विक्रय प्रबंधन

विक्रय प्रशिक्षण का अर्थ | विक्रय प्रशिक्षण की परिभाषायें | विक्रय प्रशिक्षण का महत्त्व एवं उद्देश्य

विक्रय प्रशिक्षण का अर्थ | विक्रय प्रशिक्षण की परिभाषायें | विक्रय प्रशिक्षण का महत्त्व एवं उद्देश्य | Meaning of Sales Training in Hindi | Definitions of Sales Training in Hindi | Importance and Purpose of Sales Training in Hindi

“विक्रय प्रशिक्षण का अर्थ एवं परिभाषायें”

विक्रय प्रशिक्षण शब्द ‘विक्रय’ एवं ‘प्रशिक्षण’ शब्दों से मिलकर बनाया गया है। इसमें प्रशिक्षण का विशेष महत्त्व है। अतः हम सर्वप्रथम प्रशिक्षण शब्द को स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं। वस्तुतः प्रशिक्षण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रशिक्षणार्थियों के ज्ञान, चातुर्य एवं कौशल को विकसित करने का प्रयास किया जाता है।

फिलप्पो के अनुसार, “प्रशिक्षण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी विशिष्ट कार्य के लिए कर्मचारियों के ज्ञान एवं कौशल में अभिवृद्धि की जाती है”।

जूसियस के अनुसार, “प्रशिक्षण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी विशिष्ट कार्य के लिए कर्मचारियों की अभिरुचि, चातुर्य एवं योग्यता में अभिवृद्धि हो जाती है”।

इस प्रकार इन परिभाषाओं से स्पष्ट है कि “प्रशिक्षण एक पूर्व नियोजित प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के किसी विशिष्ट कार्य के संबंध में ज्ञान, चातुर्य, अभिरुचि तथा योग्यता का विकास करने का प्रयास किया जाता है। ताकि वह उस विशिष्ट कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से करते हुए संस्था की कुशलता में योगदान दे सके”।

प्रो. कोलिन्स ने विक्रय प्रशिक्षण की एक विस्तृत कार्यात्मक परिभाषा दी है। उनके पक्षअनुसार, “विक्रय प्रशिक्षण में विक्रय चातुर्य के विकास के उद्देश्य से तथ्यों को खोजने, नियोजित करने, मार्गदर्शन करने, अभ्यास करने, समालोचना एवं प्रशंसा करने की योग्यता का विकास करने और इन योग्यताओं को तथा चुनी हुई मौलिक योग्यताओं को सामान्य ज्ञान एवं अनुभव के साथ जोड़ना सम्मिलित है”।

संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि विक्रय प्रशिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत विक्रय कर्मचारियों के विक्रय कार्य से संबंधित ज्ञान, चातुर्य एवं योग्यता का विकास किया जाता है ताकि वे अपने कार्यों को सर्वोत्तम विधि से करते हुए संस्था के कुशलता में योगदान दे सकें।

विक्रय प्रशिक्षण का महत्त्व एवं उद्देश्य

इसके महत्त्व एवं उद्देश्य को अग्र वर्गों में बांटकर अध्ययन कर सकते हैं-

  1. संस्था के लिए महत्त्व
  2. विक्रयकर्त्ता के लिए महत्त्व
  3. उपभोक्ताओं के लिए महत्त्व

I. संस्था के लिए महत्त्व

संस्था की दृष्टि से विक्रय प्रशिक्षण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसके महत्व के प्रमुख कारण निम्नानुसार हैं-

  1. कुशल विक्रय दल का निर्माण- विक्रय प्रशिक्षण के द्वारा संस्था में कुशल एवं प्रभावकारी विक्रय दल का निर्माण किया जा सकता है। सम्पूर्ण संस्था की सफलता इस दल पर बहुत कुछ निर्भर करती है।
  2. अधिक विक्रय– मेनार्ड तथा डेविस ने लिखा है कि, “वैज्ञानिक विधि से तैयार किये गये प्रशिक्षण कार्यक्रम में विक्रय वृद्धि होती है”। सम्भवतः इस तथ्य से आज कोई भी व्यक्ति असहमत नहीं हो सकता है। सुव्यवस्थित रूप से प्रशिक्षित विक्रयकर्त्ता निश्चय ही अधिक विक्रय करने में सफल हो जाते हैं।
  3. निरीक्षण व्यय में कमी– प्रशिक्षित विक्रयकर्त्ता अपने कार्य को करने की व्यवस्थित विधि जानते हैं। इसलिए वे अपेक्षित सफलता प्राप्त करते हैं। अतः विक्रय प्रबंधकक्षको उनके निरीक्षण एवं नियंत्रण में अधिक समय नहीं देना पड़ता है। इससे समय, श्रम एवं धन की स्वतः बचत होती है।
  4. स्थायी ग्राहकों का निर्माण- प्रशिक्षित विक्रयकर्ता अपने ग्राहकों को ठीक से समझते हैं तथा उनकी आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं। इसके परिणामस्वरूप वे सदैव संस्था से जुड़ जाते हैं और स्थायी ग्राहक बन जाते हैं।
  5. साख में वृद्धि- एक विद्वान ने ठीक ही लिखा है कि “विक्रयकर्ता संस्था के माल का विक्रयकर्ता ही नहीं होता है बल्कि संस्था की ख्याति का संवाहक भी होता है। वह जहाँ जाता है संस्था की ख्याति को फैलाता है।

II. विक्रयकर्त्ताओं के लिए महत्त्व

प्रशिक्षण प्राप्त करने से विक्रयकर्ताओं को निम्न लाभ होते हैं-

  1. ज्ञान में अभिवृद्धि- प्रशिक्षण से विक्रयकर्ताओं के ज्ञान में अभिवृद्धि हो जाती है। वे विक्रय कार्य को अधिक कुशलता से करने की तकनीक को सीख लेते हैं। उन्हें विक्रय कार्य से संबंधित नियमों सनियमों की भी जानकारी प्राप्त हो जाती है।
  2. कार्य कुशलता में वृद्धि- प्रशिक्षित विक्रयकर्ता कम समय में अधिक विक्रय कार्य सम्पन्न कर सकता है। प्रशिक्षण से उनकी कार्यक्षमता एवं कार्यकुशलता दोनों में ही वृद्धि होती हैं।
  3. सेवा सुरक्षा- प्रशिक्षित विक्रयकर्ता को कोई भी संस्था छोड़ती या हटाती नहीं है। यदि एक संस्था छोड़ती है तो दूसरी उसे लेने को तैयार भी रहती है। इस प्रकार प्रशिक्षित विक्रयकर्ताओं की सेवा सुरक्षा सदैव बनी रहती है।
  4. मनोबल का निर्माण- प्रशिक्षित विक्रयकर्ताओं को भली प्रकार समझता है तथा वह सफलता प्राप्त करता है। फलतः उसमें कार्य के प्रति रुचि अधिक होती है।
  5. अधिक पारिश्रमिक- प्रशिक्षित विक्रयकर्ता की कार्यक्षमता में अभिवृद्धि होती है। परिणामस्वरूप उसको अधिक पारिश्रमिक भी प्राप्त होता है।

III. ग्राहकों के लिए महत्त्व

प्रशिक्षित विक्रयकर्त्ता से ग्राहक भी लाभान्वित होते हैं। उनके प्रमुख लाभ निम्नानुसार है –

  1. उचित परामर्श– प्रशिक्षित विक्रयकर्त्ता ग्राहकों को समुचित आधार पर परामर्श देता है। वह अंधेरे में तीर नहीं चलाता बल्कि ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सही परामर्श दे पाता है।
  2. ग्राहकों की समस्या का सही समाधान– ग्राहक अनेक समस्याओं के समाधान के लिए भी कई वस्तुओं को खरीदते हैं। प्रशिक्षित विक्रयकर्त्ता ग्राहकों की समस्या को सही रूप में समझकर उसका समाधान ढूँढ़ लेता है।
  3. धन का सदुपयोग-विक्रयकर्ताओं को सही परामर्श एवं समस्या के सही समाधान से ग्राहकों के धन का सदुपयोग करना संभव है। वे गलत वस्तुओं तथा सेवाओं के क्रय में धन के अपव्यय करने से बच जाते हैं।
  4. संतुष्टि— उचित परामर्श, समस्या के समुचित समाधान एवं धन के सही उपयोग के कारण ही ग्राहकों को असीमित संतुष्टि प्राप्त होती है।
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Pankaja Singh

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