अर्थशास्त्र

व्यापार की शर्तें | व्यापार की शर्तों का अर्थ | व्यापार की शर्तों के प्रकार | व्यापार की शर्तों को निर्धारित करने वाले तत्व | व्यापार शतों का महत्व | विकासशील देशों के आर्थिक विकास तथा व्यापार की शर्तों के मध्य सम्बन्ध की व्याख्या

व्यापार की शर्तें | व्यापार की शर्तों का अर्थ | व्यापार की शर्तों के प्रकार | व्यापार की शर्तों को निर्धारित करने वाले तत्व | व्यापार शतों का महत्व | विकासशील देशों के आर्थिक विकास तथा व्यापार की शर्तों के मध्य सम्बन्ध की व्याख्या | Trade Terms in Hindi | Meaning of Terms of Trade in Hindi | Types of Trade Terms in Hindi | Elements determining the terms of trade in Hindi | Importance of Trade Terms in Hindi | Explain the relationship between economic development and terms of trade in developing countries in Hindi

व्यापार की शर्तें

व्यापार की शर्तों को अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय अनुपात भी कहते हैं। व्यापार की शर्तों के जन्मदाता प्रो० जे. एस. मिल है जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय माँग समीकरण को व्यापार की शर्तों का नाम दिया था तथा पारस्परिक माँग का सिद्धान्त नाम से प्रसारित किया। इसके पश्चात् प्रो० मार्शल, प्रो० टॉसिंग, प्रो० जैकल वाइनर, प्रो० डेरिस तथा प्रो० इम्ला ने व्यापार की शर्तों को समीकरण की सहायता से विश्लेषित किया।

व्यापार की शर्तों का अर्थ (Meaning of Terms of Trade)-

व्यापार की शर्तें वे दरें हैं जिनके आधार पर किन्हीं दो देशों के बीच आयात या निर्यात का विनिमय होता है। यह पर विशेष बात यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रत्येक देश अपने अनुकूल ही व्यापार की शर्तें चाहता है ताकि देश से निर्यात होने वाली वस्तुओं की तुलना में आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य व मात्रा अधिक रहे।

व्यापार की शर्तों के प्रकार (Kinds of Terms of Trade) –

व्यापार की शर्तों को अर्थशास्त्रियों के विभिन्न समीकरणों के अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है।

(1) प्रो० टॉसिंग की व्यापार शर्ते

(A) शुद्ध वस्तु विनिमय व्यापार शर्ते

(B) कुल वस्तु विनिमय व्यापार शर्ते

(2) प्रो० डोरेन्स एवं इम्ला की व्यापार शर्ते

(A) आय व्यापार शर्ते।

(3) जेकब वाइनर की व्यापार शर्ते

(A) एक साधन व्यापार शर्ते

(B) द्वि साधन व्यापार शर्ते

(4) प्रो० राबर्टसन की व्यापार शर्ते

(5) जो जे. एस. मिल की व्यापार शर्ते

व्यापार की शर्तों को निर्धारित करने वाले तत्व

(Factors affecting Terms of Trade)

व्यापार की शर्तों को प्रभावित करने वाले निम्न कारण है –

(1) आर्थिक विकास (Economic Development)- देश का आर्थिक व्यापार की शर्तों पर काफी प्रभाव डालता है। आर्थिक विकास के मापदण्ड उद्योग कृषि, खनिज, यातायात व व्यापार आदि होते है। इनका जितना विकास होगा, देश की उत्पादकता बढ़ेगी, इसके विपरीत विकास जितना मन्द होगा, उत्पादकता उतनी ही न्यून होगी। लेकिन व्यापार की शर्ते- जितनी अनुकूल होगी उतना ही देश का आर्थिक विकास तीव्र गति से होगा क्योंकि अनुकूल व्यापार शर्तों में मशीनें कच्चा माल आयात का आयात बढ़ता है।

(2) पूँजी की गतिशीलता (Mobility of Capital)-  पूँजी की गतिशीलता देशवासियों एवं विदेशियों के स्वत्व अधिकारियों को प्रभावित करता है क्योंकि जब देशवासियों को पूँजी प्राप्त होती है तो इसका तात्पर्य यह है कि विदेशों से पूँजी का स्थानान्तरण हुआ है। जब विदेशी पूँजी देशवासियों को प्राप्त होती है तो व्यापार की शर्ते अनुकूल हो जाती है इसके विपरीत स्थिति में व्यापार शर्ते प्रतिकूल हो जाती है।

(3) तटकर नीति (Tariff Policy)- तटकर वह कर है जो आयात अथवा निर्यात पर लगाये जाते है। अतः व्यापार की शर्तों में सुधार हेतु प्रशुल्क नीति का प्रयोग किया जाता है। जब कोई सरकार तटकर कम कर देती है तो कम मूल्य पर वस्तुओं का आयात सम्भव हो जाता है क्योंकि प्रशुल्क को विदेशी निर्यात कर्ता द्वारा वहन किया जाता है। इसके विपरीत ऊँचे तटकर वसूलने पर विदेशी निर्यात कम हो जाते है तथा वस्तु का मूल्य ऊँचा हो जाता है। इस प्रकार तटकर नीति व्यापार शर्तों को प्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करती है।

(4) अवमूल्यन (Devaluation)- अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय दर में जब अवमूल्यन कर दिया जाता है तो विदेशी मुद्रा की तुलना में घरेलू मुद्रा की क्रय शक्ति कम रह जाती है, इससे देश के निर्यातों में वृद्धि एवं आयातों में कमी हो जाती है। फलतः व्यापार की शर्ते प्रभावित हो जाती है।

(5) कीमत स्तर (Price Level)- घरेलू वस्तुओं का कीमत स्तर घट जाने पर विदेशों  के लिए निर्यात बढ़ जाता है ऐसी दशा में विदेशी पूँजी प्राप्त होने लगती है। अतः व्यापार शर्ते अनुकूल हो जाती है। इसके विपरीत कीमत स्तर बढ़ जाने पर निर्यात कम हो जाते है फलतः व्यापार की शर्ते प्रतिकूल हो जाती है।

व्यापार शतों का महत्व

(Importance of Terms of Trade)

व्यापार की शर्तों का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के युग में विशेष महत्व है। इसके प्रमुख महत्व निम्नलिखित हैं

(1) व्यापार शर्तों से विदेशी विनिमय स्थिति का सहज ही ज्ञान किया जा सकता है।

(2) व्यापार की शर्तों से किसी देश के रोजगार स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है। क्योंकि अनुकूल व्यापार की शर्तें जहाँ रोजगार के अवसरों में वृद्धि करती है वहीं प्रतिकूल व्यापार की शर्तें रोजगार कम भी करती है।

(3) अनुकूल अथवा प्रतिकूल व्यापार शर्ते देश के उत्पादन स्तर को प्रोत्साहित या हतोत्साहित भी करती है।

(4) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभ अथवा हानि का मापन केवल व्यापार की शर्तों के आधार पर ही किया जा सकता है।

(5) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में आयात व निर्यात सम्बन्धी मूल्यों की जानकारी व्यापार की शर्तों पर निहित है। इस दृष्टि से भी व्यापार की शर्तें महत्वपूर्ण होती है।

(6) आज के मानवीय स्तर को ऊंचा करने में व्यापार की शर्तों का विशेष योगदान है क्योंकि अनुकूल व्यापार की शर्तें जहाँ जीवन स्तर को ऊँचा करती है। वहीं प्रतिकूल व्यापार की शर्ते निम्न जीवन स्तर की परिचायक है।

(7) किसी राष्ट्र का आर्थिक विकास अथवा अवसाय भी वर्तमान युग में व्यापार की शर्तों से निर्धारित होता है। अतः व्यापार की शर्ते ही आर्थिक विकास के लिए दर्पण है।

उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के क्षितिज पर व्यापार की शर्तों का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि व्यापार की शर्ते विकासशील राष्ट्रों के लिए जहाँ मार्गदर्शक है वहीं इनका सैद्धान्तिक गणितीय विश्लेषण तथ्यपरक जानकारी भी देता है।

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Pankaja Singh

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