भूगोल

जनसंख्या के विकास तथा आर्थिक विकास के बीच संबंध | एक देश की जनसंख्या के विकास तथा उसके आर्थिक विकास के बीच संबंध

जनसंख्या के विकास तथा आर्थिक विकास के बीच संबंध | एक देश की जनसंख्या के विकास तथा उसके आर्थिक विकास के बीच संबंध

जनसंख्या के विकास तथा आर्थिक विकास के बीच संबंध

तालिका: भारत में जनसंख्या वृद्धि (1901 से 2011 तक)

जनसंख्या

(वर्ष)

जनसंख्या

(करोड़ में)

शताब्दी में कमी व

वृद्धि (करोड़ में)

शताब्दी में कमी या

वृद्धि (प्रतिशत में)

1901 23.8
1911 25.2 +1.4 +5.7
1921 25.1 -0.1 -0.3
1931 27.9 +2.8 +11.0
1941 31.9 +4.0 +14.2
1951 36.1 +4.2 +13.3
1961 43.9 +7.8 +21.5
1971 54.8 +10.9 +24.8
1981 68.3 +13.5 +24.6
1991 84.6 +16.3 +23.8
2001 102.7 +18.1 +21.3
2011 121.09 17.64 17.64

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि भारत की जनसंख्या जो 1901 ई. में 23.8 करोड़ थी, वह 2001 ई. में बढ़कर 102.7 करोड़ हो गई अर्थात् इन 100 वर्षों की अवधि में भारत की जनसंख्या में लगभग 4.3 गुना वृद्धि हुई। वह भी तब, जबकि इस अवधि के दौरान भारत से  वर्मा, पाकिस्तान बांग्लादेश अलग हो गये। यदि ये राष्ट्र भी इससे शामिल होते तो जनसंख्या का आकार और कई गुना अधिक होता।

स्वतंत्रता प्राप्ति और देश के विभाजन के पश्चात् पहली जनगणना 1951 ई. में की गई थी, जिसके अनुसार देश की कुल जनसंख्या 36.1 करोड़ थी। यह 2011 ई. में बढ़कर 121.2 करोड़ हो गई अर्थात् गत 60 वर्षों में देश आबादी में 69.9 करोड़ की वृद्धि हुई।

तालिका से स्पष्ट है कि सन् 1901 से लेकर 2011 ई. तक भारत की जनसंख्या में एक गणना के छोड़कर निरन्तर वृद्धि हुई है। 1911-21 के दशक में इसमें कमी आई है। इस इशक में जनसंख्या में ऋणात्मक वृद्धि (0.3 प्रति ॠ हुई। इस दशक में भयंकर अकाल और महामारी के कारण देश की जनसंख्या में कमी आई थी। 1921 के पश्चात् देश की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई। इसी कारण 1921 ई. के वर्ष को भारतीय जनगणना के दृष्टिकोण से महाविभाजन वर्ष के नाम से जाना जाता है।

भारत की जनसंख्या आकार में बहुत बड़ी है। जनसंख्या के आकार के आधार पर विश्व में चीन के पश्चात् इसका दूसरा स्थान है। यही नहीं भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर भी बहुत ऊँची है। यह कहा जाता है कि भारत की आबादी में प्रतिवर्ष एक ऑस्ट्रेलिया जुड़ जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि ऑस्ट्रेलिया की जितनी आबादी है, भारतवर्ष की आबादी में उतने व्यक्ति प्रतिवर्ष ही बढ़ जाते हैं।

2011 ई. की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 121.09 करोड़ है, जो 1991 की जनसंख्या से 18.1 करोड़ अधिक है। 1971-81 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर 24.6 प्रतिशत थी, जो 1981-91 के दशक में घटकर 23.8 प्रतिशत हो गई। 1991-2001 के दशक में जनसंख्या वृद्धि की दर में पुनः कमी हुई। इस दशक में यह घटकर 21.3 प्रतिशत रह गई। यद्यपि 1991-2001 ई. की जनसंख्या वृद्धि की दर इसके पिछले दो दशकों से कम है, फिर भी विश्व के अन्य राष्ट्रों की तुलना में यह बहुत अधिक है। भारत में विश्व की जनसंख्या के 17.4 प्रतिशत लोग रहते हैं, जबकि इसका क्षेत्रफल विश्व के भू-भाग का 2.4 प्रतिशत मात्र है।

1 मार्च, 1991 ई. को भारत की जनसंख्या 84.6 करोड़ थी, जिसमें 43.9 करोड़ पुरुष तथा 40.7 करोड़ स्त्रियाँ थी। 1 मार्च, 2011, ई० का देश की जनसंख्या बढ़कर 121.2 करोड़ हो गई, जिसमें 62.3 करोड़ पुरुष तथा 58.4 करोड़ स्त्रियाँ थीं। 1991 ई. की जनगणना के अनुसार देश में जनसंख्या का घनत्व 257 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर था जो 2011 ई. में बढ़कर 382 हो गया। 1991 ई. में देश में साक्षरता का प्रतिशत 52.11 था, इसमें पुरुषों का साक्षरता प्रतिशत 63.83 तथा स्त्रियों में साक्षरता प्रतिशत 39.42 था। 2011 ई० की जनगणना के अनुसार देश में जनसंख्या की साक्षरता का प्रतिशत बढ़ा है। इसके अनुसार देश में साक्षरता का प्रतिशत 73.00- है। इसमें पुरुषों की साक्षरता का प्रतिशत 82.19 तथा स्त्रियों की साक्षरता का प्रतिशत 68.46 रहा। 2001 ई. की जनगणना में उस व्यक्ति को ‘साक्षर’ माना गया है, जो किसी भाषा को समझकर उसे लिख-पड़ सकता है। ऐसे व्यक्ति को साक्षर नहीं माना गया जो केवल पढ़ सकता है, परन्तु लिख नहीं सकता। वर्ष 1991 ई. से पूर्व हुई जनगणनाओं में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों को अनिवार्य रूप से निरक्षर माना जाता था, परन्तु वर्तमान में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो लिखने-पढ़ने में सक्षम हैं, साक्षर माने गये हैं। 1991 ई. की जनगणना से यह बात स्पष्ट हुई थी कि देश में प्रति हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या घटी है। 1981 ई० में प्रति हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या 934 थी, वह 1991 ई. में घटकर 927 रह गई, परन्तु 2001 ई. की जनगणना के अनुसार देश में स्वर-पुरुष अनुपात बढ़ा है। इसके अनुसार देश में प्रति एक  हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या 940 है। 2001-2011ई. के दशक में देया की कुल जनसंख्या में 17.64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है इस दशक में पुरुषों की वृद्धि दर 20.93 प्रतिशत तथा स्त्रियों की वृद्धि दर 21.79 प्रतिशत रही। भारत में सम्भावित औसत आयु 1950-51 ई. में 32 वर्ष थी जो 1996-2001 ई. में बढ़कर 63.8 वर्ष हो गयी। वर्तमान समय में भारत में पुरुषों की औसत आयु 65.3 वर्ष तथा स्त्रियों की औसत आयु 68.3 वर्ष है।

2011 की जनगणना के आँकड़े: एक दृष्टि में

कुल जनसंख्या- 121,08,54,977
पुरुष जनसंख्या- 62,32,70,258
महिला जनसंख्या- 58,75,84,719
स्त्री-पुरुष अनुपात (2011) – भारत 943:1000
केरल (राज्यों में सर्वाधिक) 1084:1000
हरियाणा (राज्यों में न्यूनतम) 877:1000
भारत में विश्व की जनसंख्या का भाग (2011 में) 17.67 प्रतिशत
सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य (2011) उत्तर प्रदेश 199,58,1477
(भारत की 16.17 प्रतिशत)
न्युनतम जनसंख्या वाला प्रदेश (2011) सिक्किम जनसंख्या 607688
जीवन प्रत्याश: पुरुष (1996-2011) 67.20 वर्ष
महिला 68.27 वर्ष
भारत 73.00 प्रतिशत
साक्षरता पुरुष साक्षरता 80.09 प्रतिशत
महिला साक्षरता 64.46 प्रतिशत
भारत 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या का घनत्व (2011) विश्व 1.64 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर

2011 ई० की गणना के अनुसार देश में जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1.93 प्रतिशत है। यदि देश की जनसंख्या में इसी रफ्तार से वृद्धि होती रही तो सन 2025 तक भारत, चीन को पीछे छोड़ विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र हो जाएगा।

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Pankaja Singh

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