विपणन प्रबन्ध

विपणन अनुसंधान की परिभाषा | विपणन अनुसंधान के लाभ या महत्व

विपणन अनुसंधान की परिभाषा | विपणन अनुसंधान के लाभ या महत्व | Definition of Marketing Research in Hindi | Benefits or Importance of Marketing Research in Hindi

विपणन अनुसंधान की परिभाषा

(Definition of Marketing Research)

विपणन अनुसंधान का आशय किसी भी विपन्न समस्या को परिभाषित करने, वस्तुओं और सेवाओं के विपणन से विभिन्न समस्याओं के बारे में आवश्यक बातों का विश्लेषण करने एवं उनका समाधान करने से है। विपणन अनुसंधान को विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न शब्दों में परिभाषित किया है। इसके सम्बन्ध में कुछ मुख्य परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार, “विपणन अनुसंधान से तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं को उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक हस्तान्तरित करने और बेचने से सम्बन्धित समस्याओं के बारे में तथ्यों का संकलन, अभिलेखन और विश्लेषण करना है। इस परिभाषा को और अधिक स्पष्ट करते हुए अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन ने बताया है कि विपणन अनुसंधान का एक विस्तृत शब्द है, जिसमें विपणन क्रिया के प्रबन्ध से सम्बन्धित की जाने वाली सभी अनुसंधान क्रियायें, जैसे- (1) बाजार विश्लेषण (Market Analysis)- इसके अन्तर्गत बाजार का आकार, स्थिति, प्रकृति एवं विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। (2) विक्रय विश्लेषण (Sales Analysis) – इसके अन्तर्गत मुख्यतः विक्रय सम्बन्धी आँकड़ों का अध्ययन किया जाता है। (3) उपभोक्ता अनुसंधान (Consumer Research)- इसके अन्तर्गत मुख्यतः उपभोक्ता प्रवृत्तियों, प्रतिक्रियाओं एवं प्राथमिकताओं की खोज करना आदि को सम्मिलित किया जाता है। (4) विज्ञापन अनुसंधान (Advertising Research) – इसके अन्तर्गत यह देखा जाता है कि निर्माण की गई वस्तुओं को किस प्रकार बेचा जाये एवं उपभोक्ताओं को किस प्रकार सूचित किया जाये। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि इसका कार्य विक्रय कार्यों के प्रबन्ध में सहायता पहुँचाना है।

  1. फिलिप कोटलर के अनुसार, “विपणन अनुसंधान वस्तुओं और सेवाओं के विपणन में निर्णय एवं नियन्त्रण सम्बन्धी पद्धति को सुधारने के उद्देश्य से किया जाने वाला व्यवस्थित समस्या विश्लेषण, मॉडल निर्माण एवं आँकड़े अन्वेषण सम्बन्धी कार्य हैं।”
  2. क्लार्क एवं क्लार्क के अनुसार, “विपणन अनुसंधान से आशय वस्तु का डिजाइन, वस्तु का बाजार और ऐसी क्रियाओं, जैसे वस्तु का वितरण, संग्रहण, विज्ञापन एवं विक्रय प्रबन्ध का सावधानीपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण  अध्ययन है।’’

उपर्युक्त परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर हम कह सकते हैं कि यह वैज्ञानिक अध्ययन की प्रक्रिया है जिसमें विपणन समस्याओं को एकत्रित करना एवं उपयोगी सूचनाओं को प्राप्त करके निर्णय लेना तथा नियन्त्रण पद्धति में सुधार किया जाना सम्मिलित है। इसका प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने के बाद ही संस्था के लाभों में वृद्धि करना होता है।

विपणन अनुसंधान के लाभ या महत्व

(Advantages or Importance of Marketing Research)

प्राचीन काल में उत्पादक अपनी सुविधानुसार वस्तुयें बनाता था और उन्हें उपभोक्ताओं को बेचने में सफल हो जाता था, परन्तु आज की बदलती परिस्थितियों में उत्पादक को उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं, रूचियों तथा आय और फैशन आदि को ध्यान में रखते हुए ही वस्तु का उत्पादन करना पड़ता है। अतः हम कह सकते हैं कि आज का युग उपभोक्ता प्रधान है, विक्रेता प्रधान नहीं। इसलिए इस क्रेता बाजार में विपणन अनुसंधान का विशेष महत्व है।

विपणन अनुसंधान से निर्माताओं को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  1. नई उत्पादों का उत्पादन ( Production of New Products) – विपणन अनुसंधान से ग्राहकों को नयी-नयी आवश्यकताओं का पता चलता है और उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्था को नये उत्पादों का उत्पादन करने हेतु लाभकारी अवसर प्राप्त होते हैं।
  2. वस्तुओं के नये उपयोग ( New Uses of Products) – विपणन अनुसंधान के द्वारा उत्पादकों को यह भी पता चलता रहता है कि क्या उपभोक्ता संस्था द्वारा सुझाये गये उपयोग के अतिरिक्त वस्तु का कोई और उपयोग भी कर रहे हैं? यदि वस्तु के उन नये उपयोगों का उत्पादक को पता लग जाये तो संस्था नये उपयोगों का अधिक प्रचार कराकर अपनी वस्तु की मांग बढ़ा सकती है।
  3. उपयोगी सूचनाएँ (Valuable Information’s) – विपणन अनुसंधान से यह पता चल जाता है कि हमारे ग्राहक कौन हैं? वे वस्तु का क्रय क्यों करते हैं? वे वस्तु का क्रय कब और कहाँ से करते हैं? आदि। इस प्रकार की सूचना की जानकारी से विपणनकर्त्ता अपनी विपणन क्रियाओं को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयत्न करते हैं।
  4. विपणन श्रृंखला का चयन (Selection of Channel of Distribution) – विपणन अनुसंधानों के द्वारा विपणनकर्ता को ग्राहकों के विषय में जानकारी हो जाती है और प्रतिस्पर्धियों की वितरण नीति का ज्ञान हो जाता है। विपणनकर्ता यह जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् आसानी से अपनी संस्था के लिए वितरण शृंखला का चयन कर सकता है।
  5. वस्तुओं में सुधार (Improvement in Products) – विपणन अनुसंधान से ज्ञात किया जा सकता है कि उपभोक्ता किस प्रकार की वस्तु चाहते हैं? हमारी संस्था द्वारा निर्मित वस्तु में क्या कमियाँ हैं? अर्थात् हमारी संस्था की वस्तुओं में किन-किन सुधारों की आवश्यकता है? विपणनकर्त्ता यह जानकारी प्राप्त करके अपनी वस्तु में सुधार करके वस्तु की माँग बढ़ा सकता है।
  6. माँग का ज्ञान (Knowledge of Demand) – विपणन अनुसंधान द्वारा निर्मित वस्तु की माँग का अध्ययन करके यह पता लगाया जाता है कि वस्तु की माँग लोचदार है या बेलोचदार या मौसमी इन तथ्यों का ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् विपणनकर्त्ता सुव्यवस्थित उत्पाद कार्यक्रम तैयार कर सकता है।
  7. नए बाजारों की खोज (Discovery of New Markets) – विपणन अनुसंधान के द्वारा वस्तु के नये-नये बाजारों की खोज करके वस्तु का बाजार विस्तृत करने में सहायता मिलती है।
  8. प्रतिस्पर्धा में स्थायित्व (Existence in Competitive Situation) – विपणन अनुसंधान के द्वारा प्रतिस्पर्धियों की नीतियों का अध्ययन करके संस्था अपनी नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करके प्रतिस्पर्धी की स्थिति में अपनी वस्तु बेचने में सफल हो सकती है।
  9. नियोजित उत्पादन (Planned Production) – विपणन अनुसंधान के द्वारा वस्तुओं की माँग के सही-सही पूर्वानुमान के आधार पर निर्माता आयोजित उत्पादन कर सकते हैं जिससे माँग और पूर्ति में सामंजस्य स्थापित हो जाता है।
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Pankaja Singh

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