
व्यावसायिक पर्यावरण के प्रकार | पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्व | Types of Business Environment in Hindi | Environmental factors in Hindi
व्यावसायिक पर्यावरण के प्रकार
अथवा
व्यावसायिक पर्यावरण का प्रारूप
(Types of Business Environment)
or (Framework of Business Environment)
व्यावसायिक संगठन के संचालन पर अनेक घटक प्रभावशील होते हैं अर्थात् संगठन का संचालन कई प्रकार के पर्यावरण में होता है। संगठन की कार्यप्रणाली संगठन की आन्तरिक शक्तियों व कमजोरियों से प्रभावित होती हुई बाह्य वातावरण में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाती है तथा चुनौतियों का सामना करती है। व्यावसायिक पर्यावरण के प्रारूप को निम्न चार्ट के माध्यम से भली प्रकार समझी जा सकता है-
व्यावसायिक पर्यावरण |
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आन्तरिक पर्यावरण |
वाह्य पर्यावरण |
|
स्वामी/ अंशधारी |
सूक्ष्म/संचालन पर्यावरण |
वृहत / सामान्य पर्यावरण |
प्रबन्ध ढाँचा |
वित प्रदाता |
प्राकृतिक पर्यावरण |
लक्ष्य/उद्देश्य |
आपूर्तिकर्ता |
आर्थिक पर्यावरण |
मानवीय संसाधन |
विपणन मध्यस्थ |
सामाजिक/सांस्कृतिक पर्यावरण |
भौतिक संसाधन |
प्रतियोगी |
राजनैतिक/वैधानिक पर्यावरण |
तकनीकी क्षमता |
ग्राहक जन-समुदाय |
जनसांख्यिक पर्यावरण |
विपणन क्षमता |
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अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण |
ख्याति/ब्रांड स्थिति |
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प्रायः संगठन के आन्तरिक पर्यावरण को संगठन के आन्तरिक तत्वों अथवा नियन्त्रणीय तत्वों के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि संगठन का इन तत्वों पर नियन्त्रण होता है अर्थात् समय व परिस्थितियों के अनुकूल इन तत्वों को परिवर्तित तथा संसोधित किया जा सकता है वाह्य पर्यावरण के अनुरूप मानवीय, भौतिक और तकनीकी संसाधनों का प्रबन्ध किया जा सकता है।
इसके दूसरी ओर बाह्य पर्यावरण अथवा बाह्य तत्व व्यावसायिक संस्था के नियन्त्रण से परे होते हैं, अतः इन्हें अनियंत्रणशील तत्वों के रूप में भी जाना जाता है।
यहाँ यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि कभी-कभी संस्था के आन्तरिक तत्व नियन्त्रण से परे हो जाते हैं अर्थात् मानवीय, भौतिक या तकनीकी संसाधनों पर संस्था का नियन्त्रण नहीं हो पाता है जबकि वह बाढ़ा तत्वों को प्रभावित करने में सक्षम हो सकती है।
कुछ बाहा तत्व संस्था के संचालन पर प्रत्यक्ष प्रभावी होते हैं, जिन्हें सूक्ष्म अथवा संचालन तत्वों (Micro or Operating Environment) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है परन्तुजो बाह्य तत्व संस्था के संचालन पर सीधे प्रभाव नहीं डालते वरन् सामान्य रूप से प्रभावी होते हैं उन्हें बृहत् अथवा सामान्य तत्व (Macro or General Environment) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यद्यपि व्यावसायिक पर्यावरण में आन्तरिक और बाहा दोनों प्रकार के पर्यावरणों का समावेश होता है परन्तु सामान्य व्यक्ति व्यावसायिक पर्यावरण को बाहा पर्यावरण के रूप में ही जानते और समझते हैं।
पर्यावरण के मुख्य तत्व
(Main Factors of Environment)
पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्वों को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(अ) आन्तरिक पर्यावरण (Internal Factors)
(ब) बाह्य पर्यावरण (External Factors)
प्रत्येक सार्थक संगठन के कुछ लक्ष्य, उद्देश्य या योजनायें होती हैं जिन्हें पूरा करने के लिये ब्यूह रचना की जाती है। व्यूह रचना का अर्थ है कि संगठन को पर्यावरण के अनुकूल रखना अर्थात् कोई भी व्यूह रचना संगठन के पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिये। उपलब्ध पर्यावरण के प्रतिकूल बनायी गयी कोई भी व्यूह रचना सफल नहीं हो सकती है। कभी-कभी व्यवसाय के बाह्य पर्यावरण को ही व्यावसायिक पर्यावरण की संज्ञा दी जाती है, परन्तु वास्तव में व्यावसायिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्वों को उपरोक्त दो वृहत, वर्गीकरणों में विभक्त किया जाना चाहिये। दूसरे शब्दों में प्रत्येक व्यावसायिक निर्णय संगठन के आन्तरिक व बाह्य दोनों प्रकार के तत्वों से प्रभावित होता है। कुछ विचारक संस्था के आन्तरिक वातावरण में संस्था की कमजोरियों व शक्तियों का समावेश करते हैं जबकि बाह्य वातावरण में व्यावसायिक अवसर (Business Opportunities) तथा व्यावसायिक चुनौतियाँ (Business Threats) को सम्मिलित किया जाता है। अतः व्यूह रचना में संगठन के आन्तरिक तत्वों को बाह्य सुअवसरों व चुनौतियों के अनुरूप तैयार किया जाता है।
प्रत्येक संगठन का प्रबन्ध तभी प्रभावी माना जाता है जब वह संगठन के आन्तरिक वातावरण को बाह्य वातावरण की चुनौतियों व अवसरों के अनुकूल रख सके तथा उसे बाह्य वातावरण के प्रति उत्तरदायी बनाया जा सके। उन्हें संस्था की आन्तरिक शक्तियों को उत्प्रेरित करना होता है तथा कमजोरियों को दूर करना होता है, तभी बाह्य चुनौतियों का सामना कर उपलब्ध अवसरों का सम्पूर्ण लाभ उठाया जा सकता है।
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