विपणन प्रबन्ध

उत्पाद परिवर्तन निर्णय | उत्पाद संशोधन का निर्णय | उत्पाद संशोधन की आवश्यक

उत्पाद परिवर्तन निर्णय | उत्पाद संशोधन का निर्णय | उत्पाद संशोधन की आवश्यक | product change decision in Hindi | Product modification decision in Hindi | Product modification required in Hindi

उत्पाद परिवर्तन निर्णय

(The Product Change Decision)

एक निर्माता द्वारा लिये जाने वाले उत्पाद परिवर्तन सम्बन्धी निर्णय निम्न तीन प्रकार के हो सकते हैं – (1) उत्पाद में संशोधन का निर्णय (Product Modification) (2) उत्पाद का परित्याग निर्णय (Product Elimination Decision) (3) नवीन उत्पाद का विकास निर्णय (New Product Development Decision) |

उत्पाद संशोधन सम्बन्धी निर्णय मुख्य रूप से उन उत्पपादों से सम्बन्धित होते हैं जो कि जीवन-चक्र की परिपक्त अवस्था (Maturity Stage) में होते हैं। ऐसे उत्पादों के डिजाइन परिवर्तनों द्वारा उनमें नवीन जीवन का सृजन करने की आवश्यकता होती है। उत्पाद परित्याग सम्बन्धी निर्णय उन उत्पादों से सम्बन्धित होते हैं जो कि जीवन-चक्र की पतन अवस्था (Decline Stage) में होते हैं। ऐसे उत्पादों की बिक्री में निरन्तर कमी की स्थिति होती है। ऐसे उत्पादों के परित्याग का निर्णय लेना आवश्यक हो जाता है क्योंकि उनके विक्रय वृद्धि की कोई सम्भावना नहीं होती। नवीन उत्पाद निर्णय (New Product Decision) उन उत्पादों से सम्बन्धित होते हैं जो मुख्य रूप से उत्पाद जीवन-चक्र की प्रस्तुतीकरण अवस्था (Introductory Stage) में होते हैं। ऐसे उत्पादों के सम्बन्ध में यह निर्णय लेना पड़ता है कि किन उत्पादों का विकास किया जाये और उन्हें किस प्रकार प्रस्तुत किया जाये।

उत्पाद संशोधन का निर्णय

(The Product Modification Decision)

प्रत्येक उत्पाद का सीमित जीवन-चक्र होता है। कभी न कभी वह अवश्य ही पतनावस्था में पहुँचकर अप्रचलन को प्राप्त हो जाता है लेकिन एक निर्माता इस उत्पाद जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं की अवधि में परिवर्तन करने में सफल हो सकता है। यदि एक निर्माता चाहता है कि उत्पाद परिपक्तवता (Maturity) और संतृप्ति (Saturation) की अवस्था को बढ़ा दिया जाये जिससे उत्पाद पतन की अवस्था में देर से पहुँचे और संतृप्ति की अवस्था को बढ़ा दिया जाये जिससे उत्पाद पतन की अवस्था में देर से पहुंचे तो वह ऐसा करने के लिए उत्पाद संशोधन का सहारा लेता है। फिलिप कोटलर के अनुसार, “किसी उत्पाद के भौतिक लक्षणों या उसके पैकेजिंग में जानबूझकर किया गया कोई परिवर्तन उत्पाद संशोधन कहलाता है।

इससे स्पष्ट है कि उत्पाद संशोधन जानबूझकर किया जाता है और इसके अन्तर्गत या तो उत्पाद के भौतिक लक्षणों जैसे- किस्म, शैली, आकार, रंग आदि में परिवर्तन किया जाता है अथवा उत्पाद के केवल पैकेजिंग में अन्तर करके भी उत्पाद संशोधन किया जा सकता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि उत्पाद के विपणन कार्यक्रम (Marketing Programme) में किये गये परिवर्तन उत्पाद संशोधन के क्षेत्र में नहीं आते। सभी उत्पादों में संशोधन करना सम्भव नहीं होता। कुछ उत्पाद ऐसे होते हैं जो संशोधन के योग्य नहीं होते, जैसे- मिट्टी का तेल। यद्यपि हमारे देश में चार बड़ी तेल कम्पनियों द्वारा मिट्टी का तेल तैयार किया जाता है परन्तु इसके भौतिक और रासायनिक लक्षणों में कोई अन्तर नहीं है। ऐसी स्थिति में उत्पाद संशोधन के बजाय मनोवैज्ञानिक अन्तर एवं मर्चेण्डाइजिंग विभिन्नीकरण द्वारा विपणन कार्य किया जाता है।

उत्पाद संशोधन की आवश्यक

उत्पाद संशोधन क्यों?

(Why Product modification)

एक निर्माता को मुख्य रूप से निम्नांकित घटक उत्पाद संशोधन के लिए प्रेरित करते हैं:-

  1. प्राविधिक या तकनीकी प्रगति- तकनीकी प्रगति के कारण एक निर्माता के लिए उत्पाद संशोधन आवश्यक हो जाता है क्योंकि उपभोक्ता पुरानी वस्तु के प्रति रूचि कम रखने लगते हैं। उदाहरण के लिए, हमारे देश में निर्माताओं द्वारा लोहे के ब्लेड के बजाय स्टेनलैस स्टील ब्लेड बनाये जा रहे हैं। इसी प्रकार एच०एम०टी० दिन और दिनांक (day and Date) आदि विशेषताओं से युक्त स्वचालित हाथ की घड़ियाँ बना रही हैं।
  2. प्रतिस्पर्द्धा- प्रतिस्पर्द्धा का सामना करने के लिए भी एक निर्माता को उत्पाद संशोधन का निर्णय लेना पड़ता है। यहीं कारण है कि अनेक कम्पनियाँ प्रतिवर्ष नया मॉडल बाजार में प्रस्तुत करती हैं।
  3. विक्रय में गिरावट- किसी उत्पाद के विक्रय में कमी निर्माता को उत्पाद संशोधन के लिए बाध्य कर सकती है। उत्पाद संशोधन द्वारा निर्माता वस्तु को नवीन रूप प्रदान करके उसके विक्रय में वृद्धि करने में सफल हो सकता है।

इसके अतिरिक्त, उपभोक्ताओं की नवीन वस्तुओं के प्रति रूचि को पूरा करने के लिए भी उत्पाद संशोधन किया जाता है।

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Pankaja Singh

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