उत्पाद नियोजन में विपणन प्रबन्धक की भूमिका | Marketing Managers Role in Product Planning in Hindi
उत्पाद नियोजन में विपणन प्रबन्धक की भूमिका
(Marketing Managers Role in Product Planning)
उत्पाद नियोजन के कार्य का उत्तरदायित्व फर्म के स्वामी का होता है। कम्पनी प्रारूप की अवस्था में संचालक मण्डल को यह दायित्व पूरा करना होता है। सामान्यतः संचालक मण्डल इस उत्तरदायित्व को विपणन प्रबन्धक को सौंप देता है क्योंकि उत्पाद नियोजन के अधिकांश क्षेत्रों में विपणन घटक ही निर्णायक होता है। उत्पाद नियोजन कार्य को विपणन प्रबन्धक के कार्य क्षेत्र में रखना उचित ही है। कुछ संस्थाएँ इस कार्य हेतु ‘उत्पाद नियोजन समिति’ (Product Planning Committees) का निर्माण कर लेती हैं जिसमें पृथक-पृथक उत्पाद के लिए एक पृथक उत्पाद प्रबन्धक होता है जो समिति का भी सदस्य होता है। ये सब प्रबन्धक विपणन प्रबन्धक के अधीन कार्य करते हैं और स्वंय विपणन प्रबन्धक संचालक मण्डल के प्रति दायी होता है।
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या उत्पाद प्रयोगकर्ताओं की इच्छानुकूल हो या उत्पादन प्रबन्धक अथवा इंजीनियरों की इच्छानुकूल? इस प्रश्न का उत्तर बिल्कुल स्पष्ट है कि उत्पाद उसी प्रकार हो जैसा प्रयोगकर्ता चाहते हैं; भले ही उससे उत्पादन प्रक्रिया जटिल हो जाए और उत्पादन विभाग के कर्मचारी असंतुष्ट हो जायें। दूसरे शब्दों में, उत्पादन प्रबन्धक और इंजीनियरों के स्थान पर उपभोक्ताओं की इच्छाओं को अधिक महत्व दिया जाये। मान लीजिए कि एक फर्म अपने उत्पाद में इन्जीनियरों की इच्छानुसार कोई तकनीकी परिवर्तन करती है, भले ही यह परिवर्तन ‘इन्जीनियरी के कमाल’ के नाम से सम्बोधित किया जाये परन्तु यह आवश्यक नहीं कि बाजार में उस उत्पाद को उपभोक्ता स्वीकृति प्राप्त हो जायेगी। हो सकता है कि कीमत अधिक हो जाने पर उसकी सर्विसिंग सम्बन्धी समस्या के कारण उपभोक्ता उसे स्वीकार न करें, अतः उत्पादन का डिजाइन बाजार के अनुकूल होना आवश्यक है। रिचर्ड बसकर्क के अनुसार, “व्यवसाय संचालन सम्बन्धी विपणन प्रबन्धकीय विचारधारा के अन्तर्गत यह आवश्यक है कि उत्पाद नियोजन का आधारभूत उत्तरदायित्व विपणन विभाग पर हो, न कि उत्पादन या इन्जीनियरी विभागों पर।”
यह उल्लेखनीय है कि विपणन प्रबन्धक को बाजार पर निरन्तर निगाह रखनी आवश्यक है। आधुनिक समय में उपभोक्ताओं की रूचियों, प्राथमिकताओं एवं आवश्यकताओं में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। अतः उसे चाहिए कि वह उपभोक्ताओं की बदलती हुई आवश्यकताओं से स्वयं को अवगत रखे और आवश्यक सूचनाएँ उत्पादन और इन्जीनियरी विभागों तक पहुँचाये जिससे उत्पाद में आवश्यक परिवर्तन किये जा सकें। एक विपणन प्रबन्धक का यह सोचना कि उसका उत्पाद बहुत अच्छा है, उसके उत्पाद को उपभोक्ता स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है अतः उसे बाजार से बाहर निकालना सम्भव नहीं है, यह उसकी भूल होगी। परिस्थितियाँ बड़ी तेजी से बदलती हैं। अनेक उत्पाद, जो पहले बाजार में एकाधिकारी स्थिति प्राप्त किये हुए थे, आज बिल्कुल अप्रचलित हो गये हैं। अतः विपणन प्रबन्धक को चाहिए कि वह समय-समय पर उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुसार उत्पाद में आवश्यक परिवर्तन करता रहे।
विपणन प्रबन्ध – महत्वपूर्ण लिंक
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