शिक्षा तकनीकी की परिभाषाएँ | शिक्षा तकनीकी के प्रमुख घटक | Education Technical in Hindi | Major components of education technology in Hindi
शिक्षा तकनीकी की परिभाषाएँ
शिक्षा तकनीकी की विभिन्न परिभाषाएँ भिन्न-भिन्न तरीके से शिक्षा- तकनीकी की व्याख्या प्रस्तुत करती हैं।
लीथ (G.O.M Leith) के अनुसार, अधिगम तथा अधिगम परिस्थितियों के सम्बन्ध में वैज्ञानिक ज्ञान का अनुप्रयोग, शिक्षण-प्रशिक्षण की प्रभावकारिता को उन्नत बनाने के लिए करना, शिक्षा-तकनीकी।
एस. एस. कुलकर्णी के अनुसार “शिक्षा-तकनीकी को विज्ञान और तकनीकी के नियमों और आधुनिकतम आविष्कारों का शिक्षा-प्रक्रिया में प्रयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
राबर्ट ए. काक्स (R.A.Cox) ने शिक्षा तकनीकी को निम्न प्रकार परिभाषित किया है-ह्म “मनुष्य की अधिगम परिस्थितियों में नवीनतम वैज्ञानिक प्रविधियों का प्रयोग शिक्षा तकनीकी या अनुदेशन तकनीकी कहलाता है।
भारतीय शिक्षा शास्त्री शिव. के. मित्रा ने शिक्षा तकनीकी को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है-“शिक्षा तकनीकी को उन विधियों और तकनीकों को विज्ञान समझा जा सकता है। जिसके द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती।”
शिक्षा तकनीकी को विस्तृत ढंग से परिभाषित किया हैं ताक्शी साकामाटो (Takshi Sakamato) ने “शिक्षा-तकनीकी एवं अनुप्रयोग या व्यावहारिक अध्ययन है, जिसका उद्देश्य, सम्बन्धित तथ्यों जैसे कि शैक्षिक उद्देश्यों, पाठ्यवस्तु, शिक्षण सामग्री, शिक्षण विधि, शैक्षिक परिवेश, विद्यार्थियों का व्यवहार, शिक्षक या प्रशिक्षक का व्यवहार तथा शिक्षक विद्यार्थियों के अन्तर्सम्बन्धों को नियंत्रित कर शैक्षिक प्रभावों को उच्चतम सीमा तक प्राप्त करना है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर शिक्षा तकनीकी की विस्तृत और सुगम परिभाषा इस प्रकार हो सकती है, “निश्चित शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए वैज्ञानिक विधियों और प्रविधियों का प्रयोग सम्पूर्ण शिक्षण अधिगम व्यवस्था की रचना करने, उनका क्रियान्वयन करने तथा अन्त में उनका मूल्यांकन करना ही शिक्षा तकनीकी है।”
शिक्षा तकनीकी को जैसे भी परिभाषित किया जाय, एक तथ्य महत्वपूर्ण हैं तथा स्पष्ट है कि-
“शिक्षा तकनीकी शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने वाला मानवीय तथा गैर- मानवीय माध्यमों या साधनों का संयुक्त रूप है।”
फ्रीमैन शिक्षा तकनीकी को शैक्षिक समस्याओं से जोड़ते है।
“शिक्षा तकनीकी, शैक्षिक समस्याओं के समाधान का एक व्यवस्थित उपागम है।”
शिक्षा तकनीकी के प्रमुख घटक- कुछ शिक्षा तकनीकी विशेषज्ञ शिक्षा तकनीकी के तीन प्रमुख घटक मानते हैं,
- निवेश या आदान (Input)
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया (Teaching-learning Process)
- बहर्वेश या निर्गम (Output)
उपरोक्त अंग शिक्षा तकनीकी के पैटर्न (Paradigm) को निम्न तरीके से प्रकट करते हैं-
Input
↓
Teaching Learning Process
↓
Output
I. निवेश या आदान (Input)
यह छात्र का प्रारम्भिक व्यवहार भी कहलाता है। निवेश के अन्तर्गत निम्नलिखित बातें आती हैं- 1. छात्र का पूर्व ज्ञान, शैक्षिक सम्प्राप्ति, परिपक्वता, अभिप्रेरणा का स्तर तथा अन्य क्षमताएँ। 2. छात्र की भाषा सम्बन्धित क्षमता, जिस भाषा के माध्यम से शिक्षण होना है। 3. शिक्षक की क्षमता, शिक्षण सम्बन्धी योग्यता, शिक्षक का दृष्टिकोण, शिक्षण विधियों और प्रविधियों (Techniques) के प्रयोग का कौशल आदि। 4. शिक्षण सामग्री जैसे कि पाठ्यपुस्तक (Text Book) तथा शिक्षण सहायक सामग्री जैसे कि ब्लैकबोर्ड, चॉक, पोस्टर, चार्ट, प्रोजेक्टर, फिल्म दूरदर्शन, कम्प्यूटर आदि हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर के प्रयोग का कौशल।
II. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया (Teaching Learning Process) –
अधिगम परिस्थितियाँ उत्पन्न करना जिसमें पाठ्यक्रम या पाठ्यवस्तु को व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध (Systematic) तरीके से प्रस्तुत किया जा सके। 2. शिक्षण युक्तियों (Teaching Strategies) का चयन जिनके द्वारा अधिगम प्रक्रिया का संचालन हो सके। 3. शिक्षण सहायक सामग्रियों का कुशलतापूर्वक प्रयोग, पाठ्यवस्तु को उच्चतम सीमा तक छात्रों के लिए बोधगम्य और ग्राहा बनाने के लिए करना। 4. प्रभावकारी सम्प्रेषण विधियों (Effective Communication Techniques) का चयन कर शिक्षण अधिगम को प्रभावशाली बनाना। 5. शिक्षक-छात्र (अधिगमकता) का प्रभावशाली बनाना। 6. शिक्षक-संबंधों को उन्नत बनाना। 7. विद्यार्थियों के लिए अभिप्रेरणा प्रविधियों (Motivational Techniques) का कुशलतापूर्वक प्रयोग करना जिससे कि वे पाठ्यवस्तु को सीखने के लिए उद्यत और क्रियाशील हो सकें। 8. कक्षा में समूह-व्यवहार (Group Behaviour) तथा परस्पर अन्तर्सम्बन्धों को अच्छा और अधिगम योग्य बनाना। 9. विद्यालयीय परिवेश का इस प्रकार निर्माण करना, जिसमें को अपनी अच्चतम सीमा तक अधिगम (Maximum-learning) का अवसर मिल सके।
III. बहिर्वेश या निर्गम (Output) :
शिक्षा तकनीकी का यह घ्जटक अंतिम व्यवहार (Terminal Behaviour) कहलाता है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया से गुजरकर विद्यार्थी के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन दिखायी देते हैं। जिनका मूल्यांकन किया जाता है। यह निम्न प्रकार से होता है—
- विद्यार्थी के अंतिम व्यवहार का इस प्रकार मूल्यांकन करना है, फिर से यह ज्ञात हो सके कि पाठ्वस्तु किस सीमा तक ग्रहण की गई है। 2. निश्चित शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मापन हेतु उपयुक्त परिस्थितियों का निमार्ण करना। 3. उद्देश्यों के आधार पर मापन विधियों को चयन करना। 4. विद्यार्थियों के अपेक्षित अंतिम व्यवहार के मानदण्ड (Norms) निश्चित करना । 5. मानदण्ड के सापेक्ष विद्यार्थियों की अर्जित योग्यता या अंतिम व्यवहार को सुनिश्चित करना। शिक्षा-तकनीकी को शिक्षाशास्त्रियों के एक समूह ने अलग ढंग से वर्गीकृत किया है इपके अनुसार शिक्षा तकनीकी के प्रमुख तीन अंग है।
(1) विधि (Method) – विधिके अन्तर्गत अभिक्रमित अधिगम (Programmed Learning) अमिक्रमित अनुदेशन (Programmed Instruction), टोली-शिक्षण (Team Teaching), माइक्रो शिक्षण (Micro Teaching), शिक्षण की व्यक्तिकृत व्यवस्था (Individualised System of Instruction) तथा शिक्षण अधिगम की अन्य विधियाँ आती है।
(2) सामग्री (Materials)- सामग्री के अन्तर्गत, शैक्षिक सामग्री जैसे अभिक्रकमित पाठ्य- पुस्तकें (Programmed Text Books), शैक्षिक निर्देशिकएँ (Manuals) गाइड तथा अन् मुद्रित जो छात्र या अधिगमकर्ता को विषयवस्तु से परिचित कराएँ।
(3) माध्यम (Media) – माध्याम के अन्तर्गत श्रव्य माध्यम, दृश्य माध्यम या श्रव्य-दृश्य माध्यम जैसे कि रेडियों, टेलीविजन, टेपरिकॉर्डश्र, चार्ट, नक्शा, पोस्टर फिल्म आदि का प्रयोग प्रभावशाली शिक्षण या अधिगम की उन्नति के लिए किया जाता है।
उपयुक्त तीनों अंगों के अतिरिक्त के महत्वपूर्ण अंग हैं मानवशक्ति क्योंकि शिक्षा तकनीकी के जो भी घटक हों, उनका क्रियान्वय करने वाला तथा उपयोग करने वाला मनुष्य ही है।
शिक्षा तकनीकी के वर्गीकरण की एक अन्य विधि भी हैं, जो आज बहुप्रचलित है। इस विधि का आधार है— “शिक्षा-तकनीकी के अभिग्रहण (Adoption) में साम्मिलित हार्डवेयार (Hardware) तथा साफ्टवेयर (Software) यात्रिकता।
गैरिसन (Garrison) के अनुसार- तकनीकी को इस दष्टिकोण से देखने पर इसके दो अंग दिखायी देते हैं- 1. प्रक्रिया या सॉफ्टवेयर, 2. उत्पाद या हार्डवेयर।
जहाँ प्रक्रिया, उद्देश्यपूर्ण क्रियाओं के ज्ञान का रचनात्मक प्रयोग है, वहीं माध्यम हार्डवेयर का एक उपांग है। माध्यम वे यंत्र जिनका प्रयोग सूचनाओं के वितरण के लिए किया जाता है।
लुम्सडेन (Lumasdane) ने अभिग्रहाण की दृष्टि से शिक्षा-तकनीकी को तीन वर्गों में विभाजित किया है, ये वर्ग शिक्षा तकनीकी के उपागम भी कहलाते हैं। अतः शिक्षा तकनीकी के निम्नलिखित तीन उपागम निम्न प्रकार हैं-
- हार्डवेयर उपागम या शिक्षा तकनीकी प्रथम
(Hardware Approach or Educational Technology-1)
- सॉफ्टवेयर उपागम या शिक्षा तकनीकी द्वितीय
(Software Approach or Educational Technology-2)
- प्रणाली विश्लेषण या शिक्षा तकनीकी तृतीय
(Systems Analysis or Educational Technology-3)
शैक्षिक तकनीकी – महत्वपूर्ण लिंक
- रेडियो | शिक्षा के क्षेत्र में रेडियों तथा टेपरिकॉर्डर की भूमिका | टेप रिकॉर्डर | टेप रिकॉर्डर के गुण-दोषों
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