विक्रय प्रबंधन

विक्रय विभाग में कर्मचारियों की कार्य पर नियुक्ति | आगमन अथवा कार्य परिचय | आगमन का अर्थ एवं पद्धति | कार्य परिचय की पद्धति | आगमन के उद्देश्य या लाभ

विक्रय विभाग में कर्मचारियों की कार्य पर नियुक्ति | आगमन अथवा कार्य परिचय | आगमन का अर्थ एवं पद्धति | कार्य परिचय की पद्धति | आगमन के उद्देश्य या लाभ | Recruitment of employees on the job in sales department in Hindi | Arrival or Job Introduction in Hindi | Meaning and method of arrival in Hindi | Method of job introduction in Hindi | purpose or benefits of arrival in Hindi

विक्रय विभाग में कर्मचारियों की कार्य पर नियुक्ति

जब विक्रय विभाग में कार्य करने के लिए विक्रयकर्त्ताओं और अन्य कर्मचारियों का चयन कर लिया जाता है, तब उन्हें कार्य सौंपने की समस्या आती है। सही कार्य पर सही व्यक्ति की नियुक्ति विक्रय संगठन को अनेक लाभ उपलब्ध कराती है। इसलिए कार्य सौंपते समय कर्मचारियों की योग्यता, क्षमता एवं अन्य जरूरी आवश्यकताओं को देख लिया जाता है। सरल शब्दों में, “सही कार्यों एवं नव नियुक्त कर्मचारियों को अवस्थित करना ही कार्य पर नियुक्ति करना कहलाता है।” डेल योडर के अनुसार, “नव-कर्मचारी को विशेष कार्य की सुपुर्दगी ही कार्य पर नियुक्ति है।”

आगमन अथवा कार्य परिचय

आगमन का अर्थ एवं पद्धति

विक्रय विभाग में नव-नियुक्त विक्रयकर्ताओं एवं कर्मचारियों की कार्य पर नियुक्ति के उपरांत उनका आगमन अर्थात् कार्य से परिचय कराया जाता है। यह आगमन की प्रक्रिया, सिद्धांत बोध के नाम से भी जानी जाती है। आगमन को एक ऐसा व्यवहार माना गया है जिसके द्वारा कर्मचारी को विक्रय संगठन के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है।

कार्य परिचय की प्रक्रिया के अन्तर्गत-(1) संगठनों एवं उसके उत्पादों (2) विक्रय नीति, (3) संगठन की संरचना एवं विभिन्न विभागों के कार्य, (4) रोजगार की शर्तों, सुविधाओं एवं कार्य-स्थितियों, (5) कल्याण-कार्यो, (6) स्थायी आदेशों (Standing Orders), (7) पारिश्रमिक एवं कमीशन पद्धति, (8) विक्रय क्षेत्र एवं विक्रय कोटा, (9) कम्पनी की नीतियों, उद्देश्यों एवं व्यवस्थाओं आदि के सम्बन्ध में दी जाने वाली जानकारी को सम्मिलित किया जाता है। इस समस्त जानकारी के परिणामस्वरूप कर्मचारीगण कम्पनी के नियमों एवं विक्रय संगठन की व्यवस्थाओं से परिचित हो जाते हैं। अपने विभाग तथा सहयोगियों से परिचित हो जाते हैं और कार्यकारी समूह के एक सदस्य बन जाते हैं।

कार्य परिचय की पद्धति

कार्य परिचय या आगमन एक प्रतिष्ठान के उद्देश्यों, नीतियों एवं पद्धतियों के बारे में  कर्मचारियों को शिक्षित करने का एक साधन है। ऐसा कार्य परिचय या आगमन मौखिक अथवा लिखित हो सकता है। मौखिक आगमन में कर्मचारियों को उनके कार्यों, विभागों, पर्यवेक्षकों, अधिकारियों, उत्तरदायित्वों, कार्य-स्थितियों एवं अन्य अनेक सम्बन्धित बातों के सम्बन्ध में जानकारी एवं निर्देश दिये जाते हैं। लिखित आगमन में कर्मचारियों को लिखित सामग्री दी जाती है जो कि उनको संगठन के विभिन्न पहलुओं के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देती है। ऐसी लिखित सामग्री में पिछली रिपोर्ट्स, पत्रिकाएँ, सचित्र कहानियाँ आदि हो सकती हैं। बहुत बार कर्मचारियों को संगठन की भौगोलिक स्थिति का ज्ञान कराया जा सकता है और उन्हें संगठन के कार्यक्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी जाती है। कर्मचारियों को संगठन के विभिन्न क्षेत्रों, विभागों आदि का भ्रमण कराया जाता है तथा नियमित ग्राहकों से परिचय कराया जाता है।

आगमन के उद्देश्य या लाभ

सिद्धांत रूप में आगमन की कार्यवाही का मूल उद्देश्य कर्मचारियों में संगठन के प्रति आस्था, विश्वास एवं निष्ठा की भावना का संचार करते हुए उन्हें संगठन का अभिन्न अंग बनाना है जिससे वे अपने कार्य से संतुष्टि प्राप्त कर सकें और कार्य की स्थितियों के साथ अपना समायोजन कर सकें। इन उद्देश्यों के अतिरिक्त कुछ अन्य उद्देश्य इस प्रकार हैं—(1) नये कर्मचारियों में विश्वास उत्पन्न करना, (2) कम्पनी के प्रति अपनत्व, आस्था एवं निष्ठा की भावना का संचार करना, (3) कम्पनी के बारे में कर्मचारियों को समस्त आवश्यक जानकारी प्रदान करना, (4) कर्मचारियों को अपनी स्थिति, दायित्वों एवं अधिकारों का ज्ञान कराना।

यह जानकारी दिये जाने का मूल उद्देश्य कर्मचारी को संगठन का अंग बनाना होता है। कर्मचारी अपने को संगठन का एक सदस्य समझता है और कार्य के साथ उसका पूर्णतया समायोजन हो जाता है। आगमन से कर्मचारी को नये कार्य एवं नये वातावरण में किसी प्रकार की कठिनाई का अनुभव नहीं होता है। आगमन या परिचय की कार्यवाही कर्मचारियों में कार्य तथा संगठन के प्रति एक अपनत्व की भावना का संचार करती है।

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Pankaja Singh

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