अर्थशास्त्र

उपयोगिता का अर्थ | उपयोगिता की विशेषताएं | Meaning of utility in Hindi | Utility Features in Hindi

उपयोगिता का अर्थ | उपयोगिता की विशेषताएं | Meaning of utility in Hindi | Utility Features in Hindi

उपयोगिता से आशय (उपयोगिता का अर्थ) –

‘उपयोगिता’ का तात्पर्य किसी वस्तु के उपभोग से प्राप्त होने वाले संतोष से लगाया जाता है। संक्षेप में जिन वस्तुओं से हमारा प्रत्यक्ष में परोक्ष संबंध होता है और उन वस्तुओं से हमें जो कुछ भी लाभ प्राप्त होता है वही ‘लाभ’उपयोगिता है और यह वस्तु उपयोगी है। किंतु अर्थशास्त्र में उपयोगिता का अर्थ अधिक व्यापक है।

अर्थशास्त्र में ‘उपयोगिता’ शब्द का आशय किसी पदार्थ से मिलने वाली संतुष्टि से लगाया जाता है। जब किसी वस्तु में आवश्यकता को संतुष्ट करने की शक्ति निहित होती है, भले ही उस वस्तु के उपयोग से उपभोक्ता को हानि है क्यों ना हो, फिर भी उस वस्तु में उपयोगिता का गुण निहित होता है। इस प्रकार ‘उपयोगिता’ किसी भी वस्तु की वह शक्ति है जो उपभोग करने वाले व्यक्ति की आवश्यकता को पूरा करती है। प्रोफ़ेसर बाघ के मतानुसार, “अर्थशास्त्री के लिए उपयोगिता वक्ताओं को संतुष्ट करने की क्षमता है।”

उपयोगिता की विशेषताएं

उपयोगिता के निम्नांकित विशेषताएं होती हैं-

  • उपयोगिता एक सापेक्षिक शब्द है उपयोगिता स्थान,समय व शक्ति के साथ-साथ अपना स्वरूप बदलती रहती है। एक भूखे व्यक्ति के लिए जितनी अधिक उपयोगिता रोटी की है उतनी उपयोगिता भरपेट व्यक्ति के लिए नहीं होगी।
  • तुष्टीगण भागवत है इसका तात्पर्य है कि तुष्टि गुण किसी वस्तु का आंतरिक गुण नहीं होता है। वह व्यक्ति के स्वभाव,आदर वृरुचि पर निर्भर करता है। चाय पीने के लिए चाय संतुष्टि देने वाली होती है, किंतु जो व्यक्ति चाय नहीं पीता है, उसके लिए चाय में कोई संतुष्टि नहीं है।
  • उपयोगिता और लाभदायकता- कोई वस्तु ऐसी भी हो सकती है जो किसी व्यक्ति की आवश्यकता की संतुष्टि तो करें परंतु वह उसके लिए लाभदायक ना हो। जैसे-शराब शराबी को संतुष्टि तो देती है किंतु उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। किंतु अर्थशास्त्र में जब उपयोगिता का अध्ययन किया जाता है, तब उसका पक्ष गौण रह जाता है।
  • उपयोगिता आवश्यकता की तीव्रता पर निर्भर करती हैजो वस्तु जितनी अधिक तीव्र आवश्यकता की पूर्ति करती है, उसमें उतनी ही अधिक उपयोगिता नहीं होती है। प्यास के समय पानी की उपयोगिता सबसे अधिक होती है, किंतु जब प्यास मिट जाती है तो उसकी उपयोगिता उतनी नहीं रह जाती है।
  • उपयोगिता वास्तविक उपभोग पर निर्भर नहीं करतीदेखा जाए तो उपयोगिता और संतुष्टि में भी अंतर है। एक उपभोक्ता उपयोगिता की गणना उस समय करता है,जब किसी वस्तु को प्राप्त करने के विषय में सोचना है किंतु से संतुष्टि उसी समय प्राप्त होती है जब वह उस वस्तु का वास्तव में उपभोग कर लेता है।
  • उपयोगिता क्रय की प्रवृत्ति को बढ़ाती है- उपभोक्ता को जब किसी वस्तु की उपयोगिता से संतुष्टि प्राप्त होती है तो वह उस वस्तु को खरीदने के लिए प्रोत्साहित होता है। यदि वस्तु में उपयोगिता नहीं हो तो उसे क्रय भी नहीं किया जाता।
  • उपयोगिता बिना त्याग के संभव नहींप्रकृति द्वारा प्रदान की गई वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी वस्तुओं से तब तक उपयोगिता प्राप्त नहीं हो सकती है, जब तक कि उसको प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता त्याग ना करें।

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Pankaja Singh

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