शिक्षाशास्त्र

उपग्रह शैक्षणिक दूरदर्शन प्रयोग | इण्डियन नेशनल सेटलाइट | इन्सेट का शिक्षा में योगदान | राष्ट्रीय उपग्रह एवं दूरदर्शन योजना का महत्व

उपग्रह शैक्षणिक दूरदर्शन प्रयोग | इण्डियन नेशनल सेटलाइट | इन्सेट का शिक्षा में योगदान | राष्ट्रीय उपग्रह एवं दूरदर्शन योजना का महत्व | Satellite Educational Doordarshan Experiment in Hindi | Indian National Satellite in Hindi | INSAT’s contribution to education in Hindi | Importance of National Satellite and Doordarshan Scheme in Hindi

उपग्रह शैक्षणिक दूरदर्शन प्रयोग

(Satellite Instructional Television Experiment, SITE)

अगस्त 1975 को प्रारम्भ किये गये उपग्रह शैक्षणिक दूरदर्शन प्रयोग (SITE) सुदूर मामीण क्षेत्रों में शैक्षिक स्तरों के उन्नयन तथा राष्ट्रीय विकास के लिए दूरदर्शन प्रयोग एक अभिनव और रचनात्मक प्रयोग था। यह प्रयोग 31 जुलाई 1976 को समाप्त हुआ।

साइट द्वारा 6 राज्यों- आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा उड़ीसा के 2400 गाँवों की 35 लाख जनसंख्या के लिए विशेष टी०वी० कार्यक्रम प्रसारित किये गये। गाँवों का चयन सभी मौसम में पहुंचने के रास्तों के आधार पर तथा उनकी गरीबी के स्तर पर किया गया था।

साइट कार्यक्रम स्कूल के समय प्रातः तथा सायं प्रसारित किये जाते थे। प्रायः 22 मिनट 30 सेकण्ड के कार्यक्रम 5 वर्ष से 12 वर्ष के बच्चों की आवश्यकता के अनुरूप होते थे। सायं के 30 मिनट के कार्यक्रम कृषि, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं मनोरंजन से सम्बन्धित क्षेत्रीय भाषाओं में थे। 10 मिनट के समाचार सभी 6 राज्यों के लिए प्रसारित किए जाते थे।

साइट कार्यक्रमों का प्रमुख उद्देश्य शिक्षण प्रक्रिया को रुचिपूर्ण, सृजनात्मक, उद्देश्यपूर्ण तथा प्रेरणापूर्ण बनाकर बालकों में औपचारिक शिक्षा के प्रति घनात्मक दृष्टिकोण का विकास करना था। कार्यक्रमों की विषय-वस्तु उन साधनों तथ्यों तथा विषय-वस्तु पर आधारित थो वो प्रायः छात्रों को उन क्षेत्रों में प्रेरणा के लिए अनुपलब्ध थी। इन कार्यक्रमों में 53 प्रतिशत सामग्री विज्ञान से 13 प्रतिशत मनोरंजन, 12 प्रतिशत राष्ट्रीय चेतना, 7.5 प्रतिशत स्वास्थ्य का पोषण, 4 प्रतिशत राष्ट्रीय नेताओं, 3 प्रतिशत रचनात्मक प्रशिक्षण, 3 प्रतिशत सामाजिक एवं समीचीन समस्याओं तथा 1.5 प्रतिशत अन्य सामाजिक क्षेत्रों से सम्बन्धित थी।

साइट कार्यक्रम में विभिन्न संस्थाएं सहयोगो यो। संलग्न व्यक्तियों द्वारा प्रामीण जीवन की परिस्थितियों, उनमें संप्रेषण उनको अभिवृत्ति तथा साइट के अन्तर्गत प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से हुए परिवर्तन और शैक्षिक उपयोगिता के सम्बन्ध में बहुत-से आंकड़े शोध और मूल्यांकन दृष्टिकोण से एकत्र किये गये। कार्यक्रम के मध्य रचनात्मक तथा आकलित मूल्यांकन से सम्बन्धित विभिन्न आंकड़ों के आधार पर भविष्य में कार्यक्रम के विकास हेतु अनेक आधारभूत तथा उपयोगी ज्ञान प्राप्त हुआ। इसकी सफलता से प्रेरित होकर ही भारत में स्वयं के उपग्रह द्वारा दूरदर्शन कार्यक्रम विकास की योजना का प्रारूप तैयार किया गया जिसकी परिणति आज इन्सेट कार्यक्रम के रूप में है।

उपर्युक्त के आधार पर हम कह सकते हैं कि-साइट अन्तर्वेषयिक एप्रोच को एक अद्भुत परियोजना थी जिसका उद्देश्य प्रथम बार देश में राष्ट्रीय विकास तथा शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शन का प्रयोग था। इसके निम्न कारण थे-

(1) उपग्रह के माध्यम से ग्रामीण विकास के लिए शिक्षण हेतु दूरदर्शन से प्रयोग में अनुभव प्राप्त करना ।

(2) विकासशील देशों में उपग्रह तकनीको प्रसारण क्षमता का अध्ययन।

(3) प्रामीण विकास में उपग्रह दूरदर्शन की क्षमता का प्रदर्शन।

इन्सेट (INSAT)

1975-76 के उपग्रह शैक्षिक प्रयोगों-साइट की सफलता से प्रेरित होकर भारतीय उपग्रह इन्सेट-1-ब के दूर संचार कार्यक्रमों के अन्तर्गत शैश्विक कार्यक्रमों हेतु इन्सेट के उपयोग की योजना निश्चित की गयी। इन्सेट कार्यक्रम इसी नियोजन का परिणाम है।

इन्सेट-1 प्रणाली में दो उपग्रह हैं जिनमें से एक क्रियाशील है तथा एक अतिरिक्त रूप से है। इन्सेट पृथ्वी की कक्षा में ज्योस्टेशनरी स्थिति में है, अर्थात् पृथ्वी के सापेक्ष घूमते हुए एक ही स्थिति में है। यह पृथ्वी के ऊपर इस प्रकार घूमता है कि यह दूरस्थ स्थानों को टेलीफोन, पृथ्वी को विभिन्न प्रकार के प्रदतों को भेजने, प्रामीण क्षेत्रों में टी०वी० के सीधे प्रसारण हेतु राष्ट्रीय नेटवर्क बनाने, नियमित रूप से मौसम सम्बन्धी जानकारी देने तथा रेडियो एवं टी० वी० के विभिन्न कार्यक्रमों के पुनः प्रसारण हेतु कार्य कर रहा है। इसके प्रभावकारी उपयोग की सीमा 7 वर्ष है।

इन्सेट टी०वी० कार्यक्रमों के शैक्षिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

(1) कृषि उत्पादन के क्षेत्र में प्रसार सेवाओं के आयोजन हेतु विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रमों के शिक्षण हेतु सुविधाएं प्रदान करना।

(2) विभिन्न प्रसार कार्यक्रमों में व्यक्तियों को सहयोग और  सहभागिता हेतु प्रेरित करना जिसका कि सीधा लाभ ग्रामीण जनता, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों और अन्य सुविधा प्राप्त व्यक्तियों को मिलेगा।

(3) नागरिकों के उत्तम स्वास्थ्य तथा स्वच्छतापूर्वक रहने से सम्बन्धित विभिन्न कार्यक्रमों जिसमें परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रम सम्मिलित हैं, के लिए विभिन्न शिक्षण कार्यक्रमों तथा सहायक कार्यक्रमों हेतु सुविधाएँ प्रदान करना।

(4) रूढ़िवादी एवं परम्परागत पाठ्यक्रम सम्बन्धी शिक्षा के स्थान पर शिक्षा एवं शिक्षण विधियों के उन्नयन हेतु विभिन्न अध्यापक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन।

(5) देश के नागरिकों में वैज्ञानिक मानसिकता के विकास हेतु विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन, जिनसे उन्हें वैज्ञानिक सिद्धान्तों, तथ्यों और प्रक्रियाओं का ज्ञान हो सके तथा इस ज्ञान के आधार पर कवियों एवं आचारहीन मान्यताओं से उबरकर स्वस्थ जीवन जो सकें तथा  राष्ट्र को तेजी से प्रगति की दिशा में ले जा सकें।

(6) नागरिकों में विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा वांछनीय सामाजिक न्याय की भावना को विकसित करना। नागरिकों में दैनिक समाचारों, सामूहिक समस्याओं, खेलकूद एवं अन्य प्रमुख घटनाओं के प्रति रुचि लेने की इच्छा का विकास।

विस्तार- प्रारम्भ में आन्ध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा राज्यों को विशेष रूप से इन्सेट कार्यक्रम के संचालन हेतु चुना गया है।

(अ) इस चयन का आधार क्षेत्रों का पिछड़ापन है।

(ब) विभिन्न प्रकार की भौतिक एवं विकासात्मक सुविधाओं की उपलब्धता।

(स) टी०वी० कार्यक्रम उत्पादन की उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग।

इस कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप 4,000 टी० बी० ससेट ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित किये गये हैं जो निम्न प्रकार के हैं :

(क) डाइरेक्ट रिसीविंग सेट्स (Direct Receiving Sets, DRS),

(ख) वी० एच० एफ० सेट्स (VHF Sets) |

इन्सेट द्वारा प्रतिदिन 2 घण्टे 45 मिनट का कार्यक्रम प्रसारित होता है जिसका विभाजन प्रातः 45 मिनट तथा शेष समय दोपहर तथा शाम के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय कार्यक्रमों हेतु किया जाता है।

शोध एवं मूल्यांकन- इन्सेट कार्यक्रमों के अभिनव प्रयोग में सुधार लाने तथा प्रभावी कार्यक्रमों के विकास हेतु शोध एवं मूल्यांकन की प्रक्रिया अपरिहार्य है विशेष रूप से यह कार्यक्रमों के चयन (ग्रामीण, शहरी एवं अन्य आवश्यकता), दर्शकों के लिए प्रश्नावली तैयार करने, आवश्यकता सम्बन्धी अध्ययनों तथा सतत् पृष्ठपोषण प्रणाली के विकास हेतु आवश्यक क्षेत्रों से सम्बन्धित है। इस कार्य को दूरदर्शन इकाइयाँ, जनसंचार संस्थान तथा इसकी इकाइयाँ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्थापित संचार साधन केन्द्र तथा केन्द्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा अन्य इकाइयों स्वतन्त्र तथा एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कर रही है।

इन्सेट का शिक्षा में योगदान

इन्सेट ने ‘खुले विश्वविद्यालय’ की परिकल्पना को मूलरूप दे दिया है। पर्वतीय क्षेत्रों, सूदूरस्थ द्वीपों, देहाती और पिछड़े इलाकों में भी आज दूरदर्शन जैसे आकर्षक और प्रभावी माध्यम से शिक्षा और सूचनायें देना इन्सेट की सहायता से सम्भव हो गया है। शुरुआत के रूप में आजकल दिल्ली से प्रतिदिन दोपहर लगभग एक घण्टे का विश्वविद्यालय स्तर का शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है। जहाँ अभी भी दूरदर्शन नहीं है, वहीं रेडियो कुछ और समय तक शिक्षा-प्रसार के लिए प्रसारण का माध्यम बना रह सकता है। इसके लिए आवश्यकता है उत्तम कोटि के शैक्षिक कार्यक्रम तैयार करने की।

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) की विकास और शैक्षिक संचार इकाई (Development & Educational Communication Unit), अहमदाबाद ने दूरदर्शन-कार्यक्रम बनाने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना प्रारम्भ किया है। शिक्षा के लिए इन्सेट दूरदर्शन का अधिक से अधिक उपयोग किया जा सके; इसके लिए विकास और शैक्षिक संचार इकाईश्वविद्यालय अनुदान आयोग जैसी अन्य संस्थाओं को भी सहायता दे रही है। शिक्षा विभाग दिल्ली व अन्य प्रदेशों में शैक्षिक दूरदर्शन स्टूडियो बनवा रहा है ताकि इंसेट दूरदर्शन शैक्षिक उपयोग कार्यक्रम कार्यान्वित किया जा सके।

सांधे दूरदर्शन प्रसारण, उपग्रह दूरसंचार, भूस्थिर संचार उपग्रह की डिजाइन और उसके कक्षा में प्रबन्ध (inorbit management) और मौराग-विज्ञान के क्षेत्र में हम भारतीय इन्सेट के सहारे विशेषता प्राप्त कर पायेंगे।

राष्ट्रीय उपग्रह एवं दूरदर्शन योजना का महत्व-

विगत वर्षों में इस कार्यक्रम पर आधारित विभिन्न प्रयोगों के आधार पर यह सिद्ध किया जा चुका है कि सम्पूर्ण राष्ट्र के विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों व शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति सफलतापूर्वक की जा सकती है इसके अतिरिक्त अनुदेशन के प्रस्तुतीकरण व कथा में होने वाली शिक्षण अभिगम की परिस्थितियों को प्रभावी बनाने में भी यह अत्यन्त सहायक है। संक्षेप में इसका महत्व निम्नलिखित दृष्टियों से है-,

  1. यह प्रयोग सामूहिक अनुदेशन को प्रभावशाली बनाने में सहायक है।
  2. इसके द्वारा दूरी की शिक्षा की समस्या का समाधान सम्भव है।
  3. यह कथा में होने वाली शिक्षण अधिगम की परिस्थितियों को भी प्रभावी बना सकता है।
  4. यह प्रौढ़ शिक्षा के कार्यक्रम को गति प्रदान कर सकता है।
  5. राष्ट्रीय एवं सामाजिक परिवर्तनों की दृष्टि से यह उपयोगी है।
  6. इसके द्वारा अनौपचारिक शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति सम्भव है।
  7. दिन-प्रतिदिन की अनेक समस्याओं का समाधान, इसके द्वारा सम्भव है।
  8. यह पत्राचार शिक्षा के कार्यक्रम को प्रभावशाली बना सकता है।
  9. यह सेवारत अध्यापकों को नवीन प्रवर्तनों से परिचित करा सकता है।
  10. अध्यापक प्रशिक्षण के क्षेत्र में यह अत्यन्त आवश्यक है।
  11. कृषि व उद्योग सम्बन्धी कार्यक्रमों को प्रसारित करके इन क्षेत्रों में सुधार किया जा सकता है।
  12. सामाजिक व्यवहारों का सामूहिक रूप से विकास किया जा सकता है।
  13. इसके द्वारा स्वस्थ आदतों का विकास किया जा सकता है।
  14. नैतिक, चारित्रिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के विकास में यह सहायक है।
  15. इसके द्वारा राष्ट्रीय चेतना, राष्ट्रीय भावना तथा वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का विकास करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
  16. भाषा कौशल का विकास करने में भी यह सहायक हो सकता है।
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Pankaja Singh

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