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विश्व में मत्स्य उद्योग का विवरण | विश्व के सामुद्रिक मत्स्य प्रदेश | विश्व में मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र | उत्तरी गोलार्द्ध के मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र | दक्षिणी गोलार्द्ध के मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र

विश्व में मत्स्य उद्योग का विवरण | विश्व के सामुद्रिक मत्स्य प्रदेश | विश्व में मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र | उत्तरी गोलार्द्ध के मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र | दक्षिणी गोलार्द्ध के मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र

विश्व में मत्स्य उद्योग का विवरण

जल के बिना जीवन सम्भव नहीं है। इसका उपयोग पीने, सिंचाई करने, विद्युत उत्पादन, परिवहन तथा उद्योग में किया जाता है। अतः यह एक अमूल्य साधन है। समुद्र के जल से नमक, मैंगनीज, अयस्क, कबोल्ट आदि प्राप्त होते है।

जल के उपयोग में मत्स्योत्पादन विशेष महत्त्वपूर्ण है। समुद्र में चालीस हजार प्रकार की मछलियां मिलती हैं जिनमें हेरिंग, सरडाइना, क्राड, दुना, साल्मन आदि एक दर्जन मछलियों का व्यापारिक महत्त्व है। मदलियों की दो मुख्य जातियाँ हैं, पैलाजिक तथा डेमर्सल। पैलाजिक मछलियाँ प्रायः समुद्री सतह पर या इसके निकट तैरती रहती हैं। इनमें हेरिंग तथा दुना प्रमुख हैं। 25 प्रतिशत हेरिंग जाति की मदलियाँ पकड़ी जाती हैं।

जहाँ प्लैंकटन की प्रचुरता हाती है, सर्द एवं उष्ण जलधाराओं का संगम होता है और समुद्री जल छिछला होता है वहाँ अधिक प्लैंकटन होते हैं और मछलियों की भी बहुलता होती है। जहाँ समुद्र तट कटा-फटा होता है वहाँ मत्स्याखेट में सुविधा रहती है। इसके लिए कम तापमान, श्रेष्ठ, पत्तन, विकसित नाविक कला, स्थानीय मांस शीत-संग्रहागार की व्यवस्था, तीव्रगामी परिवहन तथा वैज्ञानिक विकास महत्त्वपूर्ण कारक हैं।

विश्व के सामुद्रिक मत्स्य प्रदेश

(अ) उच्च मध्य अक्षांशीय समुद्र- इस भाग में ताइवान से बेरिंग सागर तक, कैलिफोर्निया से बेरिंग सागर तक, पुर्तगाल से सारेन्टस सागर तक तथा लैब्रेडोर से उत्तरी कनाडा तक के समुद्री क्षेत्र पड़ते हैं। इन महासागरों एवं सागरों में सबसे अधिक मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। विश्व की तीन-चौथाई मत्स्योत्पादन इस क्षेत्र में होता है। मछली मारने में बड़े जलपोतों तथा वैज्ञानिक उपकरणों का सहारा लिया जाता है। मजबूत जालों का प्रयोग होता हैं पर्सनेट तथा ट्रालनेट का अधिक व्यापार होता है।

(ब) मध्य अक्षांशीय समुद्र- इसमें चीन एवं जापान के तटीय समुद्री क्षेत्र, पीरू एवं चिली तटीय प्रदेश तथा कैलिफोर्निया तटीय प्रदेश आते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, पूरबी समुद्री तट तथा भूमध्य एवं काला सागर क्षेत्र भी मछली का उत्पादन करता है। 15 प्रतिशत मछली इस भाग में पकड़ी जाती है क्योंकि इस क्षेत्र में अधिक मछलियाँ मिलती हैं।

(स) उष्ण कटिबन्धीय समुद्र- इनमें अधिक मछलियाँ नहीं मिलती हैं किन्तु अनेक प्रकार की मछलियाँ मिलती हैं। फिर भी विश्व के उत्पादन की लगभग 10 प्रतिशत मछलियाँ इस भाग में मिलती हैं। प्रायः स्थानीय उपभोग के लिए मछलियों का शिकार होता है।

महाद्वीपीय जल- मछलियाँ नदियों, झीलों तथा अन्य जल स्त्रोतों से भी प्राप्त होती हैं। मानसून एशिया में महाद्वीपीय मछलियों का 55 प्रतिशत उपलब्ध होता है। मध्य अफ्रीका में 27.5 प्रतिशत, सोवियत रूस में 11 प्रतिशत तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में 4 प्रतिशत मछलियाँ पकड़ी जाती हैं।

विश्व में मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र

मछली का उपयोग- गोले के 70 प्रतिशत भाग पर समुद्र है किन्तु इससे केवल विश्व का 3 प्रतिशत भोजन प्राप्त होता है। विश्व का अनुमानित वार्षिक मत्स्याखेट 3 करोड़ मीटरी टन है जिसमें केवल आधी मछलियाँ खारा के रूप में प्रयोग की जाती हैं। 15 प्रतिशत मदलियाँ जानवरों के भोजन में उपयोग की जाती है। शेष 25 प्रतिशत से खाद और 10 प्रतिशत से तेल एवं चवीं बनती है।

उत्तरी गोलार्द्ध के मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र

विश्व के चार मुख्य मत्स्याखेट क्षेत्र हैं-

  1. उत्तरी पश्चिमी प्रशान्त क्षेत्र- इस क्षेत्र में सोवियत रूस के उत्तरी-पूरबी, उत्तरी एवं मध्य जापान के समुद्र, चीन के समुद्र तथा कोरिया के समुद्र आते हैं। उत्तरी कोखोटस्क तथा दक्षिणी कुरोसियों जलधाराओं के मिलने से मत्स्योत्पादन होता है। यहाँ साल्मन तथा कॉड प्रमुख मछलियाँ है। दक्षिण की ओर गरम समुद्रों में दुना, मैकरल, सारडाइन तथा शेलफिश मिलती हैं। जापान तथा चीन केसमुद्री भाग में संसार में सर्वाधिक मत्स्याखेट होता है।
  2. उत्तरी-पश्चिमी अटलांटिक क्षेत्र- इस भाग में लैब्रेडोर की शीत जलधारा तथा खाड़ी की उष्ण जलधारा मिलती है। गहरे समुद्र से घिरी अनेक वेदियाँ हैं जिनमें ग्रैण्ड बैंक, सेंटपीरो बैंक, जार्ज बैंक तथा एडवर्ड बैंक प्रमुख हैं। मत्स्याखेटक देश संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा हैं। यहाँ पर्च, हेउक, हेरिंग, कॉड तथा लोबस्टर मछलियाँ मिलती हैं। दक्षिण के उष्ण समुद्रों में पैलाजिक मछलियों का शिकार होता है। चेसापीक खाड़ी विश्व में शेल मछली के शिकार का सबसे बड़ा केन्द्र है। इस भाग में क्रेव, ओयस्टर, स्केलप आदि मछलियाँ मिलती हैं। मैक्सिको की खाड़ी में श्रिम्प मछली का शिकार होता है जो विश्व में सबसे बड़ा है।
  3. उत्तरी-पूरबी अटलाण्टिक क्षेत्र- इस क्षेत्र में उत्तर सागर सबसे महत्त्वपूर्ण मत्स्याखेट का केन्द्र है। यहाँ हेरिंग तथा कॉड का शिकार होता है। इस क्षेत्र में विस्तीर्ण वेदियाँ हैं जिनमें डोर बैंक प्रमुख हैं। यहाँ मछलियों की बड़ी प्रचुरता है। दक्षिण उष्ण सागरों में सारडाइन, मैकेरल तथा टुना मछलियों का शिकार होता है। इस क्षेत्र में आइसलैंड, नार्वे, पश्चिम एवं पूरब जर्मनी तथा फ्रांस के लोग मत्स्याखेट करते हैं।
  4. उत्तर-पूरबी प्रशान्त क्षेत्र- यह क्षेत्र अलास्का से कैलिफोर्निया तक विस्तृत है। इसमें साल्मन तथा हुना मदलियों का बाहुल्य है। हालीवुड तथा हेरिंग का शिकार वृद्धि पर है। कैलिफोर्निया तट पर तुना मछली का सर्वाधिक शिकार होता है। इस क्षेत्र में कम चौड़ी किन्तु अधिक संख्या में उथली बेदियाँ हैं।

उत्पादक देश- विश्व के प्रमुख मत्रकोत्पादक देश पीरू, चीन, जापान, सोवियत रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, नावें तथा भारत हैं। मछलियों को पकड़ने तथा उनको सुरक्षित रखने की अनेक विधियाँ ज्ञात हो गयी हैं। फलतः मछलियों का उद्योग उन्नति पर है। अन्य देश कनाडा, स्पेन, ब्रिटेन, आइसलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, फिलीपाइन, चिली आदि हैं।

दक्षिणी गोलार्द्ध के मत्स्याखेट के प्रमुख क्षेत्र

(Fishing Areas of Southern Hemisphere)

यहाँ निम्नलिखित दो क्षेत्रों में मत्स्य कार्य प्रमुखता से किया जाता है-

(1) दक्षिणी अमेरिका का पश्चिमी तटीय क्षेत्र- दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर चिली और पेरू महत्त्वपूर्ण मछली उत्पादक क्षेत्र हैं। यहाँ ठण्डी हम्बोल्ट धारा बहुत चौड़ी है, जिसमें मछलियों के विकास के लिए आदर्श भौगोलिक सुविधाएँ पाई जाती है। चिली में 50.5 लाख टन और पेरू में 84.3 लाख टन मछली का उत्पादन किया जाता है। पेरू के मत्स्य उत्पादन में 16 लाख टन एंकोवाइट और 17 लाख टन सारडाइन मछली का भाग था, चिली में मछलियों की 220 किस्में पाई जाती हैं।

(2) उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र- इस प्रदेश में बहुत कम तथा घटिया किस्म की मछलियाँ पकड़ी जाती हैं, क्योंकि मदलियों के विकास हेतु समशीतोष्ण प्रकार की जलवायु यहाँ उपलब्ध नहीं है। उष्ण कटिबन्धीय प्रदेश के अन्तर्गत-(क) इण्डोनेशिया एवं चीन के तटीय क्षेत्र, (ख) मैक्सिको की खाड़ी एवं कैरोबियन सागरीय क्षेत्र, (ग) मध्य प्रशान्त महासागरीय पूर्वी क्षेत्र प्रमुख हैं। दक्षिण-पूर्वी एशिया में सुन्डा शेल्फ पर मत्स्य उद्योग का विकास करने के सफल प्रयास चल रहे हैं। यहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और नार्वे के सहयोग से मत्स्य उद्योग उन्नत होता जा रहा है। थाईलैण्ड में 27.3 लाख टन समुद्री मछली (प्रॉन और श्रिम्प) तथा 2.7 लाख टन ताजा जल की मछली का उत्पादन किया जाता है। इण्डोनेशिया में 34.5 लाख टन समुद्री मछली और 7 लाख टन ताजा जल की मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। फिलीपीन्स का कुल उत्पादन 18.7 लाख टन है। मैक्सिको की खाड़ी एवं कैरेबियन सागर से विश्व की लगभग 4 प्रतिशत मछलियाँ प्राप्त होती हैं। मध्य प्रशान्त महासागरीय पूर्वी क्षेत्र के अन्तर्गत पेरू, पनामा तथा पश्चिमी मैक्सिको के तटीय क्षेत्र सम्मिलित हैं।

(3) अफ्रीका का पश्चिमी तटीय क्षेत्र व आन्तरिक भाग- सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में मीठे जल के मछली क्षेत्र विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। अफ्रीका के पश्चिमी तट पर मछली- विकास की सभी आदर्श भौगालिक सुविधाएँ विद्यमान हैं। आन्तरिक भागों में नील, कांगों, नाइजर जैसी नदियों में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। अधिकांशतः इन पकड़ी गई मछलियों का उपभोग स्थानीय रूप से ही किया जाता है।

(4) अफ्रीका का पूर्वी तटीय क्षेत्र- सघन जनसंख्या व उथला समुद्र तट होने के कारण प्राचीनकाल से ही इस क्षेत्र में मछली पकड़ने का कार्य विकसित रहा है। यहाँ सारडाइन  व प्रजाति की मछलियाँ पर्याप्त मात्रा में मिलती हैं। स्थानीय महत्त्व की दृष्टि से इस क्षेत्र का विशेष महत्त्व है।

(5) ऑस्ट्रेलिया का पूर्वी तटीय क्षेत्र- यह क्षेत्र मछली उद्योग का अग्रणी क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में मछली पकड़ने का उद्योग व्यावसायिक रूप से किया जाता है। कॉड, हैक तथा हैडओक इस क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रमुख मछलियाँ हैं। विश्व के कुल मछली उत्पादन का एक-चौथाई से कुछ कम दक्षिणी गोलार्द्ध से प्राप्त होता है। न्यूजीलैण्ड के तटीय प्रदेश भी मत्स्य क्षेत्र के रूप में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

विश्व में मत्स्योत्पादन (सन् 2010-11)

देश उत्पादन (लाख मीटरी टन)
जापान 196.8
सोवियत संघ 131.9
चीन 67.1
पीरु 48.6
सं. रा० अमेरिका 53.8
भारत 56.3
नार्वे 51.9
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Pankaja Singh

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