विज्ञापन प्रबंधन

विज्ञापन एजेंसी का अर्थ | विज्ञापन एजेंसियों के कार्य | विज्ञापन एजेंसियों का महत्व या लाभ | विज्ञापन एजेंसियों का पारिश्रमिक

विज्ञापन एजेंसी का अर्थ | विज्ञापन एजेंसियों के कार्य | विज्ञापन एजेंसियों का महत्व या लाभ | विज्ञापन एजेंसियों का पारिश्रमिक | Meaning of advertising agency in Hindi | Functions of Advertising Agencies in Hindi| Importance or advantage of advertising agencies in Hindi | advertising agencies remuneration in Hindi

विज्ञापन एजेंसी का अर्थ

विज्ञापन एजेंसी वह संगठन होती है जिसका कार्य विज्ञापन सम्बन्धी सेवाएं प्रदान करना होता है। जी. बी. गाइल्स के अनुसार, “विज्ञापन एजेंसियाँ विज्ञापन नियोजन, निर्माण एवं प्रस्तुतीकरण कार्यों की विशेषज्ञ होती है। ये विज्ञापन कराने वालों तथा माध्यम स्वामियों के बीच मध्यस्थ का कार्य करती हैं।” रोजर बर्टन के विचारानुसार, “विज्ञापन एजेंसियों उन व्यक्तियों का एक समुदाय होती है जो विज्ञापन मामलों में विशेषज्ञ होते हैं। ऐसी एजेंसी में विज्ञापन लेखक, प्रति तैयार करने वाले, माध्यम चुनने वाला और विज्ञापन सम्बन्धी परामर्श देने वाले व्यक्ति सम्मिलित होते हैं। इसलिए उन्होंने विज्ञापन एजेंसी को विज्ञापन का संगठन कहा है।”

विज्ञापन एजेंसियों के कार्य

विज्ञापन एजेंसियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है-

(1) विज्ञापन प्रतिलिपि बनाना या विज्ञापन फिल्म तैयार करना।

(2) वस्तु डिजाइन, व्यापार चिह्न तथा लेबल तय करना।

(3) समाचार पत्रों एवं नगर के मुख्य स्थानों पर विज्ञापन के लिए स्थान सुरक्षित करना।

(4) रेडियो, टेलीविजन के लिए विज्ञापन तैयार करना एवं उन्हें प्रसारित करवाना।

(5) होर्डिंग्स लगवाना एवं उन पर विज्ञापन चित्र एवं संदेश चित्रित करवाना।

(6) विज्ञापन फिल्मों के लिए संवाद, नारे आदि तैयार करना।

(7) उत्पाद तथा उपभोक्ताओं के सम्बन्ध में अनुसंधान करना।

(8) माँग, पूर्ति, प्रतिस्पर्द्धा, विज्ञापन माध्यम आदि के बारे में परामर्श देना।

(9) विक्रय संवर्द्धन में सहायता करना।

(10) जन-सम्पर्क में सहायता प्रदान करना। इसके लिए विज्ञापन एजेंसियाँ उत्पाद प्रचार के लिए अपने कुशल प्रतिनिधियों को घर-घर भेजने की व्यवस्था करती हैं।

विज्ञापन एजेंसियों का महत्व या लाभ

विज्ञापन एजेंसियों के महत्व या लाभ को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. विशेषज्ञों की राय व अनुभव का लाभ उठाने के लिए- विज्ञापन एजेंसियों में विशेषज्ञ होते हैं जो अपने क्षेत्र में काफी अनुभव रखते हैं। बहुत-सी व्यापारिक संस्थाएँ विशेषज्ञों को अपने यहीं नहीं रख पातीं। विशेषज्ञों की राय व उनके अनुभव से लाभ उठाने के लिए एजेंसियों की सेवाओं को काम में लाया जाता है। रिलायंस, हिन्दुस्तान लीवर, गोदरेज, मारुति, टाटा, बिरला जैसे सफल औद्योगिक समूहों को भी अपने उत्पादों के प्रचार एवं विपणन के लिए ख्याति प्राप्त एजेंसियों का सहारा लेना पड़ता है।
  2. निःशुल्क सेवाएँ– विज्ञापन छपवाने या प्रसारित करवाने के लिए विज्ञापन एजेंसियों को उनका पारिश्रमिक विज्ञापनकर्त्ता द्वारा नहीं दिया जाता है वह तो विज्ञापन माध्यम (media) द्वारा किया जाता है, अतः उनकी सेवाएं विज्ञापनकर्त्ता को मुफ्त में ही मिल जाती है। यदि समाचार पत्रों या टेलीविजन पर किसी विज्ञापन का प्रकाशन या प्रसारण करवाना हो तो विज्ञापन एजेंसियों द्वारा अपना पारिश्रमिक कमीशन के रूप में समाचार पत्र या टी.वी. चैनल से प्राप्त किया जाता है।
  3. छोटे उत्पादकों के लिए उपयोगी- वस्तुतः संस्थाओं द्वारा यथासम्भव स्वतंत्र विज्ञापन विभागों की स्थापना तो की ही जानी चाहिए किन्तु आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञ सेवाएँ भी इन एजेंसियों से प्राप्त करते रहना चाहिए। जिन संस्थाओं की वित्तीय स्थिति अत्यधिक सुदृढ़ न हो और जिनके यहाँ छोटे विज्ञापन विभाग हों, उन्हें विशेष रूप से विज्ञापन एजेंसियों की सेवाएं प्राप्त करनी चाहिए, ताकि विज्ञापन कार्यक्रम विपणन उद्देश्य की पूर्ति में सहयोग कर सकें।
  4. कुछ अतिरिक्त लागत पर उपयोगी सेवाएँ– विज्ञापन एजेंसियाँ कुछ अतिरिक्त लागत पर विज्ञापनकर्ता के लिए बहुत ही लाभकारी सेवाएं प्रदान करती हैं जिनको यदि विज्ञापनकर्ता द्वारा किया जाय तो उनको करने में काफी अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है; जैसे- पूर्व निरीक्षण परीक्षण, विपणन परीक्षण, प्रारम्भिक बाजार परीक्षण, विज्ञापन प्रभाव पर अनुसंधान आदि।

विज्ञापन एजेंसियों का पारिश्रमिक

इन एजेंसियों को पारिश्रमिक देने की अनेक विधियाँ हैं, जिनमें कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं-

  1. कमीशन विधि— यह कमीशन विज्ञापन एजेंसियों को विज्ञापन माध्यम समाचार पत्र आदि द्वारा दिया जाता है। विज्ञापन एजेंसियाँ बिल पर एक निश्चित प्रतिशत धनराशि काटक बाकी रकम माध्यम को देती हैं, जबकि विज्ञापक से यह पूरा वसूल करती हैं। कमीशन की दर से 15 से 25 प्रतिशत होती है।
  2. कमीशन तथा लागत- इस विधि में एजेंसी को माध्यम से कमीशन तो मिलते ही है, साथ ही वह विज्ञापन प्रति के बनाने का व्यय ग्राहक से वसूल करती है।
  3. कमीशन एवं शुल्क- इस विधि में कमीशन तो विज्ञापन माध्यम से प्राप्त होते है किन्तु ग्राहक से अपनी सेवाओं के प्रतिफल के बदले एजेंसी कुछ शुल्क वसूल कर सकती है, जैसे- विज्ञापन अनुसंधान के लिए विज्ञापन एजेंसियाँ विज्ञापनकर्त्ता से शुल्क वसूल करती हैं शुल्क की मात्रा पूर्व निर्धारित होती है।
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Pankaja Singh

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