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विश्व में खनिज तेल का उत्पादन एवं वितरण | विश्व में खनिज तेल का भण्डार | खनिज तेल के उत्पादक देश | दक्षिण-पश्चिम एशिया के खनिज तेल क्षेत्र | खनिज तेल का आर्थिक एवं राजनीतिक महत्व | खनिज तेल का शोधन

विश्व में खनिज तेल का उत्पादन एवं वितरण | विश्व में खनिज तेल का भण्डार | खनिज तेल के उत्पादक देश | दक्षिण-पश्चिम एशिया के खनिज तेल क्षेत्र | खनिज तेल का आर्थिक एवं राजनीतिक महत्व | खनिज तेल का शोधन

विश्व में खनिज तेल का उत्पादन एवं वितरण

खनिज तेल आधुनिकतम सभ्यता की रीढ़ है। चालक शक्ति के साथ रासायनिक पदार्थों के निर्माण में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। यह अवसादी शैलों में वलित क्षेत्रों के समीप  पाया जाता है। समुद्री वनस्पति तथा समुद्री जीव-जन्तुओं के अवशिष्ट भाग से खनिज तेल बनता है। यह अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में आर्थिक एवं राजनीतिक दाँव-पेंच का मुख्य कारण बन गया है। यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का मुख्य अंग बन गया है। इसका उपयोग मोटरगाड़ी, वायुयान, इंजन, कृषि, औजार, कृत्रिम रबड़, प्लास्टिक, नाइलोन एवं टेरिलिन आदि के निर्माण एवं संचालन में किया जाता है। अन्तर्दहन इंजनों के प्रचार से खनिज तेल की उपयोगिता अत्यधिक बढ़ गयी है। इसकी उपयोगिता कोयले से अधिक है।

विश्व में खनिज तेल का भण्डार

वर्ल्ड आयल पत्रिका में प्रकाशित विवरण के अनुसार विश्व में कुल प्रमाणिक भण्डार 527 अरब वैरेल है। तीन दक्षिणी महाद्वीपों में विश्व का 11% उत्पादन होता है। एशिया में विश्व के कुल भण्डार का 65% और उत्तरी अमेरिका में 14% खनिज तेल का भंडार है। खनिज तेल के भंडार वाले प्रमुख देश सऊदी अरव, वेनेजुएला, इराक तथा रूस हैं।

खनिज तेल के उत्पादक देश

विश्व में खनिज तेल के प्रमुख उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत रूस, वेनेजुएला, सऊदी अरब, लीबिया, कुवैत, ईरान, इण्डोनेशिया तथा नाइजीरिया है। कनाडा, मेक्सिको, दक्षिणी-पूरवी एशिया के देश, बर्मा तथा भारत अन्य उत्पादक देश हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका- यह खनिज तेल का बड़ा उत्पादक देश है। भंडार की दृष्टि से संसार का प्रथम देश है। इसके प्रमुख तेल क्षेत्र निम्न प्रकार है-

(1) मध्य महाद्वीपीय क्षेत्र- यह विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। इसका विस्तृत, कन्सास, ओकलाहामा, टेक्सास, उत्तरी लुशियाना, दक्षिणी अरकन्सास, दक्षिणी मिसीसिपी तथा अलबामा प्रान्त में है।

(2) कैलिफोर्निया क्षेत्र- यह दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां का भंडार भारी है और सभी प्रकार के मिलते हैं।

(3) खाड़ी तट के क्षेत्र- इसमें बालू टीलों में तेल मिलता है। समुद्री भाग में महाद्वीपीय भग्न तट तक खनिज तेल मिल रहा है।

(4) महान् झील क्षेत्र- इसमें दंडियाना, ओहियो, मिशिगन तथा इलिनाइस प्रान्त पड़ते हैं। यहां तेल में गन्धक की मात्रा अधिक है।

(5) अपेलेशियन क्षेत्र- यहाँ उच्च कोटि का खनिज तेल मिलता है इसलिए विश्व के सबसे अच्छे खनिज तेल को पेंसिलवेनिया तेल की संज्ञा प्रदान की जाती है।

(6) राकी पर्वतीय क्षेत्र- यहाँ उत्पादन कम है किन्तु भविष्य में बडत्रे भण्डारों के मिलने की सम्भावना है।

वेनेजुएला- यह विश्व का पाँचवाँ वड़ा खनिज तेल उत्पादन देश है। विश्व के निर्यातक में इसका प्रथम स्थान है। माराकेवा प्रदेश में लागुनिल्लास, टिआजुआना, लासलीना बचाकीइबो, मोनेग्राण्डे, मर्रा एवं तर्रा तेल क्षेत्र हैं। ओरिनोको बेसिन में किरिक्वायर, जुसे तथा औफिसियाना तेल क्षेत्र हैं। अपुरे बेसिन तृतीय क्षेत्र है। यहाँ एक दर्जन शोधनशालाएँ हैं। मारोकेबी एवं केरापिटी मुख्य केन्द्र तथा प्लूटो, मिराण्डा मुख्य पत्तन है।

दक्षिण-पश्चिम एशिया के खनिज तेल क्षेत्र

भण्डार की दृष्टि से इस देश का स्थान विश्व में द्वितीय है। इसके तेल क्षेत्र दम्माम,  अबक्बेक, अउमेदार, कार्तिक, घावार, सफानिया तथा खुरसानिया हैं। घावार सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उत्पादन की दृष्टि से इस देश का स्थान संसार में पाँचवाँ है। रासतनुरा में शोधनशाला है। खनिज तेल के निर्यात का पतन सिदोन (लेबनान) है।

कुवैत- भंडार की दृष्टि से इस देश का स्थान विश्व में चौथा है। प्रमुख तेल क्षेत्र बुरगान, मागवा-अहमदी औधतैन, वहराह, साब्रिया तथा गिनागिश है। मीन-जुल-अहमदी में शोधनशाला है। कुवैज पत्तन से तेल का निर्यात होता है।

ईरान- इस देश में कैस्पियन तट, उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र तथा दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र मे तेल मिलता है। उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र में हफ्तेसाह एवं खानकिन तेल क्षेत्र है। दक्षिणी पश्चिमी ईरान में मस्जिदें सुलमान, नफ्तकेल, अधाजरी, लाली तथा नफ्ते साफिद तेल क्षेत्र हैं। अबादान तथा करमानक्षाई में तेल शोधनशालाएं हैं। अबादान चिश्व की सबसे बड़ी तेल शोधनशाला है। तेल के उत्पादन में इस देश का स्थान विश्व में नवां है।

इराक- इस देश के मुख्य तेल क्षेत्र नफ्तखानेट, किरकुक, जुबैर, रुमैला तथा जाम्पुर हैं। इसका निर्यात फारस की खाड़ी तट के पत्तन फाओ से होता है। खानकिन, दौरा, बसरा तथा कैमारा में तेल शोधनशालाएं हैं। दक्षिणी-पश्चिमी एशिया के खनिज तेल उत्पादक अन्य देश इजराइल (हैंलेट्ज, नेयवा, रताबी तथा खाफजी), बहरीन (बहरीन, फोर्थ पे), कतार (दुखान) तथा द्रुशल ओमान है। इस भाग में प्लास्टिक कण्टेनर द्वारा खनिज तेल तथा टैंगर द्वारा गैस की ढुलाई विकसित हो रही है। ईरान तथा अरब में गैसाग्रिड की प्रयोजना चल रही हैं।

इण्डोनेशिया- इस देश में सुमात्रा, कालीमन्तन तथा जावा द्वीपों में खनिज तेल मिलता है। सुमात्रा के तेल क्षेत्र अटजेह तटीय क्षेत्र तथा पूरबी तट पर जिम्बो एवम् पलामबाग में है। कालीमन्तन के दक्षिणी तट पर बालकापापन तथा इसके निकट के द्वीप टाकन में खनिज तेल मिलता है।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार

खनिज तेल के प्रमुख निर्यातक दक्षिणी-पश्चिमी एशिया के देश संयुक्त राज्य अमेरिका, वेनेजुएला कोलम्बिया तथा इण्डोनेशिया है। आयातकों में संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, जापान तथा पश्चिम जर्मनी प्रमुख हैं।

खनिज तेल का आर्थिक एवं राजनीतिक महत्व

खनिज तेल का आर्थिक एवं राजनीतिक महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। यह शक्ति का प्रधान साधन है। सर्वोत्तम परिवहन साधन वायुयान में खनिज तेल के पदार्थों का ही उपयोग होता है। इससे विभिन्न प्रकार की औद्योगिकी महत्व की वस्तुएं तैयार हो रही हैं। इसी कारण विकसित देश खनिज तेल के भंडार को सुरक्षित रखना चाहते हैं। इसी आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत रूस की विशेष रुचि दक्षिणी पश्चिमी एशिया की समस्याओं में है। ग्रेट ब्रिटेन भी अपना उल्लू करने के लिए गोटी बिठाता रहता है। दक्षिणी-पश्चिमी एशिया को आर्थिक भित्ति खनिज तेल है। यही इन देशों की सरकारों का मुख्य आर्थिक स्त्रोत है। वेनेजुएला की सारी सम्पत्ति खनिज तेल है। इन तेल क्षेत्रों की ओर प्रभावशाली राष्ट्रों की कातर दृष्टि लगी हुई है किन्तु राष्ट्रीय चेतना के जागृत हो जाने से ये देश राष्ट्रीय आय की वृद्धि के लिए विशेष जागरूक हो गये हैं। पश्चिम देशों के ठीके समापत किये जा रहे हैं और खनिज तेल शोधनशालाएं स्थापित हो रही हैं। साम्यवादी एवं पूंजीवादी देशों में अपने प्रभाव वृद्धि के लिए होड़ लगी है। इसी होड़ में राज्य क्रान्ति एवं राजनीतिक उथल- पुथल का सूत्रपात हुआ हैं। आजकल खनिज तेल ही विश्व की राजनीति के नियंत्रण का एक साधन बना गया है जिसका उपयोग एशिया-अफ्रीका के तेल उत्पादक देश कर रहे हैं जिससे विश्व में तनाव की स्थिति पैदा हो गयी है। विश्व के समक्ष महान् ऊर्जा संकट उपस्थित हो गया है। खनिज तेल एवं इसके उत्पादन की मूल्य से विकासशील देशों की योजनाएं खटाई में पड़ गयी हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित एवं खनिज तेल सम्पन्न देश भी चक्कर में पड़ गये हैं। ऊर्जा संकट के समाधान के निमित्ति अणु सौर शक्ति के उपयोग की दिशा में अनुसंधान हो रहे हैं।

खनिज तेल का शोधन

खनिज तेल शोधन शालाओं की स्थिति, उत्पादन क्षेत्र बाजार तथा अन्य भौगोलिक दशाओं से प्रभावित होता है। इस उद्योग के लिए पर्यापत पूँजी, कुशल प्रविधज्ञ, विस्तृत भूमि, स्वच्छ जल तथा परिवहन की सुविधा आवश्यक होती है। वातावरण को दूषित होने से बचाने के निमित्त भी सुविधाएं आवश्यक होती है।

तेल शोधन केन्द्र- विश्व के पचास देशों में तेल शोधन कारखाने चलते हैं। इस समय विश्व की शोधन क्षतमा 244 करोड़ मीटरी टन है। जिन पाँच देशों में कारखानों की संख्या अधिक है वे हैं संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरीबियन क्षेत्र, पश्चिमी जर्मनी, सोवियत संघ तथा मध्य- पूरब एशिया।

संयुक्त राज्य अमेरिका- यहाँ विश्व की 30 प्रतिशत तेल शोधन क्षमता मिलती है। इसके खाड़ी तट क्षेत्र, वृहद् झील क्षेत्र, पूरबी एटलांटिल तटीय क्षेत्र, प्रशान्त महासागरीय तटीय क्षेत्र तथा राकी पर्वतीय क्षेत्र अधिक विख्यात है।

कैरीबियन क्षेत्र- वेनेजुएला के आमुए, कैफ्डन कोलम्बिया के बैरको परमेजो।

सोवियत संघ- मास्को, यारोस्लाव, गोर्की, रयाजान, ब्रायंसक, पोलीत्सक, ओमस्क, पावलादार, क्रोस्नोयार्स्क, इर्कूटस्क, कास्सोमोलस्क आदि तेल शोधन के केन्द्र हैं।

दक्षिणी पश्चिमी एशिया- इस क्षेत्र में अबादान, रासतनुरा, मिनाअल अहमदी, मिना सऊद, मिना अब्दुल्ला, हैफा, सिदोन तथा टिपाली बड़े केन्द्र हैं।

प्राकृतिक गैस (Natural Gas)

प्राकृतिक गैस एथीन (Ethane) और मेथैन (Methane) हाइड्रोकार्बन गैसीय तत्वों के रूप में पृथ्वी के पटल में अधिकांशतः पेट्रोलियम के साथ-साथ पायी जाती है। पेट्रोलिसम प्रापित के कुओं के ऊपरी भाग से गैस की प्राप्ति होती है जिसे केसिग शीर्ष कहा जाता है। गैस का उपयोग मुख्यतः तीन रूपों में किया जाता है-

(क) घरेलू ईंधन के रूप में (ख) उद्योगों में ऊर्जा के रूप में (ग) औद्योगिक कच्चे माल के रूप में विश्व में प्राकृतिक गैस का उत्पादन-विश्व के प्रमुख प्राकृतिक गैस का उत्पादन करने वाले देश हैं सं. रा. अमेरिका, सोवियत संघ, कनाड़ा एवं यूरोपीय देश नीदरलैण्ड, यूनाइटेड किंगडम, नार्वे, रोमानिया, जर्मनी, इटली इत्यादि।

(1) सोवियत संघ- यहाँ विश्व की लगभग 39% गैस का उत्पादन होती है। यहाँ 25000 मिलियन घन मीटर से अधिक गैस भण्डार हैं जो विश्व के कुल गैस भण्डार का 45% के लगभग हैं यहाँ गैस के प्रमुख भण्डार पश्चिमी साइबेरिया और मध्य एशिया में है। उत्तरी काकेशिया, उक्राइन और यूरोपीय भाग के उत्तर में तथा द. यूराल में भी गैस खनन केन्द्रों में उत्पादन किया जा रहा है। प. साइबेरिया में संसार का सबसे बड़ा गैस भण्डार तथा उत्पादन केन्द्र उरेनगोई है।

(2) संयुक्त राज्य अमेरिका- यहाँ विश्व की 27% गैस का उत्पादन होता है। यहाँ के गैस भण्डार की मात्रा लगभग 6000 मिलियन घन मीटर है। गैस उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं-

(क) टेक्सास तथा गल्फ तटीय क्षेत्र सं. रा० अमेरिका की लगभग 70% गैस का उत्पादन होता है। गल्फ तटीय क्षेत्र में लुईसियना, मिसीसिपी, टेक्सास तथा कन्सास राज्यों के तटवर्ती भाग सम्मिलित है।

(ख) मध्य महाद्वीपीय क्षेत्र जो 13% गैस का उत्पादन करता है। इसके अन्तर्गत ओकलाहोया, द. पू. कन्सास राज्य सम्मिलित है।

(ग) केलिफार्निया क्षेत्र जहाँ सं० रा० अमेरिका की 9% गैस उत्पन्न होती है।

(3) कनाडा- यहाँ विश्व की लगभग 5% गैस का उत्पादन होता है। कनाडा में गैस के संचित भंडार लगभग 200 मिलियन घनमीटर है। यहाँ के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र कैलगरी, एडमंटन तथा दक्षिणी से केचवान क्षेत्र में है।

(4) यूरोपीय देश- संसार के कुल प्राकृतिक गैस उत्पादन का 16% भाग उत्पादित किया जाता है। यूरोप के कुल उत्पादन का 75% चार देशें नीदरलैण्ड, रोमानिया, यूनाइटेड किंगडम और नार्वे में उत्पन्न किया जाता है। इसके अतिरिक्त इटली जर्मनी तथा फ्रांस में भी गैस का उत्पादन होता है।

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Pankaja Singh

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