समाज शास्‍त्र

अंतःक्रिया का अर्थ व परिभाषा | अंतःक्रिया की प्रमुख विशेषताएँ

अंतःक्रिया का अर्थ व परिभाषा | अंतःक्रिया की प्रमुख विशेषताएँ | Meaning and definition of interaction in Hindi | Key features of interaction in Hindi

अंतःक्रिया का अर्थ व परिभाषा

समाज के सदस्य के रूप में या सामाजिक प्राणी के रूप में व्यक्ति के द्वारा संदर्भ में अर्थात दूसरे व्यक्तियों या समूहों से संबंधित रहकर तथा उसके द्वारा प्रभावित किये गये कार्य को ही सामाजिक क्रिया कहते हैं। वास्तविकता तो यह है कि समाज का प्रत्येक सदस्य दूसरे व्यक्तियों की क्रियाओं के संदर्भ में ‘क्रिया’ कर रहा है, और उस ‘क्रिया’ के उत्तर (response) में दूसरे व्यक्ति भी अपनी क्रियाओं का निर्धारण कर रहे हैं। इसी को अंतःक्रिया कहा जाता है और भी साफ शब्दों में क्रिया के उत्तर में क्रिया अंतःक्रिया है। यह क्रिया वैयक्तिक क्रिया (Individual action) भी हो सकती है और सामूहिक क्रिया (Group action) भी। इसीलिए अंतःक्रिया व्यक्ति और व्यक्ति में, व्यक्ति और समूह में तथा समूह और समूह में हो सकती है। पर इस संबंध में और कुछ कहने से पहले अंतःक्रिया का विस्तृत अर्थ व परिभाषा की विवेचना आवश्यक है-

अंतःक्रिया का अर्थ व परिभाषा

(Meaning and Definition of Interaction)

समाज या घर में जब व्यक्तियों की क्रियाएँ एक-दूसरे की क्रियाओं के संदर्भ में तथा उनसे प्रभावित होते हुए घटित होती हैं तो इस प्रक्रिया को अर्थात् क्रिया के प्रत्युत्तर में क्रिया को अंतःक्रिया कहते हैं।

श्री किंबल यंग (Kimbally Young) के अनुसार, “विस्तृत रूप में परिभाषित करते हुए हम यह कह सकते हैं कि अंतःक्रिया इस तथ्य (Fact) की ओर इशारा करती है कि व्यक्ति की प्रतिक्रिया-हाव- भाव (gesture) शब्द या स्थूल शारीरिक गति-दूसरे व्यक्ति को उत्तेजित करती है और यह दूसरा व्यक्ति अपनी बारी पर प्रथम व्यक्ति के प्रति प्रतिक्रिया (response) करता है।”

श्री गीस्ट (Gist) ने एक अन्य रूप में सामाजिक अंतःक्रिया को परिभाषित किया है। आपके शब्दों में “सामाजिक अंतःक्रिया वह पारस्परिक प्रभाव है जो मनुष्य अंतःउत्तेजना (inter-stimulation) तथा प्रतिक्रिया (response) द्वारा एक-दूसरे पर डालते हैं।”

सर्वश्री मैरिल तथा एल्डेरेज (Merrill and Eldredge) के शब्दों में, “सामाजिक अंतःक्रिया व सामान्य प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों में अर्थपूर्ण संपर्क की स्थापना होती है और जिसके परिणामस्वरूप उनके व्यवहार में थोड़ा बहुत बदलाव आ जाता है।”

अंतःक्रिया की प्रमुख विशेषताएँ

(Main Characteristics of Interaction)

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर अंतःक्रिया की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन हम्र इस प्रकार कर सकते हैं-

  1. एक व्यक्ति की प्रतिक्रिया दूसरे व्यक्ति को और दूसरे व्यक्ति की प्रतिक्रिया पहले व्यक्ति को जब उत्तेजित व क्रियान्वित करती है, तो उस प्रक्रिया को अंतःक्रिया कहते हैं। उदाहरणार्थ यदि किसी व्यक्ति की आँखों से आँसू बहते देखकर हम रोने लगते हैं या किसी को गाली देता देखकर हम भी उसे गाली देते हैं मारने-पीटने लगते हैं वा क्रोधित हो जाते हैं, तो इन सबको अंतःक्रिया ही कहा जाएगा। पहले उदाहरण में एक व्यक्ति के हाव-भाव (आँखों के आँसू) ने हमारे अंदर इस प्रकार की उत्तेजना पैदा की जिसके कारण हमें भी एक क्रिया करनी पड़ी अर्थात् हम भी रो दिये। दूसरे उदाहरण में एक व्यक्ति के द्वारा उच्चारित गाली सूचक ‘शब्द‘ ने हमें इतना उत्तेजित कर दिया कि हमारे अंदर भी उसकी प्रतिक्रिया हुई और हमने भी उसके उत्तर में एक क्रिया की अर्थात् उसे मारना-पीटना प्रारंभ कर दिया। हमारा यह मारना-पीटना, जवाब में उस व्यक्ति को भी उत्तेजित कर सकता है, जिसके बदले में वह भी हमें मार-पीट सकता है।
  2. सामाजिक प्राणी अर्थात् मनुष्य कोई निष्क्रिय प्राणी नहीं अपितु सक्रिय प्राणी है। मनुष्य की यह सक्रियता दूसरे व्यक्तियों को भी सक्रिय कर देती है, क्योंकि सामाजिक जीवन में मनुष्यों को एक दूसरे के संपर्क में आना पड़ता है। यह संपर्क पारस्परिक प्रभावों (reciprocal influences) का कारण बन जाता है।
  3. सामाजिक अंतःक्रिया वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत दो या दो से अधिक व्यक्ति एक-दूसरे के व्यवहारों को प्रभावित करते हैं। स्पष्ट है कि एक व्यक्ति की क्रिया से प्रभावित होकर दूसरा व्यक्ति प्रतिक्रिया करता है, साथ ही उस प्रतिक्रिया का प्रभाव पहले व्यक्ति पर भी पड़ता है और भी कोई क्रिया करता है। यही क्रिया और प्रतिक्रिया का चक्र सामाजिक अंतःक्रिया कहलाता है।
  4. क्रिया के जवाब में क्रिया (action in response to an action) को अंतःक्रिया कहते हैं। जब एक क्रिया के कारण दूसरी क्रिया घटित होती है तो यह स्पष्ट है कि प्रथम क्रिया का प्रभाव दूसरी क्रिया पर और दूसरी का प्रथम तथा तृतीय किया पर अवश्य ही पड़ता है। इसीलिए अंतःक्रिया की परिभाषा में इस बात पर महत्वपूर्ण बल दिया गया है जब व्यक्तियों की क्रियाएँ एक-दूसरे की क्रियाओं के संदर्भ में तथा उनको प्रभावित होते हुए घटित होती हैं, तो इस घटना को अंतःक्रिया कहते हैं। एक क्रिया का प्रभाव दूसरी क्रिया पर इसलिए पड़ता है क्योंकि इन क्रियाओं को करने वाले कर्त्ता (action) एक दूसरे के संपर्क में आते हैं अर्थात् वास्तविक सामाजिक परिस्थिति में कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों व उनके प्रभाव से पूर्णतया अलग व परे नहीं होता।
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Pankaja Singh

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