उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात | विश्व में उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की यांत्रिक प्रमुख लक्षण | विश्व में उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातो का विश्व वितरण | Tropical cyclone in Hindi | Mechanical salient features of tropical cyclones in the world in Hindi | World distribution of tropical cyclones in the world in Hindi
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात
(Tropical cyclones)
उष्ण चक्रवातों की उत्पत्ति महासागरों के पश्चिमी भाग में होती है, जहाँ का तापमान 20° से 25° के आस-पास रहता है।
उष्णकटिबन्धीय चक्रवात एक निम्न वायु भार का तन्त्र है जो उष्णकटिबन्धीय अक्षांशों में विकसित होते है।
अधिकतर उष्ण चक्रवात डोलड्रम की पेटी के उत्तर या दक्षिण में उत्पन्न होते है।
उत्पत्ति (Origin) : उष्णकटिबन्धीय चक्रवात विश्व की ऊष्मा एवं आर्द्रता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन है। इसमें निम्न भार वायु राशियाँ नही होती बल्कि सागर स्तर के कई सौ मीटर की ऊँचाई तक एक ही प्रकार का तापमान, आर्द्रता तथा वायु राशि होती है।
एक उष्ण चक्रवात की उत्पत्ति के लिए निम्नलिखित मौसमी स्थिति की आवश्यकता होती है।
- सागर स्तर से 9 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक प्रतिचक्रवात प्रवाह होना, जिससे वायु का ऊपर की ओर संचार तेज गति से होता रहे।
- कोरियों के प्रभाव के कारण व्यापारिक पवने मन्द गति से ऊतरी गोलार्द्ध में मुड़ जाती है।
- गर्म एव आद्र वायु की निरन्तर आपूर्ति होनी चाहिए।
- निम्न आक्षांशों में सागर की सतह का तापमान 200 से 25°C के आस-पास होता है।
- वायुमण्डल शान्त।
उष्ण चक्रवात की प्रमुख विशेषताएँ
(Characteristics of Tropical Cyclones)
उष्ण चक्रवात की निम्नलिखित विशेषताएं है।
- वाष्पीकरण के कारण इनमें भारी मात्रा में निहित ऊष्मा (Latent Heat) होती है।
- इनकी रफ्तार 50 किलोमीटर से लेकर 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है।
- इनकी उत्पत्ति पतझड़ के मौसम में होती है।
- इनमें प्रमुख रूप से मुकुटधारी तथा काले बादल पाये जाते है (Cumulus- Nimbus), बादल छाये रहते है।
- इन से मूसलाधार वर्षा होती है।
- इनको विनाशात्मक माना जाता है।
उष्ण चक्रवात की संरचना
(Structure of Tropical Cyclones)
चक्रवात के केन्द्रीय भाग को चक्रवात की आँख का कहते है तथा आँख विस्तार (व्यास) 20 से 50 किलोमीटर तक होता है। चक्रवात के केन्द्रीय भाग में पवन की गति मन्द होती है। इस भाग में प्रायः बादल नहीं होते है। केन्द्रीय भाग (आँख) के चारों ओर अधिक वर्षा होती है और इसके निकट पवन की गति सबसे अधिक होती है। उष्ण चक्रवात में काली घटा पेटियों के रूप में चक्र खाती हुई आगे की ओर बढ़ती है।
उष्ण चक्रवात प्रायः भारी तबाही मचाते हैं। इन से जान माल, फसलों तथा वृक्षों को भारी नुकसान होता है। तेज पवन के कारण सागर का जल ऊंची लहरों के द्वारा स्थल पर चढ़कर निचले तटों को जलमग्न कर देता है। बंग्लादेश में 1991 के चक्रवात में लगभग दो लाख व्यक्तियों की जाने गयीं थी।
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