निगमीय प्रबंधन

संचालक मण्डल से आशय | प्रबन्ध संचालक, पूर्णकालिक संचालक एवं प्रबन्धक की नियुक्ति | प्रबन्धकीय पारिश्रमिक के निर्धारण हेतु संचालक मण्डल की विवेचना

संचालक मण्डल से आशय | प्रबन्ध संचालक, पूर्णकालिक संचालक एवं प्रबन्धक की नियुक्ति | प्रबन्धकीय पारिश्रमिक के निर्धारण हेतु संचालक मण्डल की विवेचना | Meaning of Board of Directors in Hindi | Appointment of Managing Director, Full Time Director and Manager in Hindi | Discussion of the Board of Directors for the determination of managerial remuneration in Hindi

संचालक मण्डल से आशय

(Meaning of Board of Directors)

कम्पनीज अधिनियम, 2013 में संचालकों, प्रबन्ध संचालकों एवं कम्पनी के प्रबन्धकों के पारिश्रमिक निर्धारण सम्बन्धी प्रावधान दिए गए हैं। अधिनियम के अनुसार, कम्पनी का प्रबन्ध ‘संचालक मण्डल’ को हस्तान्तरित किया जाता है। संचालक मण्डल प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति संचालक मण्डल के संचालकों में से कर सकता है। इसी प्रकार संचालक मण्डल प्रबन्धक की नियुक्ति भी कर सकता है।

पारिश्रमिक निर्धारण हेतु संचालक मण्डल की गणना निम्नानुसार है:

(1) संचालक (Director)— संचालक का अभिप्राय उन व्यक्तियों से हैं जो कम्पनी का प्रबन्ध एवं नियंत्रण करते हैं। संचालक वास्तव में कम्पनी की सम्पत्तियों के प्रन्यासी होते है जिनका कर्तव्य कम्पनी की सम्पत्तियों का प्रयोग कम्पनी के हित में करना होता है। संचालक मण्डल कम्पनी का प्रतिनिधि भी होता है, इसीलिए इसके द्वारा कम्पनी की ओर से किए गए समस्त अनुबन्ध कम्पनी पर लागू माने जाते हैं, जो तीसरे पक्षों पर भी लागू होते हैं।

(i) पूर्णकालिक संचालक (Whole-time Director) — एक कम्पनी में एक या एक से अधिक पूर्णकालिक संचालक हो सकते हैं। पूर्णकालिक संचालक उसे कहते हैं जो अपना पूरा समय और ध्यान कम्पनी के कार्यों में ही लगाता है।

(ii) अंशकालिक संचालक (Part-time Director) — इसी तरह एक कम्पनी में एक या एक से अधिक अंशकालिक संचालक हो सकते हैं। अंशकालिक संचालक उसे कहते हैं जो न तो पूर्णकालिक संचालक होता है और न ही प्रबन्ध संचालक। एक कम्पनी में अंशकालिक संचालक के साथ पूर्णकालिक संचालक, प्रबन्ध संचालक अथवा प्रबन्धक हो सकते हैं अथवा नहीं भी हो सकते। सामान्यतः एक कम्पनी में अधिकांशतः अंशकालिक संचालक ही कार्यरत होते हैं।

(2) प्रबन्ध संचालक (Managing Director) – संचालकों द्वारा विभिन्न संचालकों में से प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति की जा सकती है। प्रबन्ध संचालक का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो कम्पनी के अनुबन्ध के अनुसार या कम्पनी की साधारण सभा में प्रस्ताव पारित करने पर या संचालक मण्डल या कम्पनी के पार्षद सीमा नियम एवं कम्पनी के अन्तर्नियम के अन्तर्गत नियुक्त किया जाता है।

(3) प्रबन्धक (Manager) – एक प्रबन्धक का अभिप्राय एक ऐसे व्यक्ति से है जिसे संचालक मण्डल द्वारा कम्पनी के प्रबन्ध का अधिकार दिया जाता है। प्रबन्धक एक व्यक्ति ही होगा जो सामान्यतः संचालक मण्डल द्वारा नियुक्त किया जाता है। प्रबन्धक एक बार में पांच वर्ष से अधिक के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता। इसकी अयोग्यता एवं अन्य तिबन्ध प्रबन्ध संचालक के समान हैं।

प्रबन्ध संचालक, पूर्णकालिक संचालक एवं प्रबन्धक की नियुक्ति

(Appointment of Managing Director, Whole-Time Director or Manager)

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 196 के अन्तर्गत प्रबन्धकीय नियुक्ति के मुख्य नियम निम्न प्रकार हैं:

(1) कोई भी कम्पनी एक ही समय पर प्रबन्ध संचालक और प्रबन्धक की नियुक्ति नहीं करेगी।

(2) कोई भी कम्पनी किसी व्यक्ति को अपने प्रबन्ध संचालक, पूर्णकालिक संचालक या प्रबन्धक के रूप में एक बार में पाँच वर्षों से अधिक के लिए नियुक्त या पुनर्नियुक्त नहीं करेगी।

(3) कोई कम्पनी किसी ऐसे व्यक्ति को प्रबन्ध संचालक, पूर्णकालिक संचालक या प्रबन्धक के रूप में नियुक्त नहीं करेगी या नियुक्ति जारी नहीं करेगी।

(अ) जो 21 वर्ष से कम आयु का है या 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है।

(ब) जो एक अमुक्त दिवालिया है।

(स) जिसने किसी समय अपने लेनदारों का भुगतान स्थगित किया है।

(द) जिसे किसी समय न्यायालय द्वारा अपराध के लिए दोषी ठहराया जा चुका है और 6 माह से अधिक की सजा हुई है।

(4) एक प्रबन्ध संचालक, पूर्णकालिक संचालक या प्रबन्धक की नियुक्ति अधिनियम की। धारा 197 और अनुसूची V के अधीन होगी। ऐसी नियुक्ति की शर्तें एवं दशाएं तथा देय पारिश्रमिक को कम्पनी के संचालक मण्डल द्वारा एक मीटिंग में स्वीकृत किया जाएगा, जो कम्पनी की अगली सामान्य सभा में एक प्रस्ताव के द्वारा अनुमोदित करना होगा तथा अनुसूची में निर्दिष्ट दशाओं से अलग कर नियुक्ति की दशा में केन्द्र सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना होगा।

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Pankaja Singh

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