (0.378%) तथा मिजोरम (0.460%) हैं। जम्मू एवं कश्मीर में सेवा कर न लगने के कारण 28 राज्यों में ही इसका वितरण किया जाएगा। सेवा कर में सर्वाधिक हिस्सा पाने वाला राज्य सिक्किम (0.369%) है। आयोग का सुझाव है कि क्षेत्रीय निकायों हेतु राज्यों को वर्ष 2011 की जनसंख्या पर 96% भारिता तथा क्षेत्रफल पर 10% भारिता प्रदान करते हुए अनुदानों का वितरण किया जाए। राज्यों को दिया जाने वाला अनुदान दो घटकों में विभाजित किया जायेगा।
- विधिवत गठित ग्राम पंचायतों को अनुदान 2. विधिवत गठित नगर पालिकाओं को अनुदान आयोग ने विधिवत गठित ग्राम पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिए अनुदान को दो हिस्सों में प्रदान किया है।
- मूल अनुदान के रूप में (Basic Grant) 2. कार्य निष्पदान अनुदान (Perfor- mance grant) ग्राम पंचायात को दिए जाने वाले अनुदान का 90 प्रतिशत मूल अनुदान होगा जबकि 10 प्रतिशत अनुदान कार्य-निष्पादन के आधार पर दिया जाएगा। नगर पालिकाओं के मामले में मूल एवं निष्पादन अनुदान में बंटवारा 80:20 के अनुपात में होगा। आयोग ने वर्ष 2015- 2020 की अवधि के लिए 2,87, 436 करोड़ रूपये के अनुदान की गणना की है जो कि एक समुच्चय स्तर पर 4868 रूपये प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष बनती है।
इसमें से पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिए क्रमशः 2,00,292.00 करोड़ रूपये तथा 87,143.80 करोड़ रूपये के अनुदान की सिफारिश की गयी है। आयोग ने 11 राज्यों के राजस्व घाटे की आपूर्ति के लिए 5 वर्षों में कुल 1,94821 करोड़ रूपये अनुदान की सिफारिश की है। ये ग्यारह राज्य हैं-आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल। इस अनुदान में सर्वाधिक 59,666 करोड़ रूपये जम्मू एवं कश्मीर के लिए है।
उल्लेखनीय है कि आयोग ने राजस्व घाटा अनुदान के संदर्भ में पूर्व वित्त आयोगों से भिन्न मार्ग अपनाते हुए योजना और गैर-योजना अनुदानों में कोई अंतर किए बिना संपूर्ण राजस्व व्यय आवश्यकताओं उन्हें अंतरित करों तथा राज्यों की राजस्व प्राप्ति क्षमता को ध्यान में रखते हुए ‘पञ्च अंतरण राजस्व घाटा (Post Devolution Revenue Deficit Grants) की अनुशंसा की है। आयोग ने अवॉर्ड अवधि के लिए सभी राज्यों की राज्य आपदा राहत निधि (SDRF) में कुल संग्रह राशि के रूप में 61,219 करोड़ रूपये की राशि की सिफारिश की है। आयोग ने सिफारिश की है कि SDRF में सभी राज्यों का योगदान 10 प्रतिशत तथा केन्द्र का योगदान 90 प्रतिशत होगा। इस निधि में उपलब्ध निधियों के 10 प्रतिशत तक की निधियों का राज्य द्वारा ऐसी आपदा में प्रयोग किया जा सकता है जिन्हें राज्य अपनी स्थानीय सीमा के भीतर ‘आपदा के रूप में समझते हैं और जो गृह मंत्रालय की आपदाओं से संबधित अधिसूची में नहीं हैं।
राज्यों को सहायता अनुदान- 1. स्थानीय सरकार (सभी 29 राज्य) 2. आपदा प्रबंधन (सभी 29 राज्य) 3. पश्च अंतरण राजस्व घाटा (11 राज्य)
करोड़ रूपये- 2,87,436 55,097 1,94,821 = 5,37,354
वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद प्रथम तीन वर्षों में राज्यों का 100 प्रतिशत क्षतिपूर्ति चौथे वर्ष में 75 प्रतिशसत क्षतिपूर्ति तथा पांचवें एवं अंतिम वर्ष में 50 प्रतिशत क्षतिपूर्ति का भुगतान करने की सिफारिश की गई है। आयोग ने स्वतंत्र राजकोषीय परिषद’ के गठन की सिफारिश की है जो राजकोषीय स्थिति की निगरानी करेगी। आयोग ने राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM) में बदलाव का सुझाव दिया है ताकि ऋण की अधिकतम सीमा निर्धारित की जा सके। आयोग ने सिफारिश की है कि संघ सरकार तथा आरबीआई (RBI) नियमित रूप से तथा तुलनात्मक आधार पर संघ और राज्य सरकारों के सार्वजनिक ऋण पर एक द्विवर्षीय रिपोर्ट प्रकाशित करें और उसे सार्वजनिक करें। सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों में विनिवेश से मिलने वाले धन का एक हिस्सा राज्यों को भी देने की सिफारिश की गई है। सड़क क्षेत्र के लिए हाइवे टोल निर्धारित करने और सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए एक स्वतंत्र विनियामक’ बनाने की सिफारिश की गई है।
राज्यों को 42 प्रतिशत के उच्चतर अंतरण के लिए 30 योजनाओं की पहचान की गई है जिन्हें राज्यों को सौंपने की आवश्यकता है। आयोग ने घरेलू सिंचाई तथा अन्य उपभोग के लिए पानी की कीमत तय करने के लिए ‘जल नियामक प्राधिकरण बनाने की सिफारिश की है। विद्युत उपभोक्ताओं के लिए समयवद्ध रूप में 100 प्रतिशत मीटरिंग को पूरा करने की सिफारिश की गई है। केन्द्र सरकार ने आयोग की अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। आयोग की सिफारिशों पर केन्द्र सरकार के आदेश, राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त करने के पश्चात जारी किए जाएंगें।
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