शिक्षाशास्त्र

शैक्षिक तकनीकी का महत्व | भारत में शैक्षिकी प्रौद्योगिकी अभियान | शैक्षिक तकनीकी का शिक्षक के लिए लाभ

शैक्षिक तकनीकी का महत्व | भारत में शैक्षिकी प्रौद्योगिकी अभियान | शैक्षिक तकनीकी का शिक्षक के लिए लाभ | Importance of Educational Technology in Hindi | Educational Technology Campaign in India in Hindi | Benefits of Educational Technology to the Teacher in Hindi

शैक्षिक तकनीकी का महत्व

(Importance of Educational Technology)

जनसख्या एवं ज्ञान के विस्फोट ने शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक तकनीकों के प्रवेश को अनिवार्य सा बना दिया है, विश्व के सभी देश आज शैक्षिक तकनीकी को अपनी शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान दे रहे हैं। भारत में भी इसके महत्व को स्वीकार किया जा चुका है।– 1986 में तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भी उसका स्पष्ट परिलक्षित होता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रतिवेदन के अनुसार, ‘नई तकनीकों का प्रयोग शैक्षिक संस्थाओं को शिक्षण के स्थान पर अधिगम संस्थाओं में परिवर्तित कर सकता है। “

  1. शैक्षिक तकनीकी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली एवं सार्थक बनाने में योग देती है।
  2. शैक्षिक तकनीकी की सहायता से पत्राचार पाठ्यक्रम का प्रयोग शैक्षिक प्रगति में सफलतापूर्वक किया जा सकता है। उदाहरणार्थ- अभिक्रमित अनुदेशन की सहायता से पत्राचार पाठ्यक्रम को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
  3. शैक्षिक तकनीकी अनौपचारिक साधनों को शिक्षा के प्रसार में अधिकाधिक बल देती है। उदाहरणार्थ, आज हम रेडियो, टेलीविजन व टेप रिकार्डर आदि के माध्यम से बहुत दूर बैठे व्यक्तियों को रोचक एवं तथ्यपूर्ण एवं अर्थपूर्ण तथ्यों की जानकारी देकर उन्हें शिक्षित कर सकते है।
  4. शैक्षिक तकनीकों ने अध्यापक प्रशिक्षण संस्थाओं में प्रभावशाली शिक्षक तैयार करने में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी सहायता से अध्यापक प्रशिक्षण को नवीनतम विधियों; जैसे- सूक्ष्म शिक्षण, टी-समूह प्रशिक्षण एवं सीमुलेटेड प्रशिक्षण, वीडियो टेप, बन्द परिपथ दूरदर्शन आदि का प्रयोग करके अध्यापक प्रशिक्षण को प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
  5. शैक्षिक तकनीकों की सहायता से शैक्षिक प्रशासन एवं प्रबन्ध की समस्याओं का अध्ययन वैज्ञानिक आधार पर किया जा सकता है।
  6. शैक्षिक तकनीकों के प्रयोग से महान व्यक्तियों एवं शिक्षाविदों के विचारों को मौलिक रूप में संचित किया जा सकता है तथा समय एवं आवश्यकतानुसार उन मौलिक विचारों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, टेपरिकार्डर की सहायता से शिक्षाविदों के भाषणों को टेप करके प्रस्तुत किया जा सकता है।
  7. शैक्षिक तकनीकी विभिन्न विषयों मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, गणित, अभियान्त्रिकी तथा अन्य सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों का प्रयोग कर अधिगम सुविधाओं में वृद्धि करती है एवं उन्हें एक-दूसरे के समीप लाती है।
  8. शैक्षिक तकनीकी की सहायता से शिक्षा को जन-जन तक दूर-दूर तक के गाँवों में पहुंचाया जा सकता है। यह निरक्षरता को दूर करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। प्रौढ़-शिक्षा का प्रसार भी इसको सहायता से आकर्षक एवं रुचिपूर्ण ढंग से किया जा सकता है।

भारत में शैक्षिकी प्रौद्योगिकी अभियान

(Educational Technology Movement)

पूरे विश्व में एक प्रकार से औद्योगिक क्रान्ति अथवा मशीनीकरण को एक लहर सी चल रही है जिसके फलस्वरूप कृषि एवं समाज के प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्ति को प्रक्रिया चल रही है। अतः शिक्षा जगत भी इस क्रान्ति से कैसे अछूता भी रह सकता है। शिक्षा को प्रभावशाली बनाने के लिए ही भारत सरकार ने सन् 1972-73 में शिक्षण तकनीकी योजना का शुभारम्भ किया जिसे ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी) द्वारा सहयोग प्राप्त हो रहा है।

भारतवर्ष में इसका उद्देश्य अब मात्र इतना ही नहीं है कि इसमें केवल हार्डवेयर, दृश्य-श्रव्य सामग्री का ही निर्माण हो बल्कि इसके विशेषज्ञ सम्पूर्ण शिक्षण प्रक्रिया का ही मूल्यांकन कर रहे है साथ ही साथ विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण भी किया जा रहा है। शिक्षा की समस्याओं का नये-नये ढंगों से समाधान किया जा रहा है, नवीन विधियाँ, प्रविधियाँ, उपागमों, शिक्षण सूत्रों, एवं नवीन शिक्षण व्यूह रचना का भी निर्माण किया जा रहा है। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत में शिक्षा का भविष्य उज्जवल है। आज शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर शिक्षण तकनीकी का नियोजन, क्रियान्वयन और मूल्यांकन के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। केवल औपचारिक शिक्षा में ही नहीं वरन् अनौपचारिक शिक्षा में भी इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

जैसे-

(1) शिक्षा के क्षेत्र में रेडिया, दूरदर्शन का प्रयोग भी व्यापक रूप में किया जा रहा है।

(2) यह ‘शिक्षण तकनीकी का ही एक महत्वपूर्ण प्रभाव है जो भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में एक निश्चित समय में निश्चित पाठ्यक्रम का निष्पादन किया जा रहा है।

(3) प्रशिक्षण, पुनः प्रशिक्षण एवं सेवाकालीन प्रशिक्षण में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। इसके लिए ही एन.सी.ई.आर.टी. ने अलग विभाग खोला है।

(4) इसका दूसरा उपयोग दूरस्थ शिक्षा के रूप में भी किया जा रहा है।

(5) भाषा प्रयोगशाला के माध्यम से विश्व की अन्य भाषाओं-जर्मनी, रूसी एवं अंग्रेजी का उपयोग किया जा रहा है।

(6) दृश्य-श्रृव्य सामग्री एवं सहायक सामग्री की तैयारी, नियोजन, क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन आदि का उपयोग भी बड़े पैमाने पर हो रहा है।

इस प्रकार उपरोक्त कार्यक्रमों के साथ-साथ ‘इण्डियन स्पेस, रिसर्च आर्गनाइजेशन’ (ISRO) की मदद से ‘इनसेट प्रणाली’ का भी विकास हो रहा है। उसके माध्यम से ‘सैटेलाइट” द्वारा भी शिक्षा का प्रतिदिन दूरदर्शन पर प्रसारण किया जा रहा है। बहु उद्देश्यीय सैटेलाइट का प्रयोग ग्रामीण टी.वी, रेडियो प्रसारण के लिये किया जा रहा है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शैक्षिक तकनीकी का यह स्वरूप शिक्षण में प्रकाश स्तम्भ का कार्य कर रहा है। यह कम खर्चीला एवं उपयुक्त है। इसके हार्डवेयर, साफ्टवेयर के एवं प्रणाली उपागम (Systems Approach) ने भारत में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में एक नवीन कान्ति ला दी है।

शैक्षिक तकनीकी का शिक्षक के लिए लाभ

(Benefits of Educational Technology for the Teacher)

जैसा कि पूर्व पृष्ठों से स्पष्ट किया जा चुका है कि शैक्षिक तकनीकी का सम्पूर्ण शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान है। शैक्षिक, तकनीकी एक ऐसी तकनीकी है जो कि सम्पूर्ण शिक्षण को प्रभावपूर्ण, अधिगम को सुग्राही एवं सुरुचिपूर्ण बनाती है। ऐसे में शैक्षिक तकनीकी का शिक्षक के लिए महत्वपूर्ण योगदान है और यह शिक्षक के लिए काफी उपयोगी एवं लाभदायक सिद्ध हो सकती है। संक्षिप्त रूप में, शैक्षिक तकनीकी शिक्षक के लिए निम्न प्रकार लाभप्रद हो सकती है-

  1. शैक्षिक तकनीकी शिक्षक की पाठ प्रस्तुतीकरण से सम्बन्धित एवं सामयिक परेशानियों को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
  2. शैक्षिक तकनीकी अकेला और छोटे समूह में छात्र के शिक्षण एवं अधिगम सम्बन्धी उद्दीपक एवं अनुक्रिया प्रदान करके, शिक्षक की गुणात्मक योग्यता का कई गुना विस्तार कर सकती है।
  3. शैक्षिक तकनीकी की सहायता से शिक्षक को छात्रों के लिए उद्देश्यपूर्ण जानकारी प्रदान करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
  4. शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को ऐसा साधन उपलब्ध करती है जो कि उसके छात्रों के ज्ञान एवं अनुभव को अभिवृद्धि में सहायक सिद्ध हो सकता है।
  5. शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को ऐसे मनोरंजनपूर्ण आधार प्रदान करती है जो कि छात्रों को विभिन्न विविधतापूर्ण प्रक्रियाओं में सम्मिलित करने का प्रयास करती है।
  6. शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को ऐसे साधन देने का प्रयास करती है जो कि उपचारात्मक, शिक्षण, अनुसंधान तथा तदुपरान्त कार्यों में सहायक होता है।
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Pankaja Singh

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