स्थल रूप एवं लोग पाठ योजना | स्थल रूप एवं लोग लेसन प्लान
स्थल रूप एवं लोग पाठ योजना
विद्यालय का नाम – अ – ब – स विद्यालय
दिनांक – 00/00/0000
कक्षा – 6
विषय – भूगोल
प्रकरण – स्थल रूप एवं लोग
अवधि – 30 मिनट
सामान्य उद्देश्य
- छात्रों में भूगोल के प्रति रुचि उत्पन्न करना।
- छात्रों को विश्व के विभिन्न देशों के भौगोलिक एवं सामाजिक पर्यावरण को समझने योग्य बनाना।
- छात्रों में प्राथमिक स्तर पर प्राप्त ज्ञान को सुव्यवस्थित करना।
- छात्रों में भौगोलिक नागरिकता के गुणों का विकास करना।
- छात्रों में भारत की प्राकृतिक परिस्थितियों का ज्ञान कराना।
विशिष्ट उद्देश्य
- छात्र-छात्राएं स्थल रूप को प्रत्यास्मरण कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं परिवहन के बारे में प्रत्याभिज्ञान कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं प्राकृतिक आपदाओं की व्याख्या कर सकेंगे।
- छात्र-छात्रा में विभिन्न स्थल रूपों में जीवनयापन का विश्लेषण कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं मैदानी तथा पर्वतीय क्षेत्रों के जीवन में तुलना कर सकेंगे।
शिक्षण सामग्री
चार्ट, चाक, डस्टर, संकेतांक एवं अन्य कक्षा उपयोगी सामग्री।
पूर्व ज्ञान
विद्यार्थी स्थल रूप तथा मनुष्य के विषय में सामान्य जानकारी रखते हैं।
प्रस्तावना के प्रश्न
छात्र अध्यापिका क्रिया |
विद्यार्थी अनुक्रिया |
सौरमंडल में नीला ग्रह किसे कहते है? |
पृथ्वी |
पृथ्वी के 2 मुख्य भाग कौन-कौन से हैं? |
स्थल रूप तथा जल रूप |
स्थल रूपों पे कौन-कौन सी सजीव वस्तुएं निवास करती हैं ? |
मनुष्य, जानवर तथा वनस्पति |
उद्देश्य कथन
आज हम लोग स्थल रूप एवं लोगों के विषय में अध्ययन करेंगे।
प्रस्तुतीकरण ( शिक्षण बिंदु, छात्र अध्यापिका क्रिया, विद्यार्थी अनुक्रिया)
स्थल रूप एवं लोग
स्थल रूपों की विभिन्नता के अनुरूप ही मानव विभिन्न प्रकार से जीवन यापन करते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों का जीवन कठिन होता है। मैदानी क्षेत्रों का जीवन पर्वतीय क्षेत्रों की तुलना में सरल होता है। मैदानों में फसले उगाना, घर बनाना या सड़के बनाना, पर्वतीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक आसान होता है। पहाड़ी लोगों का जीवन भी इन कारणों से बहुत कष्टप्रद होता है। सीडी नुमा खेतों के कारण खेती अधिक नहीं होती है। यदि बारिश आवश्यकता से अधिक हो गई तो फसलों हेतु बोए बीज को बहा ले जाती है और यदि नहीं हुई तो फसल सूख जाती है। पहाड़ों में नौकरी, चिकित्सा तथा शिक्षा का अभाव होता है। पठारी क्षेत्रों की सर्व मुख्य समस्या पानी की होती है। तथा यहां मुख्यतः जमीन पथरीली होती है जिसके कारण खेती में प्रयुक्त नहीं हो पाती है। विभिन्न प्रकार के स्थल रूपों पर रहने वाले लोगों के रहन-सहन के तरीकों में कुछ अंतर होता है।
कभी-कभी प्राकृतिक आपदाएं, जैसे-भूकंप, ज्वालामुखी उदगार, तूफान या बाढ़ बहुत विनाशक कर देते हैं। इन आकस्मिक घटनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करके हम इन में आने वाले खतरों को कम कर सकते हैं।
प्रायः मनुष्य स्थल का उपयोग गलत तरीके से करते हैं, जैसे उपजाऊ भूमि पर मकानों का निर्माण करना। इसी प्रकार मनुष्य कूड़ा किसी भी भूमि पर या पानी में फेंक देते हैं जो कि उन्हें गंदा कर देना है। हमें प्रकृति के इस महत्वपूर्ण वरदान का उपयोग इस प्रकार नहीं करना चाहिए। उपलब्ध भूमि केवल हमारे ही उपयोग के लिए नहीं है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को सुरक्षित रखें। इसलिए हमें याद रखना चाहिए स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। और यह स्वच्छ पर्यावरण विशेष रूप से साफ जल, वायु तथा स्वच्छ वातावरण से संभव है।
श्यामपट्ट सारांश
- स्थल रूपों की विभिन्नता के अनुरूप ही मानव विभिन्न प्रकार से जीवन यापन करता है।
- मैदानों में जीवन यापन करना सबसे सरल है।
- प्राकृतिक आपदाएं जैसे: -भूकंप, भूस्खलन, ज्वालामुखी उदगार, तूफान इत्यादि।
- पहाड़ों के सीढ़ी नुमा खेती की जाती है।
निरीक्षण कार्य
छात्र अध्यापिका छात्रों से श्यामपट्ट पर लिखी सामग्री को अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखने का निर्देश देगी और निरीक्षण करते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
मूल्यांकन के प्रश्न
- स्थल रूप के प्रकार बताएं?
- किस स्थल रूप में परिवहन सबसे सरल है?
- प्राकृतिक आपदा किसे कहते हैं?
- पर्वतीय क्षेत्रों में किस प्रकार की खेती की जाती है?
- मैदानी तथा पर्वतीय क्षेत्रों में अंतर बताएं?
गृह कार्य
मैदानों में परिवहन के सरल तथा सुलभ होने के कारण लिखें।
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