विक्रय कोटा का अर्थ | विक्रय कोटा की परिभाषाएँ | विक्रय कोटा के उद्देश्य | विक्रय कोटा का महत्त्व | Meaning of sales quota in Hindi | Definitions of Sales Quota in Hindi | Purpose of Sales Quota in Hindi | Importance of Sales Quota in Hindi
विक्रय कोटा : अर्थ एवं परिभाषाएँ
साधारण शब्दों में, विक्रय कोटा एक विक्रय लक्ष्य है जिसे किसी विक्रय दल, विक्रयकर्त्ता, विक्रय शाखा अथवा विक्रय विभाग को किसी भावी निश्चित अवधि में प्राप्त करना होता है। यह किसी भी विक्रयकर्ता या विक्रय विभाग से अपेक्षित निष्पादन का प्रमाप हैं जो सामान्यतः वस्तु की इकाइयों या मुद्रा में व्यक्त किया जाता है। विक्रय कोटा की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
- अमेरिकी विपणन संघ के अनुसार, “विक्रय कोटा किसी विपणन इकाई के लिए निर्धारित विक्रय लक्ष्य है जिसका विक्रय प्रयासों के प्रबंध में प्रयोग किया जाता है।”
- प्रो. कोटलर के अनुसार, “विक्रय कोटा विक्रय लक्ष्य है जो किसी उत्पाद श्रृंखला कम्पनी के विभाग अथवा विक्रय प्रतिनिधि के लिए निर्धारित किया गया है।”
विक्रय कोटा के उद्देश्य/महत्त्व
आधुनिक युग में विक्रय कोटा के उद्देश्यों तथा महत्त्व को निम्नलिखित कुछ शीर्षकों में स्पष्ट किया गया है–
- विपणन इकाइयों के लक्ष्यों को निर्धारित करना- संस्था की अनेक विपणन इकाइयाँ होती हैं जिनके माध्यम से विक्रय कार्य को सम्पन्न किया जाता है। विक्रयकर्त्ता, विक्रय प्रदेश, विक्रय विभाग या शाखा कार्यालय, मध्यस्थ आदि सभी विपणन इकाइयाँ हैं। इनमें से प्रत्येक का विक्रय लक्ष्य निर्धारित करने के लिए विक्रय कोटा निश्चित करना पड़ता है। इनके अभाव में ये अपने कार्यों को सही दिशा में नहीं दे सकेंगे। विक्रय कोटा से इनके समक्ष कुछ निश्चित लक्ष्य होंगे और ये उनकी प्राप्ति के लिए प्रयास कर सकेंगे।
- बाजार प्रदेशों का मूल्यांकन- जब प्रत्येक बाजार प्रदेश या क्षेत्र के लिए विक्रय कोटा निर्धारित होगा तो उनके मूल्यांकन में सुविधा होगी। प्रबंधकों को प्रत्येक प्रदेश की विक्रय प्रगति तथा परिस्थितियों का मूल्यांकन करने का अवसर मिल सकेगा। यदि प्रदेश में कोटा से कम विक्रय होता है तो प्रबंधक इसके कारणों को ज्ञात कर उन्हें दूर कर सकते हैं। जब प्रदेश का विक्रय उनके निर्धारित कोटा से अधिक होता है तो भी उसके कारणों को ज्ञात किया जाता. है। इस प्रकार विक्रय कोटा के आधार पर सभी बाजार प्रदेशों का मूल्यांकन किया जा सकता है तथा अपेक्षित परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
- बाजार प्रदेशों का संतुलित विकास- विक्रय कोटा निर्धारण की प्रक्रिया सेक्षसभी बाजार प्रदेशों का संतुलित विकास किया जा सकता है। जिन प्रदेशों में कम विक्रय होता है उनमें विक्रय बढ़ाने के प्रयास किये जा सकते हैं। उनमें माल के विक्रय के लिए अधिक सघन अभियान चलाकर उन्हें पूर्ण विकसित किया जा सकता है।
- विक्रयकर्त्ताओं को प्रेरणा- यह एक सामान्य सत्य है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनेज्ञज्ञात लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक रुचि से कार्य करता है। विक्रयकर्ताओं के साथ भी यही बात लागू होती है। जब उन्हें अपने लक्ष्य पहले से ही ज्ञात होते हैं तो वे अधिक सघन प्रयास करते हैं तथा लक्ष्यों को यथा समय पूरा कर लेते हैं। विक्रय कोटा विक्रयकर्त्ताओं को निर्धारित अवधि या इससे पूर्व अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रयास करने हेतु प्रेरित करते हैं।
- विक्रयकर्त्ताओं की उत्पादकता का मूल्यांकन- स्टेन्टन तथा बुसकिर्क का कहना है कि “कोटा प्रबंधकों को विक्रयकर्ताओं की उत्पादकता को मापने का पैमाना प्रदान करते है।” वस्तुतः विक्रयकर्ता के वास्तविक विक्रय परिणामों तथा विक्रय कोटा की तुलना करके उसकी उत्पादकता मूल्यांकन किया जा सकता है। यदि वास्तविक विक्रय निर्धारित कोटा से कम होता है तो उसके कारणों को ज्ञात किया जाता है। तभी विक्रयकर्त्ता को उचित साधन एवं सहयोग प्रदान करके उसकी उत्पादकता को उचित स्तर तक लाने का प्रयास भी किया जा सकता है।
- प्रभावशाली पारिश्रमिक प्रणाली का विकास- विक्रयकर्ताओं को पारिश्रमिक देने की अनेक विधियाँ हैं। किन्तु विक्रय कोटा के आधार पर भी प्रभावकारी पारिश्रमिक प्रणाली का विकास किया जा सकता है। निर्धारित विक्रय कोटा से अधिक विक्रय करने वालों को बोनस या कमीशन देने की व्यवस्था पारिश्रमिक योजना में की जा सकती है। इसी प्रकार, विक्रयकर्त्ताओं के पारिश्रमिक तथा सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए विक्रय कोटा को आधार बनाया जा सकता है। इस प्रकार कोटा, पारिश्रमिक प्रणाली के विकास में भी योगदान देते हैं।
- विक्रय व्ययों पर नियंत्रण- विक्रय कोटा निश्चित करके विक्रय व्ययों पर नियंत्रण किया जा सकता है। निर्धारित विक्रय कोटा के साथ विक्रय व्यय का कोटा भी निर्धारित किया जा सकता है। इसी प्रकार विक्रय की राशि के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में विक्रय व्ययों का कोटा तय किया जा सकता है। इन सभी तरीकों से विक्रय व्ययों पर नियंत्रण करने में आसानी होती है।
- संवर्द्धनात्मक बजट का निर्माण- विक्रय कोटा संवर्द्धनात्मक क्रियाओं (विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन आदि) के बजट को निर्धारित करने का आधार होते हैं। जिस प्रदेश या उत्पादन का अधिक विक्रय लक्ष्य होता है, उसमें संवर्द्धनात्मक क्रियाओं का बजट भी अधिक रखना होता है। उदाहरण के लिए, यदि एक विक्रय प्रदेश का विक्रय कोटा संस्था के कुछ विक्रय का 20 प्रतिशत है तो संवर्द्धनात्मक बजट भी उसी अनुपात में निर्धारित करना पड़ता है। संक्षेप में, संवर्द्धनात्मक बजट निर्धारण के लिए भी विक्रय कोटा बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं।
विक्रय प्रबंधन – महत्वपूर्ण लिंक
- विक्रय प्रबंध का अर्थ | विक्रय प्रबंध की परिभाषा | विक्रय प्रबंध का महत्त्व | विक्रय प्रबंध के कार्य
- विक्रय संगठन का अर्थ | विक्रय संगठन की परिभाषा | विक्रय संगठन के उद्देश्य या आवश्यकता | विक्रय संगठन के महत्व | विक्रय संगठन के सिद्धांत
- विक्रय प्रशिक्षण का अर्थ | विक्रय प्रशिक्षण की परिभाषायें | विक्रय प्रशिक्षण का महत्त्व एवं उद्देश्य
- प्रशिक्षण योजना के सिद्धांत | अच्छी पारिश्रमिक योजना के गुण
- विक्रयकर्त्ताओं के पारिश्रमिक को प्रभावित करने वाले तत्त्व | विक्रयकर्त्ताओं के पारिश्रमिक को प्रभावित करने वाले घटक
- कमीशन पद्धति | केवल कमीशन विधि | कमीशन विधि के प्रमुख लाभ | कमीशन विधि के दोष
- विक्रय प्रतिरोध का अर्थ | विक्रय बाधाओं के प्रकार
- आपत्ति निवारण विधियाँ | आपत्तियों के निवारण में ध्यान रखने योग्य बातें
- विक्रय प्रक्रिया का अर्थ | विक्रय प्रक्रिया की परिभाषा | विक्रय-प्रक्रिया की विशेषताएँ | विक्रय प्रक्रिया के पद या चरण
- विक्रेता के कार्य मूल्यांकन की आवश्यकता | विक्रेता के कार्य मूल्यांकन के लाभ
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- [email protected]