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विकास का उदारवादी परिप्रेक्ष्य | भारत में आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया | विकास के उदारवादी परिप्रेक्ष्य की व्याख्या

विकास का उदारवादी परिप्रेक्ष्य | भारत में आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया | विकास के उदारवादी परिप्रेक्ष्य की व्याख्या | Liberal perspective of development in Hindi | Process of economic liberalization in India in Hindi | Explanation of liberal perspective of development in Hindi

विकास का उदारवादी परिप्रेक्ष्य

1991 में नई आर्थिक नीति के अंतर्गत उदारीकरण को अपनाने पर भारत के आर्थिक विकास का कायाकल्प हुआ। यह एक नये आर्थिक युग का सूत्रपात था। उदारीकरण की इस प्रक्रिया ने विकास के स्वरूप को विभिन्न प्रकार से प्रभावित किया-

  1. उदारीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप भारत की राष्ट्रीय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई।
  2. आर्थिक क्षेत्र में उदारीकरण ने भारतीयों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाई है। गरीबी उन्मूलन पर भी अपना प्रभाव डाला है।
  3. भारत के कृषि उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जिससे खाद्यात्र के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर हुआ है। प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी खाद्यान्न उत्पादन लगातार बढ़ रहा है अतः कृषि में हरित क्रांति आ गई है।
  4. उदारीकरण का ही परिणाम है कि घरेलू पूंजी निवेश बढ़ाने में विदेशी पूंजी निवेश से काफी सहायता प्राप्त हुई है। इससे घरेलू उद्योग धंधों के उपभोक्ताओं को भी लाभ पहुंच रहा है।
  5. उदारीकरण की प्रक्रिया से देश को संचार एवं परिवहन क्षेत्र में उन्नति करने का अवसर मिला है। रेलवे और सड़कों का विस्तार और आधुनिकीकरण हुआ है। भारतीय डाक नेटवर्क संसार का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है। करोड़ों भारतीय मोबाइल फोन धारक हैं।
  6. उदारीकरण का प्रभाव निजीकरण के क्षेत्र में भी देखा जा सकता है। निजीकरण की लहर से धीरे-धीरे सार्वजनिक उपक्रम निजी क्षेत्र को दिए जा रहे हैं, ताकि सरकार अपव्यय से बच सके।
  7. उदारीकरण के कारण विवाह, परिवार, नातेदारी, जाति जैसी संस्थाएँ भी प्रभावित हुई है। ब्याह धार्मिक संस्कार के स्थान पर एक सामाजिक उत्सव बन गया है। प्रेम विवाह, अंतर्जातीय विवाहों की संख्या बढ़ी हैं। एकाकी विवाह लोकप्रिय हुए हैं, जाति प्रथा के बंधन टूटते जा रहे हैं आदि।
  8. इस प्रक्रिया का एक प्रभाव शिक्षा में गुणात्मक और तकनीकी सुधार भी है। परिवहन तथा संचार साधनों के कारण विभिन्न देशों की दूरियों काफी कम हुई हैं, अतः शिक्षा संबंधी प्रगति से सभी देशों को लाभ मिल रहा है। शिक्षा में कम्प्यूटर एवं इंटरनेट का प्रयोग सामान्य होता जा रहा है।
  9. इस प्रक्रिया के ही कारण आज महिलाएं जागरूक होती जा रही हैं। महिला सशक्तीकरण अभियान तेजी से चल रहा है। किरन वेदी, कल्पना चावला, सुनीता एण्डरसन, सोनिया गाँधी के कारण महिलाओं की विश्व में एक अच्छी पहचान बनी है।
  10. उदारीकरण एवं वैधीकरण के फलस्वरूप उपभोक्ता बाजार का बादशाह बना है। आज आर्थिक क्रियाओं का केंद्रीय बिंदु उपभोक्ता है।
  11. इस प्रक्रिया के फलस्वरूप आर्थिक विकास की दर में पर्याप्त वृद्धि हुई है, अतः देश में गरीबी कुछ कम हुई है। सकल देशीय उत्पादन बढ़ा है। रोजगार के नये-नये क्षेत्र उभरकर सामने आये हैं।
  12. उदारीकरण और वैश्वीकरण ने देश में उपभोग करने वाली कृत्रिम आवश्यकता में वृद्धि की है, जिससे भारतीय समाज धीरे-धीरे उपभोक्ता समाज बनने की दिशा में अग्रसर है। देश में एक ‘पापुलर संस्कृति पनप रही है, जो उन संस्कृति के रूप में संपूर्ण समाज में सजातीयता ला रही है। विद्वानों के एक वर्ग के अनुसार उदारीकरण ने श्रमिकों, कृषकों, कमजोर तथा शोषित वर्गों की समस्याएँ कम करने के स्थान पर उन्हें अधिक बढ़ाया है। विभिन्न क्षेत्रों पर उदारीकरण की नीति का प्रभाव नकारात्मक ही दिखाई दे रहा है। आयात में वृद्धि और निर्यात में कमी, बेरोजगारी में वृद्धि, राजस्व की हानि एवं विदेशी समान की भरमार, विनिमय दर में निरंतर गिरावट, बाजार में आयातित कृषि उत्पादों का अंबार, विदेशी ऋण के बोझ में बढ़ोत्तरी, केंद्र एवं राज्य सरकारों का दिवालियापन जैसी समस्याएँ भी किसी न किसी रूप में उदारीकरण के ही प्रभाव है।
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Pankaja Singh

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