
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की भूमिका | Functions of University Grants Commission in Hindi | Role of University Grants Commission in Hindi
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य
- यह आयोग यह सर्वेक्षण करता हैं कि किस विश्वविद्यालय को कितने धन की आवश्यकता है।
- वह अपने कोष से अनुदान बाँटता है और सरकार से सम्बन्धित विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक सहयोग की संस्तुति करता है।
- यह आयोग केन्द्रीय विश्वविद्यालयों (Central Universities) के लिए विकासात्मक अनुदान (Development Grant) एवं व्यवस्थापन अनुदान (maintenance grant) देता है।
- राज्यों द्वारा प्रशासित विश्वविद्यालय (State Universities) को केवल विकासात्मक अनुदान प्रदान करता है।
- यह आयोग सरकार को नये विश्वविद्यालयों की स्थापना के सम्बन्ध में परामर्श देता है।
- यह विश्वविद्यालयों के विस्तार के सम्बन्ध में सरकार को परामर्श देता है।
- यह विश्वविद्यालयों से तथा सरकार से सूचानएँ एकत्रित करके प्रकाशित करता है।
- यह आयोग शिक्षा स्तर को ऊंचा उठाने के लिए उत्तदायी है।
- यह विश्वविद्यालयों तथा सम्बद्ध कॉलेजों (Affiliated colleges) के पुस्तकालयों (Libraries), प्रयोगशालाओं (Laboratories) और शिक्षण (Teaching) की उत्तमता पर ध्यान देकर उन्हें उन्नत करने का प्रयास करता है।
- यह तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (3 Year Degree course) के कार्यान्वयन में होने वाले व्यय की पूर्ति करता है। और इस अनुदान को अपने संचित कोष से सीधे ही प्रदान करता है केन्द्रीय सरकार पहले स्नातकोन्तर शिक्षण और अनुसंधान कार्य की व्यवस्था के लिए विश्वविद्यालयों को दिया करती थी।
- यह शिक्षकों के वेतनमान भी निर्धारित करता है।
- शिक्षक और छात्रों के कल्याण करने के लिए अनुदान देता है।
- यह भवन निर्माण तथा छात्रावास के निर्माण के लिये अनुदान देता है।
- यह शोध प्रबन्धों का प्रकाशन करता है।
- यह छात्रों को छात्रवृत्तियाँ देता है।
- यह अनुदान विभिन्न अनुपातों में देता है, 33.3% से 100% तक। शेष राशि की व्यवस्था शैक्षिक संस्था को स्वयं अथवा प्रादेशिक सरकार को देनी पड़ती है।
यह अनुदान प्रायः पंचवर्षीय योजना अवधि के लिए दिया जाता है। किन्तु आवश्यकतानुसार दूसरी योजना तक बढ़ाया भी जा सकता है।
आयोग के वर्तमान नये एवं अन्य कार्य-
नई शिक्षा नीति के अन्तर्गम कुछ अन्य कार्य भी इस आयोग को सौंपे गये है
- शिक्षा के प्रबन्ध एवं व्यवस्था के लिए नये तरीकों का विकास करना।
- 500 सम्बद्ध महाविद्यालयों को स्वायत्तता प्रदान करना तथा कालेज एवं विश्वविद्यालय के सम्बन्धों के विभिन्न तरीकों का विकास करना।
- विविध विषयों के पाठ्यक्रम का निर्माण 15 विषयों के लिए दृश्य श्रव्य कैसेटों का निर्माण जिनका उपयोग व्यक्तिात अथवा दूरस्थ शिक्षा के लिए हो सके।
- नये शिक्षकों तथा शोधकर्ताओं के चयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा का आयोजन।
- शिक्षकों के मूल्यांकन के लिए नये तरीकों को विकास करना।
- पिछड़े वर्गों की कोचिंग कक्षाओं के लिए आर्थिक सहायता देना।
- भारतीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए उनमें प्रशिक्षण एवं पुस्तक लेखन, अनुवाद कार्यो के लिए सहायता देना।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की भूमिका
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इस आयोग की भूमिका के निम्नांकित पक्ष उल्लेखनीय हैं-
- उच्च शिक्षा के मानकों का निर्धारण और समन्वयकारी भूमिका- इसके लिए आयोग निन्मलिखित कार्य करता है-1. विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम की पुनर्सरचना करना 2. इस कार्य के लिए विशेषज्ञों का पैनल तैयार करना 3. उच्च तथा विशिष्ट अध्ययन के केन्द्रों की स्थापना करना, 4. विश्वविद्यालय के चयनित विभागों में विशेष सहायता के कार्यक्रमों को चलाना, 5. परीक्षा पद्धति में सुधार के लिए सुझाव देना, 6. अनुसंधानात्मक/शोधात्मक के प्रोत्साहन हेतु सहयता करना, 7. विश्ववविद्यालय तथा महाविद्यालयों में पुस्तकालय सुविधा को विकसित करना ।
- शिक्षकों के विकास में भूमिका- यह आयोग देश के समस्त विश्वविद्यालयो एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों को उनके शैक्षिक विकास हेतु संगोष्ठी परिचर्चा, ग्रीष्मकानीन कार्यशाल और पाठ्यक्रम सम्मेलनादि आयोजित करने के लिए अपने निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप आर्थिक सहायता प्रदान करता है। यह आयोग शिक्षकों को राष्ट्रीय छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय भाषापा-माला शैक्षिक फेलोशिप, यात्रा अनुदान एवं राष्ट्रीय सहभागिता भी सुलभ कराता है। अनुभवी तथा ख्याति प्राप्त सेवानिवृत शिक्षकों के अनुभव से लाभान्वित होने के लिए योजनाएं भी तैयार करता है।
- विश्वविद्यालयों के विकास में भूमिका- यू. जी. सी. द्वारा देश में उच्च शिक्षा के लिए कार्यरत समस्त विश्वविद्यालयों में विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान, पर्यावरणीय शिक्षा, जनसंख्या शिक्षा, कर्जा शिक्षा, अभियांत्रिकीय और तकनीकी शिक्षा आदि के विकास हेतु अनुदान एवं अन्य सहायता प्रदान की जाती है।
- महाविद्यालयों के विकास में योगदान- यह आयोग देश में उच्च शिक्षा देने वाले सभी महाविद्यालयों के विकास एवं संवर्द्धन हेतु- 1. विशेष सहायता देता है, 2. स्नातक और स्नातकोत्तर अध्ययन के विकास हेतु सहायता देता है। तथा 3. स्वायत्तशासी महाविद्यालयों के विकास के लिए सहायता प्रदान करता है।
- महिला शिक्षा के विकास में भूमिका- यू. जी. सी. महिलाओं में उच्च शिक्षा के विकास में विशेष रूचि लेता है। अतः महिलाओं को उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहन देता है। यह आयोग देश में महिला शिक्षा के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं, सहायता एवं सहयोग देश भर के विश्वविद्यालयों को उपलब्ध कराता है।
- छात्रों के हित में योगदान- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों के लिए अनेक हितकारी एवं लाभप्रद योजनाएं लागू कराता है यह छात्रों की शोध छात्रवृत्तियाँ एवं फेलोशिप आदि प्रदान करता है। यह विकलांग छात्रों को विशेष सहायता प्रदान करता है।
- पत्राचार पाठ्यक्रम, प्रौढ़ शिक्षा एवं अनवरत् शिक्षा में योगदान- जो शिक्षार्थी अपनी उच्च शिक्षा आगे जारी नहीं रख पाते हैं, ऐसे छात्रों के लिए यू. जी. सी. पत्राचार पाठ्यक्रम चलाने के लिए सहायता देता है। इसके अतिरिक्त प्रौद/सामाजिक शिक्ष और अनवरत/सतत शिक्षा के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को भी समुचित सहायता और प्रोत्साहन देता है।
- अनुसूचित जातियों/जनजातियों की शिक्षा में भूमिका- यू. जी. सी. द्वारा देश भर की अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों की उच्च शिक्षा हेतु अनेक कार्यक्रमों के अन्तर्गत विभिन्न सुविधाएं एवं सहायता दी जाती है। ताकि वे अपनी शिक्षा आगे जारी रख सकें।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा से सम्बन्धित अध्ययन के आदान-प्रदान के लिए विभिन्न देशों के मध्य संयुक्त संगोष्ठियाँ एवं फेलोशिप आदि देकर सहायता करता है।
शैक्षिक तकनीकी – महत्वपूर्ण लिंक
- समस्या समाधान विधि | समस्या समाधान विधि की परिभाषाएँ | समस्या समाधान विधि के सिद्धान्त | समस्या समाधान विधि के गुण | समस्या समाधान विधि के दोष | समस्या समाधान विधि के सोपान | समस्या समाधान व प्रायोजना विधि में अन्तर
- पर्यवेक्षित अध्ययन विधि | पर्यवेक्षित अध्ययन विधि का अर्थ एवं परिभाषा | पर्यवेक्षित अध्ययन विधि के गुण | पर्यवेक्षित अध्ययन विधि के दोष | पर्यवेक्षित अध्ययन विधि के सोपान
- व्याख्यान विधि | व्याख्यान विधि के गुण | व्याख्यान विधि के दोष | व्याख्यान विधि का प्रयोग कब किया जाये
- शिक्षण प्रतिमान | व्यवहारवाद और ज्ञानात्मक अधिगम के उपगमन का संश्लेषण | व्यवहारवादी और ज्ञानात्मक अधिगम के सिद्धान्तों में अन्तर
- शिक्षण की प्रकृति | शिक्षण की विशेषताएँ | शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक
- सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ | सूक्ष्म शिक्षण की विशेषताएँ | सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया | सूक्ष्म-शिक्षण-प्रक्रिया के प्रतिमान | सूक्ष्म शिक्षण के पद
- सूक्ष्म शिक्षण की प्रकृति | सूक्ष्म शिक्षण के प्रमुख सिद्धान्त | शिक्षण कौशल | सूक्ष्म शिक्षण के उद्देश्य | सूक्ष्म शिक्षण की अवधारणा एवं महत्त्व
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com