
उत्तर प्रदेश में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण | उत्तर प्रदेश में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारणों पर प्रकाश डालिए | Due to rapid population growth in Uttar Pradesh in Hindi | Throw light on the causes of rapid increase in population in Uttar Pradesh in Hindi
उत्तर प्रदेश में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण
उत्तर प्रदेश में जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है और इस तीव्र वृद्धि के कई कारण हैं जोकि निम्नलिखित हैं-
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विवाह की निम्न आयु-
उत्तर प्रदेश में लड़कियों का कम आयु में विवाह कर देने से संतानोपत्ति की दर बढ़ जाती है। यह माँ के स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिप्रद है जिसका दुष्परिणाम भविष्य में सामने आता है और होने वाले बच्चों की सही परवरिश नहीं हो पाती है। अतः विवाह की औसत आयु में वृद्धि की जानी चाहिए और कम आयु में विवाह करने पर कड़े प्रतिबंध एवं दंड का प्रावधान होना चाहिए।
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उच्च जन्म दर-
यद्यपि प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में जन्म दर में गिरावट आयी है फिर भी यह बहुत अधिक है। 2006 के आकलन के अनुसार यह प्रति एक हजार थी। यह भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले काफी अधिक है। भारत में जन्म दर 23.6 है। अतः जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को रोकने के लिए आवश्यक है कि जन्म दर में कमी की जाए।
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साक्षरता का निम्न स्तर-
जनसंख्या नियंत्रण में साक्षरता को एक प्रभावशाली गर्भ निरोधक के रूप में माना जा सकता है। किंतु उत्तर प्रदेश में साक्षरता का निम्न स्तर है और विशेषतः महिलाओं में तो साक्षरता दर और भी कम है। ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर और भी कम है और ग्रामीण क्षेत्रों में जनम दर भी अधिक है इसलिए उत्तर प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में विशेष सहायता नहीं मिलती है अतः जन्म दर में कमी लाने के लिए साक्षरता में तीव्र वृद्धि करना आवश्यक है।
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उच्च शिशु मृत्यु दर-
उत्तर प्रदेश में मृत्यु दर में काफी गिरावट आयी है। यह 2011 में घटकर प्रति हजार 7.1 थी फिर भी यह भारतीय औसत (6.9) की तुलना में काफी अधिक है। उत्तर प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 71 प्रति हजार जीवित जन्म है जबकि भारत में यह 57 एवं केरल में यह 15 है। उच्च शिशु मृत्यु दर जन्म वर को प्रोत्साहित करती है क्योंकि लोग अपने बच्चे की मृत्यु होने की अवस्था में अथवा इसकी आशंका में ही अधिक अच्चे पैदा करना अच्छा एवं सुरक्षित समझते हैं। कुल मिलाकर उच्च जन्म दर तथा निम्न मृत्यु दर के कारण जनसंख्या वृद्धि तीव्र हो जाती है। अतः जनसंख्या वृद्धि को कम करने के लिए मृत्यु दर और विशेष रूप से शिशु मृत्यु दर को कम करना आवश्यक है।
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गर्भ-निरोधक सुविधाओं की अपर्याप्तता-
आधुनिक युग में जन्म दर को कम करने में गर्भ निरोधक साधनों का (जोकि कृत्रिम साधन कहे जाते हैं) विशेष स्थान है किंतु इनके पर्याप्त प्रचार-प्रसार की कमी है और साथ ही ये साधन प्रदेश में पर्याप्त रूप से उपलब्ध भी नहीं हैं। इनका प्रयोग भी समुचित रूप से नहीं हो रहा है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि पुरूष स्वयं इस जिम्मेदारी से बच रहे हैं कि जन्म दर को नियंत्रित करना उनका कर्त्तव्य नहीं है। इन परिस्थितियों में यह कहना उपयुक्त है कि प्रदेश में गर्भ निरोधक विधियों का समुचित प्रचार-प्रसार किया जाए तथा लोगों की इनके प्रति जागरूकता एवं सहभागिता में वृद्धि हो।
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महिलाओं का आर्थिक गतिविधियों में कम शामिल होना-
प्रदेश में तीव्र जनसंख्या के कारणों में से एक अन्य कारण यह है कि आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की सहभागिता बहुत कम है। साथ ही उनमें जागरूकता का भी व्यापक अभाव है। यदि आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की सहभागिता बढ़े और प्रदेश में महिला सशक्तीकरण में वृद्धि हो तो इससे एक ओर जहाँ महिलाओं के दृष्टिकोण में परिवर्तन आएगा वहीं दूसरी ओर आर्थिक विकास में वृद्धि होगी। इससे परिवार के आकार को सीमित करने में महिलाओं की सहभागिता बढ़ेगी और जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
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पुत्र मोह-
उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र व्यापक रूप से पाया जाता है यहां शहरी जनसंख्या की तुलना में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है। और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अधिक रूढ़िवादिता एवं अंधविश्वासों से जकड़े होते हैं। वे पुत्र मोह को अधिक महत्व देते हैं और पुत्र के जन्म के लिए वे बार-बार संतानोत्पत्ति करते हैं। बिना पुत्र के परिवार को अपूर्ण समझा जाता है और परिवार में कई बच्चे (लड़कियाँ) होने के बावजूद भी पुत्र प्राप्ति के लिए संतान उत्पन्न करते हैं। अतः आवश्यकता यह है कि उनके दृष्टिकोणा में परिवर्तन किया जाए और यह समझाना आवश्यक है कि पुत्री के जन्म से भी परिवार पूर्ण होता है। इससे जहाँ परिवार के आकार को सीमित करने में सहायता मिलेगी वहाँ सामाजिक समानता भी स्थापित हो सकेगी।
उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त और भी ऐसे अनेक कारण हैं जो जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं। इनमें प्रमुख कारण हैं मनोरंजन के साधनों का अभाव, आर्थिक विकास का निम्न स्तर, महिला सशक्तीकरण की अपर्याप्तता, बेरोजगारी, आदि ।
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