उद्यमिता और लघु व्यवसाय

अधिग्रहण से आशय | अधिग्रहण के कारण | अधिग्रहण के लाभ | अधिग्रहण की हानियाँ | अधिग्रहण की समस्याएँ

अधिग्रहण से आशय | अधिग्रहण के कारण | अधिग्रहण के लाभ | अधिग्रहण की हानियाँ | अधिग्रहण की समस्याएँ | Meaning of Acquisition in Hindi | Due to acquisition in Hindi | acquisition benefits in Hindi | Acquisition Losses in Hindi | acquisition problems in Hindi

अधिग्रहण से आशय

(Meaning Takeovers or Acquisitions)

अधिग्रहण व्यूहरचना में एक कम्पनी दूसरी कम्पनी को पूर्ण रूप से या उसके किसी एक भाग को खरीद लेती है। अधिग्रहण में खरीदी गई कम्पनी के अंशधारी को किसी भी प्रकार का अंश निर्गमन नहीं किया जाता है बल्कि बोली लगाकर (Bid) कम्पनी को खरीद लिया जाता है। इसमें उस कम्पनी का अधिग्रहण किया जाता है जो कार्यरत होती है। उदारीकरण के पश्चात् कम्पनियों द्वारा अपने विचार विस्तार करने का यह सबसे प्रचलित तरीका हो गया है। कभी-कभी अधिग्रहण में खरीदी गई कम्पनी से सम्बन्धित पक्षों के हितों की अनदेखी की जाती है। अधिग्रहण मित्रता या विरुद्धता से किया जा सकता है। प्रायः विरुद्धता से किए गए अधिग्रहण को टेकओवर कहा जाता है। अधिग्रहण करने के लिए एक से अधिक कम्पनियाँ होती हैं और इन सभी कम्पनियों में से कोई एक कम्पनी अन्य कम्पनियों के विरुद्ध बोली लगाकर अधिग्रहण करती है। अधिग्रहण से सम्बन्धित कानून सेवी ने बनाया है जिसे Substantial Acquisition of Shares and Takeovers Regulation, 1994 के नाम से जाना जाता है। अधिग्रहण से सम्बन्धित लोगों के विचारों में मतभेद है कुछ लोग इसे आर्थिक एवं व्यावसायिक विकास के लिए हानिकारक मानते हैं। इन सबके बावजूद अधिग्रहण व्यूहरचना को भारतीय कम्पनियों द्वारा सबसे अधिक अपनाया जा रहा है।

उदाहरण- इसका ताजा उदाहरण है टाटा स्टील कम्पनी द्वारा हॉलैण्ड (यूरोप) कीक्षअग्रणी इस्पात कम्पनी कोरस को अधिग्रहित करना। टाटा स्टील ने यह सौदा 11.3 अरब डॉलर में किया। कोरस की सभी देनदारियों सहित यह सौदा 13 अरब डॉलर में पूरा हुआ। टाटा स्टील को पूरी राशि नकद में देनी है। कोरस के अधिग्रहण के साथ ही टाटा स्टील विश्व की पांचवी सबसे बड़ी इस्पात कम्पनी बन गई है।

अधिग्रहण के कारण

(Reasons of Acquisitions)-

एक अधिग्रहणकर्त्ता निम्न कारणों से प्रेरित होकर अधिग्रहण करता है। हांलाकि ये कारण प्रत्येक स्थिति के साथ अलग हो सकते हैं लेकिन विस्तृत रूप में या सामान्यतः इन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-

(a) उत्पादन (Production) से सम्बन्धित निम्न कारण हैं जिनके लिए अधिग्रहण किया जाता है-

(i) नई प्रौद्योगिकी को प्राप्त करने के लिए।

(ii) निर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए।

(iii) अधिग्रहण से परिचालनात्मक सहयोग प्राप्त करने के लिए, जिसके परिणामस्वरूप दरों (Margins) में सुधार होता है एवं प्राप्ति लागत (Procurement Cost) घट जाती है।

(b) विपणन से सम्बन्धित निम्न प्रेरणाएं हैं जिनके लिए अधिग्रहण किया जाता है-

(i) नए ब्रॉण्ड, उत्पाद एवं बाजार को प्राप्त करने के लिए।

(ii) वितरण जाल (Network) को प्राप्त करने के लिए।

(iii) बाजार अंश को बढ़ाने के लिए।

(iv) विपणन एवं वितरण में परस्पर सहयोग प्राप्त करने के लिए।

(c) वित्तीय (Financial) क्षेत्र से सम्बन्धित निम्न प्रेरणाएं होती हैं जिनसे प्रेरित होकर कम्पनी अधिग्रहण करती है।

(i) पूँजी लागत में कमी करने के लिए।

(ii) सत्ता मूल्य में उन्नति करने के लिए।

(iii) नकद आगमन को बढ़ाने के लिए।

(iv) सस्ती कार्यशील पूंजी प्राप्त करने के लिए।

(v) कर लाभ प्राप्त करने के लिए।

अधिग्रहण के लाभ

(Advantages)-

अधिग्रहण के निम्नलिखित लाभ होते हैं-

(i) यह प्रबन्ध के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करता है।

(ii) यह सरलता के विकास के अवसरों को प्रस्तुत करता है।

(iii) यह संसाधनों में गति उत्पन्न करता है।

(iv) यह योजना एवं विचारों के विकास की अवधि को एवं नई परियोजना से सम्बद्ध समस्याओं को कम करता है।

(v) यह निर्बल इकाइयों को जीवित रहने का एक अवसर देता है।

(vi) यह चयनित विनिवेशों (Disinvestments) के लिए विकल्प प्रदान करता है।

अधिग्रहण की हानियाँ

(Disadvantages)-

अधिग्रहण की मुख्यतः निम्न हानियाँ होती हैं-

(i) व्यवसायी के पेशे की जगह पैसा हावी हो जाता है। ये लोग पेशे को दरकिनार करके पैसे को अधिक महत्व देने लगते हैं जो पूरे समाज के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होता है।

(ii) अधिग्रहण समाज के लिए किसी भी वास्तविक सम्पत्ति (Real Estate) का निर्माण नहीं करता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में किसी भी तरह की बढ़ोत्तरी नहीं होती है।

(iii) अधिग्रहण में अल्पमत अंशधारियों के हितों की रक्षा नहीं हो पाती है।

अधिग्रहण की समस्याएँ

(Problems Involved in Takeovers) –

अधिग्रहण की निम्न क्षेत्रों से सम्बद्ध अन्य समस्याएं इस प्रकार हैं, जो अधिग्रहण में बाधा डालती हैं-

(a) व्यवसाय से सम्बद्ध समस्याएं हैं-

(i) बाजार का गलत अनुमान।

(ii) भारतीय मनोविज्ञान को ठीक ढंग से नहीं समझ पाना।

(iii) परस्पर सहयोग का अतिअनुमान लगा लेना।

(b) वित्तीय (Financial) क्षेत्र से सम्बद्ध समस्याएं हैं-

(i) गलत मूल्यांकन।

(ii) आकार का गलत मिलान करना।

(iii) छिपा हुआ दायित्व

(iv) वहन ने करने योग्य लेन-देन लागत।

(v) कोषों का सीमित विकल्प।

(c) वैधानिक (Legal) समस्याएं निम्न हैं-

(i) विधानों की जटिलता से अधिग्रहण में समस्या उत्पन्न होती है।

(ii) अस्पष्ट प्रपत्रों के कारण अधिग्रहण की प्रक्रिया में बाधा आती है।

(d) एकीकरण (Integration) से सम्बद्ध कठिनाइयां इस प्रकार हैं-

(i) जिस उद्देश्य के लिए एकीकरण किया जाता है वह नहीं प्राप्त होता है।

(ii) संस्कृति में भिन्नता एवं प्रबन्धकीय कौशल के हस्तान्तरण में कठिनाई।

(iii) क्रियान्वयन में देरी होना भी एक समस्या है।

(iv) जनता से कटु सम्बन्ध होने पर अधिग्रहण का विरोध किया जाता है जो स्वयं एक समस्या को दर्शाता है।

(v) हितों में विरोधाभास भी अधिग्रहण से सम्बद्ध एक प्रमुख समस्या है।

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Pankaja Singh

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