स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका | स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका का संघीय परिषद् का स्वरूप | स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका की विशेषताएँ
स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका
स्विट्जरलैण्ड की संघीय कार्यकारिणी को संघीय परिषद् कहते हैं। यहाँ की कार्यपालिका संसार के अन्य देशों की कार्यपालिकाओं से भिन्न है। यह रचना संगठन, उद्देश्य एवं कार्य-पद्धति में अनोखी है। यह एकल न होकर बहुल कार्यपालिका है। इसके अन्तर्गत कार्यपालिका शक्तियाँ किसी एक व्यक्ति को प्राप्त न होकर सात व्यक्तियों की कौसिल को प्राप्त हैं। इनका निर्वाचन व्यवस्थापन विभाग के दोनों सदन मिलकर करते हैं। ये सभी एक ही दल के नहीं होते। संघीय परिषद का सदस्य बनने के लिये राष्ट्रीय सभा का सदस्य होना आवश्यक नहीं है। बल्कि यदि कोई राष्ट्रीय सभा का सदस्य संघीय परिषद का सदस्य निर्वाचित होता है तो उसे राष्ट्रीय सभा की सदस्यता से त्यागपत्र देना होता है। संघीय परिषद् के सात सदस्यों में से एक को अध्यक्ष चुना जाता है। इसका चुनाव व्यवस्थापिका के दोनों सदन अपने संयुक्त अधिवेशन में करती हैं। अध्यक्ष का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। एक बार कोक्ति अध्यक्ष रह चुका होता है वह दूसरे वर्ष अध्यक्ष नहीं हो सकता। संघीय परिषद् के सदस्यों में से किसी एक सदस्य को उपाध्यक्ष चुना जाता है। इसका चुनाव भी व्यवस्थापिका के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में होता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव भी प्रतिवर्ष होता है। संघीय परिषद् की एक अन्य विशेषता उसका स्थायीपन है। वैसे तो उसका कार्य-काल संविधान के अनुसार चार वर्ष रखा गया है परन्तु उसके अधिकांश सदस्य प्रायः पुनः निर्वाचित हो जाते हैं तथा वे लम्बी अवधि तक अपने पद पर बने रहते हैं।
संघीय परिषद् का स्वरूप (स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका का संघीय परिषद् का स्वरूप)
स्विस कार्यपालिका न तो पूर्ण रूप से संसदीय है न पूर्ण रूप से अध्यक्षीय ही। इसमें दोनों प्रणालियों के कुछ लक्षण विद्यमान हैं।
संसदीय लक्षण-
(i) कौंसिल के सदस्यों का चुनाव फैडेरल एसेम्बली द्वारा होता है।
(ii) कौंसिल के सदस्य फैडेरल एसेम्बली की कार्यवाहियों में भाग लेते हैं।
(iii) कौंसिल के सदस्यों का विधि-निर्माण में महत्त्वपूर्ण स्थान है। मन्त्री ही विधेयकों के मसविदे तैयार करते हैं।
(iv) फैडेरल एसेम्बली के सदस्यों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर मन्त्रियों को देने होते हैं।
(v) कौंसिल को प्रतिवर्ष वैदेशिक तथा आन्तरिक क्षेत्रों में किये गये कार्यों की रिपोर्ट फैडेरल एसेम्बली को देनी होती है।
(vi) कौंसिल को एसेम्बली की इच्छानुसार कार्य करना होता है।
अध्यक्षीय लक्षण-
(i) कौंसिल के सदस्य एसेम्बली के सदस्य नहीं होते ।
(ii) कौंसिल के सदस्यों की कर्याविधि निश्चित है।
(iii) कौंसिल विधि-निर्माण में एसेम्बली का नेतृत्व नहीं करती है।
स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका की विशेषताएँ
(i) बहुल कार्यपालिका- कार्यपालिका की शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में निहित न रहकर सात व्यक्तियों के हाथों में निहित रहती है। संघीय परिषद के सातों सदस्य (मन्त्री) समान अधिकार रखते हैं। अध्यक्ष के अधिकार भी परिषद के अन्य सदस्यों के समान ही होते हैं।
(ii) व्यवस्थापिका के प्रति अधीनता- संविधान के अनुसार स्विस कार्यपालिका को व्यवस्थापिका से पूर्णतया अलग रखा गया है। परन्तु वस्तुतः कार्यपालिका के सदस्य व्यवस्थापिका के अधीन रहते हैं। व्यवस्थापिका के सदस्य ही कार्यपालिका के सदस्यों का निर्वाचन करते हैं। देश की नीति का निर्धारण भी व्यवस्थापिका ही करती है। संघीय परिषद् को संघीय सभा के आदेशों के अनुरूप कार्य करना होता है। संघीय परिषद और संघीय सभा में मतभेद उत्पन्न होने की स्थिति में संघीय परिषद को झुकना पड़ता है।
(iii) व्यवस्थापिका की पथ-प्रदर्शक- यह संघीय सभा का पथ प्रदर्शन करती है। इसका कार्य मन्त्रिपरिषद के समान है।
(iv) निर्दलीय कार्यपालिका- संघीय परिषद के सदस्य विभिन्न दलों के योग्य और अनुभवी व्यक्ति होते है।
(v) स्थायित्व- परिषद का कार्यकाल 4 वर्ष निश्चित है। किन्तु बहुधा यह देखा जाता है कि एक बार जो व्यक्ति सदस्य चुना जाता है वही बार-बार चुना जाता है।
(vi) सामूहिक उत्तरदायित्व का अभाव- स्विट्जरलैण्ड में सामूहिक उत्तरदायित्व का अभाव है। वहाँ प्रत्येक मन्त्री अपने कार्यों के लिए संघीय सभा के प्रति उत्तरदायी है।
(vii) प्रशासकीय संस्था- यह एक प्रशासकीय संस्था है। इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रशासकीय दक्षता, मानसिक विवेक एवं कुशलता के आधार पर होता है।
(viii) संसदात्मक एवं अध्यक्षात्मक पद्धतियों का समन्वय- स्विस-कार्यपालिका में संसदीय और अध्यक्षात्मक पद्धतियों का सुन्दर समन्वय किया गया है। यहाँ दोनों ही प्रकार की व्यवस्थाओं को अपनाया गया है।
अन्त में हम कह सकते हैं कि स्विस संधीय परिषद न तो पूर्णतया संसदीय है और न पूर्णतया अध्यक्षात्मक ही। उसमें दोनों के गुण विद्यमान हैं।
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