संगठनात्मक व्यवहार

सीखने के भेद या प्रकार | सीखने को प्रभावित करने वाले घटक | सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले घटक

सीखने के भेद या प्रकार | सीखने को प्रभावित करने वाले घटक | सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले घटक | Differences or types of learning in Hindi | Factors Affecting Learning in Hindi | Factors Affecting the Learning Process in Hindi

सीखने के भेद या प्रकार

(Types of Kinds or Learning)

सीखने की प्रक्रिया विभिन्न प्रकार से सम्पादित होती है। बालक, जवानी तथा वृद्धावस्था एवं परिपक्वता के साथ सीखने की क्रिया सतत् जारी रहती है। मूलतः इसे आठ भागों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) संवदेनशील सीखना (Sensorimotor Learning) – यह सीखने के व्यवहार या प्रक्रिया का सरलतम रूप हैं जिसमें बालक कौशल का अर्जन करता है। इसके अन्तर्गत दैनिक व्यवहार में अनेक प्रकार के अनुकरण किये जाते हैं। प्रारम्भ में श्रमिक किसी कार्य को करते हुये देखता है। बाद में स्वयं उस कार्य को बार-बार करता है। परिपक्वता की वृद्धि के साथ-साथ अनुभव में आने वाली वस्तुओं तथा क्रियाओं में भी वृद्धि होने लगती है। सीखने की इस प्रक्रिया का मापन निरर्थक शब्दों एवं कार्यों के द्वारा किया जाता है।

(2) बौद्धिक सीखना (Intellectual Learning)- मानसिक विकास के साथ- साथ व्यक्ति में तर्क शक्ति भी बढ़ती जाती है। संवेदनशील प्रक्रिया से प्राप्त होने वाले ज्ञान के विकास का अर्जन ही बौद्धिक सीखना है।

(3) गतिशील सीखना (Motor Learning)- विकास की प्रारम्भिक अवस्था में श्रमिक का मानसिक विकास पूर्णतः नहीं हो पाता है। ऐसे समय में वह शरीर के संचालन एवं गति पर नियन्त्रण करना सीखता है।

(4) अवबोधनात्मक सीखना (Perceptual Learning)- मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ विभिन्न ज्ञानेन्द्रियाँ भी विकसित होती रहती हैं। श्रमिक जब किसी कार्य को निरन्तर करता रहता है तो यह प्रक्रिया व्यवहार में आने वाली प्रत्येक वस्तु तथा क्रिया का अर्थ मस्तिष्क में स्पष्ट करती है। फलतः अवबोधनात्मक सीखने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है।

(5) वैचारिक सीखना (Conceptual Learning)- वैचारिक रूप से सीखने की प्रक्रिया तब प्रारम्भ होती है जब व्यक्ति की मानसिक क्रिया परिपक्व हो जाती है। सीखने की इस प्रक्रिया के अन्तर्गत व्यक्ति में तर्क, कल्पना, चिन्तन आदि का विकास होता है।

(6) साहचर्य सीखना ( Association Learning) – सीखने की वैचारिक प्रक्रिया के साथ सहचार्य सीखना भी विकासित होता है।

(7) गुणग्राही सीखना (Appreciation Learning)- जैसे-जैसे वैचारिक ज्ञान या सीखने की प्रक्रिया का विकास होता है, व्यक्ति में अनुभव या ज्ञान का मूल्यांकन, गुण-दोष का विवेचना आदि की शक्ति विकसित हो जाती है।

(8) प्रवृत्ति सीखना (Attitudinal Learning)- व्यवहार के अर्जन के समय व्यक्ति अनेक प्रवृत्तियों को ग्रहण करता है। किसी भी व्यवहार कार्य या विचार के प्रति धारणा बन जाती है, जो उसके व्यवहार का निर्धारित करती है।

सीखने को प्रभावित करने वाले घटक

(Factor Affecting Learning)

अथवा

सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले घटक

(Factors Affecting Learning Process)

चूँकि सीखना एक अर्जित प्रक्रिया है अतएव यह स्वाभाविक है कि विभिन्न घटक इसे प्रभावित करें। इस दृष्टि से इन घटकों का ज्ञान होना प्रबन्ध के लिए आवश्यक है। इन घटकों का ज्ञान होने पर ही प्रबन्ध सीखने का कार्यक्रम प्रशिक्षण अथवा कार्य पर कर्मचारियों के व्यवहार में सुधार संगठित कर सकता है। सीखने अथवा सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-

(1) अभिप्रेरण (Motivation)- अभिप्रेरण किसी व्यक्ति को अथवा स्वयं को किसी इच्छित कार्य करने के लिए प्रेरित करने की क्रिया है। यह सीखने का सबसे प्रथम एवं महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि बिना अभिप्रेरण के सीखने का प्रश्न ही नहीं उठता। अभिप्रेरण के कारण ही कोई व्यक्ति इच्छित क्रिया करने के लिए प्रेरित होता है। सीखने के माध्यम से विकसित सकारात्मक व्यवहार पुरस्कार में परिणित होता है, जबकि नकारात्मक व्यवहार दण्ड में परिणित होता है। अतएव अभिप्रेरण का सीखने से सीधा सम्बन्ध है। इस बात के अनेक साक्ष्य उपलब्ध है कि अभिप्रेरण से प्रत्युत्तरों की पुनरावृत्ति होती है, जबकि गैर-अभिप्रेरित प्रत्युत्तर आगे जाकर बन्द हो जाते हैं।

(2) सीखने की सामग्री की प्रकृति (Nature of Learning Material) – सीखने की सामग्री निश्चित रूप से सीखने को प्रभावित करती है। इस प्रकार सीखने की सामग्री सीखने की प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण घटक है। सीखने की सामग्री की विभिन्न विशेषताएँ हैं जोकि सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। सीखने की सामग्री की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं- प्रथम, यदि सीखने की सामग्री साधारण प्रकृति की है तो शीघ्रता से सीखा जा सकता है। इसके विपरीत, यदि सीखने की सामग्री जटिल प्रकृति की है तो सीखने एवं उसे समझने में काफी समय लग जाता है। द्वितीय, सीखने की सामग्री से परिचय सीखने को प्रभावित करती है। यदि सीखने वाला व्यक्ति सीखने की सामग्री में भली प्रकार परचित है तो वह सीघ्रता से सीख जायेगा। इसके विपरती यदि सीखने वाला व्यक्ति सीखने की सामग्री से परिचित नहीं है। तो उसे सीखने में काफी समय लग सकता है। क्योंकि पहले तो उसे सामग्री को समझना होगा। तभी वह उसका प्रयोग कर सकेगा। तृतीय सीखने की सामग्री का क्रम आकृति तथा अर्थ पूर्णता भी सीखने को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, यदि ये लक्षण सकारात्मक हैं तो सीखने की गति तेज होगी, इसके विपरीत, यदि ये लक्षण नकारात्मक हैं तो सीखने की प्रक्रिया में बाधा अथवा रुकावट उत्पन्न हो जायेगी।

(3) पर्यावरण (Environment)- सीखने का पर्यावरण भी सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। यहाँ पर पर्यावरण से आशय स्थिति से है जिसमें व्यक्ति सीखता है। पर्यावरणीय घटक या तो सीखने की योग्यता सुदृढ़ कर सकते हैं अथवा कमजोर कर सकते हैं। पर्यावरण के सकारात्मक घटक (जैसे- समर्थन, संसक्ति, सम्बर्द्धन) सीखने पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसके विपरीत, ऐसे पर्यावरण में जिसमें परिवर्तन की गति तेज हो, सीखने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

(4) मानसिक अवस्था अथवा स्थिति (Mental Set)- मानसिक अवस्था से आशय किसी क्रिया को सम्पन्न करने की तैयारी से है। सीखाने के सन्दर्भ में, यदि किसी व्यक्ति की मानसिक अवस्था किसी क्रिया को सम्पन्न करने की है तो वह उक्त क्रिया को न्यूनतम समय में शीघ्रता से करज्ञलेगा। इसके विपरीत, यदि किसी व्यक्ति की मानसिक अवस्था किसी क्रिया को करने की नहीं है तो वह उक्त क्रिया को सही ढंग एवं शीघ्रता से सम्पन्न नहीं कर सकेगा। इसका कारण यह है कि व्यक्ति की मानसिक स्थिति ही है जो कि कोई क्रिया सम्पन्न करने के लिए तत्पर करती है। इस सम्बन्ध में किये गये विभिन्न अनुसंधान हमारे इस कथन का समर्थन करते हैं।

(5) अभ्यास (Practice)- अभ्यास भी एक महत्वपूर्ण घटक है जो सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। अभ्यास एक महत्वपूर्ण सीखनेकी बाहरी शर्त है जोकि सभी प्रकार के सीखने को प्रभावित करती है। व्यक्ति जितना अधिक अभ्यास करेगा, वह उतना ही प्रभावी ढंग से सीख सकता है। हॉकी के खेल को ही लीजिए। इस खेल में खिलाड़ी जितना अधिक अभ्यास करेगा, वह उतनी ही कुशलता से इस खेल को सीख सकेगा। यह स्थिति किसी वाहन को चलाना सीखना, तैरना सीखना, जादुई खेल दिखाना आदि में व्यापक है।

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Pankaja Singh

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