उद्यमिता और लघु व्यवसाय

आधारभूत संसाधनों की आपूर्ति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व | आधारभूत संसाधनों एवं सुविधाओं की आपूर्ति तथा उपादेयता को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व | Main Factors affecting the supply and Utilisation of Infrastructural Resources and Facilities in Hindi

आधारभूत संसाधनों की आपूर्ति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व | आधारभूत संसाधनों एवं सुविधाओं की आपूर्ति तथा उपादेयता को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व | Main Factors affecting the supply and Utilisation of Infrastructural Resources and Facilities in Hindi

आधारभूत संसाधनों की आपूर्ति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व

आधारभूत संसाधनों एवं सुविधाओं की आपूर्ति तथा उपादेयता को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व

(Main Factors affecting the supply and Utilisation of Infrastructural Resources and Facilities)

औद्योगिक विकास की गतिशील अवस्थाओं में विभिन्न आधारभूत संसाधनों व सुविधाओं को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन किया जाना आवश्यक है। ये तत्व या घटक इस प्रकार हैं-

(1) साहसिक कौशल (Entrepreneurial Skill)- उद्यमियों की कौशलता द्वारा आधारभूत संसाधनों की भूमिका को सार्थक व उपादेयी बनाया जाना सम्भव होता है। ऐसी कौशलताओं में जोखिम वहनीयता, नवप्रवर्तन, तकनीकी उन्नयनता एवं नियन्त्रण कौशलता को शमिल किया जा सकता है। इन्हीं से उत्पादन व विपणन सम्बन्धी व्यूह रचनाओं का निर्धारण भी किया जा सकता है।

(2) श्रम उपलब्धता (Labour Availability) – सभी प्रकार के आधारभूत संसाधनों की प्राप्ति व उनके उपयोग की प्रक्रिया पूर्णतः श्रम उपलब्धता पर निर्भर करती है। वस्तुतः प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में श्रम संसाधनों की उपलब्धता व कार्य निष्पादन क्षमताएं इन संसाधनों की कार्यवाही योजना के क्रियान्वयन में प्रमुख रूप से सहायक होती है।

(3) श्रम कौशलता (Labour Skills)- आधारभूत संरचनाओं के लिए श्रम उपलब्धता ही पर्याप्त नहीं है, अपितु पर्याप्त श्रम कौशलता व क्षमताएं भी संसाधनों को प्रभावित कर निर्णायक स्वरूप प्रदान करती है। श्रम कौशलता में संसाधनों का पर्याप्त ज्ञान, तकनीकी जानकारी, अनुभव, कार्य अपेक्षाएं, नयी तकनीकी प्रणाली को अपनाने की महत्वाकांक्षाएं व कार्य क्षमताएं आदि को सम्मिलित किया जा सकता है।

(4) तकनीकी स्तर (Technical Level) – निःसंदेह औद्योगीकरण की व्यापकता व गतिशीलता तकनीकी स्तर की उन्नयनता पर निर्भर करती है। विकास की अवस्थाओं में तकनीकी उन्नयता व श्रेष्ठता आधारभूत संसाधनों की प्राप्ति व उपादेयता के स्तर को प्रत्यक्षतः प्रभावित करती है।

(5) शोध तथा अनुसंधान (Research and Inventions)- किसी भी औद्योगिक समाज में शोध व अनुसंधानों की श्रेष्ठता व व्यापकता से आधारभूत संसाधनों के लिए विदोहन, उपयोग विधि, निर्माण प्रक्रिया व संस्थापित क्षमता के उपयोग सम्बन्धी क्रियाएं तकनीकी रूप से प्रभावित होते हैं।

(6) परिवहन और संचार की सुविधाएं (Transport and Communication Facilities) – यद्यपि परिवहन व संचार की सुविधाएं स्वतः आधारभूत संसाधनों में सम्मिलित की जाती है, फिर भी, दूसरी ओर इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका से अन्य संसाधनों की प्राप्ति व उपयोग स्तर की श्रेष्ठता प्रभावित होती है। आधारभूत संसाधनों को गतिशील व टपादेयी बनाने के क्रम में परिवहन व संचार की अहम भूमिका को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।

(7) पूँजी की उपलब्धता (Availability of Capital)- संसाधनों की समग्र कार्यकारी योजना के समुचित क्रियान्वयन में पूंजीगत साधनों का विशेष योगदान होता है। पूँजी के पर्याप्त व लाभप्रद विनियोजन से आधारभूत संसाधनों सम्बन्धी अनेक समस्याओं का निदान किया जाकर पुनः नयी कार्यकारी योजना का निर्माण किया जा सकता है।

(8) गुणवत्ता नियन्त्रण (Quality Control) – किसी भी औद्योगिक इकाई में अपनायी जा रही गुणवत्ता नियन्त्रण की विधियों व प्रणालियों का आधारभूत संसाधनों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। गुणवत्ता नियन्त्रण की तकनीकें ऐसे संसाधनों को प्रमापीकरण, प्रमाण निर्धारण, निर्माण प्रक्रिया व तकनीकी उन्यनता में सहयोग प्रदान कर उन्हें व्यापक रूप से प्रभावित करती है।

(9) सामाजिक दायित्वों की अवधारणा (Concept of Social Responsibility) – उद्यमियों की समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति बढ़ती हुई क्रमबद्धता ने भी इन संसाधनों के श्रेष्ठ व अधिकतम उपयोगों पर ध्यान देने की महत्ता को उजागर किया है। समाज में पर्यावरण सन्तुलन व प्रदूषण नियन्त्रण ऐसे महत्वपूर्ण पहलू है, जो आधारभूत संसाधनों के उपयोग व इनके परिणामों की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप में प्रभावित करते हैं।

(10) संयन्त्र अभिन्यास (Plant Layout)- किसी भी औद्योगिक इकाई में संयन्त्र अभिन्यास की प्रतिविधियाँ, प्रणालियाँ व प्रक्रियाएं निश्चय ही इन संसाधनों की उपयोग विधि को निर्धारित करती है। अभिन्यास के विभिन्न तकनीकी पहलू इन संसाधनों की उपलब्धता, लागत तत्व व क्षमता स्तर को अवश्य ही प्रभावित करते हैं।

(11) लागत तत्व (Cost Factor)- आधारभूत संसाधनों पर होने वाली स्थिर व परिवर्तनशील लागतों का इनकी प्राप्ति व उपयोग स्तर पर अवश्यक ही प्रभाव पड़ता है। इकाई की कुल लागत निर्धारण में इन संसाधनों का महत्वपूर्ण व व्यापक भाग होने के कारण इन पर विशेषतः नीतिगत व व्यावहारिक रूप से ध्यान दिया जाता है।

(12) साहसिक गतिशीलता (Entrepreneurial Mobility) – उद्यमियों में व्याप्त गतिशीलता के कारण आधारभूत संसाधनों के सम्बन्ध में नये सुअवसर, नयी प्रबन्धकीय नीतियों, व नवीन अवसरों का निर्धारण व क्रियान्वयन किया जाना सम्भव हो जाता है। इनकी गतिशीलता से संसाधनों की अल्प व दीर्घकालीन नीतियाँ पूर्णत प्रभावित होती हैं।

(13) जोखिम वहनीयता (Risk Bearing) – उद्यमियों व साहसियों में पायी जाने वाली जोखिम वहनीयता के न्यून व अधिक होने की दशाएं आधारभूत संसाधनों की शीघ्र मितव्ययी एवं सुलभ प्राप्ति व इनके उपयोग स्तर को अवश्य ही प्रभावित करती है। जोखिम वहनीयता के उचित आकलन से इन साधनों की प्राप्ति व लागत तत्वों का सही अनुमान लगाकर अनुकूल दशाओं का निर्माण किया जा सकता है।

(14) प्रबन्धकीय नीतियाँ (Managerial Policies)- किसी भी उपक्रम की प्रबन्ध व संचालन सम्बन्धी नीतियाँ आधारभूत सांधनों की पूर्ति, उपलब्धता, उपादेयता व मूल्यांकन की प्रक्रियाओं व प्रविधियों को सुगमता व प्रभावशीलता प्रदान करती है। कुशल व व्यावहारिक नीतियाँ इन संसाधनों की उपदेयता की श्रेष्ठता के लिए महत्वपूर्ण दिशामूलक उपायों तथा साधनों का निर्धारण करती हैं।

(15) नवीन व्यावसायिक अवसर (New Business Opportunities) – व्यावसायिक क्षेत्रों में नयी प्रविधियों, तकनीकों व प्रबन्धकीय विधियों के अपनाने से नवीन व्यावसायिक अवसरों का सृजन होना स्वाभाविक है। इन्हीं व्यावसायिक अवसरों की सृजनशीलता से आधारभूत संसाधनों के संचालन व उपयोग की प्रक्रियाएं सुनिश्चित की जा सकती है।

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Pankaja Singh

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