जनसंख्या स्थानान्तरण से आशय | जनसंख्या प्रवास से आशय | प्रावस के प्रकार | विश्व के प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण

जनसंख्या स्थानान्तरण से आशय | जनसंख्या प्रवास से आशय | प्रावस के प्रकार | विश्व के प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण

जनसंख्या स्थानान्तरण या प्रवास से आशय

(Meaning of Population Migration)

प्रवास मानवीय सभ्यता की तरह मानव की एक प्राचीन प्रक्रिया है जो पृथ्वी पर प्राचीन काल से होती रही है। प्रवास का आशय है-‘मानव का अपने निवाय-स्थल से किसी अन्य स्थान पर जाकर रहना।’

संयुक्त राष्ट्र संघ के बहुभाषीय जनांकिकी शब्द-कोश (The United Nations Multigoal Demographic Dictionary) ने प्रवास को निम्नलिखित शब्दों में परिभाषित किया है-

“प्रवास एक प्रकार की भौगोलिक गतिशीलता या स्थानिक गतिशीलता है जो एक भौगोलिक इकाई से दूसरी भौगोलिक इकाई में होता है। सामान्यतया इसके फलस्वरूप उत्पत्ति- स्थल वाले तथा पहुँच-स्थल वाले दोनों क्षेत्रों के आवासों में परिवर्तन होते हैं। इस प्रकार का प्रवास स्थायी होता है क्योंकि इसमें मानव का निवास स्थान रूप से बदल जाता है।”

डेविड हीर के शब्दों में, “अपने सामान्य निवास स्थान से किसी दूसरे स्थान पर जाकर रहना प्रवास कहा जाता है।” “सामान्यतया प्रवास की प्रक्रिया कुछ दूरी गतिशीलता या संचालन से जुड़ी होती है जिसके परिणाम स्थायी निवास के परिवनि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं।”

प्रावस के प्रकार (Types of Migration)

क्षेत्र के आधार पर या जनसंख्या की गतिशीलता के आधरार पर प्रवास को निम्नलिखित दो वर्गों में रखा जाता है-

(अ) आन्तरिक प्रवास या राष्ट्रीय प्रवास (Internal Migration or National Migration),

(ब) अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International Migration) |

(1) आन्तरिक प्रवास- जब एक राष्ट्र के निवासी अपने राष्ट्र की सीमाएँ पार किये बिना एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर रहते हैं तो ऐसी प्रक्रिया कहलाती है। प्रो. डोनाल्ड बोग का मत है कि आन्तरिक प्रवास में जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सीमाओं के अन्तर्गत अपने मूल निवास को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाकर रहने लगता है तो वह जिस स्थान पर जाकर बसता है उस स्थान पर उसका बसना ‘अन्तर्प्रवास’ या ‘अन्तर-देशान्तरण’ (In-migration) कहलाता है। दूसरी ओर, जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सीमाओं के अन्तर्गन अपने मूल निवास स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर जा बसता है तो जिस मूल निवास स्थान को वह छोड़ता है उस क्षेत्र से उसका जाना ‘बहिर्प्रवास’ (Out-migration) कहलायेगा, जबकि उस मूल स्थान को छोड़ने वाला व्यक्ति ‘वहिर्प्रवासी’ (Out-migrant) कहा जायेगा।

(2) अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास- इस प्रकार के प्रवास में मानव समूहों का प्रवास एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में होता है। जब कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी देश में रहने के उद्देश्य से विदेश से आता है तो उसे उस देश में ‘प्रवासी नागरिक’ (Immigrant) कहा जाता है, जबकि जिस देश को वह छोड़ता है, उस देश में वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह ‘बहिर्गन्तुक’ (Emigrant) कहलाता है। वर्तमान समय में अधिकांश देशों की सरकारों ने प्रवासी नागरिकों के स्थायी रूप से निवास पर कठोर प्रतिबन्ध लागू कर दिये हैं जिनके कारण अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास धीमी गति से हो रहा है।

विश्व के प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण

(Major International Migrations of the World)

पिछली तीन शताब्दियों में विश्व के विभिन्न भागों में वृहद् स्तर पर कई महत्वपूर्ण जन- स्थानान्तरण हुए हैं, जिन्होंने विश्व में जनसंख्या के वितरण व वृद्धि को प्रभावित किया है। वास्तव में विश्व में वृहद्-स्तरीय प्रवास का प्रारम्भ यूरोप में अन्धकार युग की समाप्ति के बाद हुए पुनर्जागरण युग में हो पाया। 13वीं शताब्दी के बाद यूरोपियन लोगों द्वारा विश्व के सुदूरवर्ती क्षेत्र की सफल यात्राएँ कर विश्व के कई भू-भागों को पहली बार विश्व मानचित्र पर लाया गया। उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा जनसंख्या तथा असंख्य सागरीय द्वीपों की सफल खोज 13वीं से 18वीं शताब्दी के मध्य की गयी। 17वीं शताब्धी के बाद से सागरीय यात्राओं के अपेक्षाकृत सुविधाजनक हो जाने के कारण यूरोपियों ने जहाँ एक ओर नये भू-भागों से अपने विदेशी व्यापार सम्बन्ध स्थापित किये, वहीं दूसरी ओर इन नये भू-भागों में अपने- अपने उपनिवेशों व साम्राज्यों की सफल स्थापना भी की। जनाधिक्य की समस्या से पीड़ित यूरोपियन देशों से लाखों लोग इन उपनिवेशों में जाकर स्थायी रूप से बसने लगे, साथ ही बागानी कृषि के लिए मजदूरों की आवश्यकता की आपूर्ति अफ्रीका देशों से गुलामों के व्यापार के माध्यम से हुई। सन् 1700 के बाद विश्व में हुए प्रमुख जन-स्थानान्तरणों में अग्रलिखित पाँच प्रमुख स्थानान्तरण उल्लेखनीय हैं-

(1) यूरोप से उत्तरी अमेरिका को स्थानान्तरण (Migration from Europe to North

America),

(2) यूरोप विश्व के विभिन्न भागों को स्थानान्तरण (Migration from Europe to Different Parts of the World)

(3) गुलामी अवधि के दौरान अफ्रीका से अमेरिकन क्षेत्रों को स्थानान्तरण (Migration from Africa to Americas During the Period of Slavery)

(4) एशियाई राष्ट्रों से विश्व के विभिन्न भागों को स्थानानतरण (Migration From Asia Countries to the Different Parts of the World)

(5) बीसवीं शताब्दी के कुछ महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण (Some Important International Migrations During the 20th Century)

(1) यूरोप से उत्तरी अमेरिका को स्थानान्तरण- आधुनिक समय में हुए अन्तर्राष्ट्रीय जन-स्थानान्तरणों में यूरोप से उत्तरी अमेरिका को हुआ जन-स्थानान्तरण सबसे बड़ा माना जाता है। इस स्थानान्तरण को वृहद्-अटलांटिक स्थानान्तरण (Great Atlantic Migration) के नाम से जाना जाता है। सन् 1492 से 1504 के मध्य कोलम्बस द्वारा उत्तरी अमेरिका के समीपवर्ती द्वीपों तथा 1497 से 1502 के मध्य अमेरिगो वेस्पुक्की द्वारा उत्तरी अमेरिका की सफल खोज के बाद से यूरोपियन देशों की जनसंख्या का स्थानान्तरण उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तटों की ओर होना प्रारम्भ हो गया, लेकिन यूरोपियन देशों (प्रमुख रूप से ब्रिटेन, फ्रांस, हॉलैण्ड तथा आयरलैण्ड) से जनसंख्या के स्थानान्तरण का प्रथम चरण 17वीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ। 17वीं शताब्दी में अकेले ब्रिटेन से लगभग 5 लाख व्यक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर स्थित न्यू इंग्लैण्ड’ क्षेत्र में जाकर वस गये। यूरोप से उत्तरी अमेरिका में जाकर बसने वाले यूरोपियन लोगों की संख्या अठारहवीं शताब्दी में लगभग 15 लाख रही। सन् 1790 से 1819 के मध्य संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिवर्ष औसतन 8 हजार यूरोपियन लोग जाकर बसते रहे। वृहद् स्तर पर यूरोपियन लोगों का  उत्तरी अमेरिका को स्थानान्तरण 19वीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ। सन् 1820 से 1920 के मध्य लगभग 4.5 करोड़ यूरोपियन संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा के पूर्वी तटीय भागों में जाकर बस गये। संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा में यूरोपियन जनसंख्या का प्रवाह सन् 1880 से 1920 की अवधि में सर्वाधिक रहा। 40 वर्ष की इस अवधि के दौरान लगभग 20 करोड़ व्यक्तियों का स्थायी रूप से स्थानान्तरण हुआ।

(2) यूरोप से विश्व के विभिन्न भागों को स्थानान्तरण- सन् 1820 के बाद यूरोपियन राष्ट्रों से जनसंख्या का स्थानान्तरण उत्तरी अमेरिका के अलावा लैटिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, एशियाई रूस, अफ्रीकन देशों तथा इजराइल में भी वृहद् स्तर पर हुआ।

लैटिन अमेरिका के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय तटीय भागों में बड़ी संख्या में यूरोपियन लोग स्थायी रूप से जाकर बस गये। जनसंख्या का यह स्थानान्तरण मुख्य रूप से दक्षिणी यूरोपियन राष्ट्रों से मैक्सिको, पश्चिमी द्वीप-समूह, ब्राजील, वेनेजुएला, अर्तेण्टाइना आदि देशों में हुआ। सन् 1820 से 1910 तक लैटिन अमेरिका के इन देशों में लगभग 1.5 करोड़ यूरोपियन लोगों का प्रवास हुआ। गर्म तथा आर्द जलवायु के कारण लैटिन अमेरिका के ये भू-भागों में अपने उपनिवेश स्थापित कर कपास, गन्ना, चाय, तम्बाकू, मसालों व नील की कृषि सफलतापूर्वक की। इन कृषि क्षेत्रों में कृषि श्रमिकों की आपूर्ति पहले यूरोप से तथा बाद में अफ्रीकी देशों से की गयी।

ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड में यूरोपियन जनसंख्या का प्रवास सन् 1790 के बाद प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भ में ब्रिटेन के निर्वासित अपराधियों को यहाँ बसाया गया, लेकिन बाद में ब्रिटेन के व्यापारियों तथा अन्य लोगों का आगमन भी यहाँ होने लगा। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप के विभिन्न भागों, विशेष रूप से ब्रिटेन से वृहद् स्तर पर जनसंख्या का ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड में स्थानान्तरण हुआ। वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड की कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत से अधिक भाग ब्रिटेनवासियों का है।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सन् 1947-48 में भूमध्यसागर के पूर्वी तट पर यहूदी राष्ट्र इजरायल की स्थापना की गयी। इजरायल की स्थापना के बाद से वर्तमान समय तक प्रतिवर्ष समय तक प्रतिवर्ष 20 से 50 हजार यहूदी मुख्य रूप से यूरोपियन देशों से आंकर इजरायल में स्थायी रूप से वस जाते हैं। सन् 1948 से 1951 के चार वर्षों में इजरायल में लगभग 4 लाख यहूदी विदेशों से आकर बस गये, जिनमें पोलैण्ड, बुलगारिया तथा रोमानिया देशों में से आकर बसने वाले यहूदियों की संख्या सर्वाधिक रही।

19वीं शताब्दी में यूरोपियन लोगों की बड़ी संख्या में स्थानान्तरण अफ्रीकी महाद्वीप के विभिन्न भागों में भी हुआ। अफ्रीका के दक्षिणी भागों में महत्त्वपूर्ण खनिजों की उपस्थिति होने के कारण यूरोपियनों का यहाँ स्थानान्तरण हुआ। साथ ही व्यापारिक एवं बागाती फसलों के उत्पादन व उपनिवेश स्थापित करने की भावना भी इन भागों में यूरोपियन प्रवास का कारण रही। वर्तमान में अफ्रीका के सभी यूरोपियन दासता से मुक्त हो चुके हैं तथा वहाँ रह रही अधिकांश अप्रवासी जनसंख्या भी अपने-अपने देशों को लौट चुकी है। केवल दक्षिण अफ्रीका संघ ही ऐसा अफ्रीका देश है जहाँ यूरोपियन बड़ी संख्या में स्थायी रूप से बसने में सफल हो पाये हैं।

(3) गुलामी अवधि के दौरान अफ्रीका से अमेरिकन क्षेत्रों को स्थानान्तरण- अमेरिकन देशों में अफ्रीका देशों से जन-स्थानान्तरण 16वीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ। यूरोपियन, लोग अफ्रीका से दासों व गुलामों को खरीदकर सर्वप्रथम कैरीबियन क्षेत्रों में जाकर बसे। इसके  बाद 17वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में कुछ अफ्रीकी गुलामों को उत्तरी अमेरिका के तटवर्ती भागों में विकसित किये गये कृषि बागानों पर जमदूरों के रूप में लगाया गया। इस प्रकार उत्तरी अमेरिका के प्रथम प्रवासियों में यह अफ्रीका गुलाम भी सम्मिलित रहे।

अमेरिकन क्षेत्रों में बागाती कृषि जैसे-जैसे विकसित होती गयी, वैसे-वैसे कृषि फार्मों हेतु सस्ते श्रमिकों की माँग में वृद्धि होती गयी, जिसकी आपूर्ति हेतु अफ्रीकी देशों से गुलामों व दासों को खरीदकर इन क्षेत्रों में लाया गया। निश्चयपूर्वक यह तो नहीं कहा जा सकता कि अफ्रीका से बलपूर्वक कितने लोगों को दास बनाकर अमेरिकन क्षेत्रों में बसाया गया, लेकिन ऐसा अनुमान है। कि उनकी संख्या 1.2 करोड़ से 3.0 करोड़ के मध्य रही होगी। अफ्रीका देशों से खरीदकर लाये गये गुलामों का सर्वाधिक का सर्वाधिक जमाव कैरीबियन क्षेत्र तथा दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी व पूर्वी भागों में हुआ।

(4) एशियाई राष्ट्रों से विश्व के विभिन्न भागों को स्थानान्तरण- 19वीं शताब्दी के अन्त में दास प्रथा समाप्त होने के पश्चात् एशिया महाद्वीप भागों में वृहद् स्तर पर प्रवास होना प्रारम्भ हो गया। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के बागाती क्षेत्रों में चीन तथा भारत से भारी संख्या में श्रमिकों को लाया गया। सन् 1900 से 1940 के मध्य लगभग 1.2 करोड़ चीनी लोग दक्षिणी चीन से मजदूरों के रूप में सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया तथा वियतनाम में स्थानान्तरित होकर स्थायी रूप से बस गये। वर्तमान में दक्षिण-पूर्वी एशिया के विभिन्न देशों में चीनी-प्रवासियों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ है।

भारत से जनसंख्या का स्थानान्तरण 19वीं व 20वीं शताब्दी में दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों के अलावा श्रीलंका, पूर्वी अफ्रीका, पश्चिमी द्वीप-समूह तथा ब्रिटेन के अन्य उपनिवेशों में मुख्य रूप से हुआ।

अधिकांश देशों में भारतीय लोग ठेका मजदूरों के रूप में गये तथा बाद में ठेके की अवधि समाप्ति पर कुछ स्वदेश वापस लौट आये, जबकि शेष उन्हीं देशों में स्थायी रूप से जाकर बस गये।

(5) बीवर्सी शताब्दी के कुछ महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण- बीसवीं शताब्दी में विश्व के विभिन्न भागों में होने वाले प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण निम्न प्रकार रहे-

(अ) सन् 1917 में सोवियत संघ में हुई क्रान्ति के कारण लगभग 10 लाख जनसंख्या सोवियत संघ से स्थानान्तरित होकर यूरोपियन देशों में जाकर बस गई।

(ब) सन् 1947 में भारत-पाक विभाजन के फलस्वरूप लगभग 1.5 करोड़ जनसंख्या का स्थानान्तरण हुआ। वृहद् स्तर पर हुए इस प्रवास से भारत तथा पाकिस्तान दोनों को उस समय गम्भीर शरणार्थी समस्या सामना करना पड़ा था।

इस प्रकार के स्थानान्तरणों में निम्नलिखित प्रवास प्रमुख हैं-

(i) दक्षिणी यूरोप व उत्तरी अफ्रीका से उत्तर-पश्चिमी यूरोपियन राष्ट्रों को,

(ii) मलावी, जाम्बिया, बोत्सवाना तथा लिसोथो देशों में रोडेशिया तथा दक्षिणी अफ्रीका संघ को,

(iii) अपर वोल्टा से घना तथा आइवरी कोस्ट को

(iv) मैक्सिको से संयुक्त राज्य अमेरिका को,

(v) भारत, पाकिस्तान, फिलीपादन्स, कोरिया गणराज्य तथा तुर्की से सऊदी अरव, ईराक, कुवैत, लीबिया, ओमान, कतार, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात तथा यमन को।

उक्त स्थानान्तरणों में अधिकांश व्यक्ति कुछ वर्ष विदेशों में रहकर पुनः स्वदेश लौट आते. हैं तथा कुछ व्यक्ति स्थायी रूप से विदेशों में बस जाते हैं। इस प्रकार यह एक मिश्रित प्रकार का स्थानान्तरण है जिसमें स्थायी स्थानान्तरण के साथ-साथ अस्थायी रूप से श्रमिकों का स्थानान्तरण होता है।

आधुनिक समय में अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण में तेजी से कमी आ रही है, क्योंकि विश्व के अधिकांश देशों ने विदेशियों को अपने को नागरिकता देना प्रतिबन्धित कर रखा है। वर्तमान समय में विश्व के केवल कुछ ही राष्ट्र ऐसे हैं जो अपने यहाँ स्थायी रूप से विदेशियों को नागरिकता प्रदान करते हैं। ऐसे राष्ट्रों में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तथा इजरायल प्रमुख हैं। इनमें से केवल संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर शेष चारों राष्ट्रों में कड़ी आव्रजक नीतियों के कारण प्रवास की दर बहुत धीमी हो गई है। विदेशी नागरिकों को अपने देश में परम्परागत रूप से नागरिकता प्रदान करते रहे उक्त पाँच देशों में ब्रिटेन, मैक्सिको, फिलीपाइन्स, क्यूबा, कोरिया गणराज्य, वियतनाम, भारत, पूर्व सोवियत संघ, चीन तथा इटली आदि देशों से जनसंख्या का स्थानान्तरण प्रमुख रूप से होता है।

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