आलोचना का अर्थ | आलोचना विज्ञान है या कला | आलोचना को विज्ञान न मानने के कारण

आलोचना का अर्थ

आलोचना का अर्थ | आलोचना विज्ञान है या कला | आलोचना को विज्ञान न मानने के कारण आलोचना का अर्थ आलोचना का सीधा सरल अर्थ है- “किसी कृति की गुण-दोष युक्त विवेचना प्रस्तुत  करना। जो लोग आलोचना का अर्थ मात्र दोष निकालना समझते हैं वे भ्रम के शिकार हैं और ‘साहित्यिक अभिरुचि के व्यक्ति नहीं … Read more

निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र | निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र का मूल्यांकन

निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र

निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र | निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र का मूल्यांकन निबन्धकार के रूप में डॉ० नगेन्द्र डॉ० नगेन्द्र विद्वान, समीक्षक, निबन्धकार, विचारक, अध्यापक, लेखक, सम्पादक, अनुवाद आदि रूप में प्रसिद्ध हैं। डॉ० नगेन्द्र हृदय से निबन्धकार तथा स्वभाव से समीक्षक हैं अतः इनके निबन्धों में वैयक्तिक सहृदयतातथा पाण्डित्यपूर्ण प्रतिमा का … Read more

आधुनिक हिंदी गद्य की नवीन विधा | आधुनिक हिंदी गद्य की नवीन विधाओं का परिचय

आधुनिक हिंदी गद्य की नवीन विधा

आधुनिक हिंदी गद्य की नवीन विधा | आधुनिक हिंदी गद्य की नवीन विधाओं का परिचय आधुनिक हिंदी गद्य की नवीन विधाएँ निम्नलिखित हैं- आत्मकथा एवं जीवनी- हिंदी में आत्मकथा और जीवनी लेखन को उपेक्षित दृष्टि से देखा गया है। हिंदी में इस विधा का वास्तविक शुभारंभ हरिवंशराय बच्च की आत्मकथा से स्वीकार किया जाता है … Read more

ललित निबन्ध और उसकी परम्परा | हिंदी नाटकों का उद्भव और विकास | हिन्दी नाटकों के विकास पर निबन्ध

ललित निबन्ध और उसकी परम्परा

ललित निबन्ध और उसकी परम्परा | हिंदी नाटकों का उद्भव और विकास | हिन्दी नाटकों के विकास पर निबन्ध ललित निबन्ध और उसकी परम्परा संस्कृत में नाटक का साहित्यिक विकास ईसा की प्रथम शदी से मिलता है तथा अश्वघोष के नाटक ही प्राचीनता की दृष्टि से उद्धकाल में आते हैं, जिसका उत्कृष्ट रूप परवर्ती रचनाकारों … Read more

हिंदी के जीवनी साहित्य | हिंदी के जीवनी साहित्य के उद्भव और विकास

हिंदी के जीवनी साहित्य

हिंदी के जीवनी साहित्य | हिंदी के जीवनी साहित्य के उद्भव और विकास हिंदी के जीवनी साहित्य के उद्भव और विकास जीवनी साहित्य सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, और साहित्यिक परिवेश को प्रभावित करने वाले किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की जीवन-कथा, जो परवर्ती या समवर्ती व्यक्ति लिखते हैं, जीवनी कहते हैं। नौरस तथ्य निरूपण या अत्यधिक कल्पना-प्रवणता जीवनीकार … Read more