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टेलीकांफ्रेंसिंग | टेलीकांफ्रैंसिंग के प्रकार | टेलीटेलीकांफ्रैंसिंग के उपयोग की सम्भावनाएँ | टेलीकांफ्रैंसिंग से लाभ | वीडियो कॉन्फ्रेंन्सिंग

टेलीकांफ्रेंसिंग | टेलीकांफ्रैंसिंग के प्रकार | टेलीटेलीकांफ्रैंसिंग के उपयोग की सम्भावनाएँ | टेलीकांफ्रैंसिंग से लाभ | वीडियो कॉन्फ्रेंन्सिंग | Teleconferencing in Hindi | Types of Teleconferencing in Hindi | Possibilities of using teleteleconferencing in Hindi | Benefits of Teleconferencing in Hindi | video conferencing in Hindi

टेलीकांफ्रेंसिंग (Teleconferencing) –

वर्तमान समय में कम्प्यूटर, इण्टरनेट, टेलीफोन तथा टेलीविजन के आपसी संयोग के आधार पर विचार-विनिमय हेतु संगोष्ठी का आयोजन, प्रत्यक्ष रूप से किसी से घर बैठे वार्तालाप करना अत्यन्त आसान हो गया है। इस सर्वसुलभ व्यवस्था को टेलीकांफ्रैंसिग (Teleconferencing) कहा जाता है। यह व्यूह रचना शिक्षण/शिक्षा के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। इसमें विविध संचार माध्यमों का उपयोग किया जाता है। तथा द्विमार्गीय प्रसारण द्वारा अन्तः क्रिया समूह को अपने विचार रखने की सुविधा दी जाती है।

टेलीकांफ्रेंसिंग की कार्यप्रणाली एवं तकनीकी मूल रूप से टेलीविजन, टेलीफोन, कम्प्यूटर तथा इण्टरनेट के आपसी संजाल (Network) से विकसित किया गया है। इस व्यवस्थ का प्रयोग करने के लिए टेलीफोन के कुछ आवश्यक यंत्रों को जोड़कर किसी भी इण्टरनेट लाइन या टेलीफोन लाइन को प्रयोग में लाया जाता है। बातचीत का सजीव प्रसारण टेलीविजन के पर्दे पर मूर्तमान हो उठता है।

टेलीकांफ्रैंसिंग के प्रकार

टेलीकांफ्रेंसिंग के तीन प्रकार होते हैं-

(i) आंडियो कॉन्फ्रेन्स (ii) वीडियो कॉन्फेन्स (iii) कम्प्यूटर कॉन्फ्रेन्स

ऑडियो कॉन्फ्रेन्स में भाग लेने वाले व्यक्ति क दूसरे बातचीत तो कर सकते हैं, किन्तु एक दूसरे को प्रत्यक्ष देख नहीं सकते। यह मूल रूप से टेलीफोन द्वारा सम्पन्न होता है। जैसे आजकल विविध भारती पर टेलीफोनिक बाताएं प्रसारित होती है।

विडियो कॉन्फ्रेन्स में भाग लेने वाले व्यक्ति एक दूसरे को देख एवं सुन सकते हैं तथा वार्तालाप भी कर सकते हैं। जैसा आजकल दूरदर्शन प समाचार के प्रसारण या चुनाव के नतीजों की प्राप्ति हेतु संवादाताओं से बातचीत का सजीव प्रसारण किया जाता है।

कम्प्यूटर कॉन्फेन्स में अलग-अगल स्थानों पर बैठे व्यक्ति कम्प्यूटर का प्रयोग में लाकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

टेलीटेलीकांफ्रैंसिंग के उपयोग की सम्भावनाएँ-

टेलीकांफ्रैंसिंग जैसे नूतन व्यवस्था को उपयाग की सम्भावनाएँ अग्रलिखित हो सकती है-

(i) प्रभावी शिक्षण प्रबन्धन में।

(ii) दूरस्थ शिक्षा/खुले विद्यालयों/खुले विश्वविद्यालयों में।

(iii) सुविधाविहीन लोगों तक शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु।

(iv) समस्याग्रस्त बालकों/अधिगम में पिछड़े बालकों की शिक्षा हेतु।

(v) विषय-विशेषज्ञों के विचारों से लाभान्वित होने हेतु।

(vi) शोध-सर्वेक्षण हेतु।

(vii) शिक्षकों की जवाबदेही हेतु।

(viii) विद्यालयी कार्य प्रणाली के मूल्यांकन हेतु।

(xi) नवीन शैक्षिक योजनाओं, नीतियों जानकारी हेतु।

टेलीकांफ्रैंसिंग से लाभ (Advantage of Teleconferencing)

टेलीकांफ्रेंसिंग शिक्षण/अनुदेशन की नवीन विधा है। भारत में अभी यह अपने शैशवावस्था में हैं। किन्तु आगामी दशकों में यह शिक्षण/अनुदेशन के अभिन्न अंग के रूप में व्यवस्थित हो जायेगा, ऐसी सम्भावनाएँ परिलक्षित हो रही है। इस सम्भावना के पीछे टेलीकांफ्रेंसिंग से मिलने वाली सहूलियतें और धन, समय, श्रम की बचत बताया जा सकता है। वास्तव में टेलीकांफ्रेंसिंग के अनेक लाभ हैं। इसे संक्षेप में निम्नवत् प्रकट किया जा सकता है-

  1. टेलीकांफ्रैंसिंग वास्तविक एवं प्रत्यक्ष शिक्षण की व्यवस्था प्रदान करता है।
  2. टेलांफ्रैसिंग में अधिगमकर्ता सक्रिय होकर अधिगमोन्मुख होते हैं, इससे उनके ज्ञान में स्थायित्व आता है।
  3. टेलीकांफ्रेंसिंग विविध ज्ञान एवं अनुभवों के संग्रहण में उपयोगी है।
  4. टेलीकांफ्रेंसिंग से विषय-विशेषज्ञों की सेवाएँ आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं।
  5. टेलीकांफ्रैंसिंग से छात्रों को अभिप्रेरित करने तथा पृष्ठ पोषण आसानी से दिया जा सकता है।
  6. टेलीकांफ्रैंसिंग द्वारा शिक्षण/अनुदेशन सामग्री का परिमार्जन एवं परिशोधन कर प्रभावी बनाया जा सकता है।
  7. टेलीकांफ्रैंसिंग से सुदूर स्थानों तक बिखरे लोगों तक ज्ञान की ज्योति जलायी जा सकती है।
  8. टेलीकांफ्रैंसिंग से विद्यालय के स्थान पर संसाधन केन्द्रों द्वारा छात्रों तक विविध सूचनाएँ पहुँचायी जा सकती है।
  9. टेलीकांफ्रैंसिंग से उचित निर्देशन एवं परामर्श की प्राप्ति सम्भव है।
  10. टेलीकांफ्रसिंग दूरस्थ शिक्षा में अत्यन्त प्रभावकारी है।

वीडियो कॉन्फ्रेंन्सिंग क्या है?

संचार के क्षेत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंन्सिग एक आधुनिकतम तकनीक है। इस नवीनतम तकनीक के अनुसार देश में रहने वाले देश से बाहर रहने वाले विभिन्न स्थानों के दो अथवा दो से अधिक व्यक्ति किसी भी स्थान पर कम्प्यूटर एवं अन्य सम्बद्ध उपकरणों की सहायता से एक-दूसरे को कम्प्यूटर स्क्रीन पर देखते हुए आपस में सम्वाद स्थापित कर सकते हैं। साथ ही इस वार्तालाप के समय किसी भी प्रकार के अभिलेख अथवा अन्य सूचनाओं का आदान-प्रदान भी  कम्प्यूटर की सहायता से कर सकते हैं। वास्तव में वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग से तात्पर्य है, दो दूरस्थ व्यक्तियों द्वारा सम्वाद् स्थापित करने की प्रक्रिया में दृश्य एवं श्रृव्य दोनों अनुभवों को प्राप्त करना। भारत में विदेश संचार निगम लि. द्वारा वर्ष 1993 में ही वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग सेवा की शुरूआत कर दी गयी थी। विदेश संचार निगम लि ने अपने दिल्ली, चेन्नई, चेनई, कोलकाता एवं मुम्बई के कार्यालयों में चार सार्वजनिक वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग केन्द्र स्थापित किये हैं, जो सुविधानुसार क्षेत्रों को चुनकर वहाँ उच्च स्तर की सेवाएं प्रदान करते हैं। वर्तमान में इस सुविधा का प्रयोग चिकित्सा अनुसन्धान, उच्च स्तरीय वार्ताओं तथा दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों आदि में किया जा रहा है। भारत में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग सुविधा को विशेष प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है।

इन्टीग्रेटेड सर्विसेज डिजिटल नेटवर्क (घएउ) के कारण वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग का क्षेत्र व्यापक करने में विशेष सहायता मिली है। मुम्बई की वीसी सेकण्ड ओपनियन कम्पनी चिकित्सा क्षेत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंकसिंग की सुविधा उपलब्ध करा है, इसको व्यापक रूप प्रदान करने के लिये उसने ‘सेकण्ड ओपीनियन वर्ल्ड वाइड’ ‘टेली क्वेस्ट’ और सान फ्रांसिस्को के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से गठबन्धन किया हुआ है। ज्ञातव्य कि उपग्रह आधारित वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग की सुविधा लगभग एक दशक से उपलब्ध परन्तु आधुनिकतम तकनीक द्वारा सुविधा को पर्सनल कम्प्यूटर के माध्यम से उपलब्ध कराना एक क्राकन्तकारी कदम है। कदम है। कॉन्फ्रेंसिंग को अन्तर्राराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय एवं उपयोगी बनाने के लिये ‘इन्टरनेशनल मल्टी मीडिया टेली कॉन्फ्रेन्सिग कंसोर्टियम’ द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे है।

कॉन्फ्रेन्सिंग के लिये विविध सामग्री प्रयोगी में लायी जाती है जैसे पावर पाइ माडल्स आदि।

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