उत्तर प्रदेश की जनांकिकी | उत्तर प्रदेश में जनसंख्या का आकार एवं वृद्धि | उत्तर प्रदेश एवं भारत की जनसंख्या में वृद्धि | उत्तर प्रदेश में विभिन्न जनगणना वर्षों में लिंग अनुपात एवं जनसंख्या घनत्व | उत्तर प्रदेश में साक्षरता दर | उत्तर प्रदेश में आयु वर्ग द्वारा जनसंख्या का वितरण | Demography of Uttar Pradesh in Hindi | Size and Growth of Population in Uttar Pradesh in Hindi | Growth in population of Uttar Pradesh and India in Hindi | Sex Ratio and Population Density in Uttar Pradesh in Different Census Years in Hindi | Literacy Rate in Uttar Pradesh in Hindi | Distribution of Population by Age Group in Uttar Pradesh in Hindi
उत्तर प्रदेश की जनांकिकी
उत्तर प्रदेश भारत का एक विशाल राज्य है। यहाँ देश में कुल जनसंख्या का सर्वाधिक हिस्सा निवास करता है। जनसंख्या के दृष्टिकोण से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है। सभ्यता एवं संस्कृति के दृष्टिकोण से भी तथा धार्मिक दृष्टिकोण से भी उत्तर प्रदेश का भारत में विशेष स्थान है। देश की कुल जनसंख्या का 16.17 प्रतिशत भाग उत्तर प्रदेश में निवास करता है। इस प्रकार प्रत्येक आठवां भारतवासी उत्तर प्रदेश का निवासी है।
उत्तर प्रदेश में जनसंख्या का आकार एवं वृद्धि
तालिका-1 में उत्तर प्रदेश एवं भारत की जनसंख्या के आकार तथा वृद्धि को पिछले एक शताब्दी के लिए दर्शाया गया है। तालिका से स्पष्ट है कि पिछली एक शताब्दी में जनसंख्या वृद्धि दर के कई चरण रहे हैं। वर्ष 1901 तथा 2001 के मध्य उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 4.86 करोड़ से बढ़कर 16.62 करोड़ हो गई। इस प्रकार इस अवधि के दौरान 100 वर्षों में प्रदेश की आबादी 3.4 गुना हो गयी। वहीं दूसरी ओर भारत की आबादी 4.3 गुना हो गयी।
उत्तर प्रदेश में दशकवार जनसंख्या वृद्धि दर को देखें तो पता चलता है कि प्रारंभिक दशकों में जनसंख्या वृद्धि दर ऋणात्मक थी। उसके पश्चात इसमें वृद्धि प्रारंभ हुई। 1951 के बाद से राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर लगातार बढ़ती जा रही है। अतः यह कहा जा सकता है कि प्रदेश में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। यह बात तालिका 1 और तालिका 2 से विदित होती है। 1981 में जनसंख्या हर दशक में 25 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ती जा रही है। यह प्रदेश के लिए एक गंभीर चुनौती है। वर्ष 1931 में जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि दर 1.1 प्रतिशत थी जबकि अब यह 1981 से 2.3 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। अतः 1951 की तुलना में जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर दुगने से अधिक हो गयी है। 1901 में उत्तर प्रदेश में भारत की आबादी का 20.39 प्रतिशत भाग रहता था जो घटते घटते 1971 में प्रतिशत के स्तर पर आ गया। तत्पश्चात उत्तर प्रदेश में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि के कारण इस भाग में मामूली सी वृद्धि आ रही है।
तालिका- 1 : उत्तर प्रदेश एवं भारत की जनसंख्या में वृद्धि
जनगणना वर्ष |
उत्तर प्रदेश (लाख में) |
भारत (लाख में) |
भारत में उत्तर प्रदेश का हिस्सा (%) |
उत्तर प्रदेश (दशकवार वृद्धि दर (%)) |
भारत (दशकवार वृद्धि दर (%)) |
1901 |
486 |
2384 |
20.39 |
– |
– |
1911 |
482 |
2521 |
19.12 |
0.97 |
5.75 |
1921 |
467 |
2513 |
18.58 |
3.08 |
0.31 |
1931 |
498 |
2790 |
17.85 |
6.66 |
11.00 |
1941 |
565 |
3187 |
17.73 |
13057 |
14.22 |
1951 |
632 |
3611 |
17.50 |
11.82 |
13.31 |
1961 |
737 |
4392 |
16.78 |
16.66 |
21.51 |
1971 |
883 |
5482 |
16.10 |
19.78 |
24.80 |
1981 |
1109 |
6833 |
16.18 |
25.49 |
24.64 |
1991 |
1391 |
8463 |
16.44 |
25.48 |
23.85 |
1991 |
1320 |
8463 |
15.60 |
25.55 |
23.86 |
2001 |
1662 |
10286 |
16.16 |
25.80 |
21.34 |
2011 |
1998 |
12108 |
16.07 |
20.22 |
17.07 |
नोट: उत्तरखंड को छोड़कर
स्रोत: Human Developent Reports 2011, Uttar Pradesh
जनसंख्या घनत्व एवं लिंग अनुपात-किसी देश या राज्य में प्रति वर्ग किमी. क्षेत्र में रहने वाली जनसंख्या को उस देश या राज्य का जनसंख्या घनत्व कहते हैं। उत्तर प्रदेश में 1951 के पश्चात जनसंख्या घनत्व में लगातार वृद्धि हो रही है। 1901 में जनसंख्या घनत्व 165 के पश्चात जनसंख्या घनत्व में लगातार वृद्धि हो रही है। 1901 में जनसंख्या घनत्व 165 प्रति वर्ग किमी. था जो 1951 में बढ़कर 215 हो गया और पश्चात इसमें तीव्रत वृद्धि हुई है। 2001 में यह 690 प्रति वर्ग किमी. हो गया। जबकि भारत का जनसंख्या घनत्व 2011 में 382 था। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में जनसंख्या घनत्व भारत की तुलना में दो गुने से भी अधिक है।
तालिका- 2 उत्तर प्रदेश में विभिन्न जनगणना वर्षों में लिंग अनुपात एवं जनसंख्या घनत्व
वर्ष |
लिंग अनुपात |
जनसंख्या घनत्व (प्रति वर्ग किमी. जनसंख्या) |
1901 |
942 (अधिकतम) |
165 |
1911 |
916 |
164 |
1921 |
908 |
159 |
1931 |
903 |
169 |
1941 |
907 |
192 |
1951 |
908 |
215 |
1961 |
907 |
251 |
1971 |
876 (न्यूनतम) |
300 |
1981 |
882 |
377 |
1991 |
876 (न्यूनतम) |
548 |
2001 |
898 |
690 |
2011 |
912 |
829 |
(प्रति एक हजार पुरूषों पर महिलाओं की संख्या)
यदि हम उत्तर प्रदेश में लिंग अनुपात की स्थिति का मूल्यांकन करें (जोकि प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की औसत संख्या को कहते हैं) तो पता चलता है कि 1901 से प्रदेश में लिंग अनुपात लगातार घटता जा रहा है। तालिका-2 को देखने से पता चलता है कि 1901 में राज्य में लिंग अनुपात 942 था जोकि अब तक का सर्वाधिक है। यह 1951 में घटकर 908 रह गया। 1991 में यह 876 के न्यूनतम स्तर पर जा पहुंचा। 2001 की जनगणना के अनुसार इसमें थोड़ा सुधार हुआ जिसके कारण यह बढ़कर 898 हो गया। जबकि भारत में यह लिंग अनुपात 943 के स्तर पर है। उत्तर प्रदेश में लिंग अनुपात अत्यधिक प्रतिकूल है। जोकि राज्य में आर्थिक पिछड़ेपन, सामाजिक पिछड़ेपन व महिलाओं के प्रति भेदभाव को प्रदर्शित करता है।
साक्षरता- साक्षरता का मानव पूंजी निर्माण में और उच्च जीवन स्तर से जीवन व्यापन में महत्वपूर्ण स्थान है। 1951 में उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर मात्र 12 प्रतिशत थी, उसमें भी महिला साक्षरता दर मात्र 4 प्रतिशत थी। तत्पश्चात सरकारी प्रयासों तथा लोक चेतना के कारण साक्षरता दर में निरंतर वृद्धि हो रही है।
तालिका-3 : उत्तर प्रदेश में साक्षरता दर (प्रतिशत में)
वर्ष |
कुल |
पुरूष |
महिला |
1951 |
12.02 |
19.17 |
4.07 |
1961 |
20.87 |
32.08 |
8.36 |
1971 |
23.99 |
35.01 |
11.23 |
1981 |
32.65 |
46.65 |
16.74 |
1991 |
40.71 |
54.82 |
24.37 |
2001 |
56.3 |
68.8 |
42.2 |
2011 |
67.70 |
77.30 |
57.20 |
नोट: 1951 से 1961 तक साक्षरता दर 5 वर्ष तथा इसके ऊपर की जनसंख्या के लिए
1981 में प्रदेश में साक्षरता दर 32.65 प्रतिशत हो गई। फिर भी महिला साक्षरता में व्यापक कमी बनी रही। जोकि मात्र 16.74 प्रतिशत ही हो पायी। किंतु 2011 में साक्षरता दर बढ़कर 67.70 प्रतिशत तक पहुँच गयी। इसके बावजूद महिला एवं पुरूष साक्षरता दर में व्यापक अंतर मौजूद है। वर्ष 2011 में पुरूष साक्षरता दर 73.30 प्रतिशत तथा महिला साक्षरता दर केवल 57.20 प्रतिशत थी।
आयु संरचना- जनांकीय विशेषताओं में आयु संरचना का महत्वपूर्ण स्थान है। तालिका-4 उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का तीन आयु वर्गों में वितरण दर्शाया गया है। 0-14 आयु वर्ग के लोग आर्थिक रूप से उत्पादक वर्ग की श्रेणी में तो नहीं आते हैं किंतु उपभोक्ता अवश्य होते हैं। 15-59 वर्ष के आयु वर्ग के लोग उपभोक्ता होने के साथ-साथ उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। 60वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग शारीरिक रूप से धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं। अतः यह वर्ग भी मुख्यतः उपभोक्ता वर्ग ही बन जाता है। तालिका-4 से स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश की लगभग आधी जनसंख्या ही 15-59 वर्ष आयु वर्ग में है जो आर्थिक क्रियाकलापों में मुख्य भूमिका निभा सकती है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में जनसंख्या निर्भरता का अनुपात अधिक है। 0.14 वर्ष आयु वर्ग में अत्यधिक जनसंख्या इस बात की ओर संकेत करती है कि भविष्य में भी जनसंख्या वृद्धि दर तेज रहेगी, साथ ही युवा जनसंख्या का अनुपात भी अधिक रहेगा, जिसका राज्य के विकास के लिए उचित विदोहन किया जाना चाहिए।
तालिका- उत्तर प्रदेश में आयु वर्ग द्वारा जनसंख्या का वितरण
आयु वर्ग
|
2001 |
1991 |
1981 |
||||||
पुरुष |
स्त्री |
कुल |
पुरुष |
स्त्री |
कुल |
पुरुष |
स्त्री |
कुल |
|
0-1 |
40.9 |
40.8 |
40.9 |
40.0 |
40.6 |
40.3 |
41.8 |
41.5 |
41.7 |
15-59 |
51.5 |
51.9 |
51.7 |
52.0 |
52.3 |
52.1 |
51.1 |
51.9 |
51.5 |
60 से अधिक |
7.5 |
7.4 |
7.5 |
8.0 |
7.1 |
7.6 |
7.1 |
6.6 |
6.8 |
कुल |
100.0 |
100.0 |
100.0 |
100.0 |
100.0 |
100.0 |
100.0 |
100.0 |
100.0 |
उत्तरखंड को छोड़कर
स्त्रोत: सांख्यिकीय डायरी उत्तर प्रदेश-2006, 2000 और 1988,
ग्रामीण एवं नगरीय जनसंख्या किसी भी देश या प्रान्त में जैसे-जैसे आर्थिक विकास तीव्र होता है नगरीय जनसंख्या का कुल आबादी में अनुपात बढ़ता जाता है। अतः नगरीकरण को विकास का एक सूचक माना जा सकता है।
उत्तर प्रदेश तथा भारत में प्रमुख धर्मानुसार जनसंख्या
प्रमुख धार्मिक संप्रदाय |
कुल जनसंख्या से प्रतिशत |
|
उत्तर प्रदेश |
भारत |
|
हिंदू |
80.6 |
80.5 |
मुस्लिम |
18.5 |
13.4 |
ईसाई |
0.1 |
2.3 |
सिक्ख |
0.4 |
1.9 |
बौद्ध |
0.2 |
0.8 |
जैन |
0.1 |
0.4 |
अन्य एवं अवर्णित धर्म |
0.0 |
0.6 |
समस्त |
100.0 |
100.0 |
अनुसूचित जाति की जनसंख्या का विवरण-
उत्तर प्रदेश में व्यापक सामाजिक अंतरों के कारण अनुसूचित जाति के लोग काफी पिछड़े हुए हैं। यदि हम तालिका-7 को देखें तो पता चलता है कि यह राज्य की कुल आबादी का लगभग 21 प्रतिशत भाग है और यह भाग 1971 की जनगणना से लगभग स्थिर बना हुआ है। दशकवार जनसंख्या वृद्धि के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि 1971 तथा 1981 में अनुसूचित जाति की आबादी की वृद्धि दर कुल जनसंख्या की वृद्धि दर कुल जनसंख्या की वृद्धि दर से मामूली अधिक थी। किंतु 1991 तथा 2001 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति की जनसंख्या की दशकवर वृद्धि दर कुल जनसंख्या की वृद्धि दर से कुछ कम हो गई। अतः यह धारणा सही नहीं है कि अनुसूचित जाति के लोगों की जनसंख्या वृद्धि पर अपेक्षाकृत तेजी से बढ़ती है। तालिका को देखने से यह भी पता चलता है कि अनुसूचित जाति में साक्षरता दर कुल आबादी की साक्षरता दर से काफी कम है। और महिला साक्षरता दर तो और भी कम है।
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